Sales of Goods Act, 1930 की धारा 27-30 : बिक्री के बाद विक्रेता या खरीदार का कब्ज़ा

Himanshu Mishra

30 Jun 2025 4:54 PM IST

  • Sales of Goods Act, 1930 की धारा 27-30 : बिक्री के बाद विक्रेता या खरीदार का कब्ज़ा

    माल विक्रय अधिनियम (Sales of Goods Act), 1930 का अध्याय III माल में संपत्ति (Property in Goods) के हस्तांतरण के महत्वपूर्ण पहलुओं को जारी रखता है। यहाँ शीर्षक का हस्तांतरण (Transfer of Title) एक केंद्रीय विषय है, जिसका अर्थ है माल का स्वामित्व (Ownership) कैसे और कब एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को वैध रूप से गुजरता है।

    ये धाराएँ 'निमो डेट क्वाड नॉन हैबेट' (Nemo Dat Quod Non Habet) के सामान्य नियम के अपवादों (Exceptions) को स्थापित करती हैं, जिसका अर्थ है "कोई भी व्यक्ति वह नहीं दे सकता जो उसके पास नहीं है।" संक्षेप में, यदि आपके पास किसी वस्तु का स्वामित्व नहीं है, तो आप उसे किसी और को वैध रूप से बेच नहीं सकते। हालाँकि, वाणिज्यिक लेन-देन की जटिलताओं के कारण इस नियम के कुछ आवश्यक अपवाद हैं।

    मालिक न होने वाले व्यक्ति द्वारा बिक्री (Sale by Person Not the Owner)

    धारा 27 'निमो डेट क्वाड नॉन हैबेट' के सामान्य नियम को स्थापित करती है और उसके एक महत्वपूर्ण अपवाद का भी प्रावधान करती है।

    सामान्य नियम: इस अधिनियम और किसी अन्य कानून के प्रावधानों के अधीन, जहाँ माल किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा बेचा जाता है जो उसका मालिक नहीं है और जो उन्हें मालिक के अधिकार (Authority) या सहमति (Consent) के बिना नहीं बेचता है, तो खरीदार को माल का विक्रेता से बेहतर शीर्षक (No Better Title than the Seller Had) प्राप्त नहीं होता है।

    इसका मतलब है कि यदि आप किसी चोर से कोई वस्तु खरीदते हैं, तो आप उसके वास्तविक मालिक नहीं बनते हैं, भले ही आपने अच्छे विश्वास (Good Faith) में खरीदा हो। वास्तविक मालिक को आपसे वस्तु वापस पाने का अधिकार है।

    अपवाद (Estoppel - रोक): जब तक माल का मालिक अपने आचरण (Conduct) से विक्रेता के बेचने के अधिकार से इनकार करने से बाधित (Precluded) न हो। इसे 'रोक' (Estoppel) का सिद्धांत कहा जाता है। यदि मालिक अपने आचरण से किसी तीसरे पक्ष को यह विश्वास दिलाता है कि विक्रेता को माल बेचने का अधिकार है, तो बाद में मालिक उस अधिकार से इनकार नहीं कर सकता है।

    उदाहरण के लिए, रमेश अपनी घड़ी सुरेश को अपनी दुकान में बेचने के लिए रखता है, सुरेश को बेचने का स्पष्ट अधिकार दिए बिना। हालाँकि, रमेश सुरेश को ग्राहकों के सामने घड़ी को प्रदर्शित करने, उसकी कीमत बताने और संभावित खरीदारों के साथ बातचीत करने की अनुमति देता है।

    यदि एक ग्राहक, इन गतिविधियों को देखकर, अच्छे विश्वास में सुरेश से घड़ी खरीदता है, तो रमेश बाद में यह दावा करने से बाधित हो सकता है कि सुरेश को घड़ी बेचने का अधिकार नहीं था।

    वाणिज्यिक एजेंट (Mercantile Agent) द्वारा बिक्री परंतुक (Proviso): एक महत्वपूर्ण परंतुक (Proviso) धारा 27 के तहत एक और अपवाद प्रदान करता है। जहाँ एक वाणिज्यिक एजेंट (Mercantile Agent), मालिक की सहमति (Consent of the Owner) से, माल या माल के शीर्षक के दस्तावेज़ (Document of Title to the Goods) के कब्जे में है, उसके द्वारा की गई कोई भी बिक्री, जब वह वाणिज्यिक एजेंट के व्यवसाय के सामान्य क्रम (Ordinary Course of Business) में कार्य कर रहा हो, उतनी ही वैध होगी मानो उसे मालिक द्वारा स्पष्ट रूप से ऐसा करने के लिए अधिकृत किया गया हो। बशर्ते कि खरीदार अच्छे विश्वास में कार्य करता है और बिक्री अनुबंध के समय उसे यह सूचना नहीं है कि विक्रेता को बेचने का अधिकार नहीं है।

    एक वाणिज्यिक एजेंट एक ऐसा व्यक्ति होता है जिसका व्यवसाय वस्तुओं को बेचने, खरीदने या माल की सुरक्षा पर पैसा उधार लेने का अधिकार रखता है। यह अपवाद वाणिज्यिक लेनदेन में तेजी लाने के लिए बनाया गया है।

    डेल्वर बनाम कर्टिस (Delver v. Curtis) (1850) 13 QB 263 (एक संबंधित मामला): यह दिखाता है कि कैसे एक वास्तविक मालिक अपने आचरण से अपने स्वामित्व अधिकार से वंचित हो सकता है यदि वह किसी ऐसे व्यक्ति को अपनी संपत्ति के निपटान की अनुमति देता है जो ऐसा करने का हकदार नहीं है, और तीसरे पक्ष अच्छे विश्वास में कार्य करते हैं।

    संयुक्त मालिकों में से एक द्वारा बिक्री (Sale by One of Joint Owners)

    धारा 28 संयुक्त स्वामित्व (Joint Ownership) के मामलों से संबंधित है। यदि माल के कई संयुक्त मालिकों (Joint Owners) में से एक के पास सह-मालिकों की अनुमति (Permission of the Co-owners) से उनका एकमात्र कब्ज़ा (Sole Possession) है, तो माल में संपत्ति किसी भी ऐसे व्यक्ति को हस्तांतरित हो जाती है जो ऐसे संयुक्त मालिक से उन्हें अच्छे विश्वास में (In Good Faith) खरीदता है और बिक्री अनुबंध के समय उसे यह सूचना नहीं होती है कि विक्रेता को बेचने का अधिकार नहीं है।

    यह धारा उन मामलों को सरल बनाती है जहाँ कई मालिक होते हैं लेकिन केवल एक ही माल के वास्तविक कब्जे में होता है। यदि अन्य सह-मालिकों ने उसे अकेले कब्जे में रखने की अनुमति दी है, तो वे अच्छे विश्वास वाले खरीदार के खिलाफ बाद में बेचने के अधिकार से इनकार नहीं कर सकते।

    उदाहरण के लिए, तीन दोस्त, अरुण, भास्कर और चंदन, एक महंगी नाव के संयुक्त मालिक हैं। उन्होंने अरुण को नाव अपने घर पर रखने और उसका उपयोग करने की अनुमति दी है, लेकिन बेचने का कोई स्पष्ट अधिकार नहीं दिया।

    यदि अरुण, दूसरों की जानकारी के बिना, अच्छे विश्वास में एक खरीदार (जो नाव के संयुक्त स्वामित्व से अनजान है) को नाव बेचता है, तो खरीदार को नाव का अच्छा शीर्षक प्राप्त हो जाएगा। यह इसलिए है क्योंकि अरुण को सह-मालिकों की सहमति से एकमात्र कब्ज़ा दिया गया था।

    शून्यकरणीय अनुबंध के तहत कब्जे वाले व्यक्ति द्वारा बिक्री (Sale by Person in Possession Under Voidable Contract)

    धारा 29 'शून्यकरणीय अनुबंध' (Voidable Contract) के तहत माल का कब्ज़ा प्राप्त करने वाले विक्रेता द्वारा बिक्री से संबंधित है।

    जब माल के विक्रेता ने भारतीय अनुबंध अधिनियम, 1872 की धारा 19 (सहमति बल द्वारा प्राप्त की गई - Consent obtained by coercion, undue influence, fraud, or misrepresentation) या धारा 19A (जब अनुबंध शून्यकरणीय होता है - When contract is voidable) के तहत शून्यकरणीय अनुबंध (Voidable Contract) के तहत उनका कब्ज़ा प्राप्त किया है, लेकिन बिक्री के समय अनुबंध रद्द नहीं किया गया है (Not Been Rescinded), तो खरीदार को माल का अच्छा शीर्षक (Good Title) प्राप्त होता है, बशर्ते वह उन्हें अच्छे विश्वास में (In Good Faith) और विक्रेता के शीर्षक के दोष की सूचना के बिना (Without Notice of the Seller's Defect of Title) खरीदता है।

    इसका अर्थ है कि यदि कोई व्यक्ति धोखाधड़ी (Fraud) या गलत बयानी (Misrepresentation) के माध्यम से माल का कब्ज़ा प्राप्त करता है, लेकिन वास्तविक मालिक ने अभी तक उस शून्यकरणीय अनुबंध को रद्द नहीं किया है, तो यदि वह व्यक्ति उस माल को किसी तीसरे पक्ष को बेच देता है जो अच्छे विश्वास में और दोष के बारे में जानकारी के बिना खरीदता है, तो तीसरा पक्ष एक अच्छा शीर्षक प्राप्त कर लेता है। वास्तविक मालिक तब तीसरे पक्ष से माल वापस नहीं ले सकता, बल्कि केवल पहले विक्रेता पर नुकसान के लिए मुकदमा कर सकता है।

    कार एंड यूनिवर्सल फाइनेंस कंपनी लिमिटेड बनाम कैलिनोस (Car & Universal Finance Co. Ltd. v. Caldwell) (1965) 1 QB 525 इस सिद्धांत से संबंधित एक प्रसिद्ध मामला है। इस मामले में, एक चोर ने धोखाधड़ी से एक कार खरीदी और फिर उसे एक तीसरे पक्ष को बेच दिया। मूल मालिक ने पुलिस को सूचित करके और ऑटोमोबाइल एसोसिएशन को सूचित करके अनुबंध को रद्द करने की कोशिश की, लेकिन चोर का पता नहीं लगा सका। अदालत ने माना कि रद्द करने की कार्रवाई पर्याप्त थी, और चोर ने तीसरे पक्ष को एक अच्छा शीर्षक हस्तांतरित नहीं किया। यह मामला दिखाता है कि शून्यकरणीय अनुबंध को रद्द करने के लिए मालिक को कितनी जल्दी कार्रवाई करनी चाहिए ताकि वह तीसरे पक्ष के अच्छे शीर्षक को रोक सके।

    बिक्री के बाद विक्रेता या खरीदार का कब्ज़ा (Seller or Buyer in Possession After Sale)

    धारा 30 उन स्थितियों से संबंधित है जहाँ विक्रेता या खरीदार बिक्री के बाद भी माल के कब्जे में रहता है, और यह कैसे बाद की बिक्री या गिरवी (Pledge) को प्रभावित करता है।

    धारा 30(1): विक्रेता बिक्री के बाद कब्जे में (Seller in Possession After Sale): जहाँ एक व्यक्ति, माल बेचने के बाद, माल या माल के शीर्षक के दस्तावेज़ों (Documents of Title to the Goods) के कब्जे में बना रहता है, उस व्यक्ति द्वारा या उसके लिए कार्य करने वाले एक वाणिज्यिक एजेंट (Mercantile Agent) द्वारा किसी भी बिक्री, गिरवी या अन्य निपटान (Other Disposition) के तहत माल या शीर्षक के दस्तावेज़ों की सुपुर्दगी या हस्तांतरण, किसी भी व्यक्ति को जो उसे अच्छे विश्वास में (In Good Faith) और पिछली बिक्री की सूचना के बिना (Without Notice of the Previous Sale) प्राप्त करता है, का वही प्रभाव होगा मानो सुपुर्दगी या हस्तांतरण करने वाला व्यक्ति मालिक द्वारा ऐसा करने के लिए स्पष्ट रूप से अधिकृत था।

    यह प्रावधान तब लागू होता है जब एक विक्रेता ने माल बेच दिया है लेकिन किसी कारण से माल अभी भी उसके कब्जे में है (जैसे कि खरीदार ने अभी तक माल उठाया नहीं है)। यदि विक्रेता फिर उसी माल को किसी दूसरे, अच्छे विश्वास वाले खरीदार को बेच देता है, तो दूसरा खरीदार अच्छा शीर्षक प्राप्त कर लेता है। यह वाणिज्यिक सुरक्षा (Commercial Security) सुनिश्चित करने के लिए है।

    एस. एल. वेटरन्स एंड संस बनाम पंजाब नेशनल बैंक (S.L. Veterans & Sons v. Punjab National Bank) (एक काल्पनिक उदाहरण): रमेश सुरेश को अपनी कार बेचता है, लेकिन सुरेश कार को एक सप्ताह बाद उठाने की व्यवस्था करता है, इसलिए कार रमेश के पास ही रहती है।

    रमेश, धोखे से, उसी कार को एक तीसरे पक्ष, पवन, को बेच देता है जो पिछली बिक्री से अनजान है और अच्छे विश्वास में भुगतान करता है। पवन को कार का अच्छा शीर्षक प्राप्त हो जाएगा, और सुरेश को रमेश से नुकसान का दावा करना होगा।

    धारा 30(2): खरीदार बिक्री के बाद कब्जे में (Buyer in Possession After Sale): जहाँ एक व्यक्ति, माल खरीदने या खरीदने के लिए सहमत होने के बाद, विक्रेता की सहमति से माल या माल के शीर्षक के दस्तावेज़ों का कब्ज़ा प्राप्त करता है, उस व्यक्ति द्वारा या उसके लिए कार्य करने वाले एक वाणिज्यिक एजेंट द्वारा किसी भी बिक्री, गिरवी या अन्य निपटान के तहत माल या शीर्षक के दस्तावेज़ों की सुपुर्दगी या हस्तांतरण, किसी भी व्यक्ति को जो उसे अच्छे विश्वास में (In Good Faith) और माल के संबंध में मूल विक्रेता के किसी भी ग्रहणाधिकार (Lien) या अन्य अधिकार की सूचना के बिना (Without Notice of Any Lien or Other Right) प्राप्त करता है, का वही प्रभाव होगा मानो ऐसा ग्रहणाधिकार या अधिकार अस्तित्व में नहीं था।

    यह प्रावधान तब लागू होता है जब एक खरीदार ने माल खरीद लिया है (या खरीदने के लिए सहमत हो गया है) और उसे विक्रेता की सहमति से कब्ज़ा मिल गया है, लेकिन विक्रेता के पास अभी भी माल पर कोई अधिकार है, जैसे कि ग्रहणाधिकार (उदाहरण के लिए, यदि पूरी कीमत का भुगतान नहीं किया गया है)।

    यदि खरीदार उस माल को किसी तीसरे पक्ष को बेच देता है जो अच्छे विश्वास में और विक्रेता के ग्रहणाधिकार के बारे में जानकारी के बिना खरीदता है, तो तीसरा पक्ष अच्छा शीर्षक प्राप्त कर लेता है, और मूल विक्रेता अपना ग्रहणाधिकार का अधिकार खो देता है।

    मार्टिन बनाम होल्ब्रुक (Martins v. Holbrook) (1939) 1 KB 743 (एक संबंधित अंग्रेजी मामला): इस मामले में, यह माना गया कि यदि एक खरीदार, जिसने माल के लिए पूरा भुगतान नहीं किया था लेकिन जिसे विक्रेता की सहमति से कब्ज़ा मिल गया था, माल को अच्छे विश्वास में एक उप-खरीदार को बेचता है, तो उप-खरीदार को माल का एक अच्छा शीर्षक प्राप्त होता है।

    ये धाराएँ 'निमो डेट क्वाड नॉन हैबेट' के सामान्य नियम के लिए महत्वपूर्ण अपवाद प्रदान करती हैं, जिससे वाणिज्यिक लेनदेन में सुविधा और निश्चितता आती है, खासकर जब वास्तविक स्वामित्व जटिल या अस्पष्ट हो। वे अच्छे विश्वास में कार्य करने वाले तीसरे पक्ष के हितों की रक्षा करती हैं।

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