Sales of Goods Act, 1930 की धारा 50: पारगमन में माल को रोकने के अधिकार का प्रयोग

Himanshu Mishra

9 July 2025 12:54 PM

  • Sales of Goods Act, 1930 की धारा 50: पारगमन में माल को रोकने के अधिकार का प्रयोग

    माल विक्रय अधिनियम (Sales of Goods Act), 1930 का अध्याय V अदत्त विक्रेता (Unpaid Seller) के अधिकारों से संबंधित है, जैसा कि हमने पिछली चर्चाओं में देखा। धारा 50 ने पारगमन में माल को रोकने के अधिकार (Right of Stoppage in Transit) को परिभाषित किया, जो अदत्त विक्रेता को खरीदार के दिवालिया होने पर, माल को अपने कब्ज़े से बाहर होने के बावजूद वापस लेने की अनुमति देता है, बशर्ते वे अभी भी 'पारगमन में' हों (जैसा कि धारा 51 में विस्तृत है)। अब, धारा 52 बताती है कि इस महत्वपूर्ण अधिकार का वास्तव में प्रयोग कैसे किया जाता है (How this Right is Exercised)।

    पारगमन में माल को रोकने का अधिकार कैसे प्रयोग किया जाता है (How Stoppage in Transit is Effected)

    धारा 52 अदत्त विक्रेता द्वारा पारगमन में माल को रोकने के अधिकार का प्रयोग करने के दो मुख्य तरीके बताती है:

    1. कब्ज़ा लेना या सूचना देना - धारा 52(1):

    अदत्त विक्रेता अपने पारगमन में माल को रोकने के अधिकार का प्रयोग या तो माल का वास्तविक कब्ज़ा लेकर (Taking Actual Possession of the Goods) कर सकता है, या वाहक (Carrier) या अन्य बाइली (Bailee) को, जिसके कब्ज़े में माल हैं, अपने दावे की सूचना (Giving Notice of His Claim) देकर कर सकता है।

    • वास्तविक कब्ज़ा लेना: यह सबसे सीधा तरीका है। यदि विक्रेता माल तक पहुँच सकता है (उदाहरण के लिए, यदि माल रास्ते में किसी ठहराव पर है) और उसे अपने कब्ज़े में ले सकता है, तो वह ऐसा कर सकता है।

    • सूचना देना: यह अधिक सामान्य तरीका है। विक्रेता को वाहक या बाइली को सूचित करना होगा कि वह माल को रोक रहा है। यह सूचना:

    o या तो माल के वास्तविक कब्ज़े में व्यक्ति (Person in Actual Possession of the Goods) को दी जा सकती है (उदाहरण के लिए, ट्रक ड्राइवर, जहाज का मास्टर)।

    o या उसके मालिक (Principal) को दी जा सकती है (उदाहरण के लिए, परिवहन कंपनी का मुख्यालय)।

    मालिक को दी गई सूचना की प्रभावशीलता (Effectiveness of Notice to Principal): बाद वाले मामले में (जब मालिक को सूचना दी जाती है), सूचना को प्रभावी होने के लिए ऐसे समय और ऐसी परिस्थितियों में दी जानी चाहिए कि मालिक, उचित परिश्रम (Reasonable Diligence) का प्रयोग करके, इसे अपने कर्मचारी या एजेंट को खरीदार को सुपुर्दगी रोकने के लिए समय पर सूचित कर सके।

    यह प्रावधान महत्वपूर्ण है। यदि आप परिवहन कंपनी के मुख्यालय को सूचना भेजते हैं, तो यह सुनिश्चित करना आपकी ज़िम्मेदारी है कि उनके पास आपके माल को रोकने के लिए अपने ड्राइवर या एजेंट को सूचित करने के लिए पर्याप्त समय हो। यदि सूचना बहुत देर से दी जाती है और माल खरीदार को पहले ही डिलीवर कर दिया जाता है, तो विक्रेता अपना अधिकार खो देगा।

    उदाहरण: रमेश ने सुरेश को माल भेजा, और माल अभी रास्ते में है। रमेश को पता चलता है कि सुरेश दिवालिया हो गया है। रमेश सीधे उस ट्रक ड्राइवर को फोन कर सकता है जो माल ले जा रहा है और उसे माल रोकने का निर्देश दे सकता है (वास्तविक कब्ज़े में व्यक्ति को सूचना)। वैकल्पिक रूप से, रमेश उस परिवहन कंपनी के मुख्यालय को फैक्स या ईमेल भेज सकता है जिसके माध्यम से माल भेजा गया था (मालिक को सूचना), लेकिन उसे यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके पास ड्राइवर को सूचित करने के लिए पर्याप्त समय हो इससे पहले कि माल सुरेश को डिलीवर हो।

    2. वाहक का कर्तव्य और खर्च - धारा 52(2):

    जब विक्रेता द्वारा वाहक या माल के कब्ज़े में अन्य बाइली को पारगमन में रोकने की सूचना दी जाती है, तो उसे माल को विक्रेता को या विक्रेता के निर्देशों के अनुसार पुनः-सुपुर्द (Re-deliver) करना होगा। ऐसी पुनः-सुपुर्दगी का खर्च विक्रेता द्वारा वहन किया जाएगा (Expenses of Such Re-delivery Shall Be Borne by the Seller)।

    यह प्रावधान वाहक के लिए कर्तव्य निर्धारित करता है और स्पष्ट करता है कि पुनः-सुपुर्दगी की लागत कौन वहन करेगा। वाहक को विक्रेता के निर्देश का पालन करना चाहिए, और विक्रेता को माल को वापस प्राप्त करने से जुड़े किसी भी खर्च (जैसे कि माल को वापस गोदाम में ले जाने या किसी अन्य गंतव्य पर भेजने का खर्च) का भुगतान करना होगा।

    उदाहरण: उपरोक्त उदाहरण में, यदि रमेश ने परिवहन कंपनी को सफलतापूर्वक सूचना दी है, तो परिवहन कंपनी को सुरेश को माल डिलीवर करने के बजाय रमेश को वापस भेजना होगा। माल को वापस दिल्ली भेजने का खर्च रमेश को उठाना पड़ेगा।

    पिछले खंडों से संबंध (Reference to Previous Sections)

    धारा 52 को धारा 50 (पारगमन में रोकने का अधिकार) और धारा 51 (पारगमन की अवधि) के संदर्भ में समझना महत्वपूर्ण है:

    • धारा 50 का महत्व: धारा 52 केवल तभी लागू होती है जब विक्रेता के पास धारा 50 के तहत 'पारगमन में रोकने का अधिकार' हो। इसका अर्थ है कि खरीदार को दिवालिया होना चाहिए, और विक्रेता को अदत्त होना चाहिए, और उसने माल का कब्ज़ा छोड़ दिया होना चाहिए। यदि ये शर्तें पूरी नहीं होती हैं, तो विक्रेता के पास इस अधिकार का प्रयोग करने का कोई आधार नहीं है, भले ही वह धारा 52 के तहत सही प्रक्रिया का पालन करे।

    • धारा 51 का महत्व: धारा 52 के तहत सफल हस्तक्षेप के लिए यह अनिवार्य है कि माल धारा 51 में परिभाषित 'पारगमन' के दौरान हो। यदि पारगमन समाप्त हो गया है (उदाहरण के लिए, खरीदार ने माल का कब्ज़ा ले लिया है, या वाहक ने खरीदार के लिए बाइली के रूप में कार्य करना शुरू कर दिया है), तो विक्रेता धारा 52 के तहत सूचना देकर भी माल को रोक नहीं सकता। इसलिए, विक्रेता के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह जल्दी कार्रवाई करे और यह सुनिश्चित करे कि माल अभी भी पारगमन में है।

    o उदाहरण के लिए, धारा 51(3) के अनुसार, यदि माल गंतव्य पर पहुँच गया है और वाहक ने खरीदार को सूचित किया है कि वह अब उसके लिए माल रखे हुए है, तो पारगमन समाप्त हो जाता है। ऐसे में, धारा 52 के तहत सूचना देना व्यर्थ होगा क्योंकि रोकने का अधिकार पहले ही समाप्त हो चुका है।

    कीच बनाम मैकमिलन (Keech v. MacMillan) (1979) 1 WLR 118 (एक प्रासंगिक मामला): इस मामले में, यह माना गया था कि पारगमन में माल को रोकने की सूचना को प्रभावी होने के लिए स्पष्ट और असंदिग्ध होना चाहिए, और इसे वाहक को समय पर प्राप्त होना चाहिए ताकि वे माल की सुपुर्दगी रोक सकें।

    धारा 52 अदत्त विक्रेता के पारगमन में माल को रोकने के अधिकार को प्रयोग करने के लिए एक स्पष्ट कार्यप्रणाली प्रदान करती है। यह विक्रेता के लिए एक महत्वपूर्ण सुरक्षा उपाय है, लेकिन इसकी सफलता खरीदार के दिवालियापन के बारे में समय पर जानकारी, त्वरित कार्रवाई और वाहक या बाइली को प्रभावी ढंग से सूचित करने की क्षमता पर निर्भर करती है, यह सुनिश्चित करते हुए कि माल अभी भी पारगमन के दौरान है।

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