नोटरी क्या होती है और नोटरी किए जाने का सही तरीका क्या है? जानिए कानून

Shadab Salim

15 Jan 2022 6:13 PM IST

  • नोटरी क्या होती है और नोटरी किए जाने का सही तरीका क्या है? जानिए कानून

    नोटरी एक बड़ी चर्चित कानूनी व्यवस्था है। नोटरी किसी दस्तावेज को तस्दीक करने के लिए इस्तेमाल की जाती है। राज्य और केंद्र सरकार अपने कार्य भार को कम करने के लिए कुछ वकीलों को नोटरी के रूप में नियुक्त कर देती है। यह नोटरी वकील लोगों के बीच होने वाले कुछ एग्रीमेंट और शपथ पत्र को तस्दीक करते हैं। यहां पर यह ध्यान देना चाहिए कि कोई भी ऐसा दस्तावेज नोटरी वकील तस्दीक नहीं करते हैं जो उन्हें नहीं करने के लिए नोटरी रूल्स में कहा गया है।

    इसके साथ ही नोटरी वकील कोई भी ऐसा दस्तावेज तस्दीक नहीं करते हैं जिसे रजिस्ट्रेशन एक्ट के अंतर्गत रजिस्ट्रेशन करवाने हेतु आदेश दिया गया है। जैसे कि किसी भी अचल संपत्ति की सेल डीड को नोटरी वकील तस्दीक नहीं कर सकते हैं और इसी के साथ कोई विवाह या तलाक से संबंधित दस्तावेज को नोटरी वकील तस्दीक नहीं कर सकते हैं।

    अगर वे ऐसा दस्तावेज तस्दीक करते हैं तो इसके लिए अनुशासनहीनता की कार्यवाही के साथ दंडात्मक कार्यवाही भी हो सकती है और साथ ही जिस दस्तावेज की तस्दीक उन्होंने की है उस दस्तावेज को कोर्ट में किसी प्रकार की कोई मान्यता प्राप्त नहीं होती है।

    पर फिर भी ऐसे अनेक अनुबंध है जिन्हें तस्दीक करने के लिए नोटरी वकील के पास अधिकार होते हैं उन दस्तावेजों को नोटरी वकील तस्दीक कर सकते हैं।

    जैसे कि अनेक प्रकार के एग्रीमेंट नोटरी वकील तस्दीक करते हैं जिनमें कंपनी मामलों से जुड़े हुए तथा कुछ व्यापारिक मामलों से जुड़े हुए एग्रीमेंट होते हैं जिन्हें नोटरी वकील तस्दीक करते हैं। इनकी संख्या बहुत सीमित है जैसे कि नोटरी वकील केवल 11 महीने तक के किसी किरायानामा को तस्दीक कर सकते हैं। 11 महीने के ऊपर के किरायानामा को रजिस्टर्ड करवाना पड़ता है। जमीन मकान के सौदे में लगने वाले एग्रीमेंट भी रजिस्टर्ड करवाने होते हैं।

    नोटरी पर पॉवर ऑफ अटॉर्नी

    किसी संपत्ति से जुड़ी हुई पॉवर ऑफ अटॉर्नी नोटरी वकील के माध्यम से तस्दीक करवाई जा सकती है पर कोई अचल संपत्ति से जुड़ी हुई पॉवर ऑफ अटॉर्नी रजिस्टर्ड करवाना होती है। पॉवर ऑफ अटॉर्नी भी दो प्रकार की होती है। ऐसी पॉवर ऑफ अटॉर्नी जिसमें किसी संपत्ति के बेचने तक का अधिकार दिया गया है उसे रजिस्टर्ड करवाना होता है। बगैर रजिस्टर्ड पॉवर ऑफ अटॉर्नी की कोई वैल्यू नहीं होती पर वाहनों से संबंधित या फिर कोई मुकदमा लड़ने से संबंधित पॉवर ऑफ अटॉर्नी एक स्टांप पर नोटरी वकील से करवाई जा सकती है।

    सभी शपथ पत्र

    जैसा कि आज के समय में सभी संस्थानों में किसी भी कार्रवाई को करने के लिए शपथ पत्र देना होते हैं। कोई भी बात मौखिक तौर पर नहीं ली जाती है बल्कि उसके संबंध में शपथ पत्र मांगा जाता है। शपथ पत्र देने पर ही किसी बात को माना जाता है। नोटरी वकील ऐसे शपथ पत्र को तस्दीक कर सकते हैं उन्हें इसके मामले में सभी शक्तियां प्राप्त है।

    जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है नोटरी वकील सरकार के व्यक्ति होते हैं सरकार उन्हें अपना कार्यभर कम करने के लिए नियुक्त करती है जो जनता से एक नाम मात्र की राशि लेकर सरकार की ओर से दस्तावेज को तस्दीक कर देते हैं। जब कभी उन दस्तावेज से संबंधित कोई मामला न्यायालय में जाता है तब नोटरी वकील उस मामले में गवाही भी देते हैं।

    रुपए के लेन-देन के मामले

    समय-समय पर रुपए का लेनदन का मामला लोगो करना पड़ता है। ऐसे लेनदेन के मामले नोटरी वकील तस्दीक कर सकते हैं। हालांकि इसके लिए चेक और वचन पत्र यथेष्ट होते हैं पर फिर भी एक स्थान पर अगर नोटरी करवा ली जाए यह बेहतर माना जाता है। यह लेनदेन का एक पक्का प्रमाण होता है जिसे न्यायालय में इनकार नहीं किया जा सकता।

    जैसे कि कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को कुछ पैसे उधार देता है तब अगर में एक स्थान पर किसी नोटरी वकील से तस्दीक करवा लेता है तब रुपए उधार लेने वाला इस बात से मुकर नहीं सकता कि उसने कोई रुपए उधार लिए हैं। ऐसे मामले में कोर्ट नोटरी वकील को अपने समक्ष उपस्थित करवा कर उससे प्रमाण लेती है।

    क्या होती है प्रक्रिया

    नोटरी वकील जब भी किसी कागज को तस्दीक करते हैं तब इसके लिए नोटरी रूल्स उपलब्ध किए गए हैं जिसके अनुसार ही उन्हें कार्य करना होता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि नोटरी का कोई भी दस्तावेज बगैर स्टांप के नहीं होता है। नोटरी वकील किसी भी ऐसे दस्तावेज को तस्दीक नहीं करते हैं जिसमें कोई स्टांप नहीं लगाया गया हो उन्हें स्टांप तस्दीक करने का आदेश दिया गया है। कोरे कागज को नोटरी वकील तस्दीक नहीं करते हैं।

    टिकट मोहर

    नोटरी वकील जबकि भी दस्तावेज को तस्दीक करते हैं तब वह उस पर ₹10 के टिकट चिपकाते हैं। उन टिकट पर उनके द्वारा मोहर लगाई जाती है और उस मोहन पर उनके हस्ताक्षर किए जाते हैं। कोई भी नोटरी इन दो चीजों के बगैर संपन्न नहीं होती है। नियम यह है कि हर पेज पर ₹10 के टिकट लगाए जाएं और जितने भी पेज है उनके लिए उतने ही टिकट लगाए जाएं।

    रजिस्टर

    नोटरी वकील को एक रजिस्टर मेंटेन करने की जरूरत होती है। रूल्स में उन्हें यह कहा गया है कि उन्हें एक रजिस्टर मेंटेन करना होगा। जिससे जितने भी लोगों के दस्तावेज को उन्होंने तस्दीक किया है उन सभी की जानकारी उपलब्ध हो सके। उस दस्तावेज में डाला गया नंबर, उस दस्तावेज के पक्षकारों के नाम और उसने उपलब्ध हुए गवाहों के नाम तक उन्हें अपने रजिस्टर में लिख कर रखना होते हैं।

    ऐसे रजिस्टर उन्हें हमेशा संभाल कर रखना होते हैं जब भी न्यायालय उन्हें ऐसे रजिस्टर के साथ कोर्ट में पेश होने के लिए कहे तब उन्हें वे रजिस्टर लेकर कोर्ट में पेश होना होता है और यह गवाही देना होती है कि उनके द्वारा उस दस्तावेज की तस्दीक की गई है। उनकी गवाही से कोई भी मामला साबित हो जाता है।

    अगर कोई मामला अति महत्वपूर्ण है उस मामले में हस्ताक्षर की भी जांच करवा ली जाती है। जिस हस्ताक्षर को पक्षकारों ने नोटरी वकील के रजिस्टर में किया है उसकी जांच दस्तावेज पर देखकर की जाती है।

    यहां पर यह ध्यान देना चाहिए कि जब भी किसी दस्तावेज पर हस्ताक्षर की जाए तब पक्षकारों को नोटरी वकील के समक्ष उपस्थित होना चाहिए और उसके रजिस्टर में हस्ताक्षर करनी चाहिए। आमतौर पर यह देखा जाता है कि लोग अपने काम जल्दी निकालने के उद्देश्य से बगैर हस्ताक्षर किए ही नोटरी करवा लेते हैं जबकि यह तरीका ठीक नहीं है।

    अगर मामला न्यायालय में उठता है तो फर्जी हस्ताक्षर के आधार पर कोई भी दावा नहीं किया जा सकता इसलिए यह ध्यान देना चाहिए कि छोटे से छोटे मामले में भी स्वयं नोटरी वकील के पास जाना चाहिए और साथ में दो गवाहों को भी लेकर जाना चाहिए। उनके भी हस्ताक्षर उसके रजिस्टर में करवाया जाना चाहिए हस्ताक्षर ही नहीं बल्कि उन पक्षकारों के आधार कार्ड या वोटर कार्ड के नंबर को भी नोटरी वकील के रजिस्टर में अंकित किया जाना चाहिए।

    नोटरी के मामले में रजिस्टर ही सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है जिसे रजिस्टर को संभाल कर रखना नोटरी वकील की जिम्मेदारी होती है और इसी के लिए जनता द्वारा उन्हें कुछ राशि दी जाती है। सरकार भी उनसे यही अपेक्षा करती है कि वह सभी रजिस्टर को संभाल कर अपने पास रखें समय आने पर उन्हें न्यायालय में पेश करें।

    जब कभी हम कोई एग्रीमेंट करते हैं तब उसे कोरे कागज पर साइन करवा लेना ठीक तरीका नहीं है बल्कि छोटे से छोटे एग्रीमेंट को भी नोटरी के माध्यम से रजिस्टर करवाना चाहिए जिससे पुख्ता सबूत तैयार हो।

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