Sales of Goods Act, 1930 की धारा 36-37 : Delivery के नियम और गलत मात्रा
Himanshu Mishra
2 July 2025 12:18 PM

Sales of Goods Act, 1930 का अध्याय IV अनुबंध के प्रदर्शन (Performance of the Contract) के बारे में बताता है। इसमें सुपुर्दगी (Delivery) से संबंधित महत्वपूर्ण नियम शामिल हैं, जो विक्रेता (Seller) और खरीदार (Buyer) दोनों के लिए स्पष्टता प्रदान करते हैं।
सुपुर्दगी संबंधी नियम (Rules as to Delivery)
धारा 36 सुपुर्दगी के विभिन्न पहलुओं और संबंधित कर्तव्यों को निर्धारित करती है:
1. सुपुर्दगी का स्थान (Place of Delivery) - धारा 36(1):
क्या खरीदार को माल का कब्ज़ा लेना है या विक्रेता को उन्हें खरीदार को भेजना है, यह प्रत्येक मामले में पार्टियों के बीच स्पष्ट (Express) या निहित (Implied) अनुबंध पर निर्भर करता है।
ऐसे किसी भी अनुबंध के अलावा, बेचे गए माल को उस स्थान पर सुपुर्द किया जाना है जहाँ वे बिक्री के समय थे, और बेचने के लिए सहमत माल को उस स्थान पर सुपुर्द किया जाना है जहाँ वे बेचने के समझौते के समय थे, या, यदि तब अस्तित्व में नहीं थे, तो उस स्थान पर जहाँ उन्हें निर्मित (Manufactured) या उत्पादित (Produced) किया जाता है।
यह धारा डिफ़ॉल्ट नियम (Default Rule) प्रदान करती है कि यदि पार्टियों ने सुपुर्दगी के स्थान के बारे में कोई विशेष समझौता नहीं किया है, तो माल वहीं डिलीवर किया जाएगा जहाँ वे अनुबंध के समय मौजूद थे।
उदाहरण: रमेश अपनी दुकान में एक पुरानी मेज बेचता है। यदि सुरेश और रमेश सुपुर्दगी के स्थान के बारे में कुछ भी तय नहीं करते हैं, तो सुरेश को मेज लेने के लिए दुकान पर आना होगा क्योंकि बिक्री के समय मेज वहीं थी।
2. सुपुर्दगी का समय (Time of Delivery) - धारा 36(2):
जहाँ बिक्री अनुबंध के तहत विक्रेता माल को खरीदार को भेजने के लिए बाध्य है, लेकिन उन्हें भेजने के लिए कोई समय निर्धारित नहीं है, तो विक्रेता उन्हें उचित समय (Reasonable Time) के भीतर भेजने के लिए बाध्य है। 'उचित समय' क्या है, यह प्रत्येक मामले की परिस्थितियों पर निर्भर करता है।
उदाहरण: आपने एक ऑनलाइन स्टोर से कपड़े का ऑर्डर दिया है और उन्होंने कहा है कि वे डिलीवरी करेंगे, लेकिन कोई तारीख नहीं दी है। विक्रेता को आपको एक उचित समय के भीतर कपड़े डिलीवर करने होंगे। यदि वे महीनों तक डिलीवर नहीं करते हैं, तो यह अनुचित होगा।
3. तीसरे पक्ष के कब्ज़े में माल (Goods in Possession of a Third Person) - धारा 36(3):
जहाँ बिक्री के समय माल किसी तीसरे व्यक्ति (Third Person) के कब्ज़े में है, तो विक्रेता द्वारा खरीदार को कोई सुपुर्दगी नहीं होती है जब तक और जब तक ऐसा तीसरा व्यक्ति खरीदार को यह स्वीकार (Acknowledges) नहीं करता है कि वह उसकी ओर से माल को रखता है।
यह एक महत्वपूर्ण नियम है जो यह सुनिश्चित करता है कि खरीदार को स्पष्ट जानकारी हो कि माल का नियंत्रण तीसरे पक्ष से उस तक आ गया है। इस प्रकार की सुपुर्दगी को अक्सर रचनात्मक सुपुर्दगी (Constructive Delivery) कहा जाता है।
उदाहरण: सुरेश का 500 किलोग्राम चावल एक गोदाम में रखा हुआ है, जिसे वह रमेश को बेचता है। जब तक गोदाम का मालिक रमेश को यह स्वीकार नहीं करता कि वह चावल अब रमेश की ओर से रखे हुए हैं, तब तक सुरेश द्वारा रमेश को चावल की कोई सुपुर्दगी नहीं मानी जाएगी।
परंतुक (Proviso): इस धारा में कुछ भी माल के शीर्षक के किसी दस्तावेज़ (Document of Title to Goods) के जारी होने या हस्तांतरण के संचालन को प्रभावित नहीं करेगा। इसका मतलब है कि यदि माल के लिए शीर्षक का दस्तावेज़ (जैसे बिल ऑफ लेडिंग) हस्तांतरित किया जाता है, तो यह स्वयं सुपुर्दगी के रूप में कार्य कर सकता है, भले ही तीसरा पक्ष अभी तक सीधे खरीदार को स्वीकार न करे।
4. सुपुर्दगी की मांग या निविदा का उचित समय (Reasonable Hour for Demand or Tender of Delivery) - धारा 36(4):
सुपुर्दगी की मांग (Demand of Delivery) या निविदा (Tender of Delivery) को निष्प्रभावी (Ineffectual) माना जा सकता है जब तक कि यह उचित घंटे (Reasonable Hour) पर न की गई हो। 'उचित घंटा क्या है' यह एक तथ्य का प्रश्न है। आमतौर पर, यह व्यावसायिक घंटों के भीतर होता है।
उदाहरण: यदि कोई खरीदार आधी रात को सुपुर्दगी की मांग करता है, तो विक्रेता उसे निष्प्रभावी मान सकता है क्योंकि वह एक उचित घंटा नहीं है।
5. सुपुर्दगी योग्य स्थिति में लाने के खर्च (Expenses of Putting Goods into Deliverable State) - धारा 36(5):
जब तक अन्यथा सहमत न हो, माल को सुपुर्दगी योग्य स्थिति में लाने के खर्च (Expenses) और आकस्मिक खर्च (Incidental to Putting the Goods) विक्रेता द्वारा वहन किए जाएंगे (Shall Be Borne by the Seller)। यह एक डिफ़ॉल्ट नियम है जो स्पष्ट करता है कि विक्रेता को माल को बिक्री के लिए तैयार करने की लागत वहन करनी होगी।
गलत मात्रा की सुपुर्दगी (Delivery of Wrong Quantity)
धारा 37 उन स्थितियों से संबंधित है जहाँ विक्रेता अनुबंध की तुलना में गलत मात्रा या अलग प्रकार का माल डिलीवर करता है।
यह खरीदार के अधिकारों और दायित्वों को स्पष्ट करती है:
1. कम मात्रा में सुपुर्दगी (Delivery of Less Quantity) - धारा 37(1):
जहाँ विक्रेता खरीदार को बेचे जाने वाले अनुबंध से कम मात्रा में माल सुपुर्द करता है, खरीदार उन्हें अस्वीकार कर सकता है (Buyer May Reject Them)। लेकिन यदि खरीदार ऐसे डिलीवर किए गए माल को स्वीकार करता है (Accepts the Goods), तो वह उनके लिए अनुबंध दर पर भुगतान करेगा (Shall Pay for Them at the Contract Rate)।
उदाहरण: आपने 100 किलोग्राम चावल का ऑर्डर दिया, लेकिन आपको केवल 90 किलोग्राम प्राप्त हुए। आप उन 90 किलोग्राम को अस्वीकार कर सकते हैं। हालाँकि, यदि आप उन्हें स्वीकार करते हैं, तो आपको 90 किलोग्राम के लिए उसी दर पर भुगतान करना होगा जो 100 किलोग्राम के लिए तय की गई थी।
2. अधिक मात्रा में सुपुर्दगी (Delivery of Larger Quantity) - धारा 37(2):
जहाँ विक्रेता खरीदार को बेचे जाने वाले अनुबंध से अधिक मात्रा में माल सुपुर्द करता है, तो खरीदार अनुबंध में शामिल माल को स्वीकार कर सकता है और बाकी को अस्वीकार कर सकता है (May Accept the Goods Included in the Contract and Reject the Rest), या वह पूरे को अस्वीकार कर सकता है (May Reject the Whole)। यदि खरीदार ऐसे डिलीवर किए गए पूरे माल को स्वीकार करता है, तो वह उनके लिए अनुबंध दर पर भुगतान करेगा (Shall Pay for Them at the Contract Rate)।
उदाहरण: आपने 100 किलोग्राम चावल का ऑर्डर दिया, लेकिन आपको 110 किलोग्राम प्राप्त हुए। आप 100 किलोग्राम को स्वीकार कर सकते हैं और अतिरिक्त 10 किलोग्राम को अस्वीकार कर सकते हैं, या आप पूरे 110 किलोग्राम को अस्वीकार कर सकते हैं। यदि आप पूरे 110 किलोग्राम को स्वीकार करते हैं, तो आपको पूरे 110 किलोग्राम के लिए उसी अनुबंध दर पर भुगतान करना होगा।
3. मिश्रित सुपुर्दगी (Mixed Delivery) - धारा 37(3):
जहाँ विक्रेता खरीदार को बेचे जाने वाले अनुबंध के माल को उस अनुबंध में शामिल नहीं किए गए विभिन्न विवरण के माल (Goods of a Different Description) के साथ मिश्रित करके सुपुर्द करता है, तो खरीदार उन माल को स्वीकार कर सकता है जो अनुबंध के अनुसार हैं और बाकी को अस्वीकार कर सकता है (May Accept the Goods Which Are in Accordance with the Contract and Reject the Rest), या वह पूरे को अस्वीकार कर सकता है (May Reject the Whole)।
उदाहरण: आपने 100 किलोग्राम 'बासमती चावल' का ऑर्डर दिया, लेकिन आपको 90 किलोग्राम 'बासमती चावल' और 10 किलोग्राम 'सोना मसूरी चावल' का मिश्रण प्राप्त हुआ। आप केवल 'बासमती चावल' को स्वीकार कर सकते हैं और 'सोना मसूरी चावल' को अस्वीकार कर सकते हैं, या आप पूरी खेप को अस्वीकार कर सकते हैं।
4. व्यापार के उपयोग आदि के अधीन (Subject to Usage of Trade, etc.) - धारा 37(4):
इस धारा के प्रावधान किसी भी व्यापार के उपयोग (Usage of Trade), विशेष समझौते (Special Agreement) या पार्टियों के बीच व्यवहार के दौरान (Course of Dealing) के अधीन हैं। इसका अर्थ है कि यदि व्यापार की कोई स्थापित प्रथा है, या पार्टियों के बीच एक विशेष समझौता है, या उनके पिछले व्यवहार का एक पैटर्न है, तो उन पर इस धारा के सामान्य नियम से अधिक प्राथमिकता दी जाएगी।
शौर्ट बनाम हेरिंग (Short v. Herring) (1875) 5 App Cas 575 (एक प्रासंगिक मामला): इस मामले में, यह स्थापित किया गया कि यदि खरीदार उस मात्रा से कम या ज्यादा माल स्वीकार करता है जो अनुबंधित थी, तो उसे अनुबंध दर पर भुगतान करना होगा। यह सिद्धांत 'क्वांटम मेरूट' (Quantum Meruit - जितना अर्जित किया गया) के विचार पर आधारित है।
ये धाराएँ मिलकर अनुबंध के प्रदर्शन को अधिक अनुमानित और कुशल बनाती हैं, जिससे सुपुर्दगी की प्रक्रिया में उत्पन्न होने वाले सामान्य विवादों का समाधान होता है।