Indian Partnership Act, 1932 की धारा 31-32: आने वाले और जाने वाले भागीदार
Himanshu Mishra
5 July 2025 5:11 PM IST

नए भागीदार का प्रवेश (Introduction of a Partner)
भारतीय भागीदारी अधिनियम, 1932 (Indian Partnership Act, 1932) की धारा 31 (Section 31) एक फर्म में नए भागीदार के प्रवेश (Introduction of a Partner) को नियंत्रित करती है:
1. सभी भागीदारों की सहमति आवश्यक (Consent of All Existing Partners Required): भागीदारों के बीच अनुबंध (Contract) और धारा 30 (Section 30) के प्रावधानों के अधीन रहते हुए (जो नाबालिगों को भागीदारी के लाभों में शामिल करने से संबंधित है), किसी भी व्यक्ति को सभी मौजूदा भागीदारों (Existing Partners) की सहमति (Consent) के बिना फर्म में भागीदार के रूप में शामिल नहीं किया जाएगा। यह भागीदारी की उस मूलभूत विशेषता को दर्शाता है कि यह आपसी विश्वास (Mutual Trust) और समझौते पर आधारित है, और कोई भी भागीदार अन्य भागीदारों की इच्छा के विरुद्ध किसी नए सदस्य को फर्म में नहीं ला सकता।
2. पिछले कार्यों के लिए देनदारी नहीं (No Liability for Past Acts): धारा 30 (Section 30) के प्रावधानों के अधीन रहते हुए, एक व्यक्ति जिसे फर्म में भागीदार के रूप में शामिल किया जाता है, वह भागीदार बनने से पहले फर्म द्वारा किए गए किसी भी कार्य के लिए उत्तरदायी (Liable) नहीं होता है। इसका मतलब है कि नया भागीदार फर्म के पुराने ऋणों (Debts) या देनदारियों (Liabilities) के लिए जिम्मेदार नहीं होता है, जब तक कि कोई स्पष्ट समझौता न हो कि वह उन देनदारियों को भी स्वीकार करेगा।
भागीदार की सेवानिवृत्ति (Retirement of a Partner)
धारा 32 (Section 32) एक भागीदार की सेवानिवृत्ति (Retirement) से संबंधित प्रावधानों का वर्णन करती है:
1. सेवानिवृत्ति के तरीके (Modes of Retirement): एक भागीदार निम्न तरीकों से सेवानिवृत्त (Retire) हो सकता है:
• (क) अन्य सभी भागीदारों की सहमति से (With the Consent of All the Other Partners): यह सबसे सामान्य तरीका है, जहां सभी भागीदार सेवानिवृत्ति पर सहमत होते हैं।
• (ख) भागीदारों द्वारा एक स्पष्ट समझौते के अनुसार (In Accordance with an Express Agreement by the Partners): भागीदारी विलेख (Partnership Deed) में पहले से ही सेवानिवृत्ति के नियम और शर्तें निर्धारित की जा सकती हैं।
• (ग) इच्छा पर भागीदारी में नोटिस द्वारा (By Giving Notice in Partnership at Will): यदि भागीदारी 'इच्छा पर भागीदारी' (Partnership at Will) है (जैसा कि धारा 7 (Section 7) में परिभाषित है), तो भागीदार अन्य सभी भागीदारों को अपनी सेवानिवृत्ति के इरादे का लिखित नोटिस (Notice in Writing) देकर सेवानिवृत्त हो सकता है।
2. तीसरे पक्ष के प्रति देनदारी से मुक्ति (Discharge from Liability to Third Party): एक सेवानिवृत्त भागीदार को अपनी सेवानिवृत्ति से पहले फर्म द्वारा किए गए कार्यों के लिए किसी भी तीसरे पक्ष के प्रति किसी भी देनदारी से मुक्त (Discharged) किया जा सकता है। यह मुक्ति उसके और ऐसे तीसरे पक्ष तथा पुनर्गठित फर्म (Reconstituted Firm) के भागीदारों के बीच हुए एक समझौते (Agreement) द्वारा होती है। ऐसा समझौता ऐसे तीसरे पक्ष और पुनर्गठित फर्म के बीच व्यवहार के तरीके (Course of Dealing) से भी निहित (Implied) हो सकता है, जब उसे सेवानिवृत्ति की जानकारी हो गई हो। यह प्रावधान सेवानिवृत्त भागीदार को फर्म से अपने संबंधों को पूरी तरह से तोड़ने का अवसर देता है।
3. सार्वजनिक सूचना तक देनदारी का जारी रहना (Continued Liability Until Public Notice): किसी भागीदार के फर्म से सेवानिवृत्त होने के बावजूद, वह और अन्य भागीदार किसी भी ऐसे कार्य के लिए तीसरे पक्ष के प्रति भागीदार के रूप में उत्तरदायी (Liable) बने रहते हैं, जो उनमें से किसी के द्वारा किया गया होता और यदि वह सेवानिवृत्ति से पहले किया गया होता तो फर्म का कार्य होता, जब तक कि सेवानिवृत्ति की सार्वजनिक सूचना (Public Notice) नहीं दी जाती है। यह प्रावधान धारा 25 (Section 25) में उल्लिखित असीमित देनदारी के सिद्धांत को जारी रखता है, जब तक कि तीसरे पक्षों को सेवानिवृत्ति के बारे में पता न चले।
परंतु (Provided that), एक सेवानिवृत्त भागीदार किसी भी ऐसे तीसरे पक्ष के प्रति उत्तरदायी नहीं होता है जो फर्म के साथ यह जाने बिना व्यवहार करता है कि वह भागीदार था। यह सद्भावना (Good Faith) में लेनदेन करने वाले तीसरे पक्षों की रक्षा करता है जो सेवानिवृत्ति से अनजान हैं।
4. नोटिस कौन दे सकता है (Who May Give Notice): उप-धारा (3) के तहत नोटिस सेवानिवृत्त भागीदार द्वारा या पुनर्गठित फर्म के किसी भी भागीदार द्वारा दिया जा सकता है। यह सुनिश्चित करता है कि सेवानिवृत्ति की सार्वजनिक सूचना प्रभावी ढंग से दी जा सके।