पंजीकरण अधिनियम, 1908 की धारा 78, 79, 80: पंजीकरण, खोज और प्रतियों के लिए शुल्क
Himanshu Mishra
13 Aug 2025 5:29 PM IST

यह धाराएँ पंजीकरण, खोज और प्रतियों के लिए देय शुल्कों के निर्धारण, प्रकाशन और भुगतान के प्रशासनिक पहलुओं को निर्दिष्ट करती हैं।
धारा 78. राज्य सरकार द्वारा तय किए जाने वाले शुल्क (Fees to be fixed by State Government)
यह धारा राज्य सरकार को विभिन्न सेवाओं के लिए शुल्क की एक तालिका (table) तैयार करने का अधिकार देती है। यह शुल्क पंजीकरण, खोज और प्रतियों की लागत को कवर करता है।
• मुख्य शुल्क (Main Fees): यह शुल्क दस्तावेज़ों के पंजीकरण के लिए, रजिस्टरों की खोज के लिए, और पंजीकरण से पहले या बाद में प्रविष्टियों या दस्तावेज़ों की प्रतियां बनाने या प्रदान करने के लिए लिया जाता है।
• अतिरिक्त शुल्क (Extra Fees): इसके अतिरिक्त, कुछ विशेष सेवाओं के लिए शुल्क निर्धारित किया जा सकता है, जैसे:
o धारा 30 (section 30) के तहत पंजीकरण।
o आयोग (commissions) जारी करने के लिए।
o अनुवादों (translations) को दाखिल करने के लिए।
o निजी निवासों पर उपस्थित होने के लिए (जैसा कि धारा 38 (section 38) के तहत किया जाता है, जहाँ कोई व्यक्ति शारीरिक दुर्बलता के कारण कार्यालय में उपस्थित नहीं हो सकता)।
o दस्तावेज़ों की सुरक्षित हिरासत और वापसी के लिए।
o अन्य आवश्यक मामलों के लिए।
उदाहरण: मान लीजिए कि एक राज्य सरकार ने एक शुल्क तालिका तैयार की है जिसमें किसी संपत्ति के बिक्री विलेख को पंजीकृत करने के लिए शुल्क ₹5,000 निर्धारित है। इसके अतिरिक्त, यदि कोई व्यक्ति रजिस्ट्रार को अपने घर पर दस्तावेज़ पंजीकृत करने के लिए बुलाता है, तो शुल्क के अलावा ₹1,000 का अतिरिक्त शुल्क लिया जा सकता है।
धारा 79. शुल्क का प्रकाशन (Publication of fees)
यह धारा यह सुनिश्चित करती है कि शुल्क तालिका सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हो।
• आधिकारिक राजपत्र (Official Gazette): शुल्क तालिका को आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशित किया जाएगा।
• पंजीकरण कार्यालयों में प्रदर्शन: शुल्क तालिका की एक प्रति, अंग्रेजी और जिले की स्थानीय भाषा में, प्रत्येक पंजीकरण कार्यालय में सार्वजनिक रूप से दिखाई देने वाली जगह पर लगाई जाएगी।
यह प्रावधान पारदर्शिता सुनिश्चित करता है ताकि कोई भी नागरिक आसानी से पता लगा सके कि विभिन्न सेवाओं के लिए कितना शुल्क देना होगा।
धारा 80. प्रस्तुतीकरण पर देय शुल्क (Fees payable on presentation)
यह धारा भुगतान के समय को निर्धारित करती है। इस अधिनियम के तहत दस्तावेज़ों के पंजीकरण के लिए सभी शुल्क ऐसे दस्तावेज़ों को प्रस्तुत करने के समय (on the presentation) ही देय होंगे।
• इसका महत्व: यह सुनिश्चित करता है कि पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही सभी वित्तीय औपचारिकताएं पूरी हो जाएं।
उदाहरण: यदि आप अपनी संपत्ति का बिक्री विलेख पंजीकृत कराने के लिए उप-रजिस्ट्रार के कार्यालय में जाते हैं, तो आपको दस्तावेज़ प्रस्तुत करते समय ही निर्धारित पंजीकरण शुल्क का भुगतान करना होगा। यदि आप भुगतान नहीं करते हैं, तो दस्तावेज़ पंजीकरण के लिए स्वीकार नहीं किया जाएगा।
इन धाराओं का उद्देश्य पंजीकरण प्रणाली को वित्तीय रूप से पारदर्शी और कुशल बनाना है। वे यह सुनिश्चित करती हैं कि शुल्क की राशि आधिकारिक रूप से निर्धारित, सार्वजनिक रूप से घोषित और दस्तावेज़ प्रस्तुत करते समय ही देय हो।
धारा 78, 79 और 80 पंजीकरण अधिनियम, 1908 के महत्वपूर्ण भाग हैं जो पंजीकरण से जुड़े शुल्कों के प्रशासनिक पहलुओं को स्पष्ट करते हैं। ये धाराएं सुनिश्चित करती हैं कि शुल्क निर्धारण, प्रकाशन और भुगतान की प्रक्रिया पारदर्शी और व्यवस्थित हो।
सबसे पहले, धारा 78 राज्य सरकार को विभिन्न सेवाओं के लिए शुल्क तालिका तैयार करने का अधिकार देती है। इस तालिका में न केवल दस्तावेजों के पंजीकरण, रजिस्टर की खोज और प्रतियों की आपूर्ति जैसे मुख्य शुल्क शामिल होते हैं, बल्कि कुछ विशेष सेवाओं के लिए अतिरिक्त शुल्क भी शामिल होते हैं।
उदाहरण के लिए, यदि किसी को धारा 30 के तहत पंजीकरण कराना हो, या पंजीकरण अधिकारी को निजी निवास पर बुलाना हो, तो ऐसे मामलों में अलग से शुल्क लिया जा सकता है। यह प्रावधान राज्य सरकार को पंजीकरण प्रक्रिया से संबंधित वित्तीय मामलों को नियंत्रित करने की शक्ति देता है।
इसके बाद, धारा 79 इस शुल्क तालिका के सार्वजनिक प्रकाशन को अनिवार्य बनाती है। इसके अनुसार, निर्धारित शुल्क की तालिका को आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशित किया जाएगा, और उसकी एक प्रति अंग्रेजी के साथ-साथ जिले की स्थानीय भाषा में भी प्रत्येक पंजीकरण कार्यालय में सार्वजनिक रूप से दिखाई देने वाली जगह पर लगाई जाएगी। यह प्रावधान नागरिकों के लिए शुल्क की जानकारी को आसानी से सुलभ बनाता है, जिससे किसी भी प्रकार के अनुचित या मनमाने शुल्क से बचा जा सके।
अंत में, धारा 80 यह स्पष्ट करती है कि पंजीकरण के लिए सभी शुल्क दस्तावेजों को प्रस्तुत करने के समय ही देय होंगे। इसका मतलब है कि पंजीकरण प्रक्रिया शुरू करने से पहले ही आवेदक को सभी आवश्यक शुल्क का भुगतान करना होगा। यह नियम भुगतान की प्रक्रिया को सरल और स्पष्ट बनाता है। कुल मिलाकर, ये तीनों धाराएं पंजीकरण प्रक्रिया के वित्तीय ढांचे को नियंत्रित करती हैं, जिससे यह पारदर्शी, सुलभ और जवाबदेह बन सके।

