पंजीकरण अधिनियम, 1908 - धारा 34 और 35: पंजीकरण से पहले जांच और निष्पादन की प्रक्रिया

Himanshu Mishra

30 July 2025 5:03 PM IST

  • पंजीकरण अधिनियम, 1908 - धारा 34 और 35: पंजीकरण से पहले जांच और निष्पादन की प्रक्रिया

    धारा 34. पंजीकरण अधिकारी द्वारा पंजीकरण से पहले जांच (Enquiry before registration by registering officer)

    यह धारा पंजीकरण अधिकारी के लिए कुछ अनिवार्य कदमों को सूचीबद्ध करती है जो किसी भी दस्तावेज़ को पंजीकृत करने से पहले उठाए जाने चाहिए।

    उपधारा (1) में कहा गया है कि कुछ विशेष मामलों (जैसे धारा 41, 43, 45, 69, 75, 77, 88 और 89) को छोड़कर, किसी भी दस्तावेज़ को इस अधिनियम के तहत तब तक पंजीकृत नहीं किया जाएगा जब तक कि उस दस्तावेज़ को निष्पादित करने वाले व्यक्ति, या उनके प्रतिनिधि (representatives), असाइनी (assigns), या एजेंट (agents), धारा 23, 24, 25 और 26 के तहत प्रस्तुतीकरण के लिए अनुमत समय के भीतर पंजीकरण अधिकारी के सामने उपस्थित न हों।

    परंतु (Provided that): यदि किसी अत्यावश्यक आवश्यकता (urgent necessity) या अपरिहार्य दुर्घटना (unavoidable accident) के कारण ऐसे सभी व्यक्ति उपस्थित नहीं हो पाते हैं, तो रजिस्ट्रार (Registrar), उन मामलों में जहाँ उपस्थित होने में देरी चार महीने (four months) से अधिक नहीं है, निर्देश दे सकता है कि दस्तावेज़ को पंजीकृत किया जा सकता है। इसके लिए उसे धारा 25 (section 25) के तहत देय जुर्माने (यदि कोई हो) के अतिरिक्त, उचित पंजीकरण शुल्क (registration fee) के दस गुना से अधिक नहीं का जुर्माना देना होगा।

    उदाहरण: यदि किसी दस्तावेज़ के दो निष्पादकों में से एक गंभीर बीमारी के कारण समय पर उपस्थित नहीं हो पाता है, तो दूसरा व्यक्ति रजिस्ट्रार को देरी का कारण बता सकता है। यदि देरी चार महीने के भीतर है, तो रजिस्ट्रार जुर्माना लगाकर पंजीकरण की अनुमति दे सकता है।

    उपधारा (2) यह स्पष्ट करती है कि उपधारा (1) के तहत उपस्थित होना एक साथ (simultaneous) हो सकता है या अलग-अलग समय पर। यह सुविधा उन स्थितियों के लिए है जहाँ सभी पक्ष एक ही समय पर उपस्थित नहीं हो सकते।

    उपधारा (3) के अनुसार, उपस्थित होने पर, पंजीकरण अधिकारी निम्नलिखित कार्रवाई करेगा:

    • (a) वह यह जांच करेगा कि क्या दस्तावेज़ वास्तव में उन व्यक्तियों द्वारा निष्पादित किया गया था जिनके द्वारा इसे निष्पादित किया गया बताया गया है।

    • (b) वह उसके सामने उपस्थित होने वाले और यह दावा करने वाले व्यक्तियों की पहचान से स्वयं को संतुष्ट करेगा कि उन्होंने ही दस्तावेज़ निष्पादित किया है।

    • (c) यदि कोई व्यक्ति एक प्रतिनिधि, असाइनी या एजेंट के रूप में उपस्थित होता है, तो वह यह सुनिश्चित करेगा कि उस व्यक्ति को ऐसा उपस्थित होने का अधिकार है।

    उदाहरण: एक पंजीकरण अधिकारी उपस्थित व्यक्तियों के आधार कार्ड या अन्य पहचान पत्र की जांच करेगा, और यह भी सुनिश्चित करेगा कि यदि कोई व्यक्ति मुख्तारनामे के साथ आया है, तो वह मुख्तारनामा कानूनी रूप से वैध है।

    उपधारा (4) में कहा गया है कि उपधारा (1) के परंतुक के तहत निर्देश के लिए कोई भी आवेदन उप-रजिस्ट्रार के पास जमा किया जा सकता है, जो उसे तुरंत अपने अधीनस्थ रजिस्ट्रार को भेजेगा। यह प्रक्रिया को सरल बनाता है।

    उपधारा (5) स्पष्ट करती है कि यह धारा डिक्री (decrees) या आदेशों (orders) की प्रतियों पर लागू नहीं होती।

    धारा 35. निष्पादन की स्वीकृति और अस्वीकृति पर प्रक्रिया (Procedure on admission and denial of execution respectively)

    यह धारा बताती है कि पंजीकरण अधिकारी को क्या प्रक्रिया अपनानी चाहिए जब दस्तावेज़ के निष्पादन (execution) को स्वीकार या अस्वीकार किया जाता है।

    उपधारा (1) कहती है कि पंजीकरण अधिकारी को दस्तावेज़ को पंजीकृत कर देना चाहिए, जैसा कि धारा 58 से 61 में निर्देशित है, यदि:

    • (a) दस्तावेज़ निष्पादित करने वाले सभी व्यक्ति व्यक्तिगत रूप से उसके सामने उपस्थित होते हैं और वह उन्हें व्यक्तिगत रूप से जानता है, या वह अन्यथा संतुष्ट है कि वे वही व्यक्ति हैं जैसा वे खुद को बताते हैं, और वे सभी दस्तावेज़ के निष्पादन को स्वीकार करते हैं।

    • (b) किसी प्रतिनिधि, असाइनी या एजेंट द्वारा उपस्थित होने की स्थिति में, वह प्रतिनिधि, असाइनी या एजेंट निष्पादन को स्वीकार करता है।

    • (c) दस्तावेज़ निष्पादित करने वाला व्यक्ति मर चुका है, और उसका प्रतिनिधि या असाइनी पंजीकरण अधिकारी के सामने उपस्थित होकर निष्पादन को स्वीकार करता है।

    उपधारा (2) पंजीकरण अधिकारी को अधिकार देती है कि वह अपने कार्यालय में मौजूद किसी भी व्यक्ति की जांच कर सकता है ताकि वह स्वयं को संतुष्ट कर सके कि उसके सामने उपस्थित व्यक्ति वही हैं जैसा वे खुद को बताते हैं, या इस अधिनियम द्वारा अपेक्षित किसी अन्य उद्देश्य के लिए।

    उपधारा (3) उन स्थितियों से संबंधित है जब निष्पादन को अस्वीकार किया जाता है। पंजीकरण अधिकारी (registering officer), उस व्यक्ति के संबंध में दस्तावेज़ को पंजीकृत करने से इनकार (refuse) कर देगा यदि:

    • (a) दस्तावेज़ को निष्पादित करने वाला कोई व्यक्ति इसके निष्पादन से इनकार करता है।

    • (b) ऐसा कोई व्यक्ति पंजीकरण अधिकारी को नाबालिग (minor), जड़ बुद्धि (idiot) या पागल (lunatic) लगता है।

    • (c) दस्तावेज़ निष्पादित करने वाला कोई व्यक्ति मर चुका है, और उसका प्रतिनिधि या असाइनी इसके निष्पादन से इनकार करता है।

    परंतु (Provided that): यदि ऐसा अधिकारी एक रजिस्ट्रार (Registrar) है, तो वह भाग XII (Part XII) में निर्धारित प्रक्रिया का पालन करेगा, जो पंजीकरण से इनकार के खिलाफ अपील (appeal) और शिकायत (complaint) से संबंधित है।

    दूसरा परंतुक (Provided further that): राज्य सरकार (State Government) राजपत्र (Official Gazette) में अधिसूचना (notification) द्वारा यह घोषित कर सकती है कि अधिसूचना में नामित कोई भी उप-रजिस्ट्रार (Sub-Registrar), जिन दस्तावेजों के निष्पादन से इनकार किया जाता है, उनके संबंध में इस उपधारा और भाग XII के प्रयोजनों के लिए एक रजिस्ट्रार माना जाएगा। यह उप-रजिस्ट्रार को ऐसे मामलों में रजिस्ट्रार की शक्तियाँ प्रदान करता है।

    ये धाराएँ मिलकर पंजीकरण प्रक्रिया में प्रामाणिकता, पहचान और सहमति की पुष्टि के लिए एक मजबूत ढाँचा प्रदान करती हैं, जो संपत्ति के लेनदेन की कानूनी वैधता की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।

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