भारतीय प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 43-44 : प्रक्रियाओं का पालन न करने पर दंड
Himanshu Mishra
19 Aug 2025 7:44 PM IST

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) को प्रभावी ढंग से कार्य करने के लिए न केवल Competition-विरोधी व्यवहारों को दंडित करने की शक्ति की आवश्यकता होती है, बल्कि जांच और अनुमोदन (approval) प्रक्रियाओं के दौरान असहयोग और बेईमानी को भी दंडित करने की आवश्यकता होती है।
भारतीय प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 43, धारा 43A और धारा 44 इसी उद्देश्य को पूरा करती हैं, जो CCI की नियामक शक्तियों को मजबूत करती हैं। ये धाराएँ स्पष्ट रूप से उन दंडों को परिभाषित करती हैं जो तब लगाए जाते हैं जब कोई व्यक्ति या कंपनी जांच के दौरान निर्देशों का पालन करने में विफल रहता है, महत्वपूर्ण जानकारी छुपाता है, या झूठे बयान देता है।
धारा 43: आयोग और महानिदेशक के निर्देशों का पालन न करने पर दंड (Penalty for Failure to Comply with Directions)
यह धारा CCI और उसके जांच अधिकारी, महानिदेशक (Director General - DG) द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन न करने पर दंड निर्धारित करती है। यह सुनिश्चित करती है कि कोई भी व्यक्ति या कंपनी जांच प्रक्रिया को बाधित न कर सके।
• किसके निर्देश का उल्लंघन?
यह धारा उस व्यक्ति को दंडित करती है जो बिना किसी उचित कारण के:
o आयोग (Commission) द्वारा धारा 36 (2) और 36 (4) के तहत दिए गए किसी निर्देश का पालन करने में विफल रहता है।
o महानिदेशक (Director General) द्वारा धारा 41 (2) के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए दिए गए किसी निर्देश का पालन करने में विफल रहता है।
• संदर्भित धाराओं का विवरण:
o धारा 36 (2) CCI को सिविल कोर्ट (Civil Court) की शक्तियां देती है, जिसमें किसी भी व्यक्ति को बुलाने, शपथ पर पूछताछ करने और दस्तावेजों की खोज व प्रस्तुति की मांग करने का अधिकार शामिल है।
o धारा 36 (4) CCI को किसी भी व्यक्ति को विशिष्ट दस्तावेज या अन्य जानकारी महानिदेशक या सचिव को प्रस्तुत करने का निर्देश देने की शक्ति देती है।
o धारा 41 (2) महानिदेशक को वही सिविल कोर्ट की शक्तियां प्रदान करती है जो CCI के पास हैं, ताकि वह जांच को प्रभावी ढंग से कर सके।
• दंड:
यदि कोई व्यक्ति इन निर्देशों का पालन करने में विफल रहता है, तो उसे प्रत्येक दिन एक लाख रुपये (₹1 lakh) तक का जुर्माना लगाया जा सकता है, जब तक कि वह विफलता जारी रहती है। इस जुर्माने की अधिकतम सीमा एक करोड़ रुपये (₹1 crore) है।
• उदाहरण:
o CCI एक प्रमुख कंपनी को Competition-विरोधी व्यवहार की जांच के लिए अपने आंतरिक बोर्ड मीटिंग के मिनट्स और ईमेल प्रस्तुत करने का आदेश देता है, जैसा कि धारा 36(2) के तहत दिया गया है। कंपनी यह सोचकर आदेश को अनदेखा करती है कि CCI कुछ नहीं कर पाएगा। यदि कंपनी 10 दिनों तक दस्तावेजों को प्रस्तुत नहीं करती है, तो CCI उस पर ₹10 लाख का जुर्माना लगा सकता है। यह जुर्माना तब तक बढ़ता रहेगा जब तक कि कंपनी आदेश का पालन नहीं करती, अधिकतम ₹1 करोड़ तक।
o महानिदेशक एक जांच के हिस्से के रूप में एक कंपनी के सीईओ को पूछताछ के लिए बुलाता है, जैसा कि धारा 41(2) के तहत अनुमत है। सीईओ जानबूझकर उपस्थित होने से इनकार करता है। इस मामले में, महानिदेशक की रिपोर्ट के आधार पर, CCI सीईओ पर धारा 43 के तहत जुर्माना लगा सकता है।
धारा 43A: संयोजनों पर जानकारी न देने पर दंड (Penalty for Non-Furnishing of Information on Combinations)
यह धारा विशेष रूप से बड़े विलय और अधिग्रहणों (mergers and acquisitions) से संबंधित है। यह सुनिश्चित करती है कि CCI को सभी अनिवार्य संयोजनों (compulsory combinations) की समय पर सूचना दी जाए।
• किस पर दंड लगाया जाता है?
यदि कोई व्यक्ति या उद्यम धारा 6(2) के तहत CCI को नोटिस देने में विफल रहता है, तो CCI उस पर दंड लगा सकता है।
• संदर्भित धारा का विवरण:
o धारा 6(2) यह अनिवार्य करती है कि कोई भी व्यक्ति या उद्यम जो एक संयोजन (जिसके कुल टर्नओवर या संपत्ति एक निश्चित सीमा से अधिक हो) में शामिल है, उसे CCI को इसकी सूचना देनी होगी। इसे अक्सर "प्री-मर्जर नोटिफिकेशन" कहा जाता है, और यह सुनिश्चित करता है कि CCI किसी भी संभावित Competition-विरोधी विलय का मूल्यांकन कर सके, इससे पहले कि वह प्रभावी हो जाए।
• दंड:
इस धारा के तहत लगाया जाने वाला जुर्माना संयोजन के कुल टर्नओवर या संपत्ति (total turnover or assets) के एक प्रतिशत (1%) तक हो सकता है, इनमें से जो भी अधिक हो।
• उदाहरण:
o दो बड़ी फार्मास्युटिकल कंपनियाँ आपस में विलय कर लेती हैं। उनकी संयुक्त संपत्ति ₹20,000 करोड़ और कुल टर्नओवर ₹15,000 करोड़ है। वे CCI को सूचित किए बिना विलय को पूरा कर लेती हैं, जो धारा 6(2) का उल्लंघन है, जिसे "गन-जंपिंग" (gun-jumping) भी कहते हैं। जब CCI को इस विलय के बारे में पता चलता है, तो वह धारा 43A के तहत उन पर जुर्माना लगा सकता है। चूंकि संपत्ति टर्नओवर से अधिक है, CCI अधिकतम ₹200 करोड़ (20,000 करोड़ का 1%) का जुर्माना लगा सकता है।
o वास्तविक जीवन का उदाहरण: भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने कई कंपनियों पर धारा 43A के तहत जुर्माना लगाया है। 2021 में, CCI ने अमेज़ॅन (Amazon) पर फ्यूचर ग्रुप (Future Group) के साथ हुए सौदे में जानकारी न देने और झूठे बयान देने के लिए भारी जुर्माना लगाया था, हालांकि यह जुर्माना कई धाराओं के तहत लगाया गया था, लेकिन धारा 43A इस तरह के मामलों में एक प्रमुख घटक है।
धारा 44: झूठे बयान या महत्वपूर्ण जानकारी को छिपाने पर दंड (Penalty for False Statement or Omission of Material Information)
यह धारा विशेष रूप से बेईमानी और धोखे को दंडित करती है, जो CCI की जांच प्रक्रिया की अखंडता को कमजोर कर सकती है।
• किस पर दंड लगाया जाता है?
यह धारा किसी भी व्यक्ति को दंडित करती है जो एक संयोजन का एक पक्ष है और:
1. कोई ऐसा बयान देता है जो किसी महत्वपूर्ण विवरण (material particular) में झूठा है, या जिसे वह झूठा जानता है।
2. किसी महत्वपूर्ण विवरण को छिपाता (omits) है, जिसे वह जानता है कि वह महत्वपूर्ण है।
• दंड:
इस धारा के तहत लगाया जाने वाला जुर्माना पचास लाख रुपये (₹50 lakhs) से कम नहीं होगा, लेकिन यह एक करोड़ रुपये (₹1 crore) तक हो सकता है, जैसा कि CCI द्वारा निर्धारित किया जा सकता है।
• उदाहरण:
o एक कंपनी, जो एक संयोजन में शामिल है, CCI को जमा किए गए अपने दस्तावेजों में जानबूझकर अपनी एक सहायक कंपनी का विवरण छिपाती है क्योंकि वह सहायक कंपनी एक Competition-विरोधी समझौते में शामिल है। कंपनी ऐसा इसलिए करती है ताकि CCI को इस समझौते के बारे में पता न चले और विलय को आसानी से मंजूरी मिल जाए। यह धारा 44 का स्पष्ट उल्लंघन है। CCI को इस धोखे का पता चलने पर, वह कंपनी पर कम से कम ₹50 लाख और अधिकतम ₹1 करोड़ का जुर्माना लगा सकता है।
o संदर्भित धारा: यह धारा धारा 29 के तहत संयोजन की जांच प्रक्रिया से सीधे जुड़ी हुई है, जहाँ CCI संयोजन के पक्षों से विस्तृत जानकारी और अतिरिक्त जानकारी मांगता है। यदि इस प्रक्रिया के दौरान कोई पक्ष जानबूझकर झूठी जानकारी देता है, तो उस पर धारा 44 के तहत कार्यवाही की जाती है।
भारतीय प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 43, 43A और 44 मिलकर CCI को एक शक्तिशाली नियामक के रूप में स्थापित करती हैं। ये धाराएं CCI को केवल Competition-विरोधी व्यवहारों पर ही नहीं, बल्कि प्रक्रियात्मक उल्लंघनों (procedural violations) पर भी दंड लगाने की शक्ति देती हैं। ये दंड CCI की जांच और अनुमोदन प्रक्रियाओं के लिए एक मजबूत सुरक्षा कवच का काम करते हैं, जो यह सुनिश्चित करते हैं कि सभी पक्ष सहयोग करें और ईमानदारी से व्यवहार करें। ये धाराएं CCI को प्रभावी प्रवर्तन (effective enforcement) के लिए आवश्यक अधिकार प्रदान करती हैं, जो भारत में एक स्वस्थ और प्रतिस्पर्धी बाजार के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण है।

