वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1981 की धारा 51-53 : राज्य बोर्डों का रजिस्टर और अन्य कानूनों पर अधिनियम का प्रभाव
Himanshu Mishra
19 Aug 2025 7:47 PM IST

वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1981, के अंतिम अध्याय, विविध (Miscellaneous) में, कुछ महत्वपूर्ण प्रावधान शामिल हैं जो प्रदूषण नियंत्रण के प्रशासनिक और कानूनी ढांचे को मजबूत करते हैं। ये धाराएँ सार्वजनिक पारदर्शिता (public transparency) सुनिश्चित करती हैं, अन्य कानूनों पर अधिनियम की प्रधानता (primacy) को परिभाषित करती हैं, और केंद्र सरकार को नियमों को बनाने की शक्ति देती हैं।
धारा 51 - रजिस्टर का रखरखाव (Maintenance of Register)
यह धारा प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों (Pollution Control Boards) के कार्यों में पारदर्शिता और जवाबदेही (accountability) सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रावधान है।
• रजिस्टर का उद्देश्य: उप-धारा (1) के अनुसार, प्रत्येक राज्य बोर्ड को एक रजिस्टर (register) बनाए रखना अनिवार्य है जिसमें उन सभी व्यक्तियों का विवरण (particulars) हो जिन्हें धारा 21 के तहत सहमति (consent) दी गई है। इस रजिस्टर में प्रत्येक सहमति के संबंध में निर्धारित उत्सर्जन मानकों (emission standards) और अन्य आवश्यक विवरण भी शामिल होंगे। यह रजिस्टर एक सार्वजनिक रिकॉर्ड (public record) के रूप में कार्य करता है जो यह दर्शाता है कि किन उद्योगों को काम करने की अनुमति दी गई है और उन्हें किन पर्यावरणीय शर्तों (environmental conditions) का पालन करना है।
• सार्वजनिक निरीक्षण (Public Inspection): उप-धारा (2) के तहत, यह रजिस्टर किसी भी व्यक्ति के लिए उचित घंटों (all reasonable hours) के दौरान निरीक्षण के लिए खुला रहेगा जो इन मानकों से रुचि रखता है या प्रभावित होता है। यह प्रावधान नागरिकों को अपनी रुचि के किसी भी उद्योग या इकाई के प्रदूषण मानकों के बारे में सीधे जानकारी प्राप्त करने में सक्षम बनाता है।
उदाहरण: यदि किसी निवासी को अपने क्षेत्र में एक फैक्ट्री से निकलने वाले धुएं से परेशानी हो रही है, तो वह SPCB कार्यालय में इस रजिस्टर की जांच कर सकता है ताकि यह पता चल सके कि क्या फैक्ट्री को सहमति मिली है और क्या वह निर्धारित मानकों का उल्लंघन कर रही है।
धारा 52 - अन्य कानूनों पर प्रभाव (Effect of other laws)
यह धारा वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1981 की कानूनी प्रधानता (legal supremacy) को स्थापित करती है।
• प्रधानता का प्रावधान: इस धारा के अनुसार, परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 (Atomic Energy Act, 1962) के तहत रेडियोधर्मी वायु प्रदूषण (radioactive air pollution) से संबंधित प्रावधानों को छोड़कर, इस अधिनियम के प्रावधान किसी भी अन्य कानून में निहित किसी भी असंगत (inconsistent) बात के बावजूद प्रभावी होंगे।
• इसका क्या मतलब है: इसका मतलब यह है कि अगर किसी अन्य कानून (जैसे कि फैक्ट्री अधिनियम) में कोई ऐसा प्रावधान है जो इस अधिनियम के प्रावधानों से असंगत है, तो वायु अधिनियम के प्रावधान ही लागू होंगे। यह सुनिश्चित करता है कि वायु प्रदूषण नियंत्रण के प्रयासों को अन्य कानूनों द्वारा कमजोर न किया जाए।
उदाहरण: यदि कोई फैक्ट्री अधिनियम किसी इकाई को एक निश्चित प्रकार का ईंधन (fuel) जलाने की अनुमति देता है, लेकिन वायु अधिनियम के तहत नियमों में कहा गया है कि वह ईंधन वायु प्रदूषण नियंत्रण क्षेत्र (air pollution control area) में निषिद्ध (prohibited) है, तो वायु अधिनियम के तहत नियम ही लागू होंगे।
धारा 53 - नियम बनाने की केंद्र सरकार की शक्ति (Power of Central Government to make rules)
यह धारा केंद्र सरकार को अधिनियम के विभिन्न पहलुओं को लागू करने के लिए विस्तृत नियम (detailed rules) बनाने की शक्ति देती है।
• नियम बनाने का अधिकार: उप-धारा (1) के अनुसार, केंद्र सरकार, केंद्रीय बोर्ड के परामर्श से, राजपत्र में अधिसूचना (notification in the Official Gazette) द्वारा निम्नलिखित मामलों के संबंध में नियम बना सकती है:
o केंद्रीय बोर्ड की बैठकों (meetings) के समय, स्थान और प्रक्रिया।
o केंद्रीय बोर्ड की समितियों (committees) के सदस्यों को दिए जाने वाले शुल्क और भत्ते।
o बजट, वार्षिक रिपोर्ट और खातों का फॉर्म और समय-सीमा।
o केंद्रीय बोर्ड द्वारा किए जाने वाले अन्य कार्य।
• संसदीय जांच (Parliamentary Scrutiny): उप-धारा (2) में एक महत्वपूर्ण जांच और संतुलन तंत्र (check and balance mechanism) शामिल है। इसके अनुसार, केंद्र सरकार द्वारा बनाया गया हर नियम संसद के दोनों सदनों के सामने कुल तीस दिनों के लिए रखा जाएगा। यदि इस अवधि के दौरान दोनों सदन नियम में कोई संशोधन (modification) करने या उसे रद्द करने (annul) पर सहमत होते हैं, तो नियम या तो संशोधित रूप में प्रभावी होगा या कोई प्रभाव नहीं डालेगा। यह सुनिश्चित करता है कि नियमों को विधायी अनुमोदन (legislative approval) मिले और सरकार अपनी शक्ति का दुरुपयोग न करे।
यह अध्याय कानून के कार्यान्वयन (implementation) को सुव्यवस्थित (streamline) करता है, इसे लचीलापन (flexibility) देता है, और यह सुनिश्चित करता है कि यह लोकतांत्रिक (democratic) और जवाबदेह (accountable) तरीके से काम करे।

