सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 11, 12 और 13 : इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड का उद्गम, स्वीकार्यता और प्रेषण की प्रक्रिया
Himanshu Mishra
22 May 2025 2:48 PM

धारा 11: इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड का उद्गम (Attribution of Electronic Records)
इस धारा में बताया गया है कि किसी इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को किसके द्वारा भेजा गया माना जाएगा। अगर कोई इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड किसी व्यक्ति (Originator) ने स्वयं भेजा हो, तो वह रिकॉर्ड उसी का माना जाएगा। अगर वह रिकॉर्ड किसी ऐसे व्यक्ति ने भेजा है जिसे उस व्यक्ति की ओर से कार्य करने का अधिकार था, तब भी वह रिकॉर्ड उसी मूल व्यक्ति का माना जाएगा।
इसके अतिरिक्त, अगर कोई सूचना प्रणाली (Information System) उस व्यक्ति द्वारा या उसकी ओर से इस तरह प्रोग्राम की गई थी कि वह स्वचालित रूप से कोई संदेश भेजे, तो ऐसे रिकॉर्ड को भी उसी व्यक्ति से भेजा गया माना जाएगा।
यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि अगर किसी तकनीकी माध्यम से रिकॉर्ड भेजा गया है, तो उसे वैध माना जाए जब तक कि यह प्रमाणित हो जाए कि वह अधिकृत या स्वीकृत प्रक्रिया के अंतर्गत भेजा गया है।
धारा 12: प्राप्ति की पुष्टि (Acknowledgment of Receipt)
इस धारा में बताया गया है कि किसी इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड के प्राप्त होने की पुष्टि कैसे मानी जाएगी।
यदि मूल प्रेषक (Originator) ने यह नहीं कहा है कि पुष्टि किस विशेष तरीके से दी जाए, तब प्राप्तकर्ता (Addressee) किसी भी प्रकार के संकेत द्वारा, चाहे वह स्वचालित हो या मैनुअल, पुष्टि दे सकता है। उदाहरण के लिए, अगर प्राप्तकर्ता ने कोई उत्तर भेजा, या ऐसा कोई व्यवहार किया जिससे प्रेषक को यह संकेत मिले कि उसका रिकॉर्ड प्राप्त हो चुका है, तो इसे प्राप्ति की पुष्टि माना जाएगा।
अगर प्रेषक ने स्पष्ट रूप से यह शर्त रखी है कि रिकॉर्ड तभी प्रभावी होगा जब उसकी पुष्टि उसे प्राप्त हो जाए, तो जब तक पुष्टि प्राप्त नहीं होती, वह रिकॉर्ड कभी भेजा ही नहीं गया ऐसा माना जाएगा।
यदि प्रेषक ने ऐसी कोई शर्त नहीं रखी है, और निश्चित समय में कोई पुष्टि प्राप्त नहीं हुई है, तब प्रेषक एक नोटिस जारी कर सकता है जिसमें वह बताएगा कि अभी तक पुष्टि नहीं मिली है, और एक उचित समय सीमा में पुष्टि मांगी जाएगी। यदि उस समय सीमा में भी कोई पुष्टि नहीं आती, तो प्रेषक यह मान सकता है कि वह रिकॉर्ड कभी भेजा ही नहीं गया।
धारा 13: प्रेषण और प्राप्ति का समय और स्थान (Time and Place of Despatch and Receipt of Electronic Record)
इस धारा में बताया गया है कि इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड कब और कहां भेजा और प्राप्त किया गया माना जाएगा।
जब तक प्रेषक और प्राप्तकर्ता के बीच कोई अलग समझौता नहीं हो, तब यह माना जाएगा कि कोई इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड तब भेजा गया जब वह उस कंप्यूटर संसाधन (Computer Resource) में प्रवेश कर गया जो प्रेषक के नियंत्रण में नहीं है।
प्राप्ति के समय को तय करने के लिए निम्नलिखित स्थितियाँ लागू होती हैं:
यदि प्राप्तकर्ता ने एक विशेष कंप्यूटर संसाधन निर्धारित किया है रिकॉर्ड प्राप्त करने के लिए, तो प्राप्ति उसी समय मानी जाएगी जब रिकॉर्ड उस निर्दिष्ट संसाधन में प्रवेश कर जाए। लेकिन अगर रिकॉर्ड किसी अन्य संसाधन में भेजा गया है, तब प्राप्ति तब मानी जाएगी जब प्राप्तकर्ता उसे एक्सेस करे।
अगर प्राप्तकर्ता ने कोई विशेष संसाधन निर्धारित नहीं किया है, तब प्राप्ति उसी समय मानी जाएगी जब रिकॉर्ड उसके किसी भी कंप्यूटर संसाधन में प्रवेश कर जाए।
जहां तक स्थान की बात है, जब तक कोई अन्य समझौता न हुआ हो, इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड उसी स्थान से भेजा गया माना जाएगा जहां प्रेषक का व्यवसायिक स्थान है और उसी स्थान पर प्राप्त हुआ माना जाएगा जहां प्राप्तकर्ता का व्यवसायिक स्थान है। यह बात इस तथ्य के बावजूद लागू होगी कि कंप्यूटर संसाधन कहीं और स्थित हो सकता है।
इस धारा की उपधारा (5) में यह स्पष्ट किया गया है कि:
• यदि प्रेषक या प्राप्तकर्ता के एक से अधिक व्यवसायिक स्थान हैं, तो उसका मुख्य व्यवसायिक स्थान (Principal Place of Business) ही मान्य होगा।
• अगर किसी के पास व्यवसायिक स्थान नहीं है, तो उसका सामान्य निवास स्थान (Usual Place of Residence) व्यवसायिक स्थान माना जाएगा।
• किसी कंपनी (Body Corporate) के लिए सामान्य निवास स्थान वह स्थान होगा जहां वह पंजीकृत (Registered) है।
संबंधित पूर्ववर्ती प्रावधानों से संबंध
इस अध्याय की व्याख्या करते हुए यह भी जरूरी है कि हम अध्याय III की धाराओं 6, 7, 8 और 9 की ओर पुनः ध्यान दें, जहां यह बताया गया था कि इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को सरकार और उसकी संस्थाओं द्वारा कैसे स्वीकार किया जा सकता है, उन्हें कितने समय तक रखा जा सकता है और उनके प्रकाशन की प्रक्रिया क्या होगी।
धारा 6 में बताया गया था कि सरकार इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को विभिन्न सरकारी कार्यों जैसे आवेदन, अनुमति, भुगतान आदि के लिए स्वीकार कर सकती है। वहीं धारा 7 में रिकॉर्ड को इलेक्ट्रॉनिक रूप में रखने की शर्तों को स्पष्ट किया गया था।
धारा 8 में यह प्रावधान किया गया था कि अगर कोई नियम या अधिसूचना इलेक्ट्रॉनिक राजपत्र (Electronic Gazette) में प्रकाशित होती है, तो उसे वैध माना जाएगा। लेकिन धारा 9 यह स्पष्ट करती है कि कोई भी व्यक्ति यह मांग नहीं कर सकता कि सरकार या उसकी संस्था को किसी दस्तावेज़ को केवल इलेक्ट्रॉनिक रूप में स्वीकार करना ही पड़े।
अब अध्याय IV की धाराएं उन स्थितियों को स्पष्ट करती हैं जब इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड भेजा गया, स्वीकार किया गया और उसका प्रभाव कब से माना जाएगा। इससे सूचना के प्रेषण में तकनीकी बाधाएं कम होती हैं और इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों की उपयोगिता कानून द्वारा सुरक्षित होती है।
अध्याय IV की ये तीनों धाराएं—धारा 11, 12 और 13—इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड की वैधानिक प्रक्रिया को और अधिक स्पष्ट और व्यावहारिक बनाती हैं। यह अध्याय यह सुनिश्चित करता है कि जब कोई सूचना डिजिटल रूप में भेजी या प्राप्त की जाए, तो उसके वैधानिक प्रभाव में कोई शंका न रहे।
इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड के उद्गम, उसकी प्राप्ति की पुष्टि और उसके समय तथा स्थान की मान्यता इस युग की तकनीकी आवश्यकताओं के अनुसार समायोजित की गई हैं। इससे डिजिटल लेनदेन, सरकारी कामकाज और आम नागरिकों के बीच सूचना के आदान-प्रदान को कानूनी सुरक्षा और स्पष्टता मिलती है।