धारा 56 और 57 राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 : अवैध रूप से आयात किए गए आबकारी पदार्थों का कब्जा

Himanshu Mishra

15 Jan 2025 11:27 AM

  • धारा 56 और 57 राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 : अवैध रूप से आयात किए गए आबकारी पदार्थों का कब्जा

    राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 (Rajasthan Excise Act, 1950) राज्य में मदिरा (liquor) और अन्य उत्पादों के निर्माण, बिक्री, और वितरण को नियंत्रित करने के लिए लागू किया गया है।

    इस अधिनियम की धारा 56 और 57, मद्य पदार्थों (alcoholic substances) के दुरुपयोग और अवैध कब्जे को रोकने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। ये प्रावधान (provisions) न केवल सार्वजनिक सुरक्षा (public safety) सुनिश्चित करते हैं, बल्कि सरकार के राजस्व (revenue) की रक्षा भी करते हैं।

    धारा 56: मानवीय उपभोग के लिए डिनैचर्ड स्पिरिट को उपयुक्त बनाने पर दंड

    डिनैचर्ड स्पिरिट (denatured spirit) वह पदार्थ है, जिसे रसायनों (chemicals) से ऐसा बनाया गया है कि यह मानव उपभोग (human consumption) के लिए अनुपयुक्त हो। इसका उपयोग केवल औद्योगिक (industrial) और गैर-उपभोक्ता (non-consumable) उद्देश्यों के लिए किया जाता है।

    इस धारा का उद्देश्य

    धारा 56 उन व्यक्तियों को दंडित करती है, जो डिनैचर्ड स्पिरिट को उपभोग योग्य (consumable) बनाने का प्रयास करते हैं या ऐसा पदार्थ अपने पास रखते हैं। इसके तहत सजा और जुर्माने का प्रावधान कड़ा है, ताकि इस प्रकार के खतरनाक कार्यों को रोका जा सके।

    दंड का प्रावधान

    इस धारा के तहत:

    • न्यूनतम दो वर्ष की सजा दी जाएगी, जो पाँच वर्ष तक बढ़ाई जा सकती है।

    • जुर्माना (fine) दो लाख रुपये या पाँच हजार रुपये प्रति बल्क लीटर (bulk liter) डिनैचर्ड स्पिरिट पर लगाया जाएगा, जो भी अधिक हो।

    स्पष्टीकरण (Explanation)

    इस धारा में यह स्पष्ट किया गया है कि यदि किसी स्पिरिट में रासायनिक विश्लेषण (chemical analysis) द्वारा डिनैचर्ड पदार्थ (denaturants) पाए जाते हैं, तो यह माना जाएगा कि वह डिनैचर्ड स्पिरिट है। जब तक यह सिद्ध न हो कि ऐसा नहीं है, यह मान्यता (presumption) लागू होगी।

    उदाहरण (Illustration)

    यदि किसी व्यक्ति के पास 100 लीटर डिनैचर्ड स्पिरिट है, जिसे मानव उपभोग के लिए उपयुक्त बनाया गया है, तो उस पर न्यूनतम दो वर्ष की जेल और पाँच लाख रुपये का जुर्माना (100 लीटर × 5,000 रुपये प्रति लीटर) लगाया जाएगा।

    यह उदाहरण दिखाता है कि इस धारा का उद्देश्य जनता के स्वास्थ्य और सुरक्षा की रक्षा करना है।

    धारा 57: अवैध रूप से आयात किए गए आबकारी पदार्थों का कब्जा रखने पर दंड

    धारा 57 उन व्यक्तियों पर लागू होती है, जो बिना वैध अनुमति (lawful authority) के आबकारी पदार्थों (excisable articles) का अवैध कब्जा रखते हैं। यह उन मामलों को भी कवर करती है, जहां आबकारी शुल्क (excise duty) का भुगतान नहीं किया गया हो।

    दंड का प्रावधान

    इस धारा के तहत:

    • न्यूनतम छह महीने की सजा दी जाएगी, जो तीन वर्ष तक बढ़ाई जा सकती है।

    • जुर्माना बीस हजार रुपये या आबकारी शुल्क के नुकसान का पाँच गुना, जो भी अधिक हो, लगाया जाएगा।

    50 बल्क लीटर से अधिक मात्रा पर कठोर दंड

    यदि जब्त की गई शराब की मात्रा 50 बल्क लीटर से अधिक है, तो दंड अधिक कठोर हो जाता है।

    • न्यूनतम तीन वर्ष की सजा दी जाएगी, जो पाँच वर्ष तक बढ़ाई जा सकती है।

    • जुर्माना बीस हजार रुपये या आबकारी शुल्क के नुकसान का दस गुना, जो भी अधिक हो, लगाया जाएगा।

    उदाहरण (Illustration)

    मान लें कि किसी व्यक्ति के पास 60 बल्क लीटर शराब अवैध रूप से आयात की गई पाई जाती है, और आबकारी शुल्क में नुकसान 10,000 रुपये है। ऐसे मामले में, व्यक्ति को न्यूनतम तीन वर्ष की जेल और एक लाख रुपये का जुर्माना (10 × 10,000 रुपये) भुगतना होगा।

    यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि बड़े पैमाने पर अवैध गतिविधियों में शामिल व्यक्तियों को कठोर दंड दिया जाए।

    धारा 56 और 57 का आपसी संबंध

    धारा 56 और 57 दोनों आबकारी कानूनों के उल्लंघन के अलग-अलग पहलुओं को कवर करती हैं।

    • धारा 56 डिनैचर्ड स्पिरिट के दुरुपयोग को रोकने पर केंद्रित है।

    • धारा 57 अवैध रूप से आयातित या कब्जे में रखे गए आबकारी पदार्थों को संबोधित करती है।

    इन दोनों प्रावधानों का उद्देश्य सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा और राजस्व हानि को रोकना है।

    कठोर दंड का महत्व

    इन धाराओं के तहत कठोर दंड का प्रावधान निम्नलिखित उद्देश्यों को पूरा करता है:

    1. सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा: डिनैचर्ड स्पिरिट का दुरुपयोग स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। धारा 56 इसे रोकने के लिए कड़े प्रावधान करती है।

    2. राजस्व की सुरक्षा: अवैध कब्जा और आबकारी शुल्क की चोरी राज्य के राजस्व को नुकसान पहुंचाते हैं। धारा 57 इसे रोकने में मदद करती है।

    व्यापक प्रभाव

    धारा 56 और 57 न केवल अवैध गतिविधियों को रोकती हैं, बल्कि संगठित अपराध (organized crime) और अवैध व्यापार (illegal trade) पर भी रोक लगाती हैं। इन धाराओं के तहत कठोर दंड सुनिश्चित करता है कि उल्लंघन करने वाले गंभीर कानूनी परिणामों का सामना करें।

    राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 की धारा 56 और 57 आबकारी कानूनों के महत्वपूर्ण हिस्से हैं।

    • धारा 56 डिनैचर्ड स्पिरिट के दुरुपयोग को रोकती है।

    • धारा 57 अवैध रूप से आयातित आबकारी पदार्थों के कब्जे को संबोधित करती है।

    इन धाराओं के तहत कठोर दंड न केवल जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करता है, बल्कि अवैध गतिविधियों को रोकने में भी मदद करता है।

    प्रत्येक उदाहरण यह दर्शाता है कि इन प्रावधानों का उद्देश्य कानून के दायरे में आबकारी पदार्थों के उत्पादन और वितरण को बनाए रखना है। यह न केवल राज्य के राजस्व को संरक्षित करता है, बल्कि एक सुरक्षित और नियंत्रित समाज के निर्माण में भी योगदान देता है।

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