इंटरनेट कंपनियों की ज़िम्मेदारी और छूट: सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 79
Himanshu Mishra
18 Jun 2025 11:25 AM

अध्याय बारह: सीमित उत्तरदायित्व - मध्यस्थ (Intermediary) की भूमिका और छूट
इंटरनेट की दुनिया में जब भी हम किसी वेबसाइट पर कुछ पोस्ट करते हैं, किसी वीडियो प्लेटफॉर्म पर वीडियो डालते हैं, या सोशल मीडिया का उपयोग करते हैं, तब उस प्लेटफॉर्म का संचालन करने वाली कंपनी "मध्यस्थ" (Intermediary) की भूमिका निभाती है।
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 79 इसी विषय से संबंधित है और बताती है कि किन परिस्थितियों में ये प्लेटफॉर्म, कंपनियां या वेबसाइट्स कानूनी जिम्मेदारी से मुक्त (Exempted from Liability) होंगी। यह धारा यह स्पष्ट करती है कि किसी तीसरे पक्ष द्वारा साझा की गई सामग्री (Third Party Information) के लिए मध्यस्थ को कब उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता।
मध्यस्थ कौन होता है?
मध्यस्थ (Intermediary) वह होता है जो दूसरों को सूचना भेजने, प्राप्त करने, संग्रहित करने या प्रकाशित करने की सुविधा प्रदान करता है। जैसे कि फेसबुक, ट्विटर (अब X), यूट्यूब, गूगल, टेलीग्राम, इंस्टाग्राम, आदि। ये स्वयं वह जानकारी नहीं बनाते जो उपयोगकर्ता (User) साझा करते हैं, बल्कि सिर्फ एक माध्यम (Platform) प्रदान करते हैं।
उत्तरदायित्व से छूट – किन शर्तों में?
धारा 79 की उपधारा (1) के अनुसार, किसी अन्य कानून में कुछ भी कहा गया हो, यदि कोई मध्यस्थ केवल सूचना की होस्टिंग (Hosting), संचरण (Transmission) या स्टोरेज (Storage) तक सीमित भूमिका निभा रहा है, और कुछ शर्तों का पालन करता है, तो उसे उस जानकारी के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जाएगा जो किसी तीसरे पक्ष ने डाली है।
उदाहरण के लिए, यदि किसी व्यक्ति ने यूट्यूब पर एक आपत्तिजनक वीडियो डाला और यूट्यूब को इसकी जानकारी नहीं थी, और यूट्यूब ने नियमानुसार उचित सावधानी बरती है, तो यूट्यूब को उस वीडियो की कानूनी जिम्मेदारी से छूट मिल सकती है।
किन शर्तों का पालन जरूरी है?
यह छूट तभी मान्य होगी जब मध्यस्थ निम्नलिखित स्थितियों में काम कर रहा हो:
पहली बात, उसकी भूमिका केवल संचार प्रणाली (Communication System) उपलब्ध कराने तक सीमित होनी चाहिए। इसका मतलब यह है कि वह स्वयं कोई कंटेंट नहीं बनाता और केवल दूसरों द्वारा साझा की गई जानकारी को प्लेटफॉर्म पर प्रस्तुत करता है।
दूसरी बात, वह स्वयं न तो उस जानकारी के प्रसारण (Transmission) की शुरुआत करता है, न ही प्राप्तकर्ता (Receiver) को चुनता है, और न ही उस जानकारी में कोई बदलाव करता है।
तीसरी और सबसे महत्वपूर्ण बात, वह अपने कर्तव्यों के निर्वहन में उचित सतर्कता (Due Diligence) बरते और सरकार द्वारा बनाए गए नियमों व दिशानिर्देशों (Guidelines) का पालन करे।
जब मध्यस्थ छूट नहीं पा सकता – जिम्मेदारी तय होने की स्थिति
धारा 79 की उपधारा (3) यह बताती है कि किन परिस्थितियों में यह छूट समाप्त हो जाती है और मध्यस्थ को कानूनी दायित्व (Legal Liability) उठानी पड़ सकती है।
पहला, यदि यह सिद्ध हो जाता है कि वह मध्यस्थ किसी गैरकानूनी कृत्य (Unlawful Act) में संलिप्त था, या उसने किसी रूप में सहायता की – चाहे वह धमकी देकर हो या प्रलोभन देकर – तो उसे छूट नहीं मिलेगी। उदाहरण के लिए, यदि कोई प्लेटफॉर्म जानबूझकर किसी घृणा फैलाने वाली सामग्री को बढ़ावा देता है, तो वह उत्तरदायी होगा।
दूसरा, यदि सरकार या उसकी एजेंसी द्वारा सूचित किए जाने के बाद भी वह मध्यस्थ उस जानकारी को जल्दी से हटाने (Remove) या उस तक पहुंच को निष्क्रिय (Disable Access) करने में असफल रहता है, तो वह दोषी माना जाएगा। हालांकि यह करते समय यह भी जरूरी है कि सबूतों के साथ छेड़छाड़ न हो।
तीसरे पक्ष की जानकारी का मतलब क्या है?
यह स्पष्ट किया गया है कि "तीसरे पक्ष की जानकारी" (Third Party Information) का अर्थ है वह जानकारी जो मध्यस्थ ने स्वयं न बनाकर किसी अन्य व्यक्ति द्वारा उपलब्ध कराई गई हो और वह केवल एक माध्यम के रूप में उसे होस्ट कर रहा हो।
मामलों का उदाहरण
मान लीजिए किसी ने फेसबुक पर एक पोस्ट डाली जिसमें धार्मिक भावना को आहत करने वाली बात थी। यदि फेसबुक को इसकी जानकारी नहीं थी और जैसे ही सरकार की तरफ से सूचना दी गई, उसने तुरंत वह पोस्ट हटा दी, तो फेसबुक को धारा 79 के अंतर्गत कानूनी कार्यवाही से राहत मिल सकती है। लेकिन अगर उसे पता था और उसने इसे जानबूझकर नजरअंदाज किया, या वह पोस्ट हटाने में अनावश्यक देरी करता है, तो उस पर भी कार्रवाई की जा सकती है।
कानूनी और सामाजिक संतुलन की आवश्यकता
धारा 79 तकनीकी प्लेटफॉर्म्स को कानूनी सुरक्षा देती है ताकि वे अपने काम को स्वतंत्र रूप से कर सकें, लेकिन साथ ही इसमें यह भी सुनिश्चित किया गया है कि यदि वे अपनी भूमिका का दुरुपयोग करते हैं या गैरकानूनी सामग्री को बढ़ावा देते हैं, तो उन्हें उत्तरदायी ठहराया जा सके।
भारत जैसे बड़े लोकतंत्र में, जहां इंटरनेट का उपयोग ग्रामीण से शहरी हर क्षेत्र में बढ़ रहा है, यह कानून प्लेटफॉर्म्स को जवाबदेह (Accountable) बनाता है और उपयोगकर्ताओं को भी उनके अधिकारों की रक्षा प्रदान करता है।
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 79 इंटरनेट पर मध्यस्थों की भूमिका को स्पष्ट करती है और बताती है कि वे कब उत्तरदायी होंगे और कब नहीं। यह धारा तकनीकी स्वतंत्रता और सामाजिक उत्तरदायित्व के बीच संतुलन बनाती है। तकनीकी युग में यह प्रावधान अत्यंत आवश्यक है क्योंकि इससे डिजिटल माध्यमों पर नियंत्रण और अनुशासन सुनिश्चित किया जा सकता है, साथ ही डिजिटल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को भी सुरक्षित रखा जा सकता है।