भारतीय प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 4: प्रमुख स्थिति के दुरुपयोग पर प्रतिबंध
Himanshu Mishra
28 July 2025 5:00 PM IST

हमने प्रतिस्पर्धा (Competition) की अहमियत समझी, और यह भी देखा कि कैसे कंपनियां आपस में मिलकर इस Competition को खत्म कर सकती हैं। लेकिन क्या होगा अगर कोई एक कंपनी इतनी बड़ी और ताकतवर हो जाए कि वह बाजार में लगभग अकेले ही राज करे?
ऐसा नहीं है कि बड़ी होना या मजबूत होना गलत है, लेकिन जब कोई कंपनी अपनी इस ताकत का गलत फायदा उठाकर दूसरों या ग्राहकों को नुकसान पहुंचाती है, तो उसे "प्रमुख स्थिति का दुरुपयोग" (Abuse of Dominant Position) कहते हैं। भारतीय प्रतिस्पर्धा अधिनियम (Competition Act), 2002 की धारा 4 (Section 4) इसी पर रोक लगाती है।
धारा 4(1): मूल सिद्धांत
धारा 4(1) सीधे तौर पर कहती है कि कोई भी उद्यम (enterprise) या समूह (group) अपनी प्रमुख स्थिति का दुरुपयोग नहीं करेगा। यह एक बहुत ही सरल लेकिन शक्तिशाली वाक्य है। इसका मतलब है कि अगर कोई कंपनी या कंपनियों का समूह बाजार में इतना मजबूत है कि वह दूसरों की परवाह किए बिना काम कर सकता है, तो उसे अपनी इस ताकत का गलत इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं है।
धारा 4(2): प्रमुख स्थिति के दुरुपयोग के उदाहरण
धारा 4(2) बताती है कि धारा 4(1) के तहत प्रमुख स्थिति का दुरुपयोग कब होगा। यह कुछ खास हरकतों को सूचीबद्ध करती है जो किसी प्रमुख कंपनी द्वारा की जाने पर Competition को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
एक प्रमुख कंपनी अनुचित या भेदभावपूर्ण शर्तें या कीमतें लगा सकती है। इसमें वस्तुओं या सेवाओं की खरीद या बिक्री में अनुचित या भेदभावपूर्ण शर्तें शामिल हैं, जैसे एक ही शहर में इकलौता इंटरनेट सेवा प्रदाता ग्राहकों को कहता है कि यदि वे उसके साथ इंटरनेट सेवा चाहते हैं, तो उन्हें अनिवार्य रूप से उसका महंगा फोन कनेक्शन भी लेना होगा, भले ही उन्हें उसकी जरूरत न हो।
इसके साथ ही इसमें वस्तुओं या सेवाओं की खरीद या बिक्री में अनुचित या भेदभावपूर्ण मूल्य (शिकारी मूल्य सहित) शामिल है। शिकारी मूल्य (Predatory Price) का अर्थ है किसी उत्पाद को उसकी लागत से भी कम कीमत पर बेचना, जिसका एकमात्र उद्देश्य Competition को खत्म करना या अन्य Competitors (प्रतिस्पर्धियों) को बाजार से बाहर निकालना होता है। एक बार जब प्रतिस्पर्धी बाहर हो जाते हैं, तो कंपनी कीमतें फिर से बढ़ा सकती है।
उदाहरण के लिए, एक बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी अपने नए बाजार में छोटे ऑनलाइन विक्रेताओं को खत्म करने के लिए शुरुआती महीनों में सभी उत्पादों को लागत से भी कम कीमत पर बेचती है। Google Android case (XYZ v. Alphabet Inc.) (गूगल एंड्रॉयड मामला) में, CCI ने Google पर अपनी प्रमुख स्थिति का दुरुपयोग करने के लिए जुर्माना लगाया था, जिसमें अन्य बातों के अलावा, डिवाइस निर्माताओं पर अनुचित शर्तें लगाना भी शामिल था। हालांकि, यह महत्वपूर्ण है कि धारा 4(2)(a) की व्याख्या में कहा गया है कि ऐसी भेदभावपूर्ण शर्त या कीमत जो Competition का सामना करने के लिए अपनाई जाती है, उसे अनुचित या भेदभावपूर्ण नहीं माना जाएगा। यानी, अगर कोई कंपनी सिर्फ इसलिए कम कीमत लगा रही है क्योंकि उसके Competitors ने भी कम कीमत लगाई है, तो यह दुरुपयोग नहीं है।
इसके अलावा, प्रमुख कंपनियां उत्पादन, सेवाओं या बाजार को सीमित या प्रतिबंधित कर सकती हैं। जब कोई प्रमुख कंपनी जानबूझकर अपने उत्पादों या सेवाओं का उत्पादन कम करती है, या बाजार में उनकी आपूर्ति को सीमित करती है, जिससे उनकी कमी हो और कीमतें बढ़ें, तो यह दुरुपयोग है।
उदाहरण के लिए, एक बड़ी दवा कंपनी, जिसके पास एक महत्वपूर्ण जीवन रक्षक दवा का पेटेंट (Patent) है, जानबूझकर उस दवा का उत्पादन कम कर देती है ताकि बाजार में उसकी कमी हो जाए और वह बहुत ऊंची कीमत पर बेची जा सके, जिससे उपभोक्ताओं को नुकसान हो।
साथ ही, यदि एक प्रमुख कंपनी उपभोक्ताओं के नुकसान के लिए उत्पादों या सेवाओं से संबंधित तकनीकी या वैज्ञानिक विकास को रोकती है, तो यह भी दुरुपयोग है। एक बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनी एक नए, अधिक कुशल और सस्ते प्रोसेसर के लॉन्च को रोक सकती है, ताकि वह अपने पुराने, अधिक महंगे प्रोसेसर को बेचना जारी रख सके।
प्रमुख कंपनियां बाजार तक पहुंच से भी इनकार कर सकती हैं। जब कोई प्रमुख कंपनी किसी भी तरह से अन्य Competitors या ग्राहकों को बाजार तक पहुंचने से रोकती है, तो यह दुरुपयोग है। उदाहरण के लिए, एक प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म अपने प्लेटफॉर्म पर किसी छोटे नए ऐप को काम करने से इनकार करता है, जिससे उस छोटे ऐप को बढ़ने का अवसर नहीं मिलता। Coal India Ltd. v. Competition Commission of India (कोल इंडिया लिमिटेड बनाम भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग) मामले में, CCI ने कोयला इंडिया लिमिटेड पर कोयले की आपूर्ति में अपनी प्रमुख स्थिति का दुरुपयोग करने के लिए जुर्माना लगाया था, जिसमें बिजली उत्पादकों को बाजार तक पहुंच से इनकार करना भी शामिल था।
अनुबंधों में गैर-संबंधित शर्तें भी प्रमुख स्थिति का दुरुपयोग मानी जाती हैं। जब एक प्रमुख कंपनी किसी अनुबंध को इस शर्त पर संपन्न करती है कि दूसरी पार्टी को कुछ ऐसे अतिरिक्त दायित्व स्वीकार करने होंगे जिनका उस अनुबंध के विषय से कोई संबंध नहीं है, तो यह दुरुपयोग है।
उदाहरण के लिए, एक प्रमुख निर्माण कंपनी एक ग्राहक को एक बड़ी निर्माण परियोजना का ठेका तभी देती है जब वह ग्राहक उसी कंपनी से अपने सभी निर्माण उपकरण भी खरीदने के लिए सहमत हो, जबकि ग्राहक उन उपकरणों को कहीं और से बेहतर कीमत पर खरीद सकता था।
अंत में, प्रमुख कंपनियां एक बाजार में अपनी प्रमुख स्थिति का उपयोग दूसरे बाजार में प्रवेश करने या उसकी रक्षा करने के लिए कर सकती हैं। जब एक प्रमुख कंपनी अपने एक बाजार में अपनी ताकत का उपयोग दूसरे बाजार में प्रवेश करने या वहां अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए करती है, तो यह दुरुपयोग है। उदाहरण के लिए, एक कंपनी जो ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) बाजार में प्रमुख है, अपनी इस ताकत का उपयोग अपने खुद के वेब ब्राउज़र को बढ़ावा देने के लिए करती है, जिससे अन्य ब्राउज़र निर्माताओं के लिए प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल हो जाता है। Google Play Billing Policy case (Together We Fight Society v. Apple Inc.) (गूगल प्ले बिलिंग पॉलिसी मामला) में, CCI ने Apple पर अपनी प्रमुख स्थिति का दुरुपयोग करने के लिए जांच की थी, जिसमें ऐप डेवलपर्स पर अपनी इन-ऐप खरीद (in-app purchase) के लिए केवल अपनी बिलिंग प्रणाली का उपयोग करने की शर्त लगाना शामिल था, जिससे उन्हें एक और बाजार में अपनी प्रभुत्व का लाभ मिल सके।
धारा 4 की व्याख्या: प्रमुख पद और समूह की परिभाषा
धारा 4 की व्याख्या (Explanation) में कुछ महत्वपूर्ण शब्दों को परिभाषित किया गया है। "प्रमुख स्थिति" (Dominant Position) का अर्थ भारत में संबंधित बाजार में एक उद्यम द्वारा प्राप्त ताकत की ऐसी स्थिति है, जो उसे सक्षम बनाती है कि वह संबंधित बाजार में मौजूद Competitive forces (प्रतिस्पर्धी ताकतों) से स्वतंत्र रूप से कार्य करे, या अपने Competitors (प्रतिस्पर्धियों) या उपभोक्ताओं या संबंधित बाजार को अपने पक्ष में प्रभावित करे।
सरल शब्दों में, एक कंपनी इतनी ताकतवर हो कि उसे अपने Competitors की या ग्राहकों की ज्यादा परवाह न करनी पड़े, और वह अपनी मर्जी से चीजें कर सके। "शिकारी मूल्य" (Predatory Price) का अर्थ वस्तुओं की बिक्री या सेवाओं का प्रावधान, ऐसी कीमत पर जो वस्तुओं के उत्पादन या सेवाओं के प्रावधान की लागत से कम है, Competition को कम करने या Competitors को खत्म करने के उद्देश्य से। "समूह" (Group) का वही अर्थ है जो धारा 5 (Section 5) की व्याख्या के खंड (b) में दिया गया है। यह उन कंपनियों को संदर्भित करता है जो एक सामान्य प्रबंधन या नियंत्रण के तहत काम करती हैं।
भारतीय प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 4 यह सुनिश्चित करती है कि कोई भी कंपनी, भले ही वह कितनी भी बड़ी या सफल क्यों न हो, अपनी शक्ति का दुरुपयोग करके Competition को नुकसान न पहुँचाए। यह धारा बाजार में निष्पक्षता और संतुलन बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है, जिससे सभी आकार के व्यवसायों को फलने-फूलने और ग्राहकों को बेहतर उत्पाद और सेवाएं प्राप्त करने का अवसर मिलता है।

