राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 की धारा 62 और 62A : कंपनियों द्वारा किए गए अपराध

Himanshu Mishra

16 Jan 2025 12:22 PM

  • राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 की धारा 62 और 62A : कंपनियों द्वारा किए गए अपराध

    राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 (Rajasthan Excise Act, 1950) राज्य में शराब और अन्य excisable वस्तुओं (excisable articles) के उत्पादन, बिक्री और नियमन के लिए बनाया गया कानून है।

    इस कानून की धारा 62 और 62A का उद्देश्य कानून के उल्लंघन (violation) पर दंड निर्धारित करना और कंपनियों तथा उनके प्रबंधकों को उत्तरदायी (accountable) बनाना है। इस लेख में इन धाराओं का सरल हिंदी में विवरण दिया गया है ताकि आम पाठक इसे आसानी से समझ सकें।

    धारा 62: अन्यथा वर्णित नहीं किए गए अपराधों के लिए दंड (Penalties for Offenses Not Otherwise Provided For)

    धारा 62 को "कैच-ऑल प्रावधान" (Catch-all Provision) कहा जा सकता है क्योंकि यह उन अपराधों को कवर करता है जिनका उल्लेख (mention) कहीं और नहीं किया गया है। यह सुनिश्चित करता है कि कानून का कोई भी उल्लंघन, चाहे वह छोटा हो या बड़ा, बिना दंड के न रहे।

    इस धारा के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति इस अधिनियम या इसके तहत बनाए गए किसी नियम (rule) या आदेश (order) का उल्लंघन करता है, तो उस पर प्रत्येक अपराध के लिए 200 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।

    उदाहरण (Illustration)

    मान लीजिए कि किसी लाइसेंस प्राप्त शराब विक्रेता (licensed liquor vendor) को अपने दुकान में लाइसेंस को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करना है, लेकिन वह ऐसा नहीं करता। यह एक छोटा उल्लंघन हो सकता है, लेकिन फिर भी यह कानून का उल्लंघन है। इस स्थिति में, विक्रेता पर धारा 62 के तहत 200 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।

    यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि कानून के सभी नियमों का पालन हो, चाहे वे छोटे प्रतीत हों या नहीं।

    धारा 62A: कंपनियों द्वारा किए गए अपराध (Offenses Committed by Companies)

    धारा 62A उन मामलों से निपटती है जहां कोई कंपनी (company) अपराध करती है। यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि कंपनियों को उनके कार्यों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाए और यह भी तय करता है कि कौन उत्तरदायी होगा।

    उपधारा (1): प्रबंधकों और उत्तरदायी व्यक्तियों की जिम्मेदारी (Responsibility of Individuals in Charge)

    इस उपधारा के अनुसार, यदि कोई कंपनी अपराध करती है, तो कंपनी के उस समय के सभी प्रबंधक (managers) और वे व्यक्ति जो कंपनी के व्यापार का संचालन देख रहे थे, अपराध के लिए उत्तरदायी माने जाएंगे।

    हालांकि, यदि कोई व्यक्ति यह साबित कर सके कि:

    1. अपराध उसकी जानकारी (knowledge) के बिना हुआ था।

    2. उसने अपराध रोकने के लिए पूरी सावधानी (due diligence) बरती थी।

    तो वह दंड से बच सकता है। यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि केवल वे लोग दंडित हों जो वास्तव में दोषी (negligent or complicit) हैं।

    उदाहरण (Illustration)

    मान लीजिए कि एक कंपनी शराब की बोतलों पर आवश्यक लेबल (label) लगाना भूल जाती है, जो कानून के अनुसार आवश्यक है, और फिर उन्हें बाजार में बेच देती है।

    इस स्थिति में कंपनी और उसके जिम्मेदार प्रबंधकों पर कार्रवाई की जा सकती है। हालांकि, यदि एक प्रबंधक यह साबित कर दे कि उसे इस चूक (omission) की जानकारी नहीं थी और उसने सभी आवश्यक सावधानी बरती थी, तो वह उत्तरदायित्व से बच सकता है।

    उपधारा (1) की उपप्रस्तावना: शाखा और इकाई की जिम्मेदारी (Establishment and Branch Liability)

    इस उपप्रस्तावना के अनुसार, यदि किसी कंपनी के कई कार्यालय (establishments), शाखाएं (branches), या इकाइयां (units) हैं, तो उस विशेष शाखा या इकाई का प्रमुख (head) अपराध के लिए जिम्मेदार होगा, न कि पूरे संगठन का।

    उदाहरण (Illustration)

    मान लीजिए कि एक शराब कंपनी की जयपुर और उदयपुर में शाखाएं हैं, और केवल जयपुर शाखा में नकली शराब (adulterated alcohol) बेची जा रही है। इस स्थिति में, जयपुर शाखा का प्रमुख उत्तरदायी होगा, न कि उदयपुर शाखा का।

    उपधारा (2): निदेशकों और अधिकारियों की लापरवाही (Neglect by Directors and Officers)

    यह उपधारा उन मामलों को कवर करती है जहां अपराध कंपनी के निदेशक (director), प्रबंधक (manager), सचिव (secretary), या किसी अन्य अधिकारी की सहमति (consent), मिलीभगत (connivance), या लापरवाही (neglect) के कारण हुआ हो। ऐसे मामलों में, इन व्यक्तियों को भी अपराध के लिए उत्तरदायी ठहराया जा सकता है।

    उदाहरण (Illustration)

    मान लीजिए कि किसी कंपनी का सीईओ (CEO) जानता है कि उसका कारखाना नदी में अवैध रूप से रसायन (chemicals) डाल रहा है, लेकिन वह इसे रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाता। इस स्थिति में, सीईओ को इस लापरवाही के लिए उत्तरदायी ठहराया जा सकता है।

    व्याख्या (Explanation): मुख्य शब्दों की परिभाषा (Definition of Key Terms)

    इस धारा में प्रमुख शब्दों को स्पष्ट करने के लिए निम्नलिखित व्याख्या दी गई है:

    1. Company (कंपनी): इसमें किसी भी प्रकार का कॉर्पोरेट निकाय (corporate body), फर्म (firm), या व्यक्तियों का संघ (association of individuals) शामिल है।

    2. Director (निदेशक): किसी फर्म के संदर्भ में, निदेशक का मतलब फर्म का भागीदार (partner) है।

    उदाहरण (Illustration)

    मान लीजिए कि एक साझेदारी फर्म (partnership firm) अवैध शराब का उत्पादन कर रही है। इस स्थिति में, फर्म को उत्तरदायी ठहराया जाएगा, और प्रत्येक भागीदार को निदेशक (director) के रूप में दंडित किया जा सकता है।

    धारा 62 और 62A का महत्व (Importance of Sections 62 and 62A)

    धारा 62 और 62A राजस्थान आबकारी अधिनियम के महत्वपूर्ण प्रावधान हैं। ये प्रावधान सुनिश्चित करते हैं कि कोई भी व्यक्ति या कंपनी कानून का उल्लंघन करने पर दंड से न बच सके। जबकि धारा 62 छोटे उल्लंघनों के लिए दंड निर्धारित करती है, धारा 62A कंपनियों और उनके अधिकारियों के गंभीर अपराधों को कवर करती है।

    राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950, राज्य में शराब उद्योग को नियंत्रित करने का एक महत्वपूर्ण उपकरण है। धारा 62 और 62A इस कानून के मुख्य हिस्से हैं, जो कानून के पालन और उत्तरदायित्व (accountability) को बढ़ावा देते हैं। इन प्रावधानों को समझकर व्यक्ति और व्यवसाय कानून का पालन कर सकते हैं और किसी भी प्रकार की गैर-कानूनी गतिविधियों (illegal activities) से बच सकते हैं।

    इस प्रकार, ये धाराएं यह सुनिश्चित करती हैं कि कानून का हर उल्लंघन, चाहे वह छोटा हो या बड़ा, दंडित किया जाए और उद्योग में नैतिकता (ethics) और पारदर्शिता (transparency) को बढ़ावा दिया जाए।

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