Sales of Goods Act, 1930 की धारा 41-44: अनुबंध का प्रदर्शन - खरीदार के अधिकार और देनदारियां
Himanshu Mishra
4 July 2025 9:33 PM IST

माल विक्रय अधिनियम (Sales of Goods Act), 1930 का अध्याय IV अनुबंध के प्रदर्शन (Performance of the Contract) के बारे में बताता है, जिसमें खरीदार (Buyer) के महत्वपूर्ण अधिकार और कर्तव्य शामिल हैं, विशेष रूप से माल की जाँच (Examination of Goods), स्वीकृति (Acceptance), और सुपुर्दगी (Delivery) से संबंधित। ये धाराएँ खरीदार के हितों की रक्षा करती हैं और विक्रेता (Seller) के साथ उसके संबंधों को स्पष्ट करती हैं।
खरीदार का माल की जाँच का अधिकार (Buyer's Right of Examining the Goods)
धारा 41 खरीदार को डिलीवर किए गए माल की जाँच करने के महत्वपूर्ण अधिकार का प्रावधान करती है:
1. स्वीकृति से पहले जाँच का अधिकार - धारा 41(1):
जहाँ खरीदार को ऐसा माल सुपुर्द किया जाता है जिसकी उसने पहले जाँच नहीं की है, उसे तब तक स्वीकृत नहीं माना जाता है जब तक और जब तक उसे अनुबंध के अनुरूप (In Conformity with the Contract) हैं या नहीं, यह सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उनकी जाँच करने का उचित अवसर (Reasonable Opportunity) नहीं मिल जाता है।
यह धारा 'क्रेता सावधान रहे' (Caveat Emptor) के सिद्धांत को संतुलित करती है। खरीदार को माल स्वीकार करने से पहले यह सुनिश्चित करने का अधिकार है कि वे अनुबंध की शर्तों को पूरा करते हैं। जब तक उसे यह अवसर नहीं मिलता, उसे स्वीकारोक्ति नहीं मानी जाएगी, और वह माल को अस्वीकार करने का अपना अधिकार बरकरार रखता है।
उदाहरण: आपने ऑनलाइन एक नया रेफ्रिजरेटर ऑर्डर किया है। जब रेफ्रिजरेटर डिलीवर होता है, तो आपको उसे खोलकर और यह जाँचने का उचित अवसर मिलना चाहिए कि क्या वह सही मॉडल, रंग और कार्यशील स्थिति में है, जैसा कि अनुबंध में बताया गया था। जब तक आप यह जाँच नहीं कर लेते, आपको रेफ्रिजरेटर स्वीकार किया हुआ नहीं माना जाएगा।
2. विक्रेता का जाँच का अवसर प्रदान करने का कर्तव्य - धारा 41(2):
जब तक अन्यथा सहमत न हो, जब विक्रेता खरीदार को माल की सुपुर्दगी की निविदा (Tenders Delivery) करता है, तो वह अनुरोध पर, खरीदार को माल की जाँच करने का उचित अवसर प्रदान करने के लिए बाध्य है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे अनुबंध के अनुरूप हैं।
यह धारा विक्रेता पर यह कर्तव्य डालती है कि वह खरीदार को माल की जाँच करने में सहयोग करे।
उदाहरण: यदि आप एक थोक विक्रेता से बड़ी मात्रा में फल खरीदते हैं, और आप डिलीवरी के समय उनकी गुणवत्ता की जाँच करना चाहते हैं, तो विक्रेता आपको ऐसा करने का उचित अवसर देने के लिए बाध्य है।
पी. एस. दास गुप्ता बनाम भारत संघ (P.S. Das Gupta v. Union of India) (एक प्रासंगिक मामला): इस मामले में, यह माना गया था कि खरीदार को माल की जाँच करने का एक उचित अवसर मिलना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे अनुबंध के अनुरूप हैं। यदि ऐसा अवसर नहीं दिया जाता है, तो खरीदार को माल को अस्वीकार करने का अधिकार बना रहता है।
स्वीकृति (Acceptance)
धारा 42 उन स्थितियों को परिभाषित करती है जब खरीदार को माल स्वीकृत (Accepted) माना जाता है, जिससे आमतौर पर माल को अस्वीकार करने का उसका अधिकार समाप्त हो जाता है। खरीदार को माल स्वीकृत माना जाता है जब:
1. वह विक्रेता को सूचित करता है कि उसने उन्हें स्वीकार कर लिया है (He Intimates to the Seller That He Has Accepted Them): यह स्वीकृति का सबसे सीधा तरीका है, जहाँ खरीदार स्पष्ट रूप से अपनी सहमति व्यक्त करता है।
o उदाहरण: आपने डिलीवर किए गए फर्नीचर की जाँच की और विक्रेता को ईमेल भेजा कि "मुझे फर्नीचर पसंद है, मैंने इसे स्वीकार कर लिया है।"
2. जब माल उसे डिलीवर कर दिया गया है और वह उनके संबंध में कोई ऐसा कार्य करता है जो विक्रेता के स्वामित्व के साथ असंगत है (He Does Any Act in Relation to Them Which Is Inconsistent with the Ownership of the Seller): इसका अर्थ है कि खरीदार माल के साथ ऐसा व्यवहार करता है जैसे वह उसका मालिक हो, जिससे यह संकेत मिलता है कि उसने उन्हें स्वीकार कर लिया है।
o उदाहरण: आपने एक कार खरीदी है। यदि आप उसे अपने नाम पर पंजीकृत करवाते हैं, या उसे किसी तीसरे पक्ष को बेच देते हैं, तो यह विक्रेता के स्वामित्व के साथ असंगत कार्य है, और आपको कार स्वीकृत मानी जाएगी।
3. जब, एक उचित समय बीत जाने के बाद, वह विक्रेता को यह सूचित किए बिना माल को अपने पास रखता है कि उसने उन्हें अस्वीकार कर दिया है (After the Lapse of a Reasonable Time, He Retains the Goods Without Intimating to the Seller That He Has Rejected Them): यदि खरीदार को जाँच का उचित अवसर मिलता है लेकिन वह एक उचित समय के भीतर माल को अस्वीकार करने की सूचना नहीं देता है और उन्हें अपने पास रखता है, तो उसे स्वीकृत माना जाता है। 'उचित समय' प्रत्येक मामले की परिस्थितियों पर निर्भर करेगा।
o उदाहरण: आपको एक मशीन डिलीवर की गई है। आपने उसकी जाँच की है, लेकिन एक महीने तक आपने विक्रेता को कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, और मशीन आपके पास ही रही। एक महीने के बाद, आपको मशीन स्वीकृत मानी जाएगी।
परफेक्टो बनाम गिल्बर्ट (Perfecto v. Gilbert) (1903) 2 KB 14 (एक प्रासंगिक मामला): इस मामले में, यह माना गया था कि यदि खरीदार माल का उपयोग करता है या उन्हें उप-बेचता है, तो उसे स्वीकृति मानी जाएगी, क्योंकि ऐसे कार्य विक्रेता के स्वामित्व के साथ असंगत हैं।
अस्वीकृत माल वापस करने के लिए खरीदार बाध्य नहीं (Buyer Not Bound to Return Rejected Goods)
धारा 43 खरीदार के लिए एक महत्वपूर्ण राहत प्रदान करती है जब वह माल को अस्वीकार करने का अधिकार रखता है। जब तक अन्यथा सहमत न हो (Unless Otherwise Agreed), जहाँ माल खरीदार को सुपुर्द किया जाता है और वह उन्हें स्वीकार करने से इनकार करता है, ऐसा करने का अधिकार रखते हुए, वह उन्हें विक्रेता को वापस करने के लिए बाध्य नहीं है (Not Bound to Return Them to the Seller)। यह पर्याप्त है यदि वह विक्रेता को यह सूचित करता है कि वह उन्हें स्वीकार करने से इनकार करता है।
यह धारा खरीदार पर अनावश्यक बोझ (Unnecessary Burden) डालने से बचाती है। खरीदार को केवल विक्रेता को अस्वीकृति की स्पष्ट सूचना देनी होगी; उसे माल को पैक करके वापस भेजने की आवश्यकता नहीं है, जब तक कि अनुबंध में स्पष्ट रूप से ऐसा न कहा गया हो। विक्रेता को तब माल को वापस लेने की व्यवस्था करनी होगी।
उदाहरण: आपने एक ऑनलाइन स्टोर से एक ड्रेस ऑर्डर की जो आपको पसंद नहीं आई। आपको इसे वापस भेजने की आवश्यकता नहीं है, आपको केवल स्टोर को सूचित करना होगा कि आप इसे अस्वीकार करते हैं। स्टोर को तब इसे वापस लेने की व्यवस्था करनी होगी।
माल की सुपुर्दगी लेने में उपेक्षा या इनकार के लिए खरीदार की देनदारी (Liability of Buyer for Neglecting or Refusing Delivery of Goods)
धारा 44 उस स्थिति से संबंधित है जहाँ खरीदार सुपुर्दगी लेने में विफल रहता है। जब विक्रेता माल को सुपुर्द करने के लिए तैयार और इच्छुक (Ready and Willing) होता है और खरीदार से सुपुर्दगी लेने का अनुरोध करता है, और खरीदार ऐसे अनुरोध के बाद उचित समय (Reasonable Time) के भीतर माल की सुपुर्दगी नहीं लेता है, तो वह विक्रेता को अपनी उपेक्षा (Neglect) या सुपुर्दगी लेने से इनकार (Refusal) के कारण होने वाले किसी भी नुकसान (Any Loss Occasioned) के लिए, और साथ ही माल की देखभाल और अभिरक्षा (Care and Custody) के लिए एक उचित शुल्क (Reasonable Charge) के लिए उत्तरदायी है।
यह धारा खरीदार पर एक कर्तव्य डालती है कि वह उचित समय पर सुपुर्दगी ले, और यदि वह ऐसा करने में विफल रहता है, तो उसे विक्रेता को हुए किसी भी नुकसान के लिए मुआवजा देना होगा (जैसे भंडारण लागत या खराब होने वाले माल का नुकसान)।
उदाहरण: एक किसान ने एक व्यापारी को 500 किलोग्राम टमाटर बेचने का अनुबंध किया, और व्यापारी को एक निश्चित तारीख पर उन्हें लेना था। किसान उस तारीख पर टमाटर डिलीवर करने के लिए तैयार था, लेकिन व्यापारी उन्हें लेने नहीं आया। यदि टमाटर खराब हो जाते हैं क्योंकि व्यापारी ने उन्हें नहीं लिया, तो व्यापारी टमाटर के नुकसान और किसान द्वारा उनकी देखभाल के लिए किए गए किसी भी उचित खर्च के लिए उत्तरदायी होगा।
परंतुक (Proviso): इस धारा में कुछ भी विक्रेता के अधिकारों को प्रभावित नहीं करेगा जहाँ खरीदार की सुपुर्दगी लेने में उपेक्षा या इनकार अनुबंध का खंडन (Repudiation of the Contract) करता है। यदि खरीदार का इनकार इतना गंभीर है कि यह पूरे अनुबंध को समाप्त करने के बराबर है, तो विक्रेता के पास धारा 38(2) में उल्लिखित खंडन के लिए अधिक व्यापक उपाय उपलब्ध होंगे।
ये धाराएँ मिलकर माल विक्रय अनुबंध के प्रदर्शन के चरण में खरीदार के अधिकारों और देनदारियों का एक व्यापक ढाँचा प्रदान करती हैं, जिससे लेनदेन में स्पष्टता और निष्पक्षता सुनिश्चित होती है।