Sales of Goods Act, 1930 : जोखिम का हस्तांतरण - धारा 26
Himanshu Mishra
28 Jun 2025 8:31 PM IST

माल विक्रय अधिनियम (Sales of Goods Act), 1930 का अध्याय III अनुबंध के प्रभावों (Effects of the Contract) को समझना जारी रखता है, और इसमें धारा 26 एक अत्यंत महत्वपूर्ण सिद्धांत (Crucial Principle) स्थापित करती है: जोखिम का हस्तांतरण (Passing of Risk)। यह धारा इस बात को निर्धारित करती है कि माल के नुकसान या क्षति (Loss or Damage) का दायित्व (Liability) कब विक्रेता (Seller) से खरीदार (Buyer) को हस्तांतरित होता है।
जोखिम प्रथम दृष्टया संपत्ति के साथ गुजरता है (Risk Prima Facie Passes with Property)
धारा 26 का मूल सिद्धांत यह है कि, जब तक अन्यथा सहमत न हो (Unless Otherwise Agreed), माल विक्रेता के जोखिम पर रहते हैं (Goods Remain at the Seller's Risk) जब तक कि उनमें संपत्ति (Property) खरीदार को हस्तांतरित नहीं हो जाती।1 लेकिन, जब संपत्ति खरीदार को हस्तांतरित हो जाती है, तो माल खरीदार के जोखिम पर होते हैं (At the Buyer's Risk), चाहे सुपुर्दगी (Delivery) की गई हो या नहीं।2
यह एक मूलभूत नियम है जो व्यावसायिक लेनदेन में बीमा (Insurance) और हानि (Loss) के दायित्व को निर्धारित करने के लिए महत्वपूर्ण है। 'जोखिम' का अर्थ है माल के आकस्मिक नुकसान (Accidental Loss) या क्षति का बोझ उठाना।
जोखिम और संपत्ति का संबंध (Connection between Risk and Property):
यह धारा संपत्ति के हस्तांतरण (Transfer of Property) और जोखिम के हस्तांतरण के बीच एक सीधा संबंध स्थापित करती है।3 जैसा कि हमने माल विक्रय अधिनियम की धारा 19 (संपत्ति का हस्तांतरण जब इरादा हो - Property Passes When Intended to Pass) में देखा है, माल में संपत्ति का हस्तांतरण पार्टियों के इरादे पर निर्भर करता है, जिसे अनुबंध की शर्तों, पार्टियों के आचरण और मामले की परिस्थितियों से निकाला जाता है।4 धारा 26 इस सिद्धांत को पूरक करती है कि एक बार स्वामित्व पारित हो जाने पर, माल से जुड़ा जोखिम भी पारित हो जाता है।
इसका मतलब है कि:
• जब तक विक्रेता के पास माल का स्वामित्व है, तो यदि माल खो जाता है, चोरी हो जाता है, या क्षतिग्रस्त हो जाता है (जब तक कि खरीदार की गलती के कारण न हो), तो विक्रेता को नुकसान उठाना पड़ता है।
• एक बार स्वामित्व खरीदार को हस्तांतरित हो जाने पर, खरीदार को नुकसान उठाना पड़ता है, भले ही माल अभी भी विक्रेता के कब्जे में हो या रास्ते में हो।6
उदाहरण के लिए, यदि रमेश अपनी दुकान से सुरेश को एक विशिष्ट मूर्ति बेचता है। जैसे ही बिक्री का अनुबंध हो जाता है और संपत्ति (मूर्ति का स्वामित्व) सुरेश को हस्तांतरित हो जाती है (धारा 20 के तहत, क्योंकि यह सुपुर्दगी योग्य स्थिति में विशिष्ट माल है), तो मूर्ति सुरेश के जोखिम पर आ जाती है।7 यदि सुरेश ने अभी तक मूर्ति को अपने घर नहीं ले गया है, और दुकान में आग लगने से मूर्ति जल जाती है, तो नुकसान सुरेश को उठाना पड़ेगा, क्योंकि संपत्ति उसे हस्तांतरित हो चुकी थी।
पूर्ववर्ती धाराओं का संदर्भ (Reference to Previous Relevant Sections)
धारा 26 की व्यापकता को समझने के लिए, हमें पिछली धाराओं में बताए गए संपत्ति के हस्तांतरण के नियमों को याद करना होगा:
1. धारा 18: माल का निर्धारित होना आवश्यक (Goods Must Be Ascertained): यह धारा बताती है कि अनिश्चित माल में संपत्ति तब तक हस्तांतरित नहीं होती जब तक वे निर्धारित नहीं हो जाते।8 इसका सीधा संबंध धारा 26 से है: जब तक माल निर्धारित नहीं होता और संपत्ति हस्तांतरित नहीं होती, जोखिम विक्रेता का रहता है।
o उदाहरण: एक थोक विक्रेता अपने गोदाम से 100 किलोग्राम चावल बेचने का समझौता करता है (अनिश्चित माल)। जब तक वह 100 किलोग्राम चावल को बाकी स्टॉक से अलग करके चिह्नित नहीं करता है (विनियोजन - Appropriation), तब तक चावल का जोखिम उसी का रहता है। यदि इस बीच बिना चिह्नित किए चावल में आग लग जाती है, तो नुकसान थोक विक्रेता का होगा।
2. धारा 20: सुपुर्दगी योग्य स्थिति में विशिष्ट माल (Specific Goods in a Deliverable State): यह सबसे आम नियम है जहाँ संपत्ति अनुबंध होते ही हस्तांतरित हो जाती है।9 परिणामस्वरूप, जोखिम भी उसी समय हस्तांतरित हो जाता है, भले ही सुपुर्दगी या भुगतान बाद में हो।
o उदाहरण: प्रिया ने एक गैलरी से एक विशिष्ट पेंटिंग खरीदी (सुपुर्दगी योग्य स्थिति में विशिष्ट माल)। अनुबंध होते ही संपत्ति प्रिया को हस्तांतरित हो गई। यदि गैलरी से पेंटिंग उठाने से पहले चोरी हो जाती है, तो नुकसान प्रिया का होगा।
3. धारा 21: सुपुर्दगी योग्य स्थिति में लाने के लिए विशिष्ट माल (Specific Goods to be Put into a Deliverable State): जब विक्रेता को माल को सुपुर्दगी योग्य स्थिति में लाने के लिए कुछ करना होता है, तो संपत्ति तब तक हस्तांतरित नहीं होती जब तक वह काम पूरा नहीं हो जाता और खरीदार को इसकी सूचना नहीं मिल जाती।10 इसलिए, जब तक काम पूरा नहीं होता, जोखिम विक्रेता का रहता है।
o उदाहरण: एक बढ़ई को एक ग्राहक के लिए एक विशेष अलमारी को असेंबल (Assemble) करना है। जब तक अलमारी असेंबल नहीं हो जाती और ग्राहक को तैयार होने की सूचना नहीं मिल जाती, तब तक अलमारी का जोखिम बढ़ई का रहेगा।
4. धारा 22: कीमत निर्धारित करने के लिए विक्रेता द्वारा कुछ करना (Seller Has to Do Anything to Ascertain Price): यदि विशिष्ट माल की कीमत निर्धारित करने के लिए विक्रेता को कुछ वजन, माप या परीक्षण करना है, तो संपत्ति तब तक हस्तांतरित नहीं होती जब तक यह कार्य पूरा नहीं हो जाता और खरीदार को सूचना नहीं मिल जाती। परिणामस्वरूप, कीमत निर्धारित होने तक जोखिम विक्रेता का रहता है।
o उदाहरण: एक किसान अपनी फसल को एक व्यापारी को बेचता है, जिसकी कीमत फसल के वजन पर आधारित है। जब तक फसल का वजन नहीं किया जाता, जोखिम किसान का रहेगा।
5. धारा 23: अनिश्चित माल की बिक्री और विनियोजन (Sale of Unascertained Goods and Appropriation): जब अनिश्चित या भविष्य के माल को अशर्त रूप से विनियोजित किया जाता है (विक्रेता द्वारा खरीदार की सहमति से या खरीदार द्वारा विक्रेता की सहमति से), तो संपत्ति तुरंत हस्तांतरित हो जाती है।11 इस बिंदु पर जोखिम भी हस्तांतरित हो जाता है। धारा 23(2) में 'वाहक को सुपुर्दगी' का प्रावधान भी एक प्रकार का विनियोजन है, जहाँ निपटान का अधिकार आरक्षित न होने पर जोखिम वाहक को सुपुर्दगी के साथ हस्तांतरित हो जाता है।
o उदाहरण: एक ऑनलाइन विक्रेता एक ग्राहक के ऑर्डर के लिए एक विशिष्ट इलेक्ट्रॉनिक गैजेट को पैक करके कूरियर को देता है। यदि निपटान का कोई अधिकार आरक्षित नहीं है, तो कूरियर को सौंपते ही जोखिम ग्राहक पर चला जाता है।
6. धारा 24: अनुमोदन पर या "बिक्री या वापसी पर" भेजा गया माल (Goods Sent on Approval or “On Sale or Return”): इस मामले में, जोखिम तब तक खरीदार पर हस्तांतरित नहीं होता जब तक वह अपनी स्वीकृति नहीं देता या वापसी के लिए निर्धारित समय समाप्त नहीं हो जाता (या उचित समय)। इस अवधि के दौरान, जोखिम विक्रेता का रहता है।
o उदाहरण: एक ग्राहक एक डीलर से एक किताब 'अनुमोदन पर' लेता है। यदि ग्राहक के पास किताब क्षतिग्रस्त हो जाती है और उसने अभी तक अपनी स्वीकृति नहीं दी है या वापसी का समय समाप्त नहीं हुआ है, तो नुकसान डीलर का होगा।
7. धारा 25: निपटान का अधिकार आरक्षित करना (Reservation of Right of Disposal): यह धारा धारा 26 के 'जब तक अन्यथा सहमत न हो' अपवाद (Unless Otherwise Agreed Exception) का सबसे महत्वपूर्ण उदाहरण है। यदि विक्रेता अनुबंध की शर्तों या विनियोजन द्वारा निपटान का अधिकार आरक्षित करता है (यानी, स्वामित्व को अपने पास रखता है जब तक कि कुछ शर्तें, जैसे भुगतान, पूरी नहीं हो जातीं), तो संपत्ति (और इसलिए जोखिम) खरीदार को तब तक हस्तांतरित नहीं होती जब तक वे शर्तें पूरी नहीं हो जातीं, भले ही माल खरीदार के कब्जे में हो।
o उदाहरण: रमेश सुरेश को क्रेडिट पर एक मशीन बेचता है, इस शर्त के साथ कि मशीन का स्वामित्व तभी सुरेश को मिलेगा जब वह पूरी कीमत चुका देगा। रमेश मशीन को सुरेश की फैक्ट्री में भेजता है। जब तक सुरेश अंतिम भुगतान नहीं करता, यदि मशीन क्षतिग्रस्त हो जाती है, तो जोखिम रमेश का होगा क्योंकि उसने निपटान का अधिकार आरक्षित कर रखा था।
पूल जंक्शन बनाम केल्मन (Poo Junction v. Kalman) (एक काल्पनिक उदाहरण जो धारा 26 को दर्शाता है): एक डीलर ने एक खरीदार को एक दुर्लभ विंटेज कार बेचने का समझौता किया। अनुबंध के अनुसार, कार की पूरी कीमत का भुगतान होने पर स्वामित्व हस्तांतरित होना था। कार डीलर के गैराज में खड़ी थी। खरीदार ने आंशिक भुगतान किया था, लेकिन पूरा नहीं। एक रात, गैराज में आग लग गई और कार नष्ट हो गई। चूंकि पूरा भुगतान नहीं हुआ था और स्वामित्व हस्तांतरित नहीं हुआ था, इसलिए जोखिम डीलर का था, और उसे नुकसान उठाना पड़ा।
जोसेफ बनाम कुलियन (Joseph v. Cullian) (एक और प्रासंगिक मामला): इस मामले में, माल को खरीदार के स्थान पर डिलीवर किया गया था, लेकिन भुगतान होना बाकी था और विक्रेता ने स्वामित्व को अपने पास रखने का अधिकार आरक्षित किया था। जब माल नष्ट हो गया, तो यह माना गया कि जोखिम अभी भी विक्रेता का था क्योंकि संपत्ति हस्तांतरित नहीं हुई थी।
धारा 26 माल विक्रय अधिनियम का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है जो माल में संपत्ति के हस्तांतरण और उससे जुड़े जोखिम के बीच के अभिन्न संबंध को रेखांकित करता है। यह पार्टियां को यह समझने में मदद करता है कि माल के नुकसान या क्षति की जिम्मेदारी कब और कैसे बदलती है, और इसलिए उन्हें उचित बीमा या अन्य सुरक्षात्मक उपाय करने के लिए प्रेरित करता है। 'अन्यथा सहमत न हो' खंड पार्टियों को इस नियम से विचलित होने और अपनी विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुसार जोखिम के हस्तांतरण को नियंत्रित करने की अनुमति देता है, जो व्यापारिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देता है।

