धारा 4 और 5, राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 : "Liquor" की परिभाषा और सरकार की शक्तियां

Himanshu Mishra

13 Jan 2025 4:00 PM

  • धारा 4 और 5, राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 : Liquor की परिभाषा और सरकार की शक्तियां

    राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 (Rajasthan Excise Act, 1950) राज्य में शराब (Liquor) के उत्पादन, बिक्री और विनियमन (Regulation) से संबंधित है।

    यह अधिनियम (Act) विभिन्न शब्दों की परिभाषा (Definition) स्पष्ट करता है, राज्य सरकार को शक्तियाँ (Powers) प्रदान करता है और खुदरा बिक्री (Retail Sale) की सीमाएँ (Limits) निर्धारित करता है।

    इस लेख में, हम सरल भाषा में धारा 4 और 5 की व्याख्या करेंगे, साथ ही धारा 2(15) में दी गई "Liquor" की परिभाषा पर चर्चा करेंगे। इसमें हर बिंदु का वर्णन (Explanation) उदाहरणों (Examples) के साथ किया गया है।

    धारा 2(15): "Liquor" की परिभाषा (Definition of Liquor)

    धारा 2(15) में "Liquor" को परिभाषित किया गया है। यह केवल शराब तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें कई अन्य पदार्थ (Substances) भी शामिल हैं।

    अधिनियम के अनुसार, "Liquor" में शराब, वाइन (Wine), स्पिरिट ऑफ वाइन (Spirit of Wine), हेरिटेज लिकर (Heritage Liquor), टाड़ी (Tari), पचवार (Pachawar), और बीयर (Beer) शामिल हैं। साथ ही, इसमें वह सभी तरल पदार्थ (Liquids) भी शामिल हैं, जिनमें अल्कोहल (Alcohol) हो।

    राज्य सरकार (State Government) को अधिकार है कि वह किसी भी अन्य पदार्थ को "Liquor" घोषित कर सकती है।

    उदाहरण के लिए, अगर राजस्थान में किसी क्षेत्र में एक पारंपरिक पेय (Traditional Drink) प्रचलित हो, जो नशा (Intoxication) करता है, तो सरकार उसे "Liquor" घोषित कर सकती है। यह परिभाषा अधिनियम को लचीला (Flexible) बनाती है और नए प्रकार के नशीले पदार्थों को कानून के दायरे में लाती है।

    धारा 4: "Liquor" घोषित करने की राज्य सरकार की शक्ति (Power of State Government to Declare Substances as Liquor)

    धारा 4 के तहत राज्य सरकार को यह अधिकार है कि वह किसी पदार्थ को "Liquor" घोषित कर सके। इस धारा में दो उपधाराएँ (Subsections) हैं।

    उपधारा 4(1): "Liquor" की घोषणा (Declaration of Liquor)

    राज्य सरकार आधिकारिक गजट (Official Gazette) में अधिसूचना (Notification) जारी कर किसी भी पदार्थ को "Liquor" घोषित कर सकती है। यह प्रावधान (Provision) इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सरकार को ऐसे पदार्थों को शामिल करने की अनुमति देता है, जो पारंपरिक रूप से शराब नहीं माने जाते, लेकिन जिनमें नशीले गुण (Intoxicating Properties) होते हैं।

    उदाहरण के लिए, अगर राजस्थान में एक नया किण्वित (Fermented) पेय प्रचलित हो जाता है, जो नशा करता है, तो सरकार उसे "Liquor" घोषित कर सकती है। इसके बाद, उस पेय का उत्पादन, बिक्री और वितरण (Distribution) इस अधिनियम के तहत विनियमित होगा।

    उपधारा 4(2): देशी और विदेशी शराब की श्रेणीकरण (Classification of Country Liquor and Foreign Liquor)

    राज्य सरकार यह भी घोषित कर सकती है कि कौन-सा पदार्थ "देशी शराब" (Country Liquor) और कौन-सा "विदेशी शराब" (Foreign Liquor) माना जाएगा। यह विभाजन (Classification) इसलिए जरूरी है क्योंकि देशी और विदेशी शराब पर अलग-अलग नियम, शुल्क (Duties) और दंड (Penalties) लागू हो सकते हैं।

    उदाहरण के लिए, अगर एक पारंपरिक पेय, जो स्थानीय रूप से निर्मित (Locally Brewed) है, उसे देशी शराब के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है, जबकि आयातित (Imported) व्हिस्की को विदेशी शराब माना जाएगा।

    धारा 5: खुदरा बिक्री की सीमा घोषित करने की शक्ति (Power to Declare Limit of Retail Sale)

    धारा 5 के तहत राज्य सरकार को यह अधिकार है कि वह खुदरा बिक्री की मात्रा (Quantity) को नियंत्रित करे। यह धारा दो उपधाराओं में विभाजित है।

    उपधारा 5(1): खुदरा बिक्री की सीमा की घोषणा (Declaration of Retail Sale Limit)

    राज्य सरकार आधिकारिक गजट में अधिसूचना जारी कर यह घोषित कर सकती है कि किसी उत्पाद की खुदरा बिक्री की अधिकतम सीमा (Maximum Limit) क्या होगी। यह घोषणा पूरे राज्य या किसी विशेष क्षेत्र में लागू हो सकती है।

    उदाहरण के लिए, त्योहारों के दौरान सरकार एक अधिसूचना जारी कर सकती है कि एक व्यक्ति केवल एक बोतल शराब खरीद सकता है। यह सीमा सार्वजनिक शांति (Public Order) बनाए रखने और अत्यधिक सेवन (Excessive Consumption) को रोकने के लिए लगाई जा सकती है।

    उपधारा 5(2): सीमा से अधिक बिक्री (Sale Beyond the Declared Limit)

    अगर कोई विक्रेता (Vendor) घोषित सीमा से अधिक मात्रा में उत्पाद बेचता है, तो इसे थोक बिक्री (Wholesale Sale) माना जाएगा। थोक बिक्री पर अलग नियम, शुल्क और लाइसेंसिंग आवश्यकताएँ (Licensing Requirements) लागू होती हैं।

    उदाहरण के लिए, अगर बीयर की खुदरा सीमा 12 बोतल प्रति व्यक्ति है और एक विक्रेता 20 बोतलें बेचता है, तो यह थोक बिक्री मानी जाएगी। विक्रेता को थोक बिक्री के लिए उपयुक्त लाइसेंस और शुल्क का पालन करना होगा।

    उदाहरण (Illustrations)

    1. धारा 4(1) का उदाहरण: "Liquor" की घोषणा

    मान लीजिए राजस्थान में एक पेय "राजस्थानी भट्टी" लोकप्रिय हो जाता है, जो नशा करता है। सरकार इसे "Liquor" घोषित करती है। इसके बाद, इसका उत्पादन और बिक्री इस अधिनियम के तहत विनियमित होगी।

    2. धारा 4(2) का उदाहरण: देशी और विदेशी शराब का वर्गीकरण

    एक चावल आधारित पेय, जो स्थानीय रूप से तैयार होता है, उसे देशी शराब के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। दूसरी ओर, एक आयातित वोडका ब्रांड को विदेशी शराब माना जाएगा।

    3. धारा 5(1) का उदाहरण: खुदरा सीमा

    त्योहार के दौरान, सरकार एक अधिसूचना जारी करती है कि हर ग्राहक को केवल एक बोतल वाइन दी जाएगी। यह सीमा अत्यधिक सेवन को रोकने और सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए लगाई जाती है।

    4. धारा 5(2) का उदाहरण: थोक बिक्री

    अगर एक विक्रेता किसी शादी के आयोजन के लिए 50 लीटर देशी शराब बेचता है, तो यह थोक बिक्री मानी जाएगी। इसके लिए विक्रेता को अलग लाइसेंस और शुल्क का पालन करना होगा।

    राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950, की धारा 4 और 5 राज्य सरकार को शराब और उससे जुड़े पदार्थों को विनियमित करने के लिए व्यापक अधिकार देती हैं। धारा 2(15) में "Liquor" की विस्तृत परिभाषा यह सुनिश्चित करती है कि सभी नशीले पदार्थ इस अधिनियम के दायरे में आएं।

    "Liquor" घोषित करने और खुदरा बिक्री की सीमा तय करने की लचीलापन (Flexibility) सरकार को बदलते समय और नई चुनौतियों से निपटने में सक्षम बनाता है।

    यह प्रावधान सार्वजनिक स्वास्थ्य (Public Health) की रक्षा, अवैध उत्पादन और बिक्री रोकने, और सरकार को उचित राजस्व (Revenue) एकत्रित करने में मदद करते हैं। इन प्रावधानों से न केवल कानून लागू करना आसान होता है, बल्कि राज्य में सामाजिक व्यवस्था बनाए रखना भी सुनिश्चित होता है।

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