नकली संपत्ति चिह्न वाले सामान की बिक्री: भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 349

Himanshu Mishra

20 Jan 2025 12:29 PM

  • नकली संपत्ति चिह्न वाले सामान की बिक्री: भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 349

    धारा 349 का उद्देश्य और इसके प्रावधान

    भारतीय न्याय संहिता, 2023 (Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023) के तहत धारा 349 नकली संपत्ति चिह्न (Counterfeit Property Mark) लगे सामान की बिक्री, उसे बेचने के लिए प्रदर्शित करने या भंडारण करने को अपराध घोषित करती है। यह प्रावधान उपभोक्ताओं की सुरक्षा, बाजार की विश्वसनीयता और व्यापार में ईमानदारी सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है।

    धारा 349 के तहत अपराध के तत्व

    धारा 349 के तहत अपराध सिद्ध करने के लिए निम्नलिखित तत्वों का होना आवश्यक है:

    1. किसी सामान या वस्तु पर नकली संपत्ति चिह्न लगा होना चाहिए।

    2. आरोपी व्यक्ति ने उस सामान को बेचा हो, बिक्री के लिए प्रदर्शित किया हो, या बिक्री के उद्देश्य से उसे भंडारित किया हो।

    अपवाद (Exceptions)

    धारा 349 में यह सुनिश्चित करने के लिए अपवाद दिए गए हैं कि अनजाने में नकली सामान बेचने वालों को सजा न मिले।

    आरोपी को निम्नलिखित में से कोई भी साबित करना होगा:

    1. यथोचित सावधानियां (Reasonable Precautions): आरोपी ने सभी उचित कदम उठाए और उसे यह संदेह करने का कोई कारण नहीं था कि चिह्न नकली है।

    2. अधिकारियों के साथ सहयोग (Cooperation with Authorities): अभियोजन पक्ष के अनुरोध पर आरोपी ने सामान की प्राप्ति के स्रोत की पूरी जानकारी दी।

    3. निर्दोषता (Innocence): आरोपी ने निर्दोषता के साथ कार्य किया और किसी को धोखा देने का इरादा नहीं था।

    दंड (Punishment)

    धारा 349 के तहत दंड:

    • एक वर्ष तक का कारावास (Imprisonment), या

    • जुर्माना (Fine), या

    • दोनों।

    पूर्व की धाराओं से संबंध

    धारा 349 का आधार पूर्व की धाराओं पर निर्भर है:

    1. धारा 345 संपत्ति चिह्न को परिभाषित करती है और झूठे चिह्न के उपयोग को अपराध घोषित करती है।

    2. धारा 346 संपत्ति चिह्न को मिटाने या बदलने के लिए सजा देती है।

    3. धारा 347 नकली संपत्ति चिह्न बनाने पर दंड का प्रावधान करती है।

    4. धारा 348 नकली चिह्न बनाने के उपकरण रखने को अपराध मानती है।

    धारा 349 इन प्रावधानों को आगे बढ़ाते हुए नकली सामान के वाणिज्यिकरण (Commercialization) को रोकने पर केंद्रित है।

    नकली सामान की बिक्री के प्रभाव

    नकली सामान की बिक्री का असर व्यापक होता है:

    1. उपभोक्ता की सुरक्षा (Consumer Protection): नकली सामान अक्सर गुणवत्ता में खराब और सुरक्षा के लिए खतरनाक होते हैं।

    2. बाजार की विश्वसनीयता (Market Integrity): यह प्रतिस्पर्धा को नुकसान पहुंचाता है और असली व्यापारियों को हानि पहुंचाता है।

    3. प्रेरणा को रोकना (Deterrence): नकली सामान की बिक्री को अपराध घोषित करना नकली सामान बनाने वालों के वित्तीय लाभ को रोकता है।

    उदाहरण (Illustrations)

    उदाहरण 1: नकली ब्रांडेड जूते की बिक्री

    एक विक्रेता सस्ते दाम पर ब्रांडेड जूते के नकली संस्करण बेचता है। इन जूतों पर नकली चिह्न लगा होता है, जो असली ब्रांड जैसा दिखता है। यह विक्रेता धारा 349 का उल्लंघन करता है क्योंकि वह जानबूझकर नकली संपत्ति चिह्न वाले सामान बेच रहा है।

    उदाहरण 2: निर्दोष दुकानदार

    एक दुकानदार थोक व्यापारी से सामान खरीदता है, जिनमें से कुछ पर नकली प्रमाणन चिह्न (Counterfeit Certification Mark) लगा होता है। दुकानदार ने उचित सावधानियां ली थीं और उसे नकली चिह्न का पता नहीं था। पूछताछ पर उसने सामान के स्रोत की पूरी जानकारी दी। यह दुकानदार धारा 349 के अपवाद के तहत निर्दोष साबित हो सकता है।

    उदाहरण 3: जानबूझकर भंडारण

    एक व्यापारी त्योहार के समय बेचने के लिए गोदाम में नकली संपत्ति चिह्न लगे सामान रखता है। यह व्यापारी धारा 349 के तहत दोषी है क्योंकि वह नकली सामान जानबूझकर बेचने के लिए रखता है।

    ई-कॉमर्स और नकली सामान

    ई-कॉमर्स (E-commerce) प्लेटफॉर्म पर नकली सामान की बिक्री तेजी से बढ़ रही है। धारा 349 को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर बिक्री और भंडारण को शामिल करने के लिए आधुनिक संदर्भ में व्याख्यायित किया जाना चाहिए।

    उदाहरण के लिए, यदि कोई विक्रेता ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर नकली सामान सूचीबद्ध करता है और उसे नकली चिह्न के बारे में जानकारी है, तो वह धारा 349 के तहत दोषी ठहराया जा सकता है।

    भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 349 नकली संपत्ति चिह्न वाले सामान की बिक्री पर रोक लगाकर उपभोक्ताओं की सुरक्षा और व्यापार की निष्पक्षता सुनिश्चित करती है।

    यह प्रावधान, पूर्व की धाराओं जैसे धारा 345 से 348 के साथ पढ़ने पर, नकली संपत्ति चिह्न से संबंधित अपराधों के लिए एक मजबूत कानूनी ढांचा तैयार करता है। धारा 349 का संतुलित दृष्टिकोण, जिसमें सख्त दंड और उचित अपवाद शामिल हैं, न्याय और निष्पक्षता को बढ़ावा देता है। आज के वैश्विक और तकनीकी युग में, धारा 349 का प्रभावी कार्यान्वयन भारत के बौद्धिक संपदा (Intellectual Property) परिदृश्य को सुरक्षित करने के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है।

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