राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 के धारा 58 और 59 : औषधालय या दवा की दुकानों में शराब के उपभोग के लिए दंड

Himanshu Mishra

15 Jan 2025 11:30 AM

  • राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 के धारा 58 और 59 : औषधालय या दवा की दुकानों में शराब के उपभोग के लिए दंड

    राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 (Rajasthan Excise Act, 1950) का उद्देश्य है कि वह शराब और अन्य आबकारी उत्पादों (Excisable Articles) के उत्पादन, वितरण और उपभोग को नियंत्रित करे।

    इसमें धारा 58 और 59 उन विशेष परिस्थितियों को संबोधित करती हैं जिनमें लाइसेंसधारी (Licensee), उनके कर्मचारी, और औषधालय (Dispensary) जैसे स्थानों पर अनुचित शराब उपभोग के मामलों पर दंड का प्रावधान है। यह प्रावधान नियमों का पालन सुनिश्चित करने और अनुचित गतिविधियों को रोकने के लिए बनाए गए हैं।

    धारा 58: लाइसेंसधारी या उनके कर्मचारियों द्वारा किए गए विशेष कार्यों के लिए दंड

    यह धारा उन व्यक्तियों पर लागू होती है जिनके पास राजस्थान आबकारी अधिनियम के तहत लाइसेंस, परमिट (Permit), या पास (Pass) है। इसमें लाइसेंसधारी के कर्मचारियों को भी शामिल किया गया है। यह धारा उन मामलों को संबोधित करती है जहां नियमों का उल्लंघन होता है और इसके लिए दंड का प्रावधान किया गया है।

    धारा 58 का दायरा (Scope)

    इस धारा के तहत तीन विशेष प्रकार के उल्लंघन बताए गए हैं:

    1. यदि कोई लाइसेंसधारी या उनका कर्मचारी लाइसेंस, परमिट, या पास को सक्षम अधिकारी (Excise Officer) की मांग पर प्रस्तुत करने में विफल रहता है।

    2. यदि कोई व्यक्ति धारा 41 या 42 के तहत बनाए गए नियमों का उल्लंघन करता है, जिसे धारा 54 के अंतर्गत नहीं कवर किया गया है।

    3. यदि कोई लाइसेंसधारी लाइसेंस, परमिट, या पास की शर्तों का उल्लंघन करता है, जिसे अधिनियम में अन्यथा कवर नहीं किया गया है।

    उल्लंघन के लिए दंड (Penalty)

    इनमें से प्रत्येक उल्लंघन के लिए संबंधित व्यक्ति पर 5000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। यह दंड यह सुनिश्चित करने के लिए है कि लोग नियमों का पालन करें और गैर-अनुपालन के परिणामस्वरूप वित्तीय दंड का सामना करें।

    उदाहरण (Illustration)

    मान लीजिए कि एक दुकान का मालिक, जिसे शराब बेचने का लाइसेंस मिला हुआ है, एक आबकारी अधिकारी के निरीक्षण के दौरान लाइसेंस प्रस्तुत करने से मना कर देता है। इस स्थिति में, उस व्यक्ति को धारा 58 के तहत दंडित किया जाएगा। इसी तरह, यदि लाइसेंसधारी का कोई कर्मचारी आबकारी उत्पादों के भंडारण या बिक्री से जुड़े नियमों का उल्लंघन करता है, तो उसे भी दंड का सामना करना पड़ेगा।

    यह धारा यह सुनिश्चित करती है कि लाइसेंसधारी और उनके कर्मचारी कानूनी ढांचे के भीतर काम करें और लाइसेंस से संबंधित सभी नियमों और शर्तों का पालन करें।

    धारा 59: औषधालय (Dispensary) या दवा की दुकानों में शराब के उपभोग के लिए दंड

    यह धारा उन स्थितियों को नियंत्रित करती है जहां शराब का अनुचित रूप से उपभोग (Consumption) औषधालय, औषधि विक्रेता (Chemist), या दवा की दुकानों जैसे स्थानों पर किया जाता है। इसमें उन व्यक्तियों और स्थानों दोनों को शामिल किया गया है जो इस प्रकार की गतिविधियों में संलग्न होते हैं।

    धारा 59 का दायरा (Scope)

    इस धारा को दो उपधाराओं (Subsections) में विभाजित किया गया है:

    1. औषधालय, औषधि विक्रेता, या दवा की दुकान के मालिक या प्रबंधक को दंडित करना, यदि वे अपने परिसर में शराब के उपभोग की अनुमति देते हैं।

    2. उन व्यक्तियों को दंडित करना, जो इन स्थानों पर शराब का उपभोग करते हैं।

    स्थानों के मालिकों या प्रबंधकों के लिए दंड (Penalty for Owners or Managers)

    यदि किसी औषधालय या दवा की दुकान का मालिक शराब के उपभोग की अनुमति देता है, तो उसे तीन महीने तक की कैद और 1000 रुपये तक के जुर्माने की सजा हो सकती है। यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि औषधालय जैसे स्थानों का उपयोग केवल चिकित्सा उद्देश्यों के लिए किया जाए।

    उपभोक्ताओं के लिए दंड (Penalty for Consumers)

    जो व्यक्ति इन स्थानों पर शराब का उपभोग करते हैं, उन पर भी दंड लगाया जाता है। ऐसे व्यक्तियों पर 200 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। यह प्रावधान शराब के अनुचित उपभोग को रोकने के लिए है।

    उदाहरण (Illustration)

    मान लीजिए कि एक व्यक्ति किसी औषधि विक्रेता की दुकान पर जाता है और एक शराब-आधारित उत्पाद का उपभोग करता है, जो औषधीय उद्देश्यों के लिए उचित नहीं है। यदि औषधि विक्रेता इस बात को जानते हुए भी अनुमति देता है, तो दोनों को धारा 59 के तहत दंडित किया जाएगा।

    धारा 58 और 59 का तुलनात्मक विश्लेषण (Comparative Analysis)

    धारा 58 और 59 दोनों राजस्थान आबकारी अधिनियम के तहत उल्लंघनों को नियंत्रित करने के लिए हैं, लेकिन उनका उद्देश्य अलग है।

    • धारा 58 लाइसेंसधारियों और उनके कर्मचारियों की जवाबदेही सुनिश्चित करती है, ताकि वे नियमों का पालन करें और लाइसेंस की शर्तों का उल्लंघन न करें।

    • धारा 59 उन औषधालयों और व्यक्तियों को लक्षित करती है जो शराब के अनुचित उपभोग में संलग्न होते हैं।

    दोनों धाराओं का उद्देश्य आबकारी प्रणाली की अखंडता बनाए रखना और नियमों का पालन सुनिश्चित करना है।

    धारा 58 और 59 के उद्देश्य (Objectives)

    इन धाराओं के प्रमुख उद्देश्य हैं:

    1. लाइसेंसधारियों द्वारा नियमों और शर्तों का पालन सुनिश्चित करना।

    2. औषधालय और दवा की दुकानों जैसे स्थानों में शराब के अनुचित उपभोग को रोकना।

    3. उल्लंघनों को रोकने के लिए दंडात्मक कार्रवाई करना।

    4. जनता के स्वास्थ्य और सुरक्षा की रक्षा करना।

    कानूनी और सामाजिक प्रभाव (Legal and Social Implications)

    धारा 58 और 59 आबकारी उत्पादों के उचित उपयोग और वितरण को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये प्रावधान न केवल अनुपालन सुनिश्चित करते हैं, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य की भी रक्षा करते हैं।

    उदाहरण के लिए, धारा 59 के तहत लगाए गए दंड औषधालयों को बार (Bars) में बदलने से रोकते हैं, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों को रोका जा सके। इसी तरह, धारा 58 यह सुनिश्चित करती है कि लाइसेंसधारी और उनके कर्मचारी नियमों का पालन करें, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही बनी रहे।

    राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 की धारा 58 और 59 आबकारी उत्पादों के उपयोग और वितरण को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये प्रावधान नियमों का पालन सुनिश्चित करते हैं और उल्लंघन करने वालों के लिए दंड का प्रावधान करते हैं।

    लाइसेंसधारियों, उनके कर्मचारियों, और औषधालय जैसे स्थानों के लिए बनाए गए ये नियम आबकारी प्रणाली की अखंडता को बनाए रखते हैं। इन धाराओं के तहत सख्त प्रावधान यह सुनिश्चित करते हैं कि कानून का पालन किया जाए और सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा की रक्षा की जाए।

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