दंगों और उसकी सज़ा: भारतीय न्याय संहिता, 2023 के धारा 190, 191, और 192 के अंतर्गत प्रावधान
Himanshu Mishra
12 Sept 2024 5:50 PM IST
भारतीय न्याय संहिता, 2023 (Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023), जो 1 जुलाई 2024 से लागू हुई है, ने भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) को प्रतिस्थापित कर दिया है। इस नए कानून में ग़ैर-क़ानूनी सभा (Unlawful Assembly) और दंगों (Rioting) से जुड़े कई प्रावधान हैं।
धारा 190, 191, और 192 का उद्देश्य ऐसे मामलों में अपराधों और उनकी सज़ा को परिभाषित करना है। इन धाराओं को समझने के लिए धारा 189 का भी संदर्भ देना ज़रूरी है, जिसमें ग़ैर-क़ानूनी सभा की परिभाषा दी गई है।
धारा 190: ग़ैर-क़ानूनी सभा के सदस्य द्वारा अपराध करना
धारा 190 के अनुसार, अगर कोई सदस्य ग़ैर-क़ानूनी सभा का हिस्सा होते हुए उस सभा के सामान्य उद्देश्य (Common Object) के तहत कोई अपराध करता है, तो उस सभा का हर सदस्य उस अपराध के लिए उत्तरदायी (Responsible) होगा।
यहाँ तक कि अगर किसी सदस्य ने ख़ुद अपराध नहीं किया, फिर भी अगर वह उस सभा का हिस्सा था जब अपराध हुआ और वह सभा के सामान्य उद्देश्य के तहत किया गया, तो वह व्यक्ति भी उतना ही दोषी माना जाएगा।
ग़ैर-क़ानूनी सभा की परिभाषा पहले धारा 189 में दी गई है, जिसमें पाँच या उससे अधिक लोगों का किसी अवैध उद्देश्य के लिए एकत्र होना शामिल है। अगर इस समूह का उद्देश्य कोई अपराध करना है और उस उद्देश्य के तहत कोई अपराध होता है, तो उस समूह का हर सदस्य उसी अपराध के लिए ज़िम्मेदार होगा।
धारा 190 का उदाहरण:
मान लीजिए पाँच लोग एक साथ ज़मीन पर क़ब्ज़ा करने के इरादे से इकट्ठे होते हैं। अगर उनमें से एक व्यक्ति ज़मीन के मालिक को हिंसा का प्रयोग कर बाहर निकालता है, तो इस हिंसक कार्रवाई के लिए पूरी सभा को उत्तरदायी ठहराया जाएगा, भले ही हिंसा केवल एक व्यक्ति ने की हो। इस धारा के तहत, हर व्यक्ति को उस अपराध के लिए दोषी ठहराया जाएगा क्योंकि वह उस समूह का हिस्सा था और यह कार्य उनकी सामान्य योजना का हिस्सा था।
धारा 191: ग़ैर-क़ानूनी सभा द्वारा बल का प्रयोग और दंगा
धारा 191 में ग़ैर-क़ानूनी सभा द्वारा बल (Force) या हिंसा (Violence) के उपयोग से संबंधित है। जब कोई सदस्य ग़ैर-क़ानूनी सभा का हिस्सा होते हुए सभा के सामान्य उद्देश्य के तहत बल का प्रयोग करता है, तो वह दंगे (Rioting) का दोषी माना जाएगा। दंगा तब होता है जब एक समूह अवैध उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए बल या हिंसा का सहारा लेता है।
इस धारा में अलग-अलग प्रकार की सज़ा निर्धारित की गई है, जो दंगे की गंभीरता और प्रयुक्त हथियारों (Weapons) पर निर्भर करती है:
1. साधारण दंगा: अगर किसी ग़ैर-क़ानूनी सभा का कोई सदस्य बल या हिंसा का प्रयोग करता है, तो उसे दो साल तक की क़ैद, जुर्माना या दोनों की सज़ा हो सकती है।
2. घातक हथियारों के साथ दंगा: अगर कोई सदस्य घातक हथियार (Deadly Weapon) या ऐसा कुछ लेकर दंगा करता है जो किसी की मौत का कारण बन सकता है, तो सज़ा बढ़कर पाँच साल तक की क़ैद, जुर्माना या दोनों हो सकती है।
धारा 191 का उदाहरण:
मान लीजिए कि छह लोग किसी सरकारी भूमि के अधिग्रहण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते हैं और प्रदर्शन हिंसक हो जाता है, जिसमें एक व्यक्ति पत्थर फेंकने लगता है। भले ही पत्थर केवल एक व्यक्ति ने फेंके हों, पूरे समूह को दंगा करने के लिए दोषी ठहराया जाएगा। अगर उस समूह का कोई व्यक्ति बंदूक या चाकू जैसे घातक हथियार लेकर उपस्थित था, तो उसे पाँच साल तक की सज़ा हो सकती है।
धारा 192: दंगे के लिए उकसाना
धारा 192 उन व्यक्तियों से संबंधित है जो किसी व्यक्ति या समूह को जानबूझकर या लापरवाही से दंगा करने के लिए उकसाते हैं। अगर कोई व्यक्ति किसी अवैध कार्य (Illegal Act) के माध्यम से किसी अन्य को दंगे के लिए उकसाता है, और अगर उस उकसावे के कारण दंगा होता है, तो उस व्यक्ति को एक साल तक की क़ैद, जुर्माना, या दोनों की सज़ा हो सकती है।
अगर उकसावे के बावजूद दंगा नहीं होता, तो भी उस व्यक्ति को छह महीने तक की क़ैद, जुर्माना, या दोनों की सज़ा दी जा सकती है। यह धारा इस बात पर ज़ोर देती है कि जो व्यक्ति समाज में अव्यवस्था फैलाने के लिए उकसावे का काम करते हैं, उन्हें कड़ी सज़ा मिले, चाहे वे ख़ुद दंगे में शामिल हों या नहीं।
धारा 192 का उदाहरण:
मान लीजिए कि एक नेता अपनी रैली में हिंसा भड़काने वाली बातें करता है और जनता को किसी विशेष समुदाय पर हमला करने के लिए उकसाता है। अगर उस भाषण के कारण दंगा हो जाता है, तो उस नेता को एक साल तक की क़ैद की सज़ा हो सकती है। अगर दंगा नहीं हुआ लेकिन भाषण हिंसा को भड़काने के उद्देश्य से दिया गया था, तो उस नेता को छह महीने की क़ैद हो सकती है।
धारा 189 से संदर्भ: ग़ैर-क़ानूनी सभा की परिभाषा
धारा 190, 191, और 192 को समझने के लिए पहले धारा 189 को समझना ज़रूरी है। धारा 189 के तहत, ग़ैर-क़ानूनी सभा (Unlawful Assembly) एक ऐसी सभा होती है जिसमें पाँच या उससे अधिक लोग किसी अवैध उद्देश्य के लिए इकट्ठे होते हैं। यह अवैध उद्देश्य किसी सरकारी अधिकारी को डराना, क़ानून के क्रियान्वयन में बाधा डालना, या बलपूर्वक किसी की संपत्ति पर क़ब्ज़ा करना हो सकता है। एक बार जब किसी सभा को ग़ैर-क़ानूनी घोषित कर दिया जाता है, तो अगर उस सभा द्वारा बल का प्रयोग होता है, तो उसके सभी सदस्य दंगा करने के अपराध में फंस सकते हैं।
भारतीय न्याय संहिता, 2023 के तहत ग़ैर-क़ानूनी सभा और दंगे से जुड़े अपराधों के लिए सख्त प्रावधान हैं। धारा 190 के अनुसार, अगर किसी ग़ैर-क़ानूनी सभा के सामान्य उद्देश्य के तहत कोई अपराध होता है, तो उस सभा का हर सदस्य उसके लिए उत्तरदायी होगा। धारा 191 के तहत, दंगे की परिभाषा दी गई है और बल के प्रयोग की स्थिति में सज़ा का प्रावधान है, ख़ासकर अगर घातक हथियारों का इस्तेमाल किया गया हो। धारा 192 उन लोगों को सज़ा देने का प्रावधान करती है जो दूसरों को दंगा करने के लिए उकसाते हैं, चाहे दंगा हुआ हो या नहीं।
ये प्रावधान समाज में शांति बनाए रखने और सामूहिक हिंसा से बचने के लिए बनाए गए हैं। अगर कोई व्यक्ति किसी ग़ैर-क़ानूनी सभा का हिस्सा होता है और उस सभा में कोई अपराध होता है, तो उसे भी उसी अपराध के लिए दोषी माना जाएगा। इन धाराओं का उद्देश्य समाज में दंगे और अव्यवस्था को रोकना है, ताकि सभी की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।