Right to Information Act में जानकारी दिए जाने का टाइम पीरियड

Shadab Salim

18 Jun 2025 4:47 PM IST

  • Right to Information Act में जानकारी दिए जाने का टाइम पीरियड

    इस एक्ट के अधीन सूचना प्रदान करने के लिए 30 दिनों की समय सीमा की संगणना करने में लोक सूचना अधिकारी द्वारा अतिरिक्त/अग्रिम फीस की मांग करने और आवेदक द्वारा उसके अन्तिम भुगतान के मध्य की अवधि धारा 7 (3) (क) के अनुसार अधिनियम की धारा 7 (1) में नियत 30 दिनों की अवधि की संगणना करने में अपवर्जित की जाती है।

    आवेदन के निस्तारण की अवधि अधिनियम की धारा 7 या तो सूचना प्रदान करके या निवेदन को नामंजूर करके तीस दिनों के भीतर निवेदन के निस्तारण के लिए प्रावधान करती है। विनिर्दिष्ट अवधि के भीतर सूचना के लिए निवेदन पर निर्णय प्रदान करने की असफलता को निवेदन की इन्कारी होना समझा गया है। जहां उपधारा (1) के अधीन निवेदन को नामंजूर कर दिया गया हो, तब केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी अथवा राज्य लोक सूचना अधिकारी, जैसी भी स्थिति हो, निवेदन करने वाले व्यक्तियों को नामंजूरी का कारण, यह अवधि जिसके भीतर ऐसो नामंजूरी के विरुद्ध अपील प्रस्तुत की जा सकती है, संसूचित करेगा तथा अपीलीय प्राधिकारी की विशिष्टियों को सूचित करेगा।

    अधिनियम की धारा 19 की उपधारा (1) विनिर्दिष्ट रूप से यह प्रावधान करती है कि कोई व्यक्ति, जो धारा 7 की उपधारा (1) अथवा (3) के खण्ड (क) में विनिर्दिष्ट समय के भीतर निर्णय प्राप्त नहीं करता है अथवा वह केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी अथवा राज्य लोक सूचना अधिकारी, जैसी भी स्थिति हो, से वरिष्ठ श्रेणी का हो, अपील प्रस्तुत कर सकता है।

    धारा 19 की उपधारा (3) उपधारा (1) के अधीन निर्णय के विरुद्ध 90 दिन के भीतर द्वितीय अपील के लिए प्रावधान करती है। धारा 19 की उपधारा (6) प्रावधान करती है कि उपधारा (1) अथवा उपधारा (2) के अधीन अपील की प्राप्ति की तारीख से तीस दिन के भीतर अथवा ऐसी विस्तारित अवधि, जो उसके दाखिल करने की तारीख से पैंतालीस दिन से अधिक न हो, के भीतर, जैसी भी स्थिति हो, लेखबद्ध किये जाने वाले कारणों से निस्तारित की जायेगी।

    उपधारा (8) के अधीन केन्द्रीय लोक सूचना आयोग तथा राज्य लोक सूचना आयोग पर लोक प्राधिकारी से किसी हानि अथवा अन्य उपगत प्रतिकूल प्रभाव के लिए परिवादी को क्षतिपूरित करने के लिए अपेक्षा करने की शक्ति प्रदत्त की गयी है। इस प्रकार अधिनियम की धारा 7 तथा 19 को सम्पूर्ण योजना ऐसे प्रत्येक व्यक्ति पर, जो निर्णय प्राप्त नहीं करता है अथवा जो केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी अथवा राज्य लोक सूचना अधिकारी के निर्णय द्वारा व्यधित है, अपील का अधिकार प्रदान करती है। इस प्रकार किसी निवेदन पर निर्णय के विरुद्ध अथवा प्रत्येक निवेदन की कल्पित इन्कारी के विरुद्ध पृथक् प्रथम अपील होगी।

    जब अधिनियम के अनुसार, आवेदक से 10 रुपये के आवेदन फीस का भुगतान करने की अपेक्षा नहीं की जाती, तब उससे अधिक फीस का भुगतान करने की प्रत्याशा नहीं की जाती और इसलिए उसे निःशुल्क सूचना प्रदान की जानी चाहिए किन्तु महत्वपूर्ण शर्त, कि किसी लोक प्राधिकारी को, जो बी पी एल आवेदक द्वारा ईप्सित सूचना प्रदान करता है, सुनिश्चित करना चाहिए कि आवेदक सूचना का असली ईप्सा करने वाला व्यक्ति है और किसी व्यक्ति के लिए छद्म के रूप में कार्य नहीं कर रहा है, जो केवल सूचना प्राप्त करने के लिए धन बचाना चाहता है।

    परिवादी को अधिनियम की धारा 7 को क्रमशः उपधारा (1) अथवा उपधारा (2) के अधीन धारा 19 की उपधारा (8) द्वारा समर्थित निर्णय द्वारा निवेदन की इन्कारी अथवा कल्पित इन्कारी के कारण कोई हानि अथवा अन्य प्रतिकूल प्रभाव उपगत किया है, को क्षतिपूरित करने की अपेक्षा करती है।

    यह तथ्य कि प्रत्येक निर्णय अथवा कल्पित इन्कारी के विरुद्ध अपील होगी, अधिनियम की धारा 20 के अधीन उपबन्धित शास्ति खण्ड से भी स्पष्ट है, क्योंकि शास्ति सूचना के लिए आवेदन को प्राप्त करने की इन्कारी के विरुद्ध अथवा धारा 7 की उपधारा (1) के अधीन विनिर्दिष्ट समय के भीतर सूचना प्रदान न करने अथवा सूचना के निवेदन की असद्भावपूर्वक इन्कारी अथवा जानबूझकर गलत, अपूर्ण अथवा भ्रामक सूचना प्रस्तुत करने अथवा सूचना को नष्ट करने अथवा सूचना प्रस्तुत करने में किसी भी रीति से अवरोध कारित करने के विरुद्ध उद्ग्रहणीय होती है।

    डॉ० नीरज श्रीवास्तव बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एवं अन्य, 2018 के वाद में कहा गया है कि सूचना का अधिकार नियमावली, 2012 विनिर्दिष्ट रूप से प्रथम अपीलीय प्राधिकारी द्वारा पारित किये गये आदेश अथवा अपील को निस्तारित न करने के विरुद्ध द्वितीय अपील के लिए प्रावधान करती है।

    उत्तर प्रदेश सूचना का अधिकार नियमावली, 2015 का नियम 7 किसी व्यक्ति, जो विहित समय के भीतर राज्य लोक सूचना अधिकारी से निर्णय प्राप्त नहीं करता है अथवा राज्य लोक सूचना अधिकारी के निर्णय द्वारा व्यथित है, जैसी भी स्थिति हो, द्वारा अपील के लिए प्रावधान करती है। उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग (अपील प्रक्रिया) नियमावली, 2006 का नियम 3 कल्पित इन्कारी के विरुद्ध प्रस्तुत की गयी अपील में आवेदन की विशिष्टियों अथवा आदेश की विशिष्टियों तथा केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी, जिसके निर्णय के विरुद्ध अपील प्रस्तुत की गयी है, का नाम, पता प्रस्तुत करने के लिए प्रावधान करती है।

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