क्या होता है "Doxxing" अपराध और IT Act के तहत इसकी सजा?

Himanshu Mishra

12 May 2025 1:14 PM IST

  • क्या होता है Doxxing अपराध और IT Act के तहत इसकी सजा?

    डॉक्सिंग (Doxxing) का शाब्दिक अर्थ “दस्तावेज़ लीक करना” है, जहां किसी व्यक्ति की निजी जानकारी बिना अनुमति के सार्वजनिक रूप से उजागर की जाती है। इस तरह की गैरकानूनी गतिविधि से मानहानि, मानसिक परेशानियाँ और शारीरिक भय का सामना करना पड़ सकता है। भारत में, विशेषकर BNS, 2023 (Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023) तथा IT Act, 2000 (Information Technology Act, 2000) की विभिन्न धाराएँ इस व्यवहार को अपराध (Offence) मानकर दंडायोग्य (Punishable) ठहराती हैं।

    डॉक्सिंग का अर्थ और दुष्प्रभाव (Defining Doxxing)

    डॉक्सिंग (Doxxing) में निजी पहचान संबंधी जानकारियाँ जैसे घर का पता, फोन नंबर, ई-मेल, बैंक विवरण अथवा संवेदनशील चित्र बिना सहमति के ऑनलाइन प्रकाशित की जाती हैं। इसका उद्देश्य कभी शर्मिंदा करना (Embarrass), कभी डराना (Intimidate) और कभी उत्पीड़न (Harassment) करना होता है। ऐसी जानकारी के सार्वजनिक होते ही पीड़ित व्यक्ति को सामाजिक, मानसिक और कभी-कभी शारीरिक जोखिम (Risk) झेलना पड़ता है।

    BNS, 2023 के अंतर्गत डॉक्सिंग (Doxxing under BNS, 2023)

    BNS, 2023 ने IPC की अनेक धाराएँ प्रत्यक्ष रूप से स्थानांतरित (Transpose) कर दी हैं। उदाहरण के लिए, IPC की धारा 509 (Word, gesture or act intended to insult the modesty of a woman) अब BNS, 2023 की धारा 79 में सम्मिलित है, जो किसी महिला की गोपनीयता (Privacy) का उल्लंघन (Violation) अपराध ठहराती है।

    इसी प्रकार, स्टॉकिंग (Stalking) के लिए IPC की धारा 354D को BNS, 2023 की धारा 78 में पुनर्गठित किया गया है। इन धाराओं के अंतर्गत ऑनलाइन माध्यम से लगातार निगरानी या व्यक्ति की निजी जानकारी साझा करने पर तीन साल तक की साधारण कारावास (Simple Imprisonment) एवं जुर्माना (Fine) लगाया जा सकता है।

    IT Act के अंतर्गत पहचान की चोरी (Identity Theft under IT Act)

    IT Act, 2000 की धारा 66C (Identity Theft) के अंतर्गत इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर (Electronic Signature) या पासवर्ड (Password) का धोखाधड़ीपूर्ण उपयोग (Fraudulent Use) कर किसी और की पहचान छीनना अपराध है। धारा 66E (Violation of Privacy) गैर-संवैधानिक (Unconstitutional) रूप से चित्र या वीडियो लीक करने को दंडित (Punishable) करती है। इन धाराओं के तहत तीन वर्ष तक कारावास और एक लाख रुपये तक का जुर्माना निर्धारित है।

    अनधिकृत जानकारी का प्रकटीकरण (Unauthorized Disclosure)

    IT Act की धारा 72 (Breach of Confidentiality and Privacy) के अनुसार, यदि कोई कर्तव्य पालन के दौरान प्राप्त निजी जानकारी बिना अनुमति दूसरों के साथ साझा करता है, तो वह तीन वर्ष तक कारावास और दो लाख रुपये तक जुर्माना झेल सकता है। संवेदनशील डेटा लीक करने के लिए धारा 72A में जुर्माने की सीमा पाँच लाख रुपये तक बढ़ाई गई है।

    संबंधित अपराध (Associated Offences)

    डॉक्सिंग के साथ अक्सर मानहानि (Defamation), अश्लील सामग्री का प्रसारण (Obscenity) और अभद्रता (Harassment) के अन्य प्रकार जुड़ जाते हैं। मानहानि के लिए IPC की धारा 499/500 की जगह BNS, 2023 की धारा 356 (Defamation) लागू होती है, जिसमें जुर्माना या कारावास या दोनों का प्रावधान है। अश्लील कृत्यों के लिए BNS, 2023 की धारा 294 (Obscene Acts and Songs) सार्वजनिक जगह पर आपत्तिजनक हरकतें अथवा शब्दों का प्रयोग दंडित करती है।

    डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट, 2023 (Digital Personal Data Protection Act, 2023)

    हाल ही में पारित DPDP Act निजी डेटा के संग्रहण, प्रसंस्करण (Processing) तथा स्थानांतरण पर पारदर्शी ढाँचा (Framework) प्रस्तुत करता है। इसके तहत बिना स्पष्ट सहमति (Explicit Consent) किसी का डिजिटल व्यक्तिगत डेटा साझा करना नागरिकों को नियामक प्रवर्तन (Regulatory Enforcement) के तहत हर्जाना (Compensation) दिला सकता है। इस दृष्टिकोण से DPDP Act, 2023 डॉक्सिंग के प्रति अतिरिक्त सुरक्षा कवच (Safeguard) प्रदान करता है।

    प्रमुख न्यायिक निर्णय (Landmark Judicial Pronouncements)

    सुप्रीम कोर्ट ने K.S. Puttaswamy v. Union of India (2017) में गोपनीयता (Privacy) को मौलिक अधिकार (Fundamental Right) करार दिया, जिससे ऐसी निजी जानकारी के खुलासे पर रोक (Restriction) और कड़ी समीक्षा की नींव रखी गई। Shreya Singhal v. Union of India (2015) में इंटर्मीडियरी (Intermediary) की जिम्मेदारी (Liability) पर प्रकाश डाला गया, जिससे बिना न्यायालयीन आदेश (Court Order) कंटेंट हटाना असंभव हो गया।

    उदयीमान रुझान और विधायी प्रस्ताव (Emerging Trends and Legislative Proposals)

    हाल के मसौदा प्रस्ताव (Draft Proposals) में “ऑनलाइन नुकसान” (Online Harms) की परिभाषा में स्पष्ट रूप से डॉक्सिंग का समावेश प्रस्तावित है। अंतरराष्ट्रीय तौर पर हांगकांग जैसे क्षेत्रों ने विशेष “एंटी-डॉक्सिंग” नियम बनाकर नोटिस-एंड-टेकडाउन (Notice-and-Takedown) तंत्र स्थापित किया है। भारत में भी इसी तरह का समर्पित प्रावधान स्पष्टता (Clarity) और प्रवर्तन (Enforcement) को तेज़ कर सकता है।

    डॉक्सिंग व्यक्तिगत गोपनीयता, सुरक्षा और गरिमा पर आघात है। BNS, 2023 की धाराएँ 78, 79, 294, 356 तथा IT Act की धारा 66C, 66E, 72, 72A ने इस अपराध के प्रति कड़ा रुख अपनाया है। DPDP Act, 2023 नागरिकों को नागरानी तंत्र (Regulatory Mechanism) के माध्यम से अतिरिक्त राहत देता है।

    न्यायालय ने गोपनीयता को मौलिक अधिकार मानकर मजबूत संवैधानिक आधार (Constitutional Foundation) दिया है। भविष्य में समर्पित एंटी-डॉक्सिंग प्रावधान से विधि-व्यवस्था अधिक स्पष्ट व प्रभावी होगी, जिससे हर नागरिक का निजी क्षेत्र सुरक्षित रहेगा।

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