किराया पुनर्निरीक्षण और सुरक्षा जमा : राजस्थान किराया नियंत्रण अधिनियम की धारा 22-D, 22-E और 22-F

Himanshu Mishra

11 April 2025 12:39 PM

  • किराया पुनर्निरीक्षण और सुरक्षा जमा : राजस्थान किराया नियंत्रण अधिनियम की धारा 22-D, 22-E और 22-F

    राजस्थान किराया नियंत्रण अधिनियम, 2001 (Rajasthan Rent Control Act, 2001) को 2017 के संशोधन (Amendment) के बाद किराए के विवादों और किरायेदारी (Tenancy) को लेकर स्पष्ट दिशानिर्देश दिए गए हैं। मकान मालिक (Landlord) और किरायेदार (Tenant) के बीच समय-समय पर विवाद अक्सर किराए की वृद्धि (Rent Increase), सुविधाओं की स्थिति (Condition of Amenities), और सुरक्षा जमा (Security Deposit) को लेकर होते हैं।

    इन्हीं विवादों को प्रभावी ढंग से सुलझाने के लिए अधिनियम की धारा 22-D, 22-E और 22-F महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इस लेख में हम इन धाराओं को क्रमशः विस्तार से समझेंगे।

    धारा 22-D: किराए में संशोधन की परिस्थितियाँ (Revision of Rent in Certain Circumstances)

    (1) मकान मालिक द्वारा सुधार कार्य कराने पर किराया बढ़ाना (Rent Increase due to Improvement)

    अगर मकान मालिक, किरायेदारी शुरू होने के बाद और किरायेदार की सहमति से मकान में कोई सुधार (Improvement), संरचनात्मक परिवर्तन (Structural Alteration) या नवीन कार्य (Addition) करता है (जैसे – नया बाथरूम बनवाना, बालकनी को बढ़ाना), तो वह किराए में बढ़ोतरी कर सकता है। यह बढ़ोतरी तभी मान्य होगी जब:

    • कार्य शुरू होने से पहले किरायेदार और मकान मालिक में आपसी सहमति (Mutual Agreement) हो।

    • किराए में कितनी वृद्धि होगी, यह पहले से तय हो।

    • यह नया किराया, काम पूरा होने के एक महीने बाद से लागू होगा।

    Illustration (उदाहरण):

    Mr. Gupta, किरायेदार Ravi की सहमति से एक नया स्टोररूम बनवाते हैं और ₹1000 मासिक किराया बढ़ाने पर सहमत होते हैं। कार्य पूरा होने के एक महीने बाद Ravi ₹1000 अधिक देना शुरू करेगा।

    (2) सुविधाओं या मकान की स्थिति खराब होने पर किराया घटाना (Rent Reduction due to Deterioration)

    अगर पहले तय किए गए किराए के बाद मकान या उसमें मिलने वाली सेवाएं (Housing Services) जैसे पानी, बिजली, सफाई आदि में गिरावट आती है, तो किरायेदार किराया कम करवाने की मांग कर सकता है।

    Illustration (उदाहरण):

    Mrs. Meena एक फ्लैट में रह रही हैं जिसमें RO पानी और नियमित सफाई की सुविधा थी। कुछ महीनों बाद मकान मालिक ये सुविधाएं बंद कर देते हैं। Mrs. Meena किराया घटाने की मांग Rent Authority से कर सकती हैं।

    (3) मकान मालिक के पास विकल्प (Landlord's Options)

    किरायेदार की मांग के बाद मकान मालिक के पास दो विकल्प हैं:

    • या तो मकान और सुविधाएं पहले जैसी कर दें।

    • या फिर किराया घटाने के लिए सहमति दें।

    (4) विवाद की स्थिति में Rent Authority की भूमिका (Role of Rent Authority in Case of Dispute)

    अगर आपसी सहमति न हो पाए तो मकान मालिक या किरायेदार Rent Authority के पास याचिका दे सकते हैं। Rent Authority:

    • दोनों पक्षों को सुनती है।

    • आपसी समझौता करवाने की कोशिश करती है।

    • अगर समझौता न हो, तो साक्ष्यों के आधार पर आदेश (Order) देती है।

    धारा 22-E: Rent Authority द्वारा संशोधित किराया तय करना (Fixing Revised Rent by Rent Authority)

    22-E को समझने के लिए हमें धारा 22-D के संदर्भ को ध्यान में रखना ज़रूरी है, क्योंकि 22-E उसी के अनुपालन में आगे की प्रक्रिया को निर्देशित करती है।

    अगर मकान मालिक और किरायेदार के बीच धारा 22-D के अंतर्गत विवाद हो, चाहे वह किराया बढ़ाने को लेकर हो या घटाने को लेकर, और दोनों में सहमति न बन पाए, तो Rent Authority को यह अधिकार है कि वह आवेदन (Application) के आधार पर:

    • किराए को तय (Fix) या संशोधित (Revise) करे, और

    • यह भी तय करे कि नया किराया किस तारीख से लागू होगा।

    इसका मतलब है कि Rent Authority, एक तटस्थ और न्यायसंगत संस्था के रूप में कार्य करते हुए यह सुनिश्चित करती है कि न तो मकान मालिक अनुचित रूप से किराया बढ़ा सके और न ही किरायेदार सेवाएं लेकर भी किराया देने से बच सके।

    Illustration (उदाहरण):

    मकान मालिक Mr. Verma, किराए में ₹2000 की वृद्धि करना चाहते हैं क्योंकि उन्होंने बालकनी कवर कर दी है। किरायेदार Deepak सहमत नहीं है। मामला Rent Authority में जाता है। Authority दोनों पक्षों की बातें सुनकर और काम की स्थिति देख कर तय करती है कि ₹1200 की वृद्धि उचित है और यह अगले महीने की पहली तारीख से लागू होगी।

    धारा 22-F: सुरक्षा जमा से संबंधित प्रावधान (Provisions related to Security Deposit)

    (1) सुरक्षा जमा की सीमा (Limit of Security Deposit)

    अगर मकान मालिक और किरायेदार के बीच कोई अलग समझौता (Agreement) न हो, तो मकान मालिक अधिकतम एक महीने के किराए के बराबर राशि बतौर सुरक्षा जमा (Security Deposit) ले सकता है।

    Illustration:

    अगर मासिक किराया ₹8000 है, तो सामान्य स्थिति में मकान मालिक ₹8000 से अधिक सुरक्षा जमा नहीं ले सकता, जब तक कि अलग से सहमति न हो।

    (2) सुरक्षा जमा की वापसी (Refund of Security Deposit)

    किरायेदार जब मकान खाली करता है, तो मकान मालिक को सुरक्षा जमा की राशि:

    • एक महीने के अंदर वापस करनी होती है।

    • अगर किरायेदार की कोई बकाया राशि (Liability) है, तो उसे काटकर शेष राशि लौटानी होती है।

    Illustration:

    Mr. Shyam ने ₹10,000 सुरक्षा जमा दी थी। मकान खाली करने पर उनके ₹1000 बिजली बिल बाकी हैं। मकान मालिक को ₹9000 वापस करने होंगे।

    (3) वापसी न होने पर किरायेदार की याचिका (Application by Tenant if Deposit Not Refunded)

    अगर मकान मालिक एक महीने के भीतर सुरक्षा राशि वापस नहीं करता, तो किरायेदार Rent Authority के समक्ष आवेदन दे सकता है। Rent Authority, मकान मालिक को राशि लौटाने का निर्देश दे सकती है।

    Illustration:

    Ritika मकान खाली करने के एक महीने बाद भी ₹7000 की जमा राशि वापस नहीं पा रही है। वह Rent Authority में आवेदन करती है। Authority सुनवाई के बाद मकान मालिक को भुगतान का आदेश देती है।

    धारा 22-D, 22-E और 22-F, राजस्थान किराया नियंत्रण अधिनियम में किरायेदार और मकान मालिक के बीच विश्वास, पारदर्शिता और संतुलन को बढ़ावा देती हैं। Rent Authority एक मध्यस्थ (Neutral Arbiter) के रूप में काम करती है, जो सुनिश्चित करती है कि दोनों पक्षों को न्याय मिले।

    इन धाराओं का पालन कर ना केवल विवादों से बचा जा सकता है, बल्कि किराएदारी का रिश्ता भी दीर्घकालिक (Long-Lasting) और सुखद (Harmonious) बन सकता है।

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