राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 की धारा 68: अपराधों के लिए दोष की धारणा और उत्तरदायित्व
Himanshu Mishra
17 Jan 2025 4:42 PM

राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 (Rajasthan Excise Act, 1950) राज्य में शराब और अन्य उत्पादों के निर्माण, वितरण, और नियंत्रण के लिए बनाया गया है। इस अधिनियम की धारा 68 (Section 68) अपराधों के संबंध में एक महत्वपूर्ण धारणा (Presumption) स्थापित करती है। यह प्रावधान उन परिस्थितियों को स्पष्ट करता है जब यह माना जाएगा कि किसी व्यक्ति ने अपराध किया है, जब तक कि वह इसके विपरीत साबित न कर दे। इसके अलावा, यह लाइसेंस धारकों (License Holders) को उनके कर्मचारियों द्वारा किए गए अपराधों के लिए भी उत्तरदायी बनाता है।
यह लेख धारा 68 के प्रावधानों को सरल भाषा में समझाएगा और व्यावहारिक उदाहरणों (Illustrations) के माध्यम से इसे स्पष्ट करेगा।
धारा 68: अपराधों के लिए दोष की धारणा (Presumption of Guilt)
धारा 68 में अपराधों के लिए दोष की धारणा का प्रावधान है। इसके अनुसार, जब कोई व्यक्ति इस अधिनियम के तहत दंडनीय अपराध करता है, तो यह माना जाएगा कि उसने अपराध किया है। यह धारणा तब तक बनी रहती है जब तक कि आरोपी इसे गलत साबित न कर दे।
आबकारी वस्तुओं का कब्ज़ा (Possession of Excisable Articles)
यदि किसी व्यक्ति के पास कोई भी आबकारी वस्तु (Excisable Article), जैसे शराब, पाई जाती है, तो यह माना जाएगा कि उसने इस अधिनियम का उल्लंघन किया है। आरोपी को यह साबित करना होगा कि उसके पास इस वस्तु का कब्ज़ा वैध (Legitimate) है।
उदाहरण:
यदि किसी व्यक्ति को बिना वैध परमिट (Permit) के बड़ी मात्रा में शराब ले जाते हुए पकड़ा जाता है, तो यह माना जाएगा कि वह इसे अवैध रूप से बेचने या वितरित करने का इरादा रखता है। आरोपी को इस धारणा को गलत साबित करने के लिए वैध लाइसेंस या बिल प्रस्तुत करना होगा।
निर्माण के लिए उपकरणों का कब्ज़ा (Possession of Manufacturing Equipment)
यदि किसी व्यक्ति के पास ऐसे उपकरण या औजार (Implements) पाए जाते हैं जो आमतौर पर आबकारी वस्तुओं के निर्माण में उपयोग किए जाते हैं, तो यह माना जाएगा कि वह अवैध निर्माण (Illegal Manufacturing) में संलिप्त है।
उदाहरण:
यदि किसी के परिसर में शराब बनाने की भट्टी (Distillation Apparatus) पाई जाती है, तो यह धारणा होगी कि वह अवैध शराब निर्माण कर रहा था। आरोपी को यह साबित करना होगा कि उपकरण वैध उद्देश्यों, जैसे वैज्ञानिक अनुसंधान या औद्योगिक उपयोग के लिए थे।
निर्माण सामग्री का कब्ज़ा (Possession of Manufacturing Materials)
यदि किसी व्यक्ति के पास ऐसी सामग्री पाई जाती है जो आबकारी वस्तुओं के निर्माण में उपयोग होती है या इस प्रक्रिया से गुजर चुकी है, तो यह माना जाएगा कि यह अवैध निर्माण के लिए थी।
उदाहरण:
यदि किसी गोदाम में बड़ी मात्रा में गुड़ या शीरा (Molasses) बिना उचित दस्तावेज़ के पाया जाता है, तो यह माना जाएगा कि यह अवैध शराब बनाने के लिए उपयोग किया जा रहा था। आरोपी को यह साबित करना होगा कि यह सामग्री किसी अन्य वैध उद्देश्य के लिए थी।
लाइसेंस धारकों की उत्तरदायित्व (Liability of License Holders)
धारा 68 के तहत लाइसेंस धारकों को उनके कर्मचारियों द्वारा किए गए अपराधों के लिए उत्तरदायी ठहराया जाता है। यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि लाइसेंस धारक अपने प्रतिष्ठानों (Establishments) में कानून का पालन सुनिश्चित करें।
लाइसेंस धारकों की जिम्मेदारी (Accountability of License Holders)
यदि किसी लाइसेंस धारक, जैसे शराब दुकान के मालिक या शराब निर्माता, के कर्मचारी द्वारा अपराध किया जाता है, तो यह माना जाएगा कि लाइसेंस धारक भी इसके लिए उत्तरदायी है। यह धारणा तब तक लागू रहती है जब तक लाइसेंस धारक यह साबित न कर दे कि उसने अपराध रोकने के लिए सभी आवश्यक सावधानियां (Precautions) बरती थीं।
उदाहरण:
यदि किसी शराब दुकान का कर्मचारी नाबालिग को शराब बेचता है, तो लाइसेंस धारक को भी दोषी माना जाएगा। लाइसेंस धारक को यह साबित करना होगा कि उसने अपने कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया था और अवैध बिक्री रोकने के लिए सख्त निर्देश दिए थे।
सजा का प्रावधान (Provision for Punishment)
यदि लाइसेंस धारक अपराध के लिए सीधे जिम्मेदार नहीं है, तो उसे केवल जुर्माने के रूप में दंडित किया जाएगा। उसे कारावास (Imprisonment) से तब तक बचाया जाएगा जब तक कि जुर्माने का भुगतान न हो।
व्यावहारिक उदाहरण (Illustration)
मान लीजिए कि आबकारी अधिकारियों ने एक गोदाम पर छापा मारा और बड़ी मात्रा में अवैध रूप से निर्मित शराब और निर्माण उपकरण पाए। गोदाम के मालिक, जो आबकारी वस्तुओं के भंडारण के लिए वैध लाइसेंस रखते हैं, ने इस गतिविधि से अनभिज्ञता (Ignorance) का दावा किया।
धारा 68 के तहत यह माना जाएगा कि गोदाम का मालिक इस अपराध में शामिल था। मालिक को यह साबित करना होगा कि उसने नियमित निरीक्षण, सख्त नियंत्रण, और संदिग्ध गतिविधियों की रिपोर्टिंग जैसे उपाय किए थे। यदि यह सावधानियां साबित होती हैं, तो मालिक सजा से बच सकता है।
दूसरी ओर, यदि गोदाम का एक कर्मचारी शराब बनाने के कार्य में पकड़ा जाता है, तो यह माना जाएगा कि कर्मचारी ने अपराध किया। कर्मचारी को यह साबित करना होगा कि उसे इस कार्य के लिए मजबूर किया गया था या वह इसके अवैध होने से अनजान था।
धारा 68 का महत्व (Significance of Section 68)
धारा 68 का उद्देश्य अपराधों को साबित करने में आने वाली कठिनाइयों को दूर करना और आबकारी कानूनों (Excise Laws) के उल्लंघन को रोकना है। यह अपराधियों पर सख्ती करता है और लाइसेंस धारकों को अपने प्रतिष्ठानों में कड़े नियंत्रण रखने के लिए प्रोत्साहित करता है।
इस प्रावधान के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाता है कि दोष की धारणा केवल एक दंडात्मक उपाय न होकर कानून का पालन सुनिश्चित करने का एक साधन बने।
राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 की धारा 68 अपराधों के लिए दोष की धारणा और लाइसेंस धारकों की जिम्मेदारी को स्पष्ट रूप से परिभाषित करती है। यह प्रावधान अपराधों को रोकने और कानून के सख्त अनुपालन को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
हालांकि, यह धारा आरोपी को अपनी बेगुनाही साबित करने का अवसर भी देती है, जिससे निष्पक्षता (Fairness) और न्याय (Justice) सुनिश्चित हो सके। यह प्रावधान राज्य में आबकारी प्रणाली को मजबूत करने और अवैध गतिविधियों को रोकने का एक प्रभावी साधन है।