जल अधिनियम, 1974 की धारा 18 से 20 : जल प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण

Himanshu Mishra

26 Aug 2025 4:57 PM IST

  • जल अधिनियम, 1974 की धारा 18 से 20 : जल प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण

    धारा 18 – निर्देश देने की शक्ति (Section 18 – Powers to Give Directions)

    इस धारा में केंद्र सरकार, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Board) और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (State Boards) के बीच अधिकार और ज़िम्मेदारियों के संतुलन को परिभाषित किया गया है।

    उपधारा (1):

    केंद्रीय बोर्ड अपने कार्यों का पालन करते समय केंद्र सरकार द्वारा दिए गए किसी भी लिखित निर्देश (Directions) का पालन करने के लिए बाध्य है। इसी प्रकार, प्रत्येक राज्य बोर्ड को भी या तो केंद्रीय बोर्ड या राज्य सरकार द्वारा दिए गए लिखित निर्देशों का पालन करना होगा।

    लेकिन यदि राज्य सरकार और केंद्रीय बोर्ड के निर्देशों में विरोधाभास (Inconsistency) हो, तो मामला केंद्र सरकार को भेजा जाएगा और उसी का निर्णय अंतिम होगा।

    उपधारा (2):

    यदि केंद्र सरकार यह समझती है कि कोई राज्य बोर्ड केंद्रीय बोर्ड के निर्देशों का पालन नहीं कर रहा है और इसके कारण गंभीर आपात स्थिति (Grave Emergency) उत्पन्न हो गई है, तो वह आदेश द्वारा केंद्रीय बोर्ड को यह अधिकार दे सकती है कि वह उस राज्य बोर्ड के कार्यों को अस्थायी रूप से संभाले। यह कदम जनहित (Public Interest) में उठाया जाएगा और आदेश में यह साफ़ लिखा जाएगा कि यह व्यवस्था किस क्षेत्र, किस उद्देश्य और कितने समय के लिए होगी।

    उपधारा (3):

    अगर केंद्रीय बोर्ड, राज्य बोर्ड के स्थान पर कार्य करता है, तो उस पर हुए सभी खर्च राज्य बोर्ड से वसूले जा सकते हैं। इन खर्चों की वसूली उस व्यक्ति या संस्था से भी की जा सकती है, जो प्रदूषण नियंत्रण नियमों का उल्लंघन कर रही थी। यह वसूली भूमि राजस्व (Land Revenue) की तरह की जाएगी और उस पर केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित ब्याज (Interest) भी लगेगा।

    उपधारा (4):

    यह धारा यह भी स्पष्ट करती है कि यदि किसी क्षेत्र में केंद्रीय बोर्ड, राज्य बोर्ड के कार्य कर रहा है, तब भी राज्य बोर्ड राज्य के अन्य क्षेत्रों में अपने शेष कार्य कर सकता है।

    सारांश:

    धारा 18 का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जल प्रदूषण नियंत्रण में कोई ढील न हो। अगर राज्य बोर्ड अपने कर्तव्यों में विफल हो जाता है तो केंद्र सरकार और केंद्रीय बोर्ड हस्तक्षेप कर सकते हैं।

    धारा 19 – राज्य सरकार की शक्ति कि अधिनियम को कुछ क्षेत्रों तक सीमित किया जा सके (Section 19 – Power of State Government to Restrict the Application of the Act to Certain Areas)

    यह धारा राज्य सरकार को विशेष अधिकार देती है कि वह यह तय कर सके कि यह अधिनियम (Act) पूरे राज्य पर लागू होगा या केवल कुछ विशेष क्षेत्रों पर।

    उपधारा (1):

    राज्य सरकार, राज्य बोर्ड से परामर्श (Consultation) करने के बाद यह निर्णय ले सकती है कि यह अधिनियम राज्य के पूरे हिस्से पर लागू न होकर केवल कुछ क्षेत्रों पर ही लागू हो। ऐसे क्षेत्रों को आधिकारिक राजपत्र (Official Gazette) में “जल प्रदूषण रोकथाम और नियंत्रण क्षेत्र” (Water Pollution Prevention and Control Area) घोषित किया जाएगा।

    उपधारा (2):

    किसी क्षेत्र को प्रदूषण नियंत्रण क्षेत्र घोषित करने के लिए राज्य सरकार मानचित्र (Map), जलग्रहण क्षेत्र (Watershed) की रेखा या जिले की सीमा (District Boundary) का उल्लेख कर सकती है।

    उपधारा (3):

    राज्य सरकार यह अधिकार भी रखती है कि वह किसी प्रदूषण नियंत्रण क्षेत्र की सीमा को बढ़ा या घटा सकती है, या फिर दो या अधिक क्षेत्रों को मिलाकर नया नियंत्रण क्षेत्र बना सकती है।

    सारांश:

    इस धारा का उद्देश्य यह है कि राज्य सरकार को लचीलापन (Flexibility) दिया जाए। हर जगह समान स्तर का प्रदूषण नहीं होता, इसलिए सरकार ज़रूरत के अनुसार कानून को चुनिंदा क्षेत्रों में लागू कर सकती है।

    धारा 20 – जानकारी प्राप्त करने की शक्ति (Section 20 – Power to Obtain Information)

    धारा 20 राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को यह अधिकार देती है कि वह किसी भी क्षेत्र के बारे में आवश्यक जानकारी एकत्र कर सके ताकि वह जल प्रदूषण नियंत्रण संबंधी अपने कर्तव्यों को प्रभावी ढंग से पूरा कर सके।

    उपधारा (1):

    राज्य बोर्ड या उसका कोई अधिकृत अधिकारी सर्वेक्षण (Survey) कर सकता है, नदियों और कुओं के जल प्रवाह (Flow), आयतन (Volume) और अन्य गुणों का रिकॉर्ड रख सकता है। वह वर्षा (Rainfall) का मापन और रिकॉर्डिंग करने के लिए यंत्र (Gauges) और अन्य उपकरण भी लगा सकता है। इसके अतिरिक्त, राज्य बोर्ड जलधाराओं (Streams) का सर्वेक्षण कर सकता है ताकि प्रदूषण और जल उपयोग के बारे में सटीक जानकारी प्राप्त की जा सके।

    उपधारा (2):

    राज्य बोर्ड किसी व्यक्ति या संस्था को निर्देश दे सकता है कि यदि वह बड़ी मात्रा में किसी नदी या कुएँ से पानी निकाल रहा है (Abstraction of Water) या उसमें गंदा पानी/औद्योगिक अपशिष्ट (Sewage or Trade Effluent) डाल रहा है, तो उसे इसकी पूरी जानकारी निश्चित समय और निर्धारित प्रारूप (Form) में बोर्ड को देनी होगी।

    सारांश:

    धारा 20 यह सुनिश्चित करती है कि राज्य बोर्ड के पास पर्याप्त और सही जानकारी हो, जिससे वह प्रदूषण नियंत्रण उपायों को प्रभावी ढंग से लागू कर सके।

    धारा 18 से 20 तक की व्यवस्थाएँ यह स्पष्ट करती हैं कि जल प्रदूषण नियंत्रण के लिए केंद्रीय और राज्य स्तर पर सहयोग और नियंत्रण दोनों ही ज़रूरी हैं।

    धारा 18 राज्य बोर्ड पर निगरानी और नियंत्रण की व्यवस्था करती है ताकि उनकी विफलता की स्थिति में केंद्रीय सरकार हस्तक्षेप कर सके।

    धारा 19 राज्य सरकार को लचीलापन देती है कि वह अधिनियम को पूरे राज्य पर लागू करे या केवल उन क्षेत्रों पर जहाँ प्रदूषण की समस्या गंभीर है।

    धारा 20 राज्य बोर्ड को जानकारी एकत्र करने का अधिकार देती है, ताकि निर्णय तथ्यों और आंकड़ों के आधार पर लिए जा सकें।

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