भारतीय प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 22 और 26 : CCI की बैठकों की प्रक्रिया और जांच की प्रक्रिया
Himanshu Mishra
8 Aug 2025 4:41 PM IST

हमने पिछले खंडों में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (Competition Commission of India - CCI) के गठन और शक्तियों के बारे में सीखा। अब, भारतीय प्रतिस्पर्धा अधिनियम का अध्याय IV (Chapter IV) CCI के कामकाज के आंतरिक नियमों और जांच की प्रक्रिया पर ध्यान केंद्रित करता है। धारा 22 (Section 22) CCI की बैठकों के संचालन के तरीके को परिभाषित करती है, जबकि धारा 26 (Section 26) Competition-विरोधी मामलों की जांच के लिए एक विस्तृत प्रक्रिया निर्धारित करती है।
धारा 22: आयोग की बैठकें (Meetings of the Commission)
धारा 22(1) CCI की बैठकों के संचालन के लिए सामान्य नियम निर्धारित करती है। आयोग ऐसी समय और स्थानों पर बैठक करेगा, और अपनी बैठकों में व्यापार के लेनदेन के संबंध में ऐसे नियमों और प्रक्रियाओं का पालन करेगा जो विनियमों (regulations) द्वारा प्रदान किए जा सकते हैं। इसका मतलब है कि CCI अपने कामकाज के लिए अपने नियम खुद बना सकता है।
धारा 22(2) बताती है कि अगर अध्यक्ष (Chairperson) किसी कारण से बैठक में शामिल नहीं हो पाते, तो बैठक में उपस्थित सबसे वरिष्ठ सदस्य (senior-most Member) बैठक की अध्यक्षता करेंगे। यह सुनिश्चित करता है कि अध्यक्ष की अनुपस्थिति में भी CCI का काम जारी रहे।
धारा 22(3) में मतदान (voting) और quorum (कोरम) से संबंधित महत्वपूर्ण नियम हैं। आयोग की किसी भी बैठक में सभी प्रश्नों का निर्णय उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के बहुमत (majority) से किया जाएगा। यदि वोटों की बराबरी (equality of votes) होती है, तो अध्यक्ष, या उनकी अनुपस्थिति में, बैठक की अध्यक्षता करने वाले सदस्य को दूसरा या निर्णायक मत (casting vote) देने का अधिकार होगा।
इसका मतलब है कि टाई होने पर अध्यक्ष का वोट निर्णायक होगा। इस खंड में एक प्रावधान (proviso) भी है कि ऐसी बैठक के लिए कोरम (quorum) तीन सदस्य होंगे। यानी, बैठक तभी वैध मानी जाएगी जब कम से कम तीन सदस्य उपस्थित हों।
धारा 26: धारा 19 के तहत जांच की प्रक्रिया (Procedure for Inquiry under Section 19)
धारा 26 वह विस्तृत मार्गदर्शिका है जिसका CCI Competition-विरोधी समझौतों और प्रमुख स्थिति के दुरुपयोग के मामलों की जांच करते समय पालन करता है।
धारा 26(1) में बताया गया है कि CCI को सरकार से रेफरेंस या अपनी खुद की जानकारी पर कोई सूचना मिलने पर, यदि आयोग की राय है कि प्रथम दृष्टया मामला (prima facie case) मौजूद है, तो वह महानिदेशक (Director General) को मामले की जांच करने का निर्देश देगा।
• उदाहरण: CCI को एक गुमनाम शिकायत मिली कि कुछ बड़ी सीमेंट कंपनियाँ मिलीभगत करके कीमतें तय कर रही हैं। यदि CCI को लगता है कि शिकायत में दम है, तो वह तुरंत महानिदेशक को जांच का आदेश देगा।
• समान जानकारी का प्रावधान: यदि कोई नई जानकारी पिछली जानकारी के समान है, तो उसे पिछली जानकारी के साथ जोड़ा जा सकता है, जिससे अनावश्यक पुनरावृत्ति से बचा जा सके।
धारा 26(2) में बताया गया है कि यदि CCI की राय है कि प्रथम दृष्टया कोई मामला नहीं बनता है, तो वह मामले को तुरंत बंद कर देगा और एक आदेश पारित करेगा। इस आदेश की एक प्रति संबंधित पक्षों और सरकार को भेजी जाएगी।
धारा 26(3) के अनुसार, महानिदेशक को CCI से निर्देश मिलने के बाद, उन्हें आयोग द्वारा निर्दिष्ट अवधि के भीतर अपनी जांच पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।
धारा 26(4) के तहत, CCI महानिदेशक की रिपोर्ट की एक प्रति संबंधित पक्षों को भेज सकता है। यदि जांच सरकार या किसी वैधानिक प्राधिकरण के रेफरेंस के आधार पर की गई थी, तो रिपोर्ट की एक प्रति उन्हें भी भेजी जाएगी।
धारा 26(5), (6) और (7) उन स्थितियों से निपटती हैं जहाँ महानिदेशक की रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकलता है कि अधिनियम का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है।
• धारा 26(5): यदि रिपोर्ट में कोई उल्लंघन न होने की सिफारिश की जाती है, तो CCI संबंधित पक्षों से रिपोर्ट पर आपत्ति या सुझाव आमंत्रित करेगा।
• धारा 26(6): यदि आपत्तियों और सुझावों पर विचार करने के बाद CCI महानिदेशक की सिफारिश से सहमत है, तो वह मामले को बंद कर देगा।
• धारा 26(7): यदि CCI को लगता है कि और जांच की आवश्यकता है, तो वह महानिदेशक को आगे की जांच का निर्देश दे सकता है या खुद आगे की जांच कर सकता है।
धारा 26(8) में बताया गया है कि यदि महानिदेशक की रिपोर्ट में यह सिफारिश की जाती है कि अधिनियम का उल्लंघन हुआ है, और CCI को लगता है कि आगे की जांच की आवश्यकता है, तो वह अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार उल्लंघन की जांच करेगा।
भारतीय प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 22 और 26 CCI के प्रभावी और निष्पक्ष संचालन के लिए एक मजबूत ढाँचा प्रदान करती हैं। धारा 22 यह सुनिश्चित करती है कि CCI की बैठकें व्यवस्थित तरीके से हों, जबकि धारा 26 यह सुनिश्चित करती है कि Competition-विरोधी मामलों की जांच एक पारदर्शी और विस्तृत प्रक्रिया का पालन करे।
यह प्रक्रिया महानिदेशक को जांच करने का अधिकार देती है, और साथ ही CCI को जांच की दिशा तय करने और अंतिम निर्णय लेने की शक्ति भी देती है। यह संतुलन CCI को एक शक्तिशाली और जवाबदेह नियामक निकाय बनाता है।

