राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 की धारा 58A: मिलावट, धोखाधड़ी और जालसाजी पर सजा
Himanshu Mishra
15 Jan 2025 11:35 AM

राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 (Rajasthan Excise Act, 1950) का उद्देश्य नशीले पदार्थों (intoxicants) के निर्माण, बिक्री और वितरण को नियंत्रित करना है।
इसकी धारा 58A उन लाइसेंसधारकों (licensed vendors or manufacturers) के लिए बनाई गई है जो मिलावट (adulteration), गलत जानकारी (misrepresentation) या जालसाजी (counterfeiting) में शामिल होते हैं। यह प्रावधान सख्त सजा देता है ताकि सार्वजनिक स्वास्थ्य और उपभोक्ता विश्वास (public trust) को बनाए रखा जा सके।
धारा 58A का क्षेत्र और लागू होने का दायरा
यह धारा उन व्यक्तियों या संस्थानों पर लागू होती है जो राजस्थान आबकारी अधिनियम के तहत नशीले पदार्थों के निर्माण या बिक्री के लिए लाइसेंस प्राप्त करते हैं। इसमें उन कर्मचारियों को भी शामिल किया गया है जो ऐसे लाइसेंसधारकों के लिए काम करते हैं।
यह प्रावधान उन गतिविधियों को चिन्हित करता है जो नशीले पदार्थों की गुणवत्ता या प्रामाणिकता (authenticity) को प्रभावित करती हैं।
धारा 58A के तहत प्रतिबंधित कार्य (Prohibited Acts)
धारा 58A के तहत कुछ खास गतिविधियों को गैरकानूनी घोषित किया गया है। इसमें मिलावट, गलत जानकारी और जालसाजी जैसे कार्य शामिल हैं। इन सभी को विस्तार से समझते हैं।
नशीले पदार्थों में मिलावट (Adulteration of Intoxicants)
मिलावट का मतलब है नशीले पदार्थों में हानिकारक पदार्थ (harmful substances) या अवैध सामग्री (unauthorized ingredients) मिलाना। यदि कोई लाइसेंसधारी जानबूझकर किसी हानिकारक दवा (noxious drug) या किसी ऐसे तत्व को मिलाता है जिसे इस अधिनियम के तहत प्रतिबंधित किया गया है, तो यह अपराध माना जाएगा।
हालांकि, यह तभी लागू होगा जब यह कार्य भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code, IPC) की धारा 272 के तहत मिलावट के अपराध के अंतर्गत न आता हो।
उदाहरण: यदि कोई निर्माता शराब के रंग और स्वाद को बेहतर बनाने के लिए खतरनाक रसायन (chemical) मिलाता है, तो यह धारा 58A के तहत दंडनीय होगा।
भारतीय निर्मित विदेशी शराब (IMFL) को विदेशी शराब के रूप में बेचना (Misrepresentation of IMFL as Foreign Liquor)
यह प्रावधान भारतीय निर्मित विदेशी शराब (Indian Made Foreign Liquor, IMFL) को विदेशी शराब (foreign liquor) के रूप में बेचने, रखने या प्रदर्शित करने को प्रतिबंधित करता है। यदि कोई विक्रेता जानबूझकर शराब की उत्पत्ति के बारे में गलत जानकारी देता है, तो यह अपराध होगा।
उदाहरण: यदि कोई दुकान वाला भारतीय व्हिस्की को स्कॉच व्हिस्की बताकर बेचता है, तो यह धारा 58A का उल्लंघन होगा।
बोतल और पैकेजिंग पर झूठा निशान लगाना (False Marking of Bottles and Packaging)
यह अधिनियम बोतलों, कॉर्क, या पैकेजिंग पर ऐसे झूठे निशान लगाने को रोकता है जो इसे विदेशी शराब के रूप में प्रस्तुत करें। यदि यह कार्य भारतीय दंड संहिता की धारा 482 के तहत झूठे प्रॉपर्टी मार्क (false property mark) के अपराध के अंतर्गत नहीं आता, तो यह इस प्रावधान के तहत दंडनीय होगा।
उदाहरण: अगर कोई विक्रेता भारतीय शराब की बोतल पर आयातित (imported) जैसा दिखने वाला कॉर्क लगाता है, तो यह अपराध होगा।
जाली पैकेजिंग का उपयोग (Counterfeit Packaging)
भारतीय निर्मित विदेशी शराब को विदेशी शराब के रूप में दिखाने के लिए जाली पैकेजिंग का उपयोग करना भी इस धारा के तहत अपराध है। यदि यह कार्य जाली प्रॉपर्टी मार्क (counterfeit property mark) के अपराध के अंतर्गत आता है, तो यह IPC की धारा 486 के तहत दंडनीय होगा।
उदाहरण: यदि कोई विक्रेता नकली लेबल (fake labels) का उपयोग करके भारतीय शराब को प्रीमियम विदेशी ब्रांड की तरह दिखाता है, तो यह धारा 58A का उल्लंघन होगा।
जाली एक्साइज लेबल, होलोग्राम, कॉर्क या कैप्सूल बनाना (Counterfeiting Excise Labels, Holograms, Corks, or Capsules)
यह प्रावधान एक्साइज लेबल, होलोग्राम, कॉर्क, और कैप्सूल की जालसाजी (counterfeiting) को भी दंडनीय बनाता है। इसमें नकली लेबल या होलोग्राम बनाने के लिए ब्लॉक (block) तैयार करना या ऐसे नकली सामान रखना शामिल है।
उदाहरण: यदि कोई निर्माता नकली होलोग्राम बनाता है ताकि एक्साइज सत्यापन (excise verification) से बच सके, तो यह अपराध होगा।
धारा 58A के तहत सजा (Penalties)
धारा 58A के तहत सजा गंभीर है और यह इस बात पर निर्भर करती है कि अपराध पहली बार किया गया है या दोबारा।
पहले अपराध के लिए सजा (Penalty for the First Offense)
पहले अपराध के लिए दोषी व्यक्ति को कम से कम एक वर्ष की सजा दी जाएगी, जिसे तीन वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है। इसके अलावा, कम से कम दस हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा, जो तीन लाख रुपये तक हो सकता है।
उदाहरण: यदि कोई लाइसेंसधारी पहली बार नकली होलोग्राम का उपयोग करते हुए पकड़ा जाता है, तो उसे यह सजा मिलेगी।
दूसरे या बाद के अपराध के लिए सजा (Penalty for Subsequent Offenses)
दूसरे या बाद के अपराध के लिए सजा और भी कठोर है। इसमें कम से कम दो वर्ष की सजा होगी, जिसे पांच वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है। जुर्माने की राशि पचास हजार रुपये से लेकर पांच लाख रुपये तक हो सकती है।
उदाहरण: यदि कोई निर्माता बार-बार मिलावटी शराब बेचता है, तो उसे यह कठोर सजा मिलेगी।
जालसाजी की परिभाषा (Definition of Counterfeiting)
"जालसाजी" शब्द का अर्थ IPC की धारा 28 के तहत परिभाषित है। इसका मतलब है कि किसी उत्पाद को असली दिखाने के लिए नकली बनाना।
उदाहरण: नकली एक्साइज लेबल प्रिंट करना, जो असली लेबल जैसा दिखे, जालसाजी कहलाता है।
अपराधों के उदाहरण (Illustrations of Offenses)
1. यदि कोई लाइसेंसधारी शराब के रंग और स्वाद को बढ़ाने के लिए हानिकारक रसायन मिलाता है, तो यह अपराध होगा।
2. यदि कोई दुकान वाला भारतीय शराब को "आयातित" बताकर अधिक कीमत पर बेचता है, तो यह अपराध होगा।
3. नकली होलोग्राम और कॉर्क का उपयोग करके भारतीय शराब को विदेशी ब्रांड जैसा दिखाना अपराध है।
4. नकली लेबल बनाने के लिए ब्लॉक रखना भी इस धारा के तहत दंडनीय है।
धारा 58A का उद्देश्य और महत्व (Purpose and Objectives)
इस धारा का मुख्य उद्देश्य नशीले पदार्थों की गुणवत्ता और प्रामाणिकता सुनिश्चित करना है। यह मिलावट, गलत जानकारी और जालसाजी को रोकने के लिए सख्त प्रावधान करता है। यह प्रावधान न केवल उपभोक्ताओं की सुरक्षा करता है, बल्कि आबकारी प्रणाली (excise system) की विश्वसनीयता (credibility) को भी बनाए रखता है।
राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 की धारा 58A नशीले पदार्थों के लाइसेंसधारकों और निर्माताओं के आचरण को नियंत्रित करने के लिए एक सख्त प्रावधान है।
यह मिलावट, गलत जानकारी और जालसाजी के खिलाफ कड़ा रुख अपनाता है। इसके तहत दी जाने वाली कठोर सजा न केवल अपराधियों को रोकने का काम करती है, बल्कि आबकारी प्रणाली की विश्वसनीयता को भी मजबूत करती है। इस प्रावधान के माध्यम से सार्वजनिक स्वास्थ्य, उपभोक्ता विश्वास और नियामक अनुपालन (regulatory compliance) को बनाए रखने में महत्वपूर्ण योगदान दिया गया है।