मिलावट से मृत्यु या हानि के लिए दंड: राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 की धारा 54B

Himanshu Mishra

14 Jan 2025 12:31 PM

  • मिलावट से मृत्यु या हानि के लिए दंड: राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 की धारा 54B

    राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 की धारा 54B का उद्देश्य शराब (liquor) और नशीले पदार्थों (intoxicating drugs) में हानिकारक पदार्थों (noxious substances) की मिलावट को रोकना है।

    यह प्रावधान उन लोगों पर सख्त दंड लगाता है जो मिलावट करते हैं, उसे होने देते हैं, या इसके रोकथाम में लापरवाही करते हैं। इस धारा के अंतर्गत दंड, घटना के परिणामों के आधार पर तय किए जाते हैं, जैसे कि मृत्यु, गंभीर चोट (grievous hurt), या विकलांगता (disability)।

    धारा 54B का उद्देश्य और दायरा (Purpose and Scope)

    धारा 54B का मुख्य उद्देश्य जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। शराब या नशीले पदार्थों में हानिकारक पदार्थों की मिलावट से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जैसे कि मृत्यु, स्थायी विकलांगता या गंभीर चोट।

    यह प्रावधान उन लोगों को जिम्मेदार ठहराता है जो:

    1. हानिकारक पदार्थ मिलाते हैं।

    2. ऐसी मिलावट की अनुमति देते हैं।

    3. मिलावट रोकने में लापरवाही करते हैं।

    4. मिलावट वाले उत्पाद जानबूझकर अपने पास रखते हैं।

    धारा 54B(1): मिलावट के लिए दंड (Penalties for Adulteration)

    धारा 54B(1) उन लोगों पर लागू होती है जो शराब या नशीले पदार्थों में हानिकारक पदार्थ मिलाते हैं या ऐसा होने देते हैं। दंड, घटना के परिणामों पर निर्भर करता है।

    मृत्यु होने पर दंड (Penalty When Death Occurs)

    यदि मिलावट से किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, तो दोषी को कम से कम दो साल की सजा होगी, जो आजीवन कारावास (life imprisonment) तक बढ़ सकती है। इसके अलावा, कम से कम एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा, जो दस लाख रुपये तक बढ़ सकता है।

    गंभीर चोट या विकलांगता होने पर दंड (Penalty for Grievous Hurt or Disability)

    यदि मिलावट से किसी को गंभीर चोट (जैसे आंख की रोशनी या अंग खोना) या विकलांगता होती है, तो दोषी को कम से कम दो साल की सजा दी जाएगी, जो आजीवन कारावास तक बढ़ सकती है। जुर्माना कम से कम पचास हजार रुपये और अधिकतम पांच लाख रुपये तक हो सकता है।

    अन्य मामलों में दंड (Penalty in Other Cases)

    यदि मिलावट से मृत्यु या गंभीर चोट नहीं होती, लेकिन मिलावट साबित हो जाती है, तो दोषी को कम से कम एक साल की सजा दी जाएगी, जो दस साल तक बढ़ सकती है। जुर्माना पचास हजार रुपये से ढाई लाख रुपये तक हो सकता है।

    धारा 54B(2): लापरवाही के लिए दंड (Penalties for Negligence)

    धारा 54B(2) उन व्यक्तियों पर लागू होती है जो मिलावट को रोकने के लिए उचित सावधानी नहीं बरतते। लापरवाही के आधार पर दंड इस प्रकार है:

    लापरवाही से मृत्यु होने पर दंड (Penalty for Death Due to Negligence)

    यदि लापरवाही से किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, तो दोषी को आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है। जुर्माना दस लाख रुपये तक लगाया जा सकता है।

    गंभीर चोट या विकलांगता होने पर दंड (Penalty for Grievous Hurt or Disability Due to Negligence)

    यदि लापरवाही से गंभीर चोट या विकलांगता होती है, तो दोषी को कम से कम दो साल की सजा दी जाएगी, जो आजीवन कारावास तक बढ़ सकती है। जुर्माना पचास हजार रुपये से पांच लाख रुपये तक हो सकता है।

    अन्य मामलों में दंड (Penalty in Other Cases of Negligence)

    यदि लापरवाही से कोई बड़ी हानि नहीं होती, तो भी दोषी को कम से कम एक साल की सजा दी जाएगी, जो दस साल तक बढ़ सकती है। जुर्माना पचास हजार रुपये से ढाई लाख रुपये तक हो सकता है।

    धारा 54B(3): मिलावटी उत्पाद रखने पर दंड (Penalty for Possession of Adulterated Liquor)

    धारा 54B(3) उन लोगों पर लागू होती है जो यह जानते हुए भी मिलावटी शराब या नशीले पदार्थ अपने पास रखते हैं कि उनमें हानिकारक पदार्थ मिले हुए हैं।

    इस अपराध के लिए कम से कम एक साल की सजा दी जाएगी, जो दस साल तक बढ़ सकती है। इसके अलावा, दोषी पर एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।

    "गंभीर चोट" की व्याख्या (Explanation of Grievous Hurt)

    "गंभीर चोट" (Grievous Hurt) का अर्थ भारतीय दंड संहिता, 1860 (Indian Penal Code, 1860) की धारा 320 के अनुसार है। इसमें चोटें शामिल हैं, जैसे कि स्थायी विकृति (permanent disfiguration), अंग या इंद्रिय खोना (loss of limb or sense), हड्डी टूटना (fractures), या कोई भी चोट जो जीवन को खतरे में डालती है।

    उदाहरण (Illustrations)

    उदाहरण 1: मिलावट से मृत्यु

    एक शराब निर्माता शराब की मात्रा बढ़ाने के लिए उसमें मेथनॉल (Methanol) मिलाता है। एक उपभोक्ता इसे पीकर मर जाता है। निर्माता को धारा 54B(1)(i) के तहत दोषी ठहराया जाएगा और उसे कम से कम दो साल की सजा और दस लाख रुपये तक का जुर्माना होगा।

    उदाहरण 2: गंभीर चोट से जुड़ा मामला

    एक दुकानदार शराब में ऐसा पदार्थ मिलाता है जो उपभोक्ता को स्थायी अंधापन (Blindness) दे देता है। दुकानदार को धारा 54B(1)(ii) के तहत कम से कम दो साल की सजा और पचास हजार रुपये से पांच लाख रुपये तक का जुर्माना होगा।

    उदाहरण 3: लापरवाही से मृत्यु

    एक गोदाम मालिक साफ-सफाई का ध्यान नहीं रखता, जिससे शराब में हानिकारक रसायन मिल जाते हैं। यह शराब पीने से एक व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। गोदाम मालिक को धारा 54B(2)(i) के तहत दोषी ठहराया जाएगा।

    उदाहरण 4: मिलावटी उत्पाद रखना

    एक दुकानदार जानता है कि वह जो शराब बेच रहा है, उसमें हानिकारक पदार्थ मिले हैं। उसे धारा 54B(3) के तहत कम से कम एक साल की सजा और एक लाख रुपये तक का जुर्माना होगा।

    महत्व (Importance)

    धारा 54B जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक मजबूत कानूनी उपाय है। यह प्रावधान मिलावट को हतोत्साहित करता है और लापरवाही करने वालों को भी जिम्मेदार ठहराता है। सख्त दंड और विस्तृत दायरे के कारण यह कानून शराब और नशीले पदार्थों की गुणवत्ता सुनिश्चित करता है।

    राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 की धारा 54B मिलावट से होने वाले गंभीर परिणामों को रोकने के लिए एक प्रभावी कानूनी प्रावधान है।

    इसके तहत दंड की श्रेणियां स्पष्ट और सख्त हैं, जिससे मिलावट करने वालों और लापरवाह व्यक्तियों पर प्रभावी नियंत्रण लगाया जा सके। इस प्रावधान का सख्ती से पालन जनता के स्वास्थ्य और विश्वास को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।

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