भारतीय प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 10 और धारा 11: CCI के अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल, इस्तीफ़ा और पद से हटाना

Himanshu Mishra

2 Aug 2025 5:45 PM IST

  • भारतीय प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 10 और धारा 11: CCI के अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल, इस्तीफ़ा और पद से हटाना

    हमने पिछले खंड में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (Competition Commission of India - CCI) की स्थापना और संरचना के बारे में जाना। अब हम इस बात पर ध्यान देंगे कि CCI के अध्यक्ष (Chairperson) और सदस्यों (Members) का कार्यकाल (term of office) कितना होता है और उन्हें किन परिस्थितियों में अपने पद से हटना पड़ सकता है। भारतीय प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 10 (Section 10) और धारा 11 (Section 11) इन महत्वपूर्ण पहलुओं को विस्तार से बताती हैं।

    धारा 10: कार्यकाल और रिक्ति (Term of Office and Vacancy)

    धारा 10(1) CCI के अध्यक्ष और सदस्यों के कार्यकाल को परिभाषित करती है। अध्यक्ष और प्रत्येक अन्य सदस्य अपने पद पर आने की तारीख से पाँच साल की अवधि के लिए पद धारण करेंगे। वे पुनर्नियुक्ति (re-appointment) के लिए पात्र होंगे। हालाँकि, एक महत्वपूर्ण शर्त यह है कि अध्यक्ष या अन्य सदस्य 65 साल की उम्र पूरी करने के बाद अपने पद पर नहीं रह सकते। यह प्रावधान एक निश्चित अवधि के लिए स्थिरता सुनिश्चित करता है और साथ ही अच्छे प्रदर्शन के लिए पुनर्नियुक्ति का अवसर भी देता है।

    धारा 10(2) बताती है कि अगर अध्यक्ष या किसी सदस्य का पद इस्तीफा, हटाए जाने, मृत्यु या किसी अन्य कारण से खाली हो जाता है, तो उस पद को धारा 9 के प्रावधानों के अनुसार एक नए व्यक्ति की नियुक्ति करके भरा जाएगा। यह सुनिश्चित करता है कि आयोग का काम बिना रुकावट के चलता रहे।

    धारा 10(3) के अनुसार, अध्यक्ष और प्रत्येक अन्य सदस्य को पद संभालने से पहले एक शपथ (oath) लेनी होगी। यह शपथ पद और गोपनीयता दोनों की होगी, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि वे अपने कर्तव्यों का निष्पक्ष और गोपनीय तरीके से निर्वहन करें।

    धारा 10(4) और 10(5) अध्यक्ष के पद के खाली होने या उनके काम करने में असमर्थ होने की स्थिति से निपटती हैं। अगर अध्यक्ष का पद उनकी मृत्यु, इस्तीफा या किसी अन्य कारण से खाली हो जाता है, तो सबसे वरिष्ठ सदस्य तब तक अध्यक्ष के रूप में कार्य करेगा जब तक कि इस अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार नया अध्यक्ष नियुक्त नहीं हो जाता।

    इसी तरह, अगर अध्यक्ष अनुपस्थिति, बीमारी या किसी अन्य कारण से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में असमर्थ हैं, तो सबसे वरिष्ठ सदस्य तब तक उनके कर्तव्यों का निर्वहन करेगा जब तक कि अध्यक्ष फिर से कार्यभार नहीं संभाल लेते। यह प्रावधान नेतृत्व में एक निर्बाध बदलाव सुनिश्चित करता है।

    धारा 11: इस्तीफा, पद से हटाना और निलंबन (Resignation, Removal and Suspension)

    धारा 11(1) में इस्तीफा देने की प्रक्रिया बताई गई है। अध्यक्ष या कोई अन्य सदस्य केंद्र सरकार को संबोधित करते हुए, अपने हाथ से लिखित नोटिस देकर अपना पद छोड़ सकते हैं। हालाँकि, एक शर्त है: जब तक केंद्र सरकार उन्हें जल्दी पद छोड़ने की अनुमति नहीं देती, तब तक उन्हें तीन महीने तक या जब तक उनका उत्तराधिकारी पद पर नहीं आ जाता, या उनके कार्यकाल की समाप्ति तक, जो भी सबसे पहले हो, पद पर बने रहना होगा। यह प्रावधान अचानक इस्तीफे से होने वाली प्रशासनिक बाधाओं को रोकता है।

    धारा 11(2) उन आधारों को सूचीबद्ध करती है जिन पर केंद्र सरकार अध्यक्ष या किसी सदस्य को उनके पद से हटा सकती है। इनमें शामिल हैं:

    • अगर उन्हें कभी दिवालिया (insolvent) घोषित किया गया हो।

    • अगर उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान किसी भी सवेतन रोजगार (paid employment) में लगे रहे हों।

    • अगर उन्हें ऐसे अपराध के लिए दोषी ठहराया गया हो जिसमें केंद्र सरकार की राय में नैतिक अधमता (moral turpitude) शामिल हो।

    • अगर उन्होंने ऐसा वित्तीय या अन्य हित (financial or other interest) अर्जित कर लिया हो जो सदस्य के रूप में उनके कार्यों को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करने की संभावना रखता हो।

    • अगर उन्होंने अपनी स्थिति का इस तरह से दुरुपयोग किया हो कि उनका पद पर बने रहना सार्वजनिक हित (public interest) के लिए हानिकारक हो।

    • अगर वे शारीरिक या मानसिक रूप से सदस्य के रूप में कार्य करने में असमर्थ हो गए हों।

    धारा 11(3) एक बहुत ही महत्वपूर्ण सुरक्षा उपाय (safeguard) है। यह सुनिश्चित करता है कि अध्यक्ष या किसी सदस्य को उनके पद से केवल वित्तीय हित (धारा 11(2)(d)) या पद के दुरुपयोग (धारा 11(2)(e)) के आधार पर तब तक नहीं हटाया जा सकता जब तक कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जांच करके यह रिपोर्ट न दे दी हो कि उन्हें इन आधारों पर पद से हटाया जाना चाहिए।

    इसका मतलब है कि इन दो गंभीर आरोपों के लिए, अंतिम निर्णय सुप्रीम कोर्ट द्वारा ही लिया जाएगा, न कि सीधे सरकार द्वारा। यह CCI के सदस्यों की स्वतंत्रता की रक्षा करता है और उन्हें राजनीतिक दबाव से बचाता है।

    भारतीय प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 10 और 11 CCI के अध्यक्ष और सदस्यों के लिए एक स्पष्ट और निष्पक्ष ढाँचा प्रदान करती हैं। कार्यकाल की अवधि और पुनर्नियुक्ति का प्रावधान स्थिरता और जवाबदेही सुनिश्चित करता है, जबकि इस्तीफा और हटाने के प्रावधान पारदर्शिता और integrity (ईमानदारी) बनाए रखते हैं।

    विशेष रूप से, पद के दुरुपयोग जैसे आरोपों के लिए सुप्रीम कोर्ट की भूमिका, CCI को एक स्वतंत्र और निष्पक्ष नियामक संस्था के रूप में कार्य करने की अनुमति देती है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था में Competition को बनाए रखने के अपने महत्वपूर्ण कार्य को प्रभावी ढंग से कर सकती है।

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