पंजीकरण अधिनियम, 1908 की धारा 60-63: पंजीकरण पूरा होने और अधिकारियों की शक्तियां

Himanshu Mishra

7 Aug 2025 5:17 PM IST

  • पंजीकरण अधिनियम, 1908 की धारा 60-63: पंजीकरण पूरा होने और अधिकारियों की शक्तियां

    आइए पंजीकरण अधिनियम, 1908 (Registration Act, 1908) के भाग XI के उन अंतिम अनुभागों (sections) को समझते हैं जो पंजीकरण की अंतिम औपचारिकताओं और अधिकारियों की अतिरिक्त शक्तियों से संबंधित हैं। ये धाराएँ पंजीकरण प्रक्रिया की समाप्ति और उसकी कानूनी वैधता को सुनिश्चित करती हैं।

    60. पंजीकरण का प्रमाण पत्र (Certificate of registration)

    यह धारा बताती है कि पंजीकरण की प्रक्रिया पूरी होने के बाद क्या अंतिम कदम उठाया जाता है। जब पंजीकरण के लिए प्रस्तुत किसी दस्तावेज़ पर धारा 34, 35, 58 और 59 के प्रावधानों का पालन कर लिया जाता है, तो पंजीकरण अधिकारी उस पर एक प्रमाण पत्र (certificate) पृष्ठांकित (endorse) करेगा जिसमें "पंजीकृत" (registered) शब्द होगा। इस प्रमाण पत्र में उस पुस्तक (book) का नंबर और पृष्ठ संख्या भी होगी जिसमें दस्तावेज़ की प्रतिलिपि (copy) बनाई गई है।

    • उदाहरण: जब एक बिक्री विलेख की सभी औपचारिकताओं (जैसे पहचान, निष्पादन की स्वीकृति, और हस्ताक्षर) को पूरा कर लिया जाता है, तो रजिस्ट्रार दस्तावेज़ पर एक मुहर लगाकर उस पर "पंजीकृत" लिखता है और अपनी रजिस्ट्री-बुक (जैसे बुक नंबर 1) की संख्या और पृष्ठ संख्या का उल्लेख करता है। यह प्रमाण पत्र दस्तावेज़ को कानूनी रूप से पंजीकृत होने का निर्णायक सबूत है।

    61. पृष्ठांकनों और प्रमाण पत्र की प्रतिलिपि बनाना और दस्तावेज़ लौटाना (Endorsements and certificate to be copied and document returned)

    यह धारा पंजीकरण प्रक्रिया के समापन और दस्तावेज़ को वापस करने के तरीके को स्पष्ट करती है।

    उपधारा (1) के अनुसार, धारा 59 और 60 में उल्लिखित पृष्ठांकनों और प्रमाण पत्र की तब रजिस्टर-बुक (Register-book) के हाशिये (margin) में प्रतिलिपि बनाई जाएगी। इसके अलावा, धारा 21 में उल्लिखित नक्शे या योजना की प्रतिलिपि (यदि कोई हो) बुक नंबर 1 (Book No. 1) में दाखिल (filed) की जाएगी। यह सुनिश्चित करता है कि सभी रिकॉर्ड पूरी तरह से अद्यतन (updated) और एकीकृत (integrated) हों।

    उपधारा (2) कहती है कि इन प्रक्रियाओं के बाद, दस्तावेज़ का पंजीकरण पूरा हुआ (deemed complete) माना जाएगा। फिर दस्तावेज़ को उस व्यक्ति को वापस कर दिया जाएगा जिसने उसे पंजीकरण के लिए प्रस्तुत किया था, या किसी अन्य ऐसे व्यक्ति को जिसे उसने धारा 52 में उल्लिखित रसीद पर लिखित रूप में नामित किया हो।

    • उदाहरण: पंजीकरण की प्रक्रिया पूरी होने के बाद, रजिस्ट्रार पंजीकरण प्रमाण पत्र की प्रतिलिपि अपनी मुख्य रजिस्ट्री-बुक में दर्ज करता है। इसके बाद, वह मूल दस्तावेज़ को उस व्यक्ति को लौटा देता है जिसने इसे प्रस्तुत किया था, या यदि उस व्यक्ति ने किसी एजेंट का नाम दिया था, तो उसे लौटा दिया जाता है।

    62. पंजीकरण अधिकारी के लिए अज्ञात भाषा में दस्तावेज़ प्रस्तुत करने की प्रक्रिया (Procedure on presenting document in language unknown to registering officer)

    यह धारा उस स्थिति को संबोधित करती है जब धारा 19 (section 19) के तहत एक ऐसे दस्तावेज़ को पंजीकरण के लिए प्रस्तुत किया जाता है जो पंजीकरण अधिकारी के लिए अज्ञात भाषा में है, और उसके साथ एक अनुवाद (translation) भी है।

    उपधारा (1) के अनुसार, अनुवाद को मूल दस्तावेज़ की प्रकृति के रजिस्टर में प्रतिलेखित (transcribed) किया जाएगा, और उसे धारा 19 में उल्लिखित प्रतिलिपि (copy) के साथ पंजीकरण कार्यालय में दाखिल किया जाएगा।

    उपधारा (2) में कहा गया है कि धारा 59 और 60 में उल्लिखित पृष्ठांकन और प्रमाण पत्र मूल दस्तावेज़ (original document) पर बनाए जाएंगे। हालांकि, धारा 57, 64, 65 और 66 के तहत आवश्यक प्रतियां और ज्ञापन बनाने के उद्देश्य से, अनुवाद (translation) को ऐसा माना जाएगा जैसे कि वह मूल दस्तावेज़ हो। यह सुनिश्चित करता है कि दस्तावेज़ की सामग्री कानूनी रिकॉर्ड में सही ढंग से दर्ज हो, भले ही मूल भाषा अधिकारी के लिए अज्ञात हो।

    • उदाहरण: एक दस्तावेज़ जापानी भाषा में है और उसके साथ हिंदी अनुवाद है। रजिस्ट्रार हिंदी अनुवाद को अपनी रजिस्ट्री-बुक में दर्ज करेगा। फिर, वह मूल जापानी दस्तावेज़ पर पंजीकरण का प्रमाण पत्र लगाएगा। जब कोई व्यक्ति बाद में इस दस्तावेज़ की प्रमाणित प्रति मांगता है, तो रजिस्ट्रार उसे हिंदी अनुवाद की प्रति देगा।

    63. शपथ दिलाना और बयानों का सार रिकॉर्ड करना (Power to administer oaths and record of substance of statements)

    यह धारा पंजीकरण अधिकारियों को कुछ महत्वपूर्ण शक्तियाँ प्रदान करती है।

    उपधारा (1) कहती है कि प्रत्येक पंजीकरण अधिकारी, अपने विवेक (discretion) से, इस अधिनियम के प्रावधानों के तहत उसके द्वारा जांचे गए किसी भी व्यक्ति को शपथ (oath) दिला सकता है। यह गवाही की प्रामाणिकता और गंभीरता को बढ़ाता है।

    उपधारा (2) के अनुसार, ऐसा प्रत्येक अधिकारी अपने विवेक से ऐसे प्रत्येक व्यक्ति द्वारा दिए गए बयान के सार (substance of the statement) का एक नोट भी रिकॉर्ड कर सकता है। ऐसे बयान को उस व्यक्ति को पढ़कर सुनाया जाएगा, या (यदि वह उस भाषा से परिचित नहीं है) तो उसकी परिचित भाषा में उसका अनुवाद करके सुनाया जाएगा। यदि वह व्यक्ति उस नोट की शुद्धता (correctness) को स्वीकार करता है, तो उस पर पंजीकरण अधिकारी द्वारा हस्ताक्षर किए जाएँगे।

    उपधारा (3) एक महत्वपूर्ण कानूनी प्रभाव प्रदान करती है। इस तरह से हस्ताक्षरित प्रत्येक नोट यह साबित करने के उद्देश्य से स्वीकार्य होगा (admissible for the purpose of proving) कि उसमें दर्ज बयान उन व्यक्तियों द्वारा और उन परिस्थितियों में दिए गए थे जैसा कि उसमें बताया गया है। यह नोट एक कानूनी साक्ष्य बन जाता है।

    • उदाहरण: पंजीकरण अधिकारी किसी दस्तावेज़ के गवाह से शपथ के तहत बयान ले सकता है कि उसने अपनी आँखों के सामने निष्पादन को देखा। वह उस बयान का सार रिकॉर्ड करता है, उसे गवाह को पढ़कर सुनाता है, और यदि गवाह इसे सही मानता है तो हस्ताक्षर करवाता है। यह नोट बाद में अदालत में कानूनी सबूत के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।

    ये धाराएँ पंजीकरण प्रक्रिया की अखंडता, सटीकता और कानूनी वैधता को अंतिम रूप देती हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि प्रत्येक पंजीकृत दस्तावेज़ एक मजबूत और विश्वसनीय कानूनी रिकॉर्ड बन जाए।

    Next Story