पंजीकरण अधिनियम, 1908 की धारा 85 - 89: अप्रयुक्त दस्तावेजों का विनाश
Himanshu Mishra
15 Aug 2025 5:00 PM IST

पंजीकरण अधिनियम, 1908 (Registration Act, 1908) के भाग XV को समझते हैं, जिसमें विभिन्न प्रावधान (miscellaneous provisions) शामिल हैं। ये धाराएँ पंजीकरण प्रणाली से संबंधित कई महत्वपूर्ण और विविध मुद्दों को संबोधित करती हैं, जैसे अप्रयुक्त दस्तावेजों को नष्ट करना, अधिकारियों को कानूनी सुरक्षा, और सरकारी अधिकारियों द्वारा दस्तावेजों के पंजीकरण की विशेष प्रक्रिया।
धारा 85. अप्रयुक्त दस्तावेजों का विनाश (Destruction of unclaimed documents)
यह धारा अप्रयुक्त दस्तावेजों को नष्ट करने की अनुमति देती है। इसमें कहा गया है कि जो दस्तावेज़ (वसीयतों को छोड़कर) किसी भी पंजीकरण कार्यालय में दो साल से अधिक समय तक अप्रयुक्त रहते हैं, उन्हें नष्ट किया जा सकता है (may be destroyed)।
• उदाहरण: एक संपत्ति का विलेख पंजीकरण के लिए प्रस्तुत किया गया था, लेकिन मालिक ने पंजीकरण पूरा होने के बाद उसे वापस लेने के लिए कभी आवेदन नहीं किया। यदि दो साल से अधिक समय बीत जाता है, तो रजिस्ट्रार कार्यालय को उसे नष्ट करने का अधिकार है। यह प्रावधान अप्रयुक्त कागजात के बोझ को कम करने में मदद करता है।
धारा 86. सद्भावपूर्वक किए गए या अस्वीकृत कार्य के लिए पंजीकरण अधिकारी का उत्तरदायी न होना (Registering officer not liable for thing bona fide done or refused in his official capacity)
यह धारा पंजीकरण अधिकारियों को कानूनी सुरक्षा प्रदान करती है। इसमें कहा गया है कि कोई भी पंजीकरण अधिकारी अपने आधिकारिक क्षमता में सद्भावपूर्वक (in good faith) किए गए या अस्वीकृत किए गए किसी भी कार्य के कारण किसी भी मुकदमे (suit), दावे (claim) या मांग (demand) के लिए उत्तरदायी नहीं होगा। "सद्भावपूर्वक" का अर्थ है कि अधिकारी ने ईमानदारी से और बिना किसी दुर्भावना के कार्य किया है।
• उदाहरण: यदि एक रजिस्ट्रार एक दस्तावेज़ को पंजीकृत करने से इनकार करता है क्योंकि वह मानता है कि उसमें जाली हस्ताक्षर हैं, तो बाद में भले ही अदालत यह साबित करे कि हस्ताक्षर असली थे, रजिस्ट्रार पर उसके इनकार के लिए मुकदमा नहीं चलाया जा सकता क्योंकि उसने सद्भावपूर्वक कार्य किया था।
धारा 87. नियुक्ति या प्रक्रिया में दोष के कारण किसी भी कार्य का अमान्य न होना (Nothing so done invalidated by defect in appointment or procedure)
यह धारा यह सुनिश्चित करती है कि पंजीकरण प्रक्रिया में मामूली प्रशासनिक दोषों के कारण कोई भी कार्य अमान्य न हो जाए। इसमें कहा गया है कि किसी भी पंजीकरण अधिकारी द्वारा इस अधिनियम के अनुसार सद्भावपूर्वक किया गया कोई भी कार्य, उसकी नियुक्ति (appointment) या प्रक्रिया (procedure) में किसी दोष के कारण ही अमान्य (invalid) नहीं माना जाएगा।
• उदाहरण: यदि किसी रजिस्ट्रार को उसकी नियुक्ति पत्र में एक छोटी सी टाइपिंग की गलती थी, तो उसके द्वारा पंजीकृत किए गए हजारों दस्तावेजों को उस गलती के कारण अमान्य नहीं ठहराया जा सकता। यह कानूनी निश्चितता और विश्वसनीयता बनाए रखता है।
धारा 88. सरकारी अधिकारियों या कुछ सार्वजनिक पदाधिकारियों द्वारा निष्पादित दस्तावेजों का पंजीकरण (Registration of documents executed by Government officers or certain public functionaries)
यह धारा सरकारी अधिकारियों और कुछ सार्वजनिक पदाधिकारियों के लिए पंजीकरण प्रक्रिया को सरल बनाती है।
उपधारा (1) के अनुसार, इस अधिनियम में कुछ भी होने के बावजूद, निम्नलिखित व्यक्तियों के लिए यह आवश्यक नहीं होगा कि वे किसी भी पंजीकरण कार्यालय में किसी भी कार्यवाही में व्यक्तिगत रूप से या एजेंट द्वारा उपस्थित हों, या धारा 58 (section 58) के तहत हस्ताक्षर करें:
• (a) कोई भी सरकारी अधिकारी।
• (b) कोई प्रशासक-जनरल (Administrator-General), आधिकारिक न्यासी (Official Trustee) या आधिकारिक असाइनी (Official Assignee)।
• (c) एक उच्च न्यायालय के शेरिफ, रिसीवर या रजिस्ट्रार।
• (d) किसी अन्य सार्वजनिक कार्यालय का धारक, जैसा कि राज्य सरकार द्वारा राजपत्र में अधिसूचित किया गया हो।
यह छूट तब लागू होती है जब वे अपने आधिकारिक क्षमता में कोई दस्तावेज निष्पादित करते हैं या उनके पक्ष में निष्पादित होता है।
उपधारा (2) में कहा गया है कि किसी भी सरकारी अधिकारी या अन्य व्यक्ति द्वारा निष्पादित या उनके पक्ष में निष्पादित कोई भी दस्तावेज़ धारा 69 (section 69) के तहत बनाए गए नियमों द्वारा निर्धारित तरीके से पंजीकरण के लिए प्रस्तुत किया जा सकता है।
उपधारा (3) के अनुसार, जिस पंजीकरण अधिकारी को इस धारा के तहत कोई दस्तावेज पंजीकरण के लिए प्रस्तुत किया जाता है, वह यदि उचित समझे तो उस दस्तावेज के संबंध में जानकारी के लिए किसी सरकारी सचिव (Secretary to Government) या अन्य संबंधित अधिकारी से संपर्क कर सकता है, और उसके निष्पादन से संतुष्ट होने पर, वह दस्तावेज को पंजीकृत कर देगा।
धारा 89. कुछ आदेशों, प्रमाण पत्रों और दस्तावेजों की प्रतियां पंजीकरण अधिकारियों को भेजना और दाखिल करना (Copies of certain orders, certificates and instruments to be sent to registering officers and filed)
यह धारा सुनिश्चित करती है कि कुछ विशेष प्रकार के न्यायिक और सरकारी दस्तावेजों को भी पंजीकरण कार्यालयों में दर्ज किया जाए।
उपधारा (1) में कहा गया है कि भूमि सुधार ऋण अधिनियम, 1883 (Land Improvement Loans Act, 1883) के तहत ऋण प्रदान करने वाला प्रत्येक अधिकारी अपने आदेश की एक प्रति उस पंजीकरण अधिकारी को भेजेगा जिसके क्षेत्राधिकार की स्थानीय सीमाओं में पूरी या कोई भी भूमि स्थित है, और ऐसा पंजीकरण अधिकारी उस प्रति को अपनी बुक नंबर 1 (Book No. 1) में दाखिल करेगा।
उपधारा (2) के अनुसार, सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 (Code of Civil Procedure, 1908) के तहत अचल संपत्ति की बिक्री का प्रमाण पत्र (certificate of sale) देने वाला प्रत्येक न्यायालय ऐसे प्रमाण पत्र की एक प्रति उस पंजीकरण अधिकारी को भेजेगा जिसके क्षेत्राधिकार की स्थानीय सीमाओं में ऐसी संपत्ति स्थित है, और ऐसा अधिकारी उस प्रति को अपनी बुक नंबर 1 (Book No. 1) में दाखिल करेगा।
• उदाहरण: जब कोई बैंक किसी संपत्ति को नीलामी में बेचता है और अदालत एक बिक्री प्रमाण पत्र जारी करती है, तो उस प्रमाण पत्र की एक प्रति रजिस्ट्रार कार्यालय को भेजी जाती है। यह सुनिश्चित करता है कि संपत्ति का हस्तांतरण सरकारी रिकॉर्ड में भी दर्ज हो।
उपधारा (3) में कहा गया है कि कृषकों ऋण अधिनियम, 1884 (Agriculturists' Loans Act, 1884) के तहत ऋण प्रदान करने वाला प्रत्येक अधिकारी किसी भी ऐसे दस्तावेज की प्रति, जिसके द्वारा अचल संपत्ति को ऋण की चुकौती के लिए गिरवी रखा गया है, और यदि ऋण देने के आदेश में भी ऐसी संपत्ति गिरवी रखी गई है, तो उस आदेश की प्रति भी, उस पंजीकरण अधिकारी को भेजेगा जिसके क्षेत्राधिकार की स्थानीय सीमाओं में संपत्ति स्थित है। ऐसा पंजीकरण अधिकारी उस प्रति या प्रतियों को अपनी बुक नंबर 1 (Book No. 1) में दाखिल करेगा।
ये धाराएँ पंजीकरण अधिनियम की व्यापकता को दर्शाती हैं, जो न केवल निजी दस्तावेजों को बल्कि सरकारी और न्यायिक दस्तावेजों को भी रिकॉर्ड करने की एक एकीकृत प्रणाली बनाती हैं, जिससे भूमि और संपत्ति के रिकॉर्ड की विश्वसनीयता और पूर्णता सुनिश्चित हो सके।

