जल अधिनियम 1974 की धारा 26 से 28 : मौजूदा अपशिष्ट निकासी, सहमति का अस्वीकरण और अपील

Himanshu Mishra

30 Aug 2025 6:17 PM IST

  • जल अधिनियम 1974 की धारा 26 से 28 : मौजूदा अपशिष्ट निकासी, सहमति का अस्वीकरण और अपील

    धारा 26 : मौजूदा निकासी से संबंधित प्रावधान (Provision Regarding Existing Discharge of Sewage or Trade Effluent)

    इस धारा में यह स्पष्ट किया गया है कि यदि इस अधिनियम (Act) के लागू होने से ठीक पहले कोई व्यक्ति किसी भी प्रकार का अपशिष्ट जल (Sewage) या औद्योगिक अपशिष्ट (Trade Effluent) किसी धारा (Stream), कुएँ (Well), नाले (Sewer) या भूमि (Land) में प्रवाहित कर रहा था, तो ऐसे मामलों में भी धारा 25 के प्रावधान लागू होंगे।

    अर्थात, जैसे नए उद्योग या नई निकासी के लिए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (State Board) से सहमति लेना आवश्यक है, वैसे ही उन व्यक्तियों को भी सहमति प्राप्त करनी होगी, जो पहले से अपशिष्ट जल या औद्योगिक अपशिष्ट का निकास कर रहे थे।

    यहाँ एक विशेष संशोधन (Modification) किया गया है कि इन व्यक्तियों को सहमति प्राप्त करने हेतु आवेदन (Application for Consent) राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित (Notification in Official Gazette) तिथि तक करना होगा। इस प्रकार, मौजूदा निकासी भी कानून के अंतर्गत नियंत्रित रहेगी और बिना अनुमति के प्रदूषण जारी रखने की छूट नहीं होगी।

    धारा 27 : राज्य बोर्ड द्वारा सहमति का अस्वीकरण या वापसी (Refusal or Withdrawal of Consent by State Board)

    इस धारा के अनुसार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को यह अधिकार दिया गया है कि वह किसी भी उद्योग, प्रक्रिया, उपचार एवं निपटान प्रणाली (Treatment and Disposal System), या निकासी बिंदु (Outlet) को अनुमति देने से इंकार कर सकता है यदि वह बोर्ड द्वारा निर्धारित शर्तों का पालन नहीं करता।

    विशेष रूप से यह प्रावधान है कि बोर्ड तभी सहमति देगा जब संबंधित उद्योग या प्रणाली इस प्रकार से स्थापित हो कि बोर्ड को अपशिष्ट (Effluent) का नमूना लेने (Sample Collection) का अधिकार प्रभावी ढंग से मिल सके।

    इसके अतिरिक्त, बोर्ड समय-समय पर निम्नलिखित की समीक्षा (Review) कर सकता है :

    • धारा 25 और धारा 26 के अंतर्गत लगाई गई किसी भी शर्त (Condition) में संशोधन (Variation) या उसे रद्द (Revocation) करना।

    • पहले दिए गए सहमति अस्वीकरण (Refusal of Consent) या बिना शर्त के दिए गए सहमति आदेश की समीक्षा करना और आवश्यक आदेश पारित करना।

    यह भी स्पष्ट किया गया है कि जब तक शर्तें संशोधित या निरस्त नहीं की जातीं, वे प्रभावी बनी रहेंगी। इस प्रकार बोर्ड के पास निगरानी और नियंत्रण बनाए रखने का सतत अधिकार है।

    धारा 28 : अपील का अधिकार (Appeals)

    यदि किसी व्यक्ति को राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आदेश (Order) से असहमति हो, जो धारा 25, 26 या 27 के अंतर्गत पारित किया गया हो, तो उसे अपील (Appeal) करने का अधिकार है।

    इस धारा में निम्नलिखित व्यवस्था दी गई है :

    1. अपील दाखिल करने की अवधि (Time Limit for Appeal):

    o आदेश प्राप्त होने की तारीख से 30 दिन के भीतर अपील की जा सकती है।

    o यदि उचित कारण हो तो अपीलीय प्राधिकरण (Appellate Authority) 30 दिन की समय सीमा समाप्त होने के बाद भी अपील स्वीकार कर सकता है।

    2. अपील प्राधिकरण (Appellate Authority):

    o राज्य सरकार अपीलीय प्राधिकरण का गठन करती है।

    o यह प्राधिकरण या तो एक सदस्यीय (Single Person) हो सकता है या तीन सदस्यीय समिति (Three Members) हो सकती है।

    3. प्रक्रिया और शुल्क (Procedure and Fees):

    o अपील दाखिल करने का प्रारूप (Form),

    o शुल्क (Fees),

    o और पूरी कार्यवाही की प्रक्रिया राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित नियमों के अनुसार होगी।

    4. सुनवाई (Hearing) और निर्णय (Decision):

    o अपीलीय प्राधिकरण अपीलकर्ता (Appellant) और राज्य बोर्ड दोनों को सुनवाई का अवसर देगा।

    o इसके बाद वह यथाशीघ्र (Expeditiously) निर्णय देगा।

    इस प्रकार, यह धारा यह सुनिश्चित करती है कि यदि कोई व्यक्ति राज्य बोर्ड के निर्णय से असंतुष्ट है, तो उसे न्याय पाने के लिए एक उचित मंच उपलब्ध हो।

    धारा 26, 27 और 28 सामूहिक रूप से एक महत्वपूर्ण ढाँचा प्रदान करती हैं।

    • धारा 26 यह सुनिश्चित करती है कि पुराने प्रदूषण स्रोत भी कानून के नियंत्रण में आएँ।

    • धारा 27 राज्य बोर्ड को यह अधिकार देती है कि वह निगरानी करते हुए सहमति देने से इंकार कर सके या पहले दी गई सहमति वापस ले सके।

    • धारा 28 नागरिकों या उद्योगों को यह अधिकार देती है कि यदि वे बोर्ड के आदेश से असंतुष्ट हैं तो वे अपील कर सकें।

    इन प्रावधानों का उद्देश्य है – पानी प्रदूषण (Water Pollution) पर प्रभावी नियंत्रण बनाए रखना, प्रशासनिक पारदर्शिता सुनिश्चित करना और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना।

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