Sales of Goods Act, 1930 की धारा 18 से 22 तक - अनुबंध के प्रभाव और संपत्ति का हस्तांतरण
Himanshu Mishra
26 Jun 2025 11:22 AM

माल विक्रय अधिनियम (Sales of Goods Act), 1930 का अध्याय III अनुबंध के प्रभावों (Effects of the Contract) से संबंधित है, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण पहलू विक्रेता (Seller) और खरीदार (Buyer) के बीच माल में संपत्ति का हस्तांतरण (Transfer of Property in Goods) है।
माल में संपत्ति के हस्तांतरण का समय बहुत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह आमतौर पर जोखिम (Risk) के हस्तांतरण (Passing of Risk) को निर्धारित करता है। जिस पक्ष के पास माल का स्वामित्व (Ownership) होता है, वही आमतौर पर उसके नुकसान या क्षति (Loss or Damage) का जोखिम वहन करता है।
माल का निर्धारित होना आवश्यक (Goods Must Be Ascertained)
धारा 18 एक मौलिक सिद्धांत (Fundamental Principle) स्थापित करती है: जहाँ अनिश्चित माल (Unascertained Goods) की बिक्री का अनुबंध होता है, माल में कोई संपत्ति खरीदार को तब तक हस्तांतरित नहीं होती है जब तक और जब तक माल निर्धारित (Ascertained) नहीं हो जाता।
'अनिश्चित माल' वे होते हैं जिनकी पहचान और सहमति अनुबंध के समय नहीं हुई होती। उदाहरण के लिए, यदि आप एक गोदाम से 100 किलोग्राम चावल खरीदने का अनुबंध करते हैं जिसमें 1000 किलोग्राम चावल है, तो 100 किलोग्राम चावल अनिश्चित है। ज
ब विक्रेता विशेष रूप से आपके लिए 100 किलोग्राम चावल अलग करता है, तो वे निर्धारित हो जाते हैं। इस धारा का मतलब है कि जब तक यह स्पष्ट न हो कि कौन सा विशिष्ट माल अनुबंध का विषय है, तब तक स्वामित्व हस्तांतरित नहीं हो सकता।
ईज़ी ट्रेडर्स बनाम पंजाब नेशनल बैंक (Ezy Traders v. Punjab National Bank) (एक काल्पनिक उदाहरण): यदि एक थोक व्यापारी 500 बैग सीमेंट बेचने का समझौता करता है जो उसके बड़े स्टॉक से आने हैं। जब तक 500 बैग को बाकी स्टॉक से अलग करके चिह्नित नहीं किया जाता, तब तक खरीदार को सीमेंट में कोई स्वामित्व हस्तांतरित नहीं होता। यदि बिना निर्धारित हुए पूरे गोदाम में आग लग जाती है, तो नुकसान विक्रेता का होगा।
संपत्ति का हस्तांतरण जब इरादा हो (Property Passes When Intended to Pass)
धारा 19 बताती है कि विशिष्ट (Specific) या निर्धारित माल (Ascertained Goods) के मामले में संपत्ति कब हस्तांतरित होती है।
धारा 19(1) के अनुसार, जहाँ विशिष्ट या निर्धारित माल की बिक्री का अनुबंध होता है, उनमें संपत्ति खरीदार को ऐसे समय पर हस्तांतरित होती है जैसा कि अनुबंध के पक्षकार उसे हस्तांतरित करने का इरादा रखते हैं (Intend It to Be Transferred)। यह धारा पार्टियों के इरादे को सर्वोच्च महत्व देती है (Gives Paramount Importance to the Intention of the Parties)।
धारा 19(2) स्पष्ट करती है कि पार्टियों के इरादे का पता लगाने के उद्देश्य से, अनुबंध की शर्तों (Terms of the Contract), पार्टियों के आचरण (Conduct of the Parties) और मामले की परिस्थितियों (Circumstances of the Case) पर विचार किया जाएगा। इसका मतलब है कि केवल अनुबंध के लिखित शब्द ही नहीं, बल्कि पार्टियां कैसे कार्य करती हैं और लेनदेन की समग्र स्थिति भी यह निर्धारित करने में मदद करेगी कि उनका इरादा क्या था।
धारा 19(3) आगे कहती है कि जब तक कोई अलग इरादा प्रकट न हो, धारा 20 से 24 में निहित नियम, पार्टियों के इरादे का पता लगाने के लिए नियम हैं कि माल में संपत्ति खरीदार को किस समय हस्तांतरित होनी है। ये नियम एक मार्गदर्शक (Guideline) के रूप में कार्य करते हैं जब पार्टियां स्पष्ट रूप से अपने इरादे को व्यक्त नहीं करती हैं।
पी. एस. दास गुप्ता बनाम भारत संघ (P.S. Das Gupta v. Union of India) (एक प्रासंगिक मामला): इस मामले में, यह माना गया था कि संपत्ति का हस्तांतरण कब होता है, यह मुख्य रूप से पार्टियों के इरादे पर निर्भर करता है, जिसे अनुबंध की शर्तों, पार्टियों के आचरण और मामले की परिस्थितियों से निकाला जा सकता है।
सुपुर्दगी योग्य स्थिति में विशिष्ट माल (Specific Goods in a Deliverable State)
धारा 20 उन विशिष्ट परिस्थितियों में से एक को बताती है जहाँ संपत्ति हस्तांतरित होती है, जब पार्टियों ने कोई विपरीत इरादा व्यक्त नहीं किया हो।
धारा 20 के अनुसार, जहाँ सुपुर्दगी योग्य स्थिति (Deliverable State) में विशिष्ट माल की बिक्री के लिए एक अशर्त अनुबंध (Unconditional Contract) होता है, माल में संपत्ति अनुबंध बनते ही (When the Contract Is Made) खरीदार को हस्तांतरित हो जाती है, और यह अप्रासंगिक (Immaterial) है कि कीमत के भुगतान का समय या माल की सुपुर्दगी का समय, या दोनों, स्थगित (Postponed) हैं।
'सुपुर्दगी योग्य स्थिति' (Deliverable State) का अर्थ है कि माल ऐसी स्थिति में है कि खरीदार उसे अनुबंध के तहत सुपुर्दगी के लिए बाध्य होगा। 'अशर्त अनुबंध' का अर्थ है कि बिक्री पर कोई शर्त नहीं है, जैसे कि परीक्षण पास करना।
उदाहरण के लिए, आप एक दुकान में एक विशिष्ट पेंटिंग देखते हैं जो प्रदर्शन पर है, और आप उसे खरीदने के लिए एक अशर्त अनुबंध करते हैं। जैसे ही आप अनुबंध करते हैं (उदाहरण के लिए, प्रस्ताव और स्वीकृति), पेंटिंग का स्वामित्व आप पर चला जाता है, भले ही आपने अभी तक भुगतान न किया हो या पेंटिंग को अपने घर न ले गए हों। यदि अनुबंध करने के बाद और डिलीवरी से पहले दुकान में आग लग जाती है और पेंटिंग जल जाती है, तो नुकसान आपका होगा क्योंकि स्वामित्व आपके पास हस्तांतरित हो चुका था।
ओखाई मेमन और संस बनाम शाह और कंपनी (Okhai Memon & Sons v. Shah & Co.) (एक प्रासंगिक मामला): इस मामले में, विशिष्ट माल जो सुपुर्दगी योग्य स्थिति में थे, अनुबंध होते ही संपत्ति का हस्तांतरण हो गया था, भले ही भुगतान बाद में होना था।
सुपुर्दगी योग्य स्थिति में लाने के लिए विशिष्ट माल (Specific Goods to be Put into a Deliverable State)
धारा 21 धारा 20 के लिए एक अपवाद (Exception) या अतिरिक्त नियम प्रदान करती है, जब माल तुरंत सुपुर्दगी योग्य स्थिति में नहीं होता है।
धारा 21 के अनुसार, जहाँ विशिष्ट माल की बिक्री के लिए एक अनुबंध होता है और विक्रेता माल पर कुछ करने के लिए बाध्य है (Bound to Do Something to the Goods) ताकि उन्हें सुपुर्दगी योग्य स्थिति में लाया जा सके (Put Them Into a Deliverable State), तो संपत्ति तब तक हस्तांतरित नहीं होती है जब तक कि ऐसी बात नहीं हो जाती है (Is Not Done) और खरीदार को उसकी सूचना नहीं मिल जाती है (Buyer Has Notice Thereof)।
उदाहरण के लिए, आप एक लकड़ी के व्यापारी से एक विशिष्ट लकड़ी का टुकड़ा खरीदते हैं, लेकिन विक्रेता को उसे आपके उपयोग के लिए पॉलिश (Polish) या काटना (Cut) है। जब तक पॉलिशिंग या कटाई पूरी नहीं हो जाती और आपको इसकी सूचना नहीं मिल जाती, तब तक लकड़ी का स्वामित्व आप पर हस्तांतरित नहीं होगा। यदि काम पूरा होने से पहले लकड़ी को नुकसान होता है, तो जोखिम विक्रेता का होगा।
कीमत निर्धारित करने के लिए विक्रेता द्वारा कुछ करना (Seller Has to Do Anything to Ascertain Price)
धारा 22 एक और विशिष्ट परिदृश्य को संबोधित करती है जहाँ विशिष्ट माल सुपुर्दगी योग्य स्थिति में होते हैं, लेकिन कीमत अभी निर्धारित नहीं हुई होती है।
धारा 22 के अनुसार, जहाँ सुपुर्दगी योग्य स्थिति में विशिष्ट माल की बिक्री का अनुबंध होता है, लेकिन विक्रेता कीमत निर्धारित करने के उद्देश्य से (For the Purpose of Ascertaining the Price) माल के संबंध में कुछ वजन करने (Weigh), मापने (Measure), परीक्षण करने (Test) या कोई अन्य कार्य करने या चीज़ करने के लिए बाध्य है, तो संपत्ति तब तक हस्तांतरित नहीं होती है जब तक कि ऐसा कार्य या चीज़ नहीं हो जाती है (Is Not Done) और खरीदार को उसकी सूचना नहीं मिल जाती है (Buyer Has Notice Thereof)।
यह धारा इस सिद्धांत पर आधारित है कि कीमत का पता लगाना अनुबंध का एक मूलभूत हिस्सा है। जब तक कीमत निर्धारित नहीं हो जाती, तब तक पार्टियों का यह इरादा नहीं माना जाता कि संपत्ति हस्तांतरित हो।
उदाहरण के लिए, आप एक कृषि सहकारी समिति (Agricultural Cooperative) से एक विशिष्ट ढेर (Heap) से 500 किलोग्राम आलू खरीदने का अनुबंध करते हैं। आलू सुपुर्दगी योग्य स्थिति में हैं, लेकिन उनकी कीमत वजन पर आधारित है, और अभी तक वजन नहीं किया गया है। जब तक विक्रेता आलू का वजन नहीं करता है और आपको वजन की सूचना नहीं देता है, तब तक आलू का स्वामित्व आप पर हस्तांतरित नहीं होगा। यदि वजन करने से पहले आलू खराब हो जाते हैं, तो नुकसान विक्रेता का होगा।
नेरॉय बनाम डे ला नूज़ा (Neroy v. De la Nouza) (एक काल्पनिक उदाहरण जो धारा 22 को दर्शाता है): एक शराब डीलर ने एक ग्राहक को एक विशिष्ट शराब के बैरल को बेचने का अनुबंध किया, जिसकी कीमत प्रति गैलन (Per Gallon) निर्धारित की जानी थी। जब तक डीलर ने बैरल से शराब को मापा नहीं और ग्राहक को माप की सूचना नहीं दी, तब तक शराब का स्वामित्व ग्राहक को हस्तांतरित नहीं हुआ था।
ये धाराएँ मिलकर माल विक्रय अधिनियम में संपत्ति के हस्तांतरण के नियमों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनती हैं, जो पार्टियों के अधिकारों और जिम्मेदारियों को स्पष्ट करती हैं, विशेष रूप से माल के नुकसान या क्षति के जोखिम के संबंध में।