भारतीय प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 54, 55 और 56 : छूट, दिशा-निर्देश और आयोग को अधिष्ठित करने की शक्ति

Himanshu Mishra

25 Aug 2025 5:16 PM IST

  • भारतीय प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 54, 55 और 56 : छूट, दिशा-निर्देश और आयोग को अधिष्ठित करने की शक्ति

    भारतीय प्रतिस्पर्धा अधिनियम का अध्याय IX (Chapter IX) कुछ महत्वपूर्ण प्रावधानों को कवर करता है जो केंद्र सरकार को आयोग के कामकाज पर नियंत्रण रखने की शक्ति देते हैं। ये धाराएं सरकार को कुछ विशेष मामलों में अधिनियम से छूट देने, नीतिगत मामलों पर आयोग को निर्देश जारी करने और कुछ परिस्थितियों में आयोग का कार्यभार संभालने (supersede) की शक्ति देती हैं। ये प्रावधान सरकार और CCI के बीच नियामक संबंध को परिभाषित करते हैं।

    धारा 54: अधिनियम से छूट देने की शक्ति (Power to Exempt)

    यह धारा केंद्र सरकार को कुछ विशिष्ट आधारों पर अधिनियम या उसके किसी प्रावधान के आवेदन से छूट देने की शक्ति देती है।

    • छूट के आधार (Grounds for Exemption):

    o राज्य की सुरक्षा या सार्वजनिक हित (Security of the State or Public Interest): केंद्र सरकार किसी भी वर्ग के उद्यमों (class of enterprises) को अधिनियम से छूट दे सकती है यदि यह राज्य की सुरक्षा या सार्वजनिक हित में आवश्यक हो।

     उदाहरण: रक्षा क्षेत्र की कंपनियों को, जो संवेदनशील राष्ट्रीय सुरक्षा प्रौद्योगिकियों से संबंधित हैं, इस आधार पर CCI के कुछ प्रावधानों से छूट दी जा सकती है।

    o संधियों और समझौतों से उत्पन्न दायित्व (Obligations from Treaties and Agreements): भारत द्वारा किसी अन्य देश के साथ की गई किसी संधि, समझौते या कन्वेंशन से उत्पन्न किसी भी प्रथा या समझौते को छूट दी जा सकती है।

     उदाहरण: यदि भारत और किसी अन्य देश के बीच कोई समझौता है जिसमें कुछ व्यावसायिक प्रथाओं को अनुमति दी गई है जो सामान्य रूप से Competition-विरोधी हो सकती हैं, तो सरकार उन्हें छूट दे सकती है।

    o संप्रभु कार्य (Sovereign Functions): केंद्र सरकार किसी भी उद्यम को, जो सरकार की ओर से संप्रभु कार्य करता है, छूट दे सकती है। हालाँकि, यदि कोई उद्यम संप्रभु कार्यों के साथ-साथ व्यावसायिक गतिविधियों में भी संलग्न है, तो छूट केवल संप्रभु कार्यों से संबंधित गतिविधि के लिए ही दी जाएगी।

     उदाहरण: परमाणु ऊर्जा से संबंधित सरकारी विभागों या संस्थानों को उनके संप्रभु कार्यों के लिए CCI के नियमों से छूट दी जा सकती है, लेकिन यदि वे व्यावसायिक रूप से बिजली बेचते हैं, तो उस व्यावसायिक गतिविधि को छूट नहीं दी जाएगी।

    • प्रक्रिया:

    छूट एक अधिसूचना (notification) के माध्यम से दी जाती है, जिसमें छूट की अवधि भी निर्दिष्ट होती है।

    धारा 55: केंद्र सरकार के निर्देश जारी करने की शक्ति (Power of Central Government to Issue Directions)

    यह धारा केंद्र सरकार को नीतिगत मामलों पर CCI को निर्देश जारी करने का अधिकार देती है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि CCI सरकार की व्यापक आर्थिक नीतियों के अनुरूप कार्य करे।

    • नीति पर निर्देश (Directions on Policy):

    o धारा 55(1) के अनुसार, CCI अधिनियम के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग या कार्यों का निष्पादन करते समय, नीति के प्रश्नों (questions of policy) पर केंद्र सरकार द्वारा दिए गए लिखित निर्देशों से बाध्य होगा।

    o अपवाद: ये निर्देश तकनीकी और प्रशासनिक मामलों से संबंधित नहीं होने चाहिए।

    o सुनवाई का अवसर: निर्देश देने से पहले, CCI को अपने विचार व्यक्त करने का अवसर दिया जाएगा, जहाँ तक संभव हो।

    o उदाहरण: यदि सरकार कोई नई राष्ट्रीय औद्योगिक नीति (national industrial policy) लागू कर रही है जिसका Competition पर प्रभाव पड़ सकता है, तो वह CCI को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दे सकती है कि उसके निर्णय नई नीति के लक्ष्यों के साथ संरेखित हों।

    • निर्णय की अंतिम प्रकृति (Finality of Decision):

    o धारा 55(2) स्पष्ट करती है कि क्या कोई प्रश्न नीति का है या नहीं, इस पर केंद्र सरकार का निर्णय अंतिम (final) होगा। यह केंद्र सरकार को इस मामले में पूर्ण अधिकार देता है।

    धारा 56: आयोग को अधिष्ठित करने की शक्ति (Power to Supersede Commission)

    यह धारा केंद्र सरकार को कुछ गंभीर परिस्थितियों में CCI को अधिष्ठित करने (supersede) की असाधारण शक्ति देती है।

    1. अधिष्ठित करने के आधार (Grounds for Supersession):

    धारा 56(1) में निम्नलिखित आधारों पर CCI को अधिष्ठित किया जा सकता है:

    • नियंत्रण से परे परिस्थितियां (Circumstances beyond control): यदि आयोग अपने नियंत्रण से परे परिस्थितियों के कारण अपने कार्यों का निर्वहन करने में असमर्थ है।

    • लगातार चूक (Persistent Default): यदि आयोग केंद्र सरकार द्वारा दिए गए किसी निर्देश का पालन करने या अपने कार्यों को करने में लगातार चूक करता है, जिसके परिणामस्वरूप आयोग की वित्तीय स्थिति या प्रशासन प्रभावित हुआ है।

    • सार्वजनिक हित (Public Interest): यदि ऐसी परिस्थितियां मौजूद हैं जो सार्वजनिक हित में आयोग को अधिष्ठित करना आवश्यक बनाती हैं।

    • प्रक्रिया:

    o केंद्र सरकार एक अधिसूचना जारी करके CCI को अधिकतम छह महीने (six months) के लिए अधिष्ठित कर सकती है।

    o अधिसूचना में कारण निर्दिष्ट होने चाहिए।

    o सुनवाई का अवसर: अधिसूचना जारी करने से पहले, CCI को अधिष्ठित करने के प्रस्ताव के खिलाफ प्रतिनिधित्व करने का एक उचित अवसर दिया जाएगा।

    2. अधिष्ठित होने के परिणाम (Consequences of Supersession):

    धारा 56(2) में बताया गया है कि CCI को अधिष्ठित करने पर क्या होता है:

    • पदाधिकारियों का पद छोड़ना: अध्यक्ष और अन्य सदस्यों को अपने पद खाली करने होंगे।

    • शक्तियों का हस्तांतरण: CCI की सभी शक्तियाँ, कार्य और कर्तव्य केंद्र सरकार या उसके द्वारा निर्दिष्ट किसी अन्य प्राधिकरण द्वारा प्रयोग और निर्वहन किए जाएंगे।

    • संपत्ति का निहित होना: आयोग के स्वामित्व या नियंत्रण वाली सभी संपत्तियां केंद्र सरकार में निहित हो जाएंगी।

    3. आयोग का पुनर्गठन (Reconstitution of Commission):

    धारा 56(3) यह सुनिश्चित करती है कि अधिष्ठान की अवधि समाप्त होने से पहले, केंद्र सरकार अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की एक नई नियुक्ति करके आयोग का पुनर्गठन (reconstitute) करेगी।

    4. संसदीय जवाबदेही (Parliamentary Accountability):

    धारा 56(4) के तहत, केंद्र सरकार को अधिष्ठान की अधिसूचना और उसके कारणों की एक पूरी रिपोर्ट संसद के दोनों सदनों के समक्ष रखनी होगी। यह सरकार की कार्रवाई के लिए संसदीय जवाबदेही सुनिश्चित करता है।

    भारतीय प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 54, 55 और 56 सरकार को CCI के कामकाज पर महत्वपूर्ण नियंत्रण प्रदान करती हैं। ये धाराएं CCI की स्वायत्तता (autonomy) को सीमित करती हैं, लेकिन साथ ही यह भी सुनिश्चित करती हैं कि CCI राष्ट्रीय हित और व्यापक सरकारी नीतियों के अनुरूप कार्य करे।

    धारा 54 विशेष मामलों में लचीलापन प्रदान करती है, धारा 55 नीतिगत मार्गदर्शन देती है, और धारा 56 एक अंतिम उपाय के रूप में काम करती है जब CCI अपने कर्तव्यों को प्रभावी ढंग से निभाने में असमर्थ हो जाता है। ये प्रावधान CCI को सरकार की नीतियों के तहत कार्य करने वाले एक जिम्मेदार और जवाबदेह नियामक निकाय के रूप में स्थापित करते हैं।

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