जल अधिनियम, 1974 की धारा 21 और 22: नमूने लेने और उनकी जाँच रिपोर्ट से जुड़ी प्रक्रिया
Himanshu Mishra
27 Aug 2025 6:04 PM IST

धारा 21: प्रदूषक (Effluents) के नमूने लेने की शक्ति और प्रक्रिया
नमूने लेने का अधिकार (Power to take samples)
राज्य बोर्ड (State Board) या उसका अधिकृत अधिकारी किसी भी धारा (Stream), कुएँ (Well), या किसी संयंत्र (Plant) या पोत (Vessel) से निकल रहे सीवेज (Sewage) अथवा औद्योगिक अपशिष्ट (Trade Effluent) का नमूना विश्लेषण (Analysis) के लिए ले सकता है। उदाहरण के तौर पर, अगर कोई फैक्ट्री नदी में गंदा पानी डाल रही है, तो राज्य बोर्ड का अधिकारी वहाँ से पानी का नमूना लेकर जाँच कर सकता है।
विश्लेषण की रिपोर्ट का सबूत में उपयोग (Admissibility of evidence)
यदि नमूना जाँच के लिए लिया गया है तो उसकी रिपोर्ट किसी अदालत (Court) में सबूत (Evidence) के रूप में तभी मान्य होगी जब धारा 21 की उपधारा (3), (4) और (5) में बताए गए नियमों का पालन किया गया हो।
नमूना लेने की विस्तृत प्रक्रिया (Procedure for taking samples)
जब कोई अधिकारी किसी औद्योगिक अपशिष्ट या सीवेज का नमूना लेता है, तो उसे कुछ ज़रूरी कदम उठाने होते हैं
1. वह अधिकारी तुरंत उस स्थान के प्रभारी (Occupier) या उसके एजेंट (Agent) को नोटिस देता है कि नमूना जाँच के लिए लिया जा रहा है।
2. अधिकारी और प्रभारी/एजेंट की मौजूदगी में उस नमूने को दो हिस्सों में बाँटा जाता है।
3. दोनों हिस्से अलग-अलग डिब्बों (Containers) में रखकर सील (Seal) किया जाता है और उन पर हस्ताक्षर (Signatures) होते हैं।
4. पहला डिब्बा तुरंत प्रयोगशाला (Laboratory) भेजा जाता है।
o अगर क्षेत्र केंद्र शासित प्रदेश (Union Territory) है, तो नमूना केंद्रीय बोर्ड (Central Board) की मान्यता प्राप्त प्रयोगशाला जाएगा।
o अगर क्षेत्र राज्य का है, तो नमूना राज्य बोर्ड (State Board) की मान्यता प्राप्त प्रयोगशाला में जाएगा।
5. यदि प्रभारी/एजेंट चाहे तो दूसरा डिब्बा किसी अन्य सरकारी प्रयोगशाला (Govt. Laboratory) में भेजा जा सकता है।
जब प्रभारी अनुपस्थित हो (Wilful absence of occupier)
अगर नमूना लेते समय अधिकारी ने नोटिस दिया हो और फैक्ट्री का प्रभारी या उसका एजेंट जानबूझकर अनुपस्थित हो, तो अधिकारी खुद नमूना सील करके प्रयोगशाला भेज देगा। ऐसी स्थिति में जाँच का खर्चा (Cost) फैक्ट्री मालिक या एजेंट से वसूला जाएगा। परंतु उसे पहले अपनी बात रखने का अवसर (Opportunity of being heard) दिया जाएगा।
जब नमूना विभाजित न किया जाए (Failure to demand division)
यदि प्रभारी या एजेंट नमूना बाँटने की माँग ही नहीं करता, तो अधिकारी पूरा नमूना एक ही डिब्बे में सील करके सीधे प्रयोगशाला भेज देगा। उस स्थिति में आगे कोई विवाद उठाने का अधिकार नहीं रहेगा।
धारा 22: विश्लेषण रिपोर्ट की प्रक्रिया (Reports of the result of analysis)
प्रयोगशाला की रिपोर्ट (Laboratory Report)
जब कोई नमूना जाँच के लिए केंद्रीय बोर्ड या राज्य बोर्ड की प्रयोगशाला में भेजा जाता है, तो वहाँ का विश्लेषक (Analyst) रिपोर्ट तैयार करता है। यह रिपोर्ट त्रिपlicate (Triplicate – तीन प्रतियों) में दी जाती है।
रिपोर्ट का वितरण (Distribution of report)
रिपोर्ट की तीन प्रतियाँ इस प्रकार उपयोग होती हैं-
1. एक प्रति बोर्ड द्वारा फैक्ट्री मालिक/प्रभारी को भेजी जाती है।
2. दूसरी प्रति अदालत (Court) में भविष्य के मुकदमे (Legal Proceedings) के लिए सुरक्षित रखी जाती है।
3. तीसरी प्रति स्वयं बोर्ड अपने अभिलेख (Records) में रखता है।
सरकारी प्रयोगशाला की रिपोर्ट (Report from Govt. Lab)
यदि नमूना धारा 21 की उपधारा (3) या (4) के तहत किसी अन्य सरकारी प्रयोगशाला में भेजा गया है, तो उस प्रयोगशाला का सरकारी विश्लेषक रिपोर्ट बनाकर उसी तरह त्रिपlicate प्रतियों में बोर्ड को भेजता है।
विभिन्न रिपोर्टों में अंतर (Discrepancy in reports)
अगर केंद्रीय/राज्य बोर्ड की प्रयोगशाला और सरकारी प्रयोगशाला की रिपोर्टों में कोई विरोधाभास (Discrepancy) निकलता है, तो सरकारी प्रयोगशाला की रिपोर्ट को अंतिम और मान्य माना जाएगा।
खर्च की ज़िम्मेदारी (Responsibility of expenses)
यदि नमूना प्रभारी/एजेंट के अनुरोध पर सरकारी प्रयोगशाला भेजा गया है, तो उसका खर्च वही चुकाएगा। यदि भुगतान नहीं किया गया तो यह बकाया (Arrears) ज़मीन राजस्व (Land Revenue) या सार्वजनिक मांग (Public Demand) की तरह वसूला जाएगा।
उदाहरण द्वारा समझना (Illustration with Example)
मान लीजिए किसी शहर की चमड़ा फैक्ट्री (Tannery) नाले में गंदा पानी डाल रही है। राज्य बोर्ड का अधिकारी फैक्ट्री पर पहुँचकर नोटिस देता है और फैक्ट्री के प्रभारी की मौजूदगी में पानी का नमूना लेता है। वह नमूने को दो भागों में बाँटकर सील करता है। एक हिस्सा राज्य बोर्ड की प्रयोगशाला जाता है और दूसरा प्रभारी की माँग पर किसी अन्य सरकारी प्रयोगशाला को भेजा जाता है।
अगर बाद में दोनों प्रयोगशालाओं की रिपोर्ट अलग-अलग आई मान लीजिए बोर्ड की लैब ने पानी को “थोड़ा प्रदूषित” बताया और सरकारी लैब ने “गंभीर रूप से प्रदूषित” कहा तो सरकारी लैब की रिपोर्ट को सही माना जाएगा।
इस तरह यह पूरी प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि नमूने की जाँच पारदर्शी (Transparent) और निष्पक्ष (Fair) ढंग से हो और अदालत में सबूत मान्य रहे।

