वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1981 की धारा 26 : नमूने लेने की शक्ति और कानूनी स्वीकार्यता के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया
Himanshu Mishra
8 Aug 2025 4:39 PM IST

वायु गुणवत्ता मानकों (Air Quality Standards) को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों (State Pollution Control Boards - SPCBs) और उनके अधिकृत अधिकारियों (Authorized Officers) को एक महत्वपूर्ण शक्ति दी गई है: विश्लेषण (Analysis) के लिए हवा या उत्सर्जन (Emission) के नमूने (Samples) लेने का अधिकार।
वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1981 की धारा 26 इस शक्ति का विवरण देती है और, इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि, यह एक सख्त प्रक्रिया (Strict Procedure) निर्धारित करती है जिसका पालन यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाना चाहिए कि विश्लेषण के परिणाम कानूनी रूप से मान्य (Legally Valid) हों और अदालत (Court) में सबूत (Evidence) के रूप में उपयोग किए जा सकें।
यह सावधानीपूर्वक प्रक्रिया (Meticulous Process) प्रक्रियात्मक चुनौतियों (Procedural Challenges) से सुरक्षा करती है और प्रवर्तन कार्रवाई (Enforcement Action) की अखंडता (Integrity) को बनाए रखते हुए औद्योगिक संचालक (Industrial Operator) के अधिकारों की रक्षा करती है।
नमूने लेने का अधिकार और कानूनी स्वीकार्यता (Authority to Take Samples and Legal Admissibility)
धारा 26 की उप-धारा (1) एक राज्य बोर्ड या उसके सशक्त अधिकारियों (Empowered Officers) के लिए विश्लेषण के उद्देश्य से हवा या उत्सर्जन के नमूने लेने के लिए मूल अधिकार (Basic Authority) स्थापित करती है। ये नमूने किसी भी चिमनी (Chimney), फ्लू (Flue) या डक्ट (Duct) या किसी अन्य आउटलेट (Outlet) से एक निर्धारित तरीके (Prescribed Manner) से एकत्र किए जा सकते हैं। यह शक्ति धारा 17 के तहत बोर्ड के कार्यों का एक सीधा परिणाम है, जिसमें उत्सर्जन मानकों को लागू करना शामिल है।
हालांकि, अधिनियम इन नमूनों के उपयोग पर एक महत्वपूर्ण शर्त (Significant Condition) रखता है। उप-धारा (2) में कहा गया है कि किसी नमूने के विश्लेषण का परिणाम किसी भी कानूनी कार्यवाही (Legal Proceeding) में सबूत के रूप में स्वीकार्य नहीं होगा जब तक कि उप-धारा (3) और (4) में उल्लिखित प्रक्रियाओं का सख्ती से पालन नहीं किया जाता है। यह एक महत्वपूर्ण कानूनी सुरक्षा (Critical Legal Safeguard) है, जो यह सुनिश्चित करती है कि सबूत निष्पक्ष (Fairly) और पारदर्शी (Transparently) तरीके से एकत्र किए गए हैं।
नमूने लेने की मानक प्रक्रिया (The Standard Procedure for Sampling)
जब विश्लेषण के लिए एक नमूना लिया जाता है, तो उप-धारा (3) मानक प्रक्रिया (Standard Procedure) को रेखांकित करती है जिसका नमूना लेने वाले व्यक्ति को पालन करना चाहिए। इस प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है और इसमें हर कदम पर औद्योगिक संचालक शामिल होता है।
• अधिकृत व्यक्ति को तुरंत परिसर के कब्जेदार (Occupier) या उसके एजेंट को एक लिखित नोटिस (Written Notice) देना होगा, जिसमें उन्हें नमूने का विश्लेषण करवाने के इरादे के बारे में सूचित किया जाएगा। यह नोटिस, एक निर्धारित फॉर्म (Prescribed Form) में, तुरंत वहीं दिया जाना चाहिए।
• नमूना कब्जेदार या उसके एजेंट की उपस्थिति में एकत्र किया जाना चाहिए। यह सुनिश्चित करता है कि प्रक्रिया का गवाह (Witnessed) बना रहे और संचालक को पता चले कि क्या एकत्र किया जा रहा है।
• फिर नमूने को एक या अधिक कंटेनर (Containers) में रखा जाता है। इन कंटेनरों को चिह्नित (Marked), सील (Sealed) और नमूना लेने वाले व्यक्ति और कब्जेदार या उसके एजेंट दोनों द्वारा हस्ताक्षरित (Signed) किया जाना चाहिए। दोहरे हस्ताक्षर किसी भी छेड़छाड़ (Tampering) या नमूनों के आपस में मिल जाने के दावों को रोकते हैं।
• सीलबंद कंटेनरों को बिना किसी देरी के धारा 17 के तहत SPCB द्वारा स्थापित या मान्यता प्राप्त एक प्रयोगशाला (Laboratory) में भेजा जाना चाहिए। वैकल्पिक रूप से, यदि कब्जेदार या उसके एजेंट द्वारा नोटिस दिए जाने पर उस संबंध में कोई अनुरोध किया जाता है, तो नमूने को धारा 28(1) के तहत स्थापित या निर्दिष्ट एक प्रयोगशाला में भेजा जा सकता है। यह प्रावधान संचालक को यह विकल्प देता है कि विश्लेषण कहाँ किया जाए।
असहयोग की स्थिति में प्रक्रिया (Procedure in Case of Non-Cooperation)
अधिनियम उन परिदृश्यों (Scenarios) का भी अनुमान लगाता है जहाँ कब्जेदार या उसका एजेंट नमूना लेने की प्रक्रिया में सहयोग नहीं कर सकता है। उप-धारा (4) इन स्थितियों के लिए एक स्पष्ट प्रोटोकॉल (Clear Protocol) प्रदान करती है, यह सुनिश्चित करते हुए कि सहयोग की कमी को दस्तावेजित (Documenting) करते हुए भी नमूना लेने की प्रक्रिया जारी रह सकती है।
• यदि कब्जेदार या उसका एजेंट नोटिस दिए जाने के बाद जानबूझकर अनुपस्थित रहता है (Wilfully Absents himself), तो अधिकृत व्यक्ति अभी भी नमूना एकत्र कर सकता है। नमूने को एक सीलबंद और चिह्नित कंटेनर में रखा जाना चाहिए, जिस पर केवल नमूना लेने वाला व्यक्ति हस्ताक्षर करेगा।
• इसी तरह, यदि कब्जेदार या उसका एजेंट नमूना लेने के समय मौजूद है लेकिन उप-धारा (3) के खंड (c) के तहत आवश्यक अनुसार चिह्नित और सीलबंद कंटेनर पर हस्ताक्षर करने से इनकार करता है, तो चिह्नित और सीलबंद कंटेनर पर नमूना लेने वाले व्यक्ति द्वारा हस्ताक्षर किए जाएंगे।
इन दोनों असहयोगी परिदृश्यों में, नमूने को बिना किसी देरी के नमूना लेने वाले व्यक्ति द्वारा धारा 28(1) के तहत स्थापित या निर्दिष्ट एक प्रयोगशाला में विश्लेषण के लिए भेजा जाना चाहिए। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि नमूना लेने वाले व्यक्ति को धारा 29 की उप-धारा (1) के तहत नियुक्त सरकारी विश्लेषक (Government Analyst) को कब्जेदार या उसके एजेंट की जानबूझकर अनुपस्थिति, या जैसा भी मामला हो, कंटेनर पर हस्ताक्षर करने से इनकार करने के बारे में लिखित रूप में सूचित करना (Inform in Writing) आवश्यक है।
यह लिखित संचार (Written Communication) असहयोग की कमी के आधिकारिक दस्तावेज (Official Documentation) के रूप में कार्य करता है, जो सबूत की कानूनी वैधता (Legal Validity) को और मजबूत करता है। यह सुनिश्चित करता है कि प्रवर्तन प्रक्रिया एक संचालक के सहयोग करने से इनकार करने से रुकती नहीं है, जबकि साथ ही एक स्पष्ट रिकॉर्ड बनाया जाता है जिसे अदालत में प्रस्तुत किया जा सकता है।

