शादी के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया क्या है

Shadab Salim

21 Dec 2021 4:45 PM IST

  • शादी के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया क्या है

    भारत में शादियां अनेक तरह से होती है जिसमें हिंदू विवाह मुस्लिम विवाह ईसाई विवाह और स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत कोर्ट मैरिज।

    यह ध्यान देना चाहिए कि कोर्ट मैरिज सिर्फ स्पेशल मैरिज एक्ट, 1955 के तहत होती है किसी नोटरी पर कोर्ट मैरिज नहीं होती है और इस आलेख में भी कोर्ट मैरिज के बारे में प्रक्रिया नहीं बताई जा रही है बल्कि किसी भी शादी के रजिस्ट्रेशन के लिए प्रक्रिया बताई जा रही है।

    अब शादी कोई भी हो उसका रजिस्ट्रेशन भारत की बहुत सारी स्टेट में अनिवार्य कर दिया गया है। कुछ स्टेट के अंदर यह रजिस्ट्रेशन जरूरी नहीं है फिर भी बहुत सारे मौकों पर और प्रॉपर्टी के बंटवारे के समय ऐसे शादी के रजिस्ट्रेशन बहुत जरूरी दस्तावेज बन जाते हैं।

    पति पत्नी के बीच कोई विवाद होने पर भी ऐसी शादी का रजिस्ट्रेशन एक जरूरी दस्तावेज बन जाता है। यह शादी का एक पुख्ता सबूत होता है जिससे साबित होता है कि दो लोगों के बीच शादी का संबंध स्थापित किया गया है।

    जैसे मुस्लिम मैरिज निकाह के जरिए होती है और हिंदू मैरिज सात फेरों के जरिए होती है। मुस्लिम मैरिज में मौलवी या काज़ी साहब के द्वारा निकाह पढ़ाया जाता है और हिंदू मैरिज में पंडित द्वारा सात फेरे करवाए जाते हैं और उसके साथ ही सात वचन भी करवाए जाते हैं तब शादी संपन्न होती है पर कभी-कभी ऐसी शादियों के रजिस्ट्रेशन को लेकर भी विवाद खड़े हो जाते हैं।

    जैसे की पति पत्नी एक दूसरों को पति पत्नी मानने से इनकार कर देते हैं, कोर्ट में किसी भी प्रकार से भरण-पोषण यह तलाक का मुकदमा लाने पर पति-पत्नी सीधे अपनी शादी होने से ही इंकार कर देते हैं तथा यह कह देते हैं कि हम दोनों तो पति पत्नी है ही नहीं। ऐसी परिस्थिति से निपटने के लिए शादियों के रजिस्ट्रेशन को बहुत सारी स्टेट में जरूरी कर दिया है। जैसे कि मध्य प्रदेश स्टेट, उत्तर प्रदेश स्टेट में शादियों का रजिस्ट्रेशन जरूरी है।

    क्या है प्रक्रिया:-

    हिंदू मैरिज, मुस्लिम मैरिज या कोई स्पेशल मैरिज इन तीनों के तहत होने वाली शादियों को रजिस्ट्रेशन किया जाता है। ऐसा रजिस्ट्रेशन दो जगहों पर किया जाता है कुछ स्टेट में यह रजिस्ट्रेशन नगर निगम या फिर ग्राम पंचायत द्वारा किया जाता है या फिर कुछ स्टेट में ऐसा रजिस्ट्रेशन एसडीएम के दफ्तर से किया जाता है।

    इस रजिस्ट्रेशन को पक्षकारों की शादी के बाद किया जाता है। जैसे कि पति और पत्नी ने किसी एक तारीख को फेरे लेकर शादी संपन्न की है तब उस तारीख के कुछ दिनों बाद पति पत्नी अपनी शादी के रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन नगर निगम या फिर एसडीएम के दफ्तर में देते है।

    क्या दस्तावेज जरूरी है:-

    ऐसी शादी के रजिस्ट्रेशन के लिए कुछ दस्तावेजों की जरूरत है। उन दस्तावेजों में सबसे पहला दस्तावेज शादी के रजिस्ट्रेशन का आवेदन फार्म है। आजकल ऐसी शादी के रजिस्ट्रेशन का फॉर्म ऑनलाइन कर दिया गया है और ऑनलाइन फॉर्म के माध्यम से भी शादी का रजिस्ट्रेशन का फॉर्म भरा जा सकता है।

    इस फॉर्म के साथ कुछ जरूरी दस्तावेजों को संलग्न किया जाता है जैसे-

    पति-पत्नी का आधार कार्ड।

    शादी की पत्रिका।

    पंडित का शपथ पत्र और उसका आधार कार्ड।

    मौलवी के पढ़ाई निकाह का निकाह नामा।

    शादी की जगह।

    पक्षकारों का शपथ पत्र जिसमें यह उल्लेख होना चाहिए कि पक्षकार आपस में प्रतिबंधित नातेदारी में नहीं है। प्रतिबंधित नातेदारी उसे कहते हैं जिन रिश्तेदारी में शादी नहीं होती है। जैसे कि हिंदू मैरिज में ऐसी नातेदारी को बहुत महत्व दिया गया है। अगर ऐसी नातेदारी में शादी होती है तो शादी अवैध मानी जाती है।

    मुस्लिम मैरिज में भी प्रतिबंधित नातेदारी है पर इतनी नहीं है जैसे की मां बेटे खाला भांजे आपस में शादी नहीं कर सकते हैं और भी दूसरे रिश्ते हैं जिनमें शादियां नहीं हो सकती हैं। शपथ पत्र के जरिए पति और पत्नी यह घोषणा करते हैं कि हमारी शादी किसी भी प्रतिबंधित नातेदारी में नहीं हुई है।

    आवेदन कहां करना है-

    शादी के पति और पत्नी ऐसे आवेदन को किसी भी उस शहर में कर सकते हैं जहां रहे हैं या फिर जहां पर उनकी शादी हुई थी। दोनों ही जगह के शहरों में ऐसा आवेदन किया जा सकता है। ऐसे आवेदन के साथ एक नॉमिनल कोर्ट फीस होती है जो पक्षकारों को अदा करना होती है जैसे कि कुछ 100 से ₹200 के टिकट होते हैं उन्हें दस्तावेजों के साथ लगाना होता है या फिर उससे संबंधित कोई रसीद नगर निगम के कार्यालय एसडीएम कार्यालय में काटी जा रही हो तो वहां भुगतान करना होता है।

    ऐसे आवेदन को जमा करने के बाद कार्यालय द्वारा एक दिनांक पक्षकारों को दे दी जाती है और उस दिनांक को अधिकारी के समक्ष पति पत्नी को पेश किया जाता है तथा उनसे मौखिक रूप से यह पूछा जाता है कि तुम दोनों ने शादी कब कहां और किस पद्धति से की है और किस व्यक्ति द्वारा तुम्हारा विवाह कराया गया है।

    यह सभी प्रश्नों के बाद अधिकारी पति पत्नी को शादी का रजिस्ट्रेशन उपलब्ध कर देते हैं। ऐसे रजिस्ट्रेशन पर अधिकारी के हस्ताक्षर होते हैं और कार्यालय की सील लगी होती है और शादी रजिस्टर हो जाती है।

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