भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 132 से 136 : विभिन्न परिस्थितियों में किए गए असॉल्ट या आपराधिक बल

Himanshu Mishra

16 Aug 2024 6:33 PM IST

  • भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 132 से 136 : विभिन्न परिस्थितियों में किए गए असॉल्ट या आपराधिक बल

    भारतीय न्याय संहिता 2023, जो 1 जुलाई 2024 को लागू हुई और जिसने भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) को प्रतिस्थापित किया, विभिन्न अपराधों और उनके लिए दिए गए दंड के बारे में विस्तृत दिशा-निर्देश प्रदान करती है। संहिता की धारा 132 से 136 विशेष रूप से उन अपराधों से संबंधित हैं जिनमें किसी पर असॉल्ट (Assault) करना या आपराधिक बल (Criminal force) का उपयोग करना शामिल है। इस लेख में इन प्रावधानों को सरल भाषा में समझाया गया है, ताकि पाठकों को इन धाराओं के कानूनी प्रभाव को समझने में आसानी हो।

    भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 132 से 136 विभिन्न परिस्थितियों में किए गए हमले या आपराधिक बल के प्रयोग से संबंधित हैं। प्रत्येक धारा एक विशिष्ट संदर्भ को संबोधित करती है, जैसे कि सरकारी सेवकों पर असॉल्ट, किसी का अपमान करना, चोरी के प्रयास, गलत तरीके से बंद करना, और गंभीर और अचानक उकसावे के कारण किए गए कार्य।

    इन प्रावधानों को समझने से व्यक्ति को कानूनी व्यवहार की सीमाओं को पहचानने और उन सीमाओं को पार करने के परिणामों को समझने में मदद मिलती है। संहिता यह सुनिश्चित करती है कि ऐसे अपराध करने वाले व्यक्तियों को जिम्मेदार ठहराया जाए, जबकि कार्यों के पीछे के संदर्भ और इरादे को भी ध्यान में रखा जाए।

    धारा 132: सरकारी सेवक (public servant) पर असॉल्ट या आपराधिक बल का प्रयोग

    धारा 132 उस अपराध से संबंधित है, जिसमें कोई व्यक्ति किसी सरकारी सेवक पर असॉल्ट करता है या आपराधिक बल का उपयोग करता है, जब वह अपने कर्तव्यों (duties) का पालन कर रहा हो।

    यदि कोई व्यक्ति किसी सरकारी सेवक पर असॉल्ट करता है या उसका कर्तव्य निभाने से रोकने के इरादे से उस पर आपराधिक बल का प्रयोग करता है, तो उसे सजा हो सकती है। इस धारा के अंतर्गत सजा में दो साल तक की कैद, जुर्माना, या दोनों शामिल हो सकते हैं।

    उदाहरण: मान लीजिए A एक सरकारी अधिकारी है जो सार्वजनिक स्थान पर निरीक्षण (inspection) कर रहा है। B, जो इस निरीक्षण से नाराज है, गुस्से में आकर A को धक्का देकर निरीक्षण रोकने की कोशिश करता है। यहां B आपराधिक बल का प्रयोग करके A को उसके कर्तव्य से रोक रहा है। B को दो साल तक की कैद, जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं।

    यह धारा उन मामलों में भी लागू होती है, जहां असॉल्ट या आपराधिक बल का प्रयोग उस कार्य के प्रतिशोध (retaliation) में किया जाता है, जो सरकारी सेवक ने अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए किया या करने का प्रयास किया।

    धारा 133: अपमानित (Dishonour) करने के इरादे से असॉल्ट या आपराधिक बल का प्रयोग

    धारा 133 उन मामलों पर केंद्रित है, जहां कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति पर असॉल्ट करता है या अपमानित करने के इरादे से आपराधिक बल का प्रयोग करता है। इस धारा में मुख्य तत्व (Element) यह है कि अपराध का इरादा व्यक्ति को अपमानित करना है, न कि केवल असॉल्ट या आपराधिक बल का प्रयोग। इस धारा के अंतर्गत सजा में दो साल तक की कैद, जुर्माना, या दोनों शामिल हो सकते हैं।

    उदाहरण: कल्पना कीजिए B एक सम्मानित व्यक्ति है जो एक सार्वजनिक कार्यक्रम में भाग ले रहा है। A, जो B से नाराज है, अचानक B को सबके सामने थप्पड़ मार देता है, ताकि B को अपमानित किया जा सके। यहां A के कार्य का उद्देश्य B को अपमानित करना है, और A को दो साल तक की कैद, जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं।

    इस धारा में यह स्पष्ट किया गया है कि अपमान गंभीर और अचानक उकसावे (provocation) के कारण नहीं होना चाहिए; अन्यथा, सजा अलग हो सकती है।

    धारा 134: चोरी करने के प्रयास में असॉल्ट या आपराधिक बल का प्रयोग (Assault or criminal force in attempt to commit theft of property carried by a person)

    धारा 134 उन स्थितियों से संबंधित है, जहां कोई व्यक्ति चोरी करने के प्रयास में किसी अन्य व्यक्ति पर असॉल्ट करता है या आपराधिक बल का प्रयोग करता है, जबकि वह व्यक्ति उस समय किसी संपत्ति (property) को धारण (carry) कर रहा होता है या पहन रहा होता है। इस धारा के तहत सजा में दो साल तक की कैद, जुर्माना, या दोनों शामिल हो सकते हैं।

    उदाहरण: मान लीजिए B सड़क पर एक कीमती हार पहनकर चल रही है। A, जो उस हार को चुराने का इरादा रखता है, बलपूर्वक उसे B के गले से खींचने की कोशिश करता है। इस प्रक्रिया में, A ने B पर असॉल्ट किया। A का यह कार्य इस धारा के अंतर्गत आता है, और उसे दो साल तक की कैद, जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं।

    यह धारा यह सुनिश्चित करती है कि लोग चोरी के प्रयासों से सुरक्षित रहें, और अपराधी अपने कार्यों के लिए जवाबदेह हों।

    धारा 135: गलत तरीके से बंद करने के प्रयास में असॉल्ट या आपराधिक बल का प्रयोग (Assault or criminal force in attempt to wrongfully confine a person)

    धारा 135 उन स्थितियों से संबंधित है, जहां असॉल्ट या आपराधिक बल का प्रयोग किसी व्यक्ति को गलत तरीके से बंद (wrongfully confine) करने के प्रयास में किया जाता है। गलत तरीके से बंद करने का मतलब किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता (freedom) को कानूनी आधार के बिना रोकना है। इस धारा के अंतर्गत सजा में एक साल तक की कैद, पांच हजार रुपये तक का जुर्माना, या दोनों शामिल हो सकते हैं।

    उदाहरण: कल्पना कीजिए A, B को उसकी सहमति (consent) के बिना और बिना किसी कानूनी कारण के एक कमरे में बंद करने की कोशिश करता है। जब B इसका विरोध करता है, तो A उसे जबरन कमरे में बंद करने के लिए उस पर असॉल्ट करता है। A का यह कार्य B को गलत तरीके से बंद करने का प्रयास है, और उसे एक साल तक की कैद, पांच हजार रुपये तक का जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं।

    यह धारा यह सुनिश्चित करती है कि व्यक्ति को जबरन बंद करने के लिए किसी भी तरह की जबरदस्ती से बचाया जा सके।

    धारा 136: गंभीर और अचानक उकसावे पर असॉल्ट या आपराधिक बल का प्रयोग (Assault or criminal force on grave provocation)

    धारा 136 उन स्थितियों से संबंधित है, जहां किसी व्यक्ति द्वारा दिए गए गंभीर और अचानक उकसावे के कारण असॉल्ट या आपराधिक बल का प्रयोग किया जाता है। इस धारा के अंतर्गत कम गंभीर सजा का प्रावधान है, क्योंकि उकसावा गंभीर और अचानक होता है। इस धारा के तहत सजा में एक महीने तक की साधारण कैद (simple imprisonment), एक हजार रुपये तक का जुर्माना, या दोनों शामिल हो सकते हैं।

    उदाहरण: मान लीजिए A, B का अपमान करता है, जिससे B के भावनाओं को गहरी चोट पहुंचती है। अचानक क्रोध में, B, A को थप्पड़ मार देता है। B का यह कार्य गंभीर और अचानक उकसावे के जवाब में है। इस धारा के तहत, B को एक महीने तक की कैद, एक हजार रुपये तक का जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं।

    इस धारा की व्याख्या (explanation) में वही स्पष्टीकरण दिया गया है जो धारा 131 में है, जो यह स्पष्ट करता है कि उकसावा गंभीर और अचानक होना चाहिए, न कि कोई ऐसा कार्य जो पहले से योजना बनाकर किया गया हो।

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