भारतीय भागीदारी अधिनियम, 1932 की धारा 53-54: फर्म के विघटन के बाद व्यापार और सद्भावना से संबंधित प्रावधान

Himanshu Mishra

15 July 2025 12:02 PM

  • भारतीय भागीदारी अधिनियम, 1932 की धारा 53-54: फर्म के विघटन के बाद व्यापार और सद्भावना से संबंधित प्रावधान

    भारतीय भागीदारी अधिनियम, 1932 (Indian Partnership Act, 1932) के ये खंड फर्म के विघटन (Dissolution of a Firm) के बाद के महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डालते हैं, विशेष रूप से व्यापार के निरंतरता, फर्म के नाम के उपयोग, और सद्भावना (Goodwill) की बिक्री से जुड़े अधिकारों और प्रतिबंधों पर।

    फर्म के नाम या फर्म की संपत्ति के उपयोग को प्रतिबंधित करने का अधिकार (Right to Restrain from Use of Firm Name or Firm Property)

    धारा 53 (Section 53) यह प्रावधान करती है कि फर्म के विघटन के बाद, प्रत्येक भागीदार या उसका प्रतिनिधि, भागीदारों के बीच किसी विपरीत अनुबंध (Contract) के अभाव में, किसी भी अन्य भागीदार या उसके प्रतिनिधि को फर्म के नाम (Firm Name) पर समान व्यवसाय चलाने से या फर्म की किसी भी संपत्ति (Property) का अपने लाभ के लिए उपयोग करने से रोक सकता है। यह प्रतिबंध तब तक लागू रहता है जब तक फर्म के मामलों को पूरी तरह से समाप्त (Wound Up) नहीं कर दिया जाता है।

    परंतु (Provided that), जहां किसी भागीदार या उसके प्रतिनिधि ने फर्म की सद्भावना (Goodwill) खरीदी है, इस धारा में कुछ भी फर्म के नाम का उपयोग करने के उसके अधिकार को प्रभावित नहीं करेगा। यह परंतुक यह सुनिश्चित करता है कि सद्भावना के खरीदार को उसके खरीद के अधिकार के रूप में फर्म के नाम का उपयोग करने की अनुमति मिले।

    व्यापार प्रतिबंध में समझौते (Agreements in Restraint of Trade)

    धारा 54 (Section 54) व्यापार प्रतिबंध में समझौतों (Agreements in Restraint of Trade) से संबंधित है। भागीदार, फर्म के विघटन पर या उसके अनुमान में, एक समझौता कर सकते हैं कि उनमें से कुछ या सभी एक निर्दिष्ट अवधि (Specified Period) के भीतर या निर्दिष्ट स्थानीय सीमाओं (Specified Local Limits) के भीतर फर्म के समान व्यवसाय नहीं करेंगे। भारतीय संविदा अधिनियम, 1872 (Indian Contract Act, 1872) की धारा 27 (Section 27) में निहित किसी भी बात के बावजूद, ऐसा समझौता मान्य (Valid) होगा यदि लगाए गए प्रतिबंध उचित (Reasonable) हों। यह प्रावधान फर्म के विघटन के बाद भी भागीदारों को उचित प्रतिस्पर्धा से बचाने और फर्म की संपत्ति, विशेषकर उसकी सद्भावना की रक्षा करने की अनुमति देता है।

    विघटन के बाद सद्भावना की बिक्री, क्रेता और विक्रेता के अधिकार, व्यापार प्रतिबंध में समझौते (Sale of Goodwill After Dissolution. Rights of Buyer and Seller of Goodwill. Agreements in Restraint of Trade)

    धारा 55 (Section 55) सद्भावना की बिक्री (Sale of Goodwill) और उससे संबंधित अधिकारों एवं प्रतिबंधों पर विस्तार से बताती है:

    1. सद्भावना का मूल्यांकन और बिक्री (Valuation and Sale of Goodwill): फर्म के विघटन के बाद खातों का निपटान करते समय, भागीदारों के बीच अनुबंध के अधीन, सद्भावना को फर्म की परिसंपत्तियों (Assets) में शामिल किया जाएगा। इसे या तो अलग से (Separately) बेचा जा सकता है या फर्म की अन्य संपत्ति के साथ बेचा जा सकता है। यह मान्यता देता है कि सद्भावना एक मूल्यवान परिसंपत्ति है जिसे बेचा जा सकता है।

    2. सद्भावना की बिक्री के बाद बाहर जाने वाले भागीदार के अधिकार और प्रतिबंध (Rights and Restrictions of Outgoing Partner After Sale of Goodwill): जहां विघटन के बाद फर्म की सद्भावना बेची जाती है, एक भागीदार क्रेता (Buyer) के साथ प्रतिस्पर्धा (Competing) करने वाला व्यवसाय चला सकता है और वह ऐसे व्यवसाय का विज्ञापन (Advertise) भी कर सकता है। हालांकि, उसके और क्रेता के बीच समझौते के अधीन, वह निम्न कार्य नहीं कर सकता है:

    • (क) फर्म के नाम का उपयोग (Use the Firm Name): वह फर्म के नाम का उपयोग नहीं कर सकता है।

    • (ख) खुद को फर्म का व्यवसाय चलाने वाले के रूप में प्रस्तुत करना (Represent Himself as Carrying on the Business of the Firm): वह खुद को यह नहीं दिखा सकता कि वह फर्म का व्यवसाय चला रहा है।

    • (ग) ग्राहकों को आकर्षित करना (Solicit the Custom): वह उन व्यक्तियों के ग्राहकों को आकर्षित नहीं कर सकता (Solicit the Custom) जो फर्म के विघटन से पहले फर्म के साथ व्यवहार कर रहे थे। ये प्रतिबंध खरीदार द्वारा अधिग्रहीत सद्भावना के मूल्य की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं।

    3. सद्भावना की बिक्री पर व्यापार प्रतिबंध में समझौता (Agreement in Restraint of Trade on Sale of Goodwill): कोई भी भागीदार, फर्म की सद्भावना की बिक्री पर, क्रेता के साथ एक समझौता कर सकता है कि ऐसा भागीदार एक निर्दिष्ट अवधि (Specified Period) के भीतर या निर्दिष्ट स्थानीय सीमाओं (Specified Local Limits) के भीतर फर्म के समान कोई व्यवसाय नहीं करेगा। और भारतीय संविदा अधिनियम, 1872 (Indian Contract Act, 1872) की धारा 27 (Section 27) में निहित किसी भी बात के बावजूद, ऐसा समझौता मान्य (Valid) होगा यदि लगाए गए प्रतिबंध उचित (Reasonable) हों। यह विशिष्ट खंड व्यापार प्रतिबंध के लिए समझौतों को वैध बनाता है जब वे सद्भावना की बिक्री के संदर्भ में होते हैं, बशर्ते वे तर्कसंगत हों।

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