वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की धाराएं 17A से 17H : पर्यावरण संरक्षण तथा स्थानीय समुदायों के अधिकारों का संतुलन

Himanshu Mishra

26 Aug 2025 4:47 PM IST

  • वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की धाराएं 17A से 17H : पर्यावरण संरक्षण तथा स्थानीय समुदायों के अधिकारों का संतुलन

    वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 (Wild Life Protection Act, 1972) में जब संशोधन (Amendment) 1991 में किया गया, तब पहली बार पौधों को भी विशेष सुरक्षा दी गई। इससे पहले यह कानून मुख्यतः जानवरों और पक्षियों की सुरक्षा पर केंद्रित था। लेकिन धीरे-धीरे यह समझा गया कि यदि दुर्लभ और औषधीय पौधों (Medicinal Plants) को सुरक्षित नहीं किया गया, तो पूरा जैविक संतुलन (Ecological Balance) बिगड़ सकता है।

    भारत में कई ऐसे पौधे हैं जो केवल कुछ खास जंगलों या पहाड़ी क्षेत्रों में मिलते हैं। इनमें से बहुत-से पौधे औषधीय (Medicinal), आर्थिक (Economically valuable), धार्मिक (Religious use) और पारंपरिक उपयोगों (Traditional uses) के लिए तोड़े जाते रहे हैं। इसी अति-शोषण (Over-exploitation) के कारण कई पौधे विलुप्ति (Extinction) के कगार पर पहुँच गए। इसी पृष्ठभूमि में Chapter IIIA जोड़ा गया।

    अब हम एक-एक धारा (Section) को विस्तार से समझेंगे।

    धारा 17A – निर्दिष्ट पौधों को तोड़ने, उखाड़ने, नष्ट करने आदि पर रोक (Prohibition of picking, uprooting, damaging etc.)

    इस धारा के अनुसार, जब तक इस अध्याय में अन्यथा अनुमति न दी जाए, कोई भी व्यक्ति निम्न कार्य नहीं कर सकता:

    1. जान-बूझकर किसी भी निर्दिष्ट पौधे (Specified Plant) को जंगल की जमीन (Forest Land) या केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित क्षेत्र (Notified Area) से तोड़ना, उखाड़ना, नुकसान पहुँचाना, नष्ट करना या इकट्ठा करना।

    2. ऐसे पौधों को जीवित (Alive) या मृत (Dead) अवस्था में, उनके हिस्से (Part) या उनसे बने उत्पाद (Derivative) को अपने पास रखना, बेचना, उपहार (Gift) में देना, या परिवहन (Transport) करना।

    विशेष अपवाद (Exception)

    अनुसूचित जनजातियों (Scheduled Tribes) को यह छूट है कि वे अपने जिले (District) के भीतर अपने वास्तविक व्यक्तिगत उपयोग (Bona fide Personal Use) के लिए निर्दिष्ट पौधों को इकट्ठा, तोड़ या अपने पास रख सकते हैं।

    लेकिन यह भी Chapter IV की शर्तों के अधीन होगा।

    उदाहरण

    • मान लीजिए कि हिमालयी क्षेत्र में "सालाम पंजा" नामक औषधीय पौधा केवल कुछ जगहों पर मिलता है। आम लोग उसे तोड़ नहीं सकते। लेकिन यदि उस क्षेत्र में रहने वाली कोई जनजाति अपनी दादी की पारंपरिक दवा बनाने के लिए उसे कम मात्रा में लेती है, तो यह कानून के तहत वैध (Legal) होगा।

    धारा 17B – विशेष प्रयोजनों के लिए अनुमति (Grant of permit for special purposes)

    यह धारा बताती है कि मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक (Chief Wild Life Warden), राज्य सरकार (State Government) की पूर्व अनुमति से किसी व्यक्ति को विशेष प्रयोजनों के लिए निर्दिष्ट पौधों को जंगल से तोड़ने, उखाड़ने, इकट्ठा करने या परिवहन करने की अनुमति (Permit) दे सकते हैं।

    ये विशेष प्रयोजन हैं:

    1. शिक्षा (Education): विद्यालयों, विश्वविद्यालयों या प्रशिक्षण संस्थानों में पढ़ाई के लिए।

    2. वैज्ञानिक अनुसंधान (Scientific Research): शोध संस्थानों (Research Institutes) के लिए।

    3. वैज्ञानिक संस्थानों के हरबेरियम (Herbarium) में संग्रह, संरक्षण और प्रदर्शनी (Collection, Preservation & Display): ताकि छात्र और शोधकर्ता दुर्लभ पौधों का अध्ययन कर सकें।

    4. प्रचार एवं संवर्धन (Propagation): यदि केंद्र सरकार किसी संस्था या व्यक्ति को अनुमोदित करती है, तो वे पौधों को संरक्षित करने के लिए उनका प्रसार (Propagation) कर सकते हैं।

    उदाहरण

    मान लीजिए कि "Central Institute of Medicinal Plants" किसी दुर्लभ औषधीय पौधे की दवा पर शोध करना चाहता है। वह Chief Wild Life Warden से अनुमति लेकर पौधे के कुछ नमूने (Samples) इकट्ठा कर सकता है।

    धारा 17C – बिना लाइसेंस निर्दिष्ट पौधों की खेती पर रोक (Cultivation without licence prohibited)

    यह धारा कहती है कि:

    1. कोई भी व्यक्ति निर्दिष्ट पौधे की खेती नहीं कर सकता, जब तक कि उसके पास Chief Wild Life Warden या राज्य सरकार द्वारा अधिकृत अधिकारी से लाइसेंस (Licence) न हो।

    संक्रमणकालीन प्रावधान (Transitional Provision):

    यदि कोई व्यक्ति 1991 संशोधन अधिनियम (Amendment Act, 1991) के लागू होने से पहले से ही ऐसे पौधों की खेती कर रहा था, तो उसे छह महीने तक खेती जारी रखने की अनुमति है। यदि उसने उस अवधि में लाइसेंस के लिए आवेदन कर दिया है, तो निर्णय होने तक खेती जारी रख सकता है।

    2. लाइसेंस में यह स्पष्ट होगा कि किस क्षेत्र (Area) में खेती होगी और किन शर्तों (Conditions) के अधीन खेती करनी होगी।

    उदाहरण

    • अगर कोई किसान "सर्पगंधा" (Rauvolfia serpentina) नामक औषधीय पौधे की खेती करता है, तो उसे कानूनी रूप से अनुमति (Licence) लेनी होगी।

    धारा 17D – बिना लाइसेंस व्यापार पर रोक (Dealing without licence prohibited)

    1. कोई भी व्यक्ति निर्दिष्ट पौधों या उनके हिस्सों/उत्पादों का व्यापार (Business/Occupation) तब तक नहीं कर सकता, जब तक उसके पास Chief Wild Life Warden या अधिकृत अधिकारी का लाइसेंस न हो।

    संक्रमणकालीन छूट (Transitional Exemption):

    यदि कोई व्यक्ति 1991 संशोधन अधिनियम के लागू होने से पहले से ही व्यापार कर रहा था, तो वह 60 दिनों तक व्यापार जारी रख सकता है। यदि उसने इस अवधि में लाइसेंस के लिए आवेदन कर दिया है, तो निर्णय होने तक व्यापार कर सकता है।

    2. हर लाइसेंस में व्यापार की जगह (Premises) और शर्तें (Conditions) लिखी जाएँगी।

    उदाहरण

    • मान लीजिए कि एक व्यापारी "चिरौंजी" (Buchanania lanzan) के बीजों का व्यवसाय करता है। अब उसके पास लाइसेंस होना अनिवार्य है।

    धारा 17E – भंडार की घोषणा (Declaration of stock)

    1. हर वह व्यक्ति जो निर्दिष्ट पौधे की खेती कर रहा है या व्यापार कर रहा है, उसे संशोधन अधिनियम लागू होने के 30 दिनों के भीतर Chief Wild Life Warden को अपने स्टॉक (Stock) की घोषणा करनी होगी।

    इसका उद्देश्य है कि अवैध रूप से इकट्ठा किए गए पौधों को छिपाया न जा सके।

    2. इसके आगे की प्रक्रिया धारा 44 से 47 (जो जानवरों और उनके उत्पादों पर लागू होती है) के समान होगी।

    उदाहरण

    • यदि किसी व्यापारी के पास "कोस्टस" (Saussurea lappa) की जड़ें पहले से स्टॉक में हैं, तो उसे 30 दिनों के भीतर सरकार को इसकी जानकारी देनी होगी।

    धारा 17F – लाइसेंसधारी द्वारा पौधों का कब्ज़ा (Possession by licensee)

    लाइसेंसधारी व्यक्ति निम्न कार्य नहीं कर सकता:

    1. अपने पास ऐसे पौधे रखना जिनकी घोषणा (Declaration) आवश्यक है, लेकिन उसने नहीं की।

    2. ऐसे पौधे रखना जो कानूनी रूप से प्राप्त (Lawfully Acquired) नहीं हुए।

    3. बिना अनुमति के पौधों को तोड़ना, उखाड़ना, बेचना, परिवहन करना या संग्रह करना।

    उदाहरण

    • यदि किसी लाइसेंसधारी व्यापारी ने ऐसी जड़ी-बूटी खरीदी जो चोरी-छिपे जंगल से तोड़ी गई थी, तो यह कानून का उल्लंघन (Violation) होगा।

    धारा 17G – निर्दिष्ट पौधों की खरीद पर रोक (Purchase prohibited)

    कोई भी व्यक्ति किसी निर्दिष्ट पौधे को केवल लाइसेंसधारी व्यापारी (Licensed Dealer) से ही खरीद सकता है।

    धारा 17B के अंतर्गत जिन व्यक्तियों को विशेष अनुमति मिली है, वे इससे बाहर (Exempted) हैं।

    उदाहरण

    • यदि कोई दवा कंपनी औषधीय पौधों का उपयोग करना चाहती है, तो वह केवल लाइसेंसधारी डीलर से ही खरीद सकती है।

    धारा 17H – पौधों का सरकारी संपत्ति होना (Plants as Government property)

    1. यदि किसी पौधे या उसके हिस्से के संबंध में अपराध (Offence) किया गया है, तो वह पौधा राज्य सरकार (State Government) की संपत्ति बन जाएगा।

    2. यदि वह पौधा किसी राष्ट्रीय उद्यान (National Park) या अभयारण्य (Sanctuary) से लिया गया है जिसे केंद्र सरकार (Central Government) ने घोषित किया है, तो वह पौधा केंद्र सरकार की संपत्ति होगा।

    3. इस धारा के प्रावधान धारा 39(2) और 39(3) के समान लागू होंगे।

    उदाहरण

    • यदि कोई व्यापारी "कुटकी" (Picrorhiza kurroa) पौधे को हिमालयी राष्ट्रीय उद्यान से अवैध रूप से तोड़ता है, तो यह पौधा स्वचालित रूप से केंद्र सरकार की संपत्ति बन जाएगा।

    अध्याय IIIA ने यह स्पष्ट कर दिया कि केवल जानवर ही नहीं, बल्कि पौधे भी वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत सुरक्षित (Protected) हैं।

    इसका उद्देश्य है:

    • जैव विविधता (Biodiversity) की रक्षा करना

    • पारंपरिक ज्ञान (Traditional Knowledge) को बनाए रखना

    • जनजातीय समुदायों के अधिकारों (Tribal Rights) और संरक्षण के बीच संतुलन बनाना

    आज कई औषधीय पौधे जैसे सर्पगंधा, कुटकी, सालाम पंजा, कोस्टस आदि संरक्षित सूची में हैं। यदि इन पर नियंत्रण न रखा जाए तो ये विलुप्त हो सकते हैं और इसके साथ ही हमारी परंपरागत चिकित्सा प्रणाली (Traditional Medicine Systems जैसे आयुर्वेद, यूनानी) भी कमजोर हो सकती है।

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