वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1981 की धारा 19-20 : वायु प्रदूषण नियंत्रण क्षेत्रों की घोषणा और विनियमन
Himanshu Mishra
4 Aug 2025 4:44 PM IST

वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1981, का अध्याय IV, वायु प्रदूषण को सक्रिय रूप से रोकने और नियंत्रित करने के लिए राज्य सरकार की विशिष्ट शक्तियों (Specific Powers) को रेखांकित करता है।
ये धाराएँ सरकार को सख्त प्रदूषण नियंत्रण (Stricter Pollution Control) के लिए विशिष्ट क्षेत्रों (Specific Areas) को नामित करने और प्रदूषण के स्रोतों (Sources of Pollution), जैसे कुछ ईंधन, उपकरण और यहाँ तक कि सामग्री को जलाने पर भी प्रतिबंध लगाने का अधिकार देती हैं।
यह अधिनियम ऑटोमोबाइल (Automobiles) से होने वाले उत्सर्जन मानकों (Emission Standards) को लागू करने के लिए एक स्पष्ट कमांड की श्रृंखला (Chain of Command) भी स्थापित करता है, जो शहरी वायु प्रदूषण का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।
वायु प्रदूषण नियंत्रण क्षेत्रों की घोषणा और विनियमन (Declaring and Regulating Air Pollution Control Areas)
धारा 19 राज्य सरकार (State Government) को वायु प्रदूषण नियंत्रण क्षेत्रों (Air Pollution Control Areas) को बनाने और प्रबंधित करने का अधिकार देती है। यह शक्ति प्रदूषण प्रबंधन के लिए एक लक्षित दृष्टिकोण (Targeted Approach) के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण (Crucial Tool) है।
राज्य सरकार, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (State Pollution Control Board) के परामर्श (Consulting) के बाद, आधिकारिक राजपत्र (Official Gazette) में एक अधिसूचना (Notification) के माध्यम से राज्य के भीतर किसी भी क्षेत्र को वायु प्रदूषण नियंत्रण क्षेत्र के रूप में घोषित कर सकती है।
यह सरकार को अपने नियामक प्रयासों (Regulatory Efforts) को विशिष्ट क्षेत्रों पर केंद्रित करने की अनुमति देता है, जैसे कि भारी औद्योगीकृत क्षेत्र (Heavily Industrialized Zones) या घनी आबादी वाले शहर (Densely Populated Cities), जहाँ प्रदूषण नियंत्रण की आवश्यकता सबसे अधिक है।
अधिनियम इन क्षेत्रों को प्रबंधित करने के लिए लचीलापन (Flexibility) भी प्रदान करता है। राज्य सरकार, फिर से राज्य बोर्ड से परामर्श करने के बाद, मौजूदा वायु प्रदूषण नियंत्रण क्षेत्र को उसके आकार को बढ़ाकर या घटाकर बदल (Alter) सकती है।
यह नए क्षेत्र भी बना सकती है, संभावित रूप से एक या अधिक मौजूदा क्षेत्रों या उनके कुछ हिस्सों को मिलाकर। यह सुनिश्चित करता है कि इन क्षेत्रों की सीमाओं को बदलते जनसांख्यिकीय (Demographic) और औद्योगिक परिदृश्य (Industrial Landscapes) के अनुसार ढाला जा सके।
इसके अलावा, इन घोषित क्षेत्रों के भीतर, राज्य सरकार के पास प्रदूषण को रोकने के लिए विशिष्ट प्रतिबंध (Specific Prohibitions) लगाने की शक्ति है। उदाहरण के लिए, यदि सरकार का मानना है कि एक विशेष ईंधन (Fuel), एक अनुमोदित ईंधन (Approved Fuel) के अलावा, वायु प्रदूषण का कारण बन रहा है या होने की संभावना है, तो वह राज्य बोर्ड से परामर्श करने के बाद, उसके उपयोग पर रोक लगा सकती है। यह प्रतिबंध एक आधिकारिक राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से किया जाता है और एक निर्दिष्ट तिथि (Specified Date) से प्रभावी होता है, जिससे लोगों को आवश्यक बदलाव करने के लिए तीन महीने से कम का उचित नोटिस (Reasonable Notice) नहीं मिलता है।
इसी तरह, यदि सरकार यह निर्धारित करती है कि एक नियंत्रण क्षेत्र में किसी निश्चित उपकरण (Appliance) का उपयोग प्रदूषण का कारण बन सकता है, तो वह एक निर्दिष्ट तिथि से उस उपकरण के उपयोग पर रोक लगा सकती है। यह आवासीय या वाणिज्यिक स्रोतों से होने वाले प्रदूषण को संबोधित करने के लिए एक व्यावहारिक उपाय (Practical Measure) है।
अधिनियम इन क्षेत्रों में किसी भी सामग्री (जो ईंधन न हो) को जलाने पर भी रोक लगाने की अनुमति देता है यदि इससे वायु प्रदूषण होने की संभावना है। यह कृषि अपशिष्ट (Agricultural Waste) या कचरा जलाने जैसी प्रथाओं को रोकने के लिए एक सीधा उपाय है।
ऑटोमोबाइल उत्सर्जन मानकों को लागू करना (Enforcing Automobile Emission Standards)
धारा 20 ऑटोमोबाइल से होने वाले वायु प्रदूषण के महत्वपूर्ण मुद्दे को संबोधित करती है। यह यह सुनिश्चित करने के लिए एक स्पष्ट कानूनी ढाँचा (Legal Framework) प्रदान करती है कि वाहन धारा 17(1)(g) के तहत राज्य बोर्ड द्वारा निर्धारित उत्सर्जन मानकों का पालन करें।
इन मानकों को पूरा किया जाए, इस लक्ष्य के साथ, राज्य सरकार, राज्य बोर्ड के परामर्श से, मोटर वाहन अधिनियम, 1939 के तहत मोटर वाहनों के पंजीकरण (Registration) के प्रभारी संबंधित प्राधिकरण (Concerned Authority) को आवश्यक निर्देश (Necessary Instructions) जारी करने के लिए सशक्त (Empowered) है। यह प्राधिकरण, आमतौर पर क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (Regional Transport Office - RTO) या इसी तरह का निकाय, वाहन पंजीकरण के लिए जिम्मेदार है।
यह धारा निर्दिष्ट करती है कि यह प्राधिकरण मोटर वाहन अधिनियम या उसके तहत बनाए गए नियमों में निहित किसी भी चीज के बावजूद, ऐसे निर्देशों का पालन करने के लिए बाध्य है।
यह प्रावधान पर्यावरण नियामक (Environmental Regulator) (राज्य बोर्ड) और वाहन पंजीकरण प्राधिकरण के बीच एक सीधा संबंध स्थापित करता है, यह सुनिश्चित करता है कि निर्धारित उत्सर्जन मानक वाहन पंजीकरण और अनुपालन प्रक्रिया का एक अनिवार्य हिस्सा हैं, जिससे वाहनों से होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए प्रवर्तन तंत्र (Enforcement Mechanism) मजबूत होता है।

