राजस्व विवादों का मध्यस्थता द्वारा निपटारा: राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम, 1956 की धारा 68 से 71
Himanshu Mishra
13 May 2025 3:05 PM IST

राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम, 1956 (Rajasthan Land Revenue Act, 1956) के अंतर्गत न केवल भूमि संबंधी अधिकारों और प्रक्रियाओं को व्यवस्थित किया गया है, बल्कि विवादों के वैकल्पिक समाधान (Alternative Dispute Resolution) के साधनों को भी मान्यता दी गई है। इस अधिनियम की धाराएं 68 से 71 मध्यस्थता (Arbitration) के माध्यम से राजस्व विवादों को सुलझाने की प्रक्रिया को स्पष्ट करती हैं। मध्यस्थता का उद्देश्य यह होता है कि अदालतों में लंबित मामलों को कम किया जाए और पक्षकारों को शीघ्र और सुलभ न्याय मिले।
यह लेख धाराएं 68, 69, 70 और 71 का सरल हिंदी में विश्लेषण प्रस्तुत करता है, जिसमें इन प्रावधानों का उद्देश्य, प्रक्रिया और परिणाम को उदाहरणों सहित समझाया गया है।
धारा 68: विवाद को मध्यस्थता में भेजने की शक्ति (Power to Refer Disputes to Arbitration)
धारा 68 इस बात की अनुमति देती है कि यदि कोई विवाद किसी राजस्व अधिकारी या राजस्व न्यायालय (Revenue Court) के समक्ष लंबित है, तो वह अधिकारी पक्षकारों (Parties) की सहमति से उस विवाद को मध्यस्थता (Arbitration) के लिए भेज सकता है।
इस धारा के अंतर्गत निम्नलिखित अधिकारी विवाद को मध्यस्थता में भेजने की शक्ति रखते हैं —
राजस्व मंडल (Board), आयुक्त (Commissioner), अतिरिक्त आयुक्त (Additional Commissioner), राजस्व अपीलीय प्राधिकारी (Revenue Appellate Authority), बंदोबस्त आयुक्त (Settlement Commissioner), अतिरिक्त बंदोबस्त आयुक्त (Additional Settlement Commissioner), भूमि अभिलेख निदेशक (Director of Land Records), सहायक/अतिरिक्त भूमि अभिलेख निदेशक (Assistant or Additional Director of Land Records), कलेक्टर (Collector), उपखण्ड अधिकारी (Sub-Divisional Officer), सहायक कलेक्टर (Assistant Collector), भूमि अभिलेख अधिकारी (Land Records Officer), बंदोबस्त अधिकारी (Settlement Officer), तहसीलदार (Tehsildar) और अतिरिक्त तहसीलदार (Additional Tehsildar)।
लेकिन यह अधिकार तभी उपयोग में लाया जा सकता है जब दोनों पक्ष सहमति दें। यह बहुत आवश्यक है क्योंकि मध्यस्थता एक सहमति आधारित प्रक्रिया है। यदि किसी एक पक्ष की भी सहमति नहीं है, तो विवाद मध्यस्थता में नहीं भेजा जा सकता।
उदाहरण (Illustration):
रामलाल और श्यामलाल के बीच खेत की सीमा को लेकर विवाद है। मामला उपखण्ड अधिकारी (SDO) के सामने लंबित है। दोनों पक्ष थक चुके हैं और चाहते हैं कि यह विवाद जल्दी सुलझ जाए। वे दोनों लिखित रूप से सहमति देते हैं कि यह विवाद मध्यस्थता के लिए भेजा जाए। SDO एक आदेश जारी करता है और मामला मध्यस्थ (Arbitrator) को भेज दिया जाता है।
धारा 69: मध्यस्थता में भेजे गए मामलों की प्रक्रिया (Procedure in Cases Referred to Arbitration)
धारा 69 यह स्पष्ट करती है कि जिन मामलों को धारा 68 के तहत मध्यस्थता में भेजा गया है, उनमें Arbitration Act, 1940 के प्रावधान लागू होंगे। लेकिन यह भी ध्यान रखा गया है कि यदि Arbitration Act के कोई प्रावधान राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम, 1956 के विरुद्ध (Inconsistent) हैं, तो अधिनियम की बात प्राथमिकता से मानी जाएगी।
इसका अर्थ यह है कि सामान्यतः Arbitration Act, 1940 की प्रक्रिया जैसे – मध्यस्थ का चयन, सुनवाई की विधि, निर्णय (Award) देने की प्रक्रिया – का पालन किया जाएगा, परंतु यदि राजस्व अधिनियम में कोई विशेष प्रक्रिया दी गई है तो उसे प्राथमिकता दी जाएगी।
उदाहरण (Illustration):
मध्यस्थता के लिए नियुक्त Arbitrator दोनों पक्षों से साक्ष्य (Evidence) लेता है, गवाहों से पूछताछ करता है और लिखित निर्णय देता है। यह पूरा कार्य Arbitration Act, 1940 की प्रक्रिया के अनुसार होता है, जब तक कि भूमि विवादों के विशेष नियम (Special Land Revenue Provisions) से टकराव न हो।
धारा 70: निर्णय रद्द कराने के लिए आवेदन (Application to Set Aside Award)
धारा 70 यह व्यवस्था करती है कि यदि किसी पक्ष को मध्यस्थ का दिया गया निर्णय (Award) गलत लगता है, तो वह इसे रद्द (Set Aside) कराने के लिए आवेदन कर सकता है। लेकिन यह आवेदन एक सीमित समय के भीतर किया जाना चाहिए। वह समय है – Award को अदालत में दाखिल करने की सूचना (Notice of Filing of Award) मिलने के 20 दिनों के अंदर।
इसका मतलब यह है कि यदि आपको Award की सूचना मिलती है, तो आपको 20 दिनों के भीतर ही संबंधित Revenue Court में जाकर यह अनुरोध करना होगा कि Award को रद्द कर दिया जाए। यदि आप इस समय सीमा से चूक जाते हैं, तो आपके पास Award को चुनौती देने का कोई अधिकार नहीं रहेगा, सिवाय कुछ असाधारण परिस्थितियों के।
उदाहरण (Illustration):
श्यामलाल को Arbitrator का Award प्राप्त होता है जिसमें उसे कहा गया है कि वह रामलाल को 2 बीघा जमीन लौटाए। उसे लगता है कि Arbitrator ने पक्षपात किया है और जरूरी दस्तावेजों को नजरअंदाज कर दिया। वह Award की सूचना प्राप्त होने के 15वें दिन Revenue Officer के पास आवेदन देता है कि Award को रद्द किया जाए। यह आवेदन समय-सीमा में दिया गया है, इसलिए उस पर विचार किया जाएगा।
धारा 71: Award के अनुसार निर्णय (Decision According to Award)
धारा 71 यह बताती है कि जब Arbitrator ने Award दे दिया हो, और यदि —
1. उसे पुनर्विचार (Reconsideration) के लिए वापस नहीं भेजा गया है,
2. और यदि कोई पक्ष Award को रद्द कराने के लिए आवेदन नहीं करता है,
3. या यदि किया गया आवेदन खारिज हो चुका है —
तो उस स्थिति में राजस्व अधिकारी या न्यायालय को उस विवाद का निर्णय Award के अनुसार देना होगा।
लेकिन यदि Award एक “Special Case” के रूप में दाखिल किया गया है – यानी Arbitrator ने किसी विशेष कानूनी प्रश्न पर मत (Opinion) मांगा है – तो उस स्थिति में राजस्व अधिकारी अपनी राय के अनुसार निर्णय देगा।
उदाहरण (Illustration):
मध्यस्थता में निर्णय हुआ कि दोनों पक्ष अपनी-अपनी भूमि की सीमा पर दीवार बनाएंगे। किसी पक्ष ने इसे रद्द कराने का आवेदन नहीं दिया और ना ही Award को पुनर्विचार हेतु वापस भेजा गया। अब, राजस्व अधिकारी को Award के अनुसार ही निर्णय देना होगा। लेकिन यदि Award में यह लिखा गया हो कि “कृपया यह तय करें कि यह भूमि कृषि भूमि है या चारागाह”, तो अधिकारी को अपनी कानूनी समझ से फैसला देना होगा।
राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम की धाराएं 68 से 71 राज्य के राजस्व विवादों के समाधान में मध्यस्थता जैसे वैकल्पिक रास्ते को मजबूती देती हैं। यह न केवल अदालतों के बोझ को कम करती हैं, बल्कि पक्षकारों को शीघ्र और कम खर्च में न्याय दिलाने का मार्ग खोलती हैं।
धारा 68 पक्षकारों की सहमति से विवाद को मध्यस्थता में भेजने की शक्ति देती है। धारा 69 मध्यस्थता की प्रक्रिया को Arbitration Act, 1940 के अनुसार निर्धारित करती है। धारा 70 Award को चुनौती देने की समय-सीमा तय करती है, और धारा 71 यह सुनिश्चित करती है कि यदि कोई आपत्ति नहीं है, तो विवाद का निपटारा Award के अनुसार हो।
मध्यस्थता न्यायपालिका के बोझ को कम करने का एक सकारात्मक उपाय है और राजस्व कानून में इसका समावेश इसे और अधिक व्यावहारिक बनाता है। यदि इसे ईमानदारी से लागू किया जाए, तो यह न्याय प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी और सुलभ बना सकता है।

