POCSO Act की धारा 3 के प्रावधान

Shadab Salim

22 Oct 2025 6:22 PM IST

  • POCSO Act की धारा 3 के प्रावधान

    इस एक्ट की धारा 3 में लैंगिक हमला का प्रावधान किया गया है जिसके अनुसार-

    लैंगिक हमला कोई व्यक्ति प्रवेशन लैंगिक हमला करता है यदि वह

    (क) अपना लिंग, किसी भी सीमा तक किसी बालक की योनि, मुंह, मूत्रमार्ग या गुदा में प्रवेश करता है या बालक से उसके साथ या किसी अन्य व्यक्ति के साथ ऐसा करवाता है, या

    (ख) किसी वस्तु या शरीर के किसी ऐसे भाग को, जो लिंग नहीं है, किसी सीमा तक बालक की योनि, मूत्रमार्ग या गुदा में घुसेड़ता है या बालक से उसके साथ या किसी अन्य व्यक्ति के साथ ऐसा करवाता है, या

    (ग) बालक के शरीर के किसी भाग के साथ ऐसा अभिचालन करता है जिससे कि वह बालक की योनि, मूत्रमार्ग या गुदा में या बालक के शरीर के किसी भाग में प्रवेश कर सके या बालक से उसके साथ या किसी अन्य व्यक्ति के साथ ऐसा करवाता है, या

    (घ) बालक के लिंग योनि, गुदा या मूत्रमार्ग पर मुंह लगाता है या ऐसे व्यक्ति या किसी अन्य व्यक्ति के साथ बालक से ऐसा करवाता है।

    निम टशेरिंग लेपचा बनाम सिक्किम राज्य, 2017 क्रिलॉज 3168 (सिक्किम) के मामले में पीडिता लड़की ने अपने गुप्तांग के क्षेत्र में दर्द महसूस करने पर घटना के कुछ दिन पश्चात अपने संरक्षक से संपूर्ण घटना का प्रकथन किया था। घटना के सात दिन पश्चात् पीड़िता की विलम्बित जांच के बावजूद उसके गुप्तांग पर लालिमा तथा सूजन के सम्बन्धित डॉक्टर का निष्कर्ष बलपूर्वक प्रवेशन का सुझाव देता था। उसके अन्तः वस्त्रों में मात्र शुक्राणु की अनुपस्थिति अभियोजन मामले को नामंजूर नहीं कर सकती है, न तो उसके जननांग पर घोर क्षतियों का अभाव अभियोजन मामले के लिए घातक होगा, क्योंकि उसका साक्ष्य संगत और स्थिर है इसलिए अभियुक्त को दोषिसिद्धि उचित अभिनिर्धारित की गयी।

    प्रवेशन को बेधने अथवा प्रवेश करने के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। विधि चिकित्साय शास्त्री ग्लिस्टर ने यह राय दी है कि जब महिला के जननांग में पुरुष जननाग के द्वारा वास्तविक रूप में प्रवेश किया गया हो, तो इसे प्रवेशन कहा जाना चाहिए। वीर्य का स्खलन प्रवेशन गठित करने के लिए पर्याप्त नहीं होता है।

    संक्षिप्त आक्सफोर्ड शब्दकोश में, शब्द "प्रवेशन का तात्पर्य में अथवा उसके माध्यम से पहुंच प्राप्त करना, उसके माध्यम से जाना है। जब पुरुष जननांग को एक साथ और कड़ी की गयी जांघ के बीच में डाला जाता है, तो क्या कोई प्रवेशन नहीं हुआ है। शब्द "डालने का तात्पर्य रखना, बैठाना, दाबना है। इसलिए यदि पुरुष जननाग को जांघों के बीच में डाला" अथवा "दाबा" जाता है, तो अनैतिक अपराध गठित करने के लिए प्रवेशन होता है

    योनि अथवा अन्य शरीर के छिद्र में लिंग अथवा शरीर के किसी अन्य भाग अथवा बाह्य वस्तु का प्रवेश करना, यह लैंगिक अपराध को परिभाषित करते हुए संविधियों में आजकल प्रयुक्त सामान्य अर्थ है किसी चीज जिसके विरुद्ध प्रक्षेपक को दागा गया हो में गोली अथवा अन्य प्रक्षेपक के द्वारा पहुंची गयी गहराई शरीर अथवा वस्तु में अथवा उससे होकर किसी चीज के बेधने अथवा जाने का कृत्य है।

    सुप्रीम कोर्ट का यह संगत विचार रहा है कि हल्का-सा प्रवेशन भी बलात्संग का अपराध बनाने के लिए पर्याप्त होता है और प्रवेशन की गहराई अतात्विक होती है। इस संदर्भ में मोदी के चिकित्सा विधिशास्त्र और विष विज्ञान (बाइसवां संस्करण), पृष्ठ 495 को उद्धृत करना उपयुक्त है, जो इस प्रकार से पठित है :

    "इस प्रकार, बलात्संग का अपराध गठित करने के लिए यह आवश्यक नहीं है कि वीर्य के स्खलन और योनिच्छद के फटने के साथ लिंग का पूर्ण प्रवेशन होना चाहिए। वीर्य के स्खलन सहित अथवा रहित वृहत् भगोष्ठ, भग अथवा बाह्य जननांग के भीतर लिंग का आंशिक प्रवेशन अथवा प्रवेशन का प्रयत्न भी विधि के प्रयोजन के लिए बिल्कुल पर्याप्त होता है। इसलिए जननांग को कोई क्षति कारित किये बिना अथवा कोई वीर्य का धब्बा छोड़े बिना बलात्संग का अपराध विधितः कारित करना बिल्कुल संभाव्य होता है। ऐसी स्थिति में चिकित्सा अधिकारी को अपनी रिपोर्ट में नकारात्मक तथ्यों का उल्लेख करना चाहिए, परन्तु अपनी यह राय नहीं देनी चाहिए कि कोई बलात्संग कारित नहीं किया गया था। बलात्संग अपराध है, न कि चिकित्सीय दशा है। बलात्संग एक विधिक पद, न कि पीड़िता का उपचार करने वाले चिकित्सक के द्वारा किया जाने वाला रोग निदान है। केवल कथन, जो चिकित्सा अधिकारी के द्वारा किया जा सकता है, यह प्रभाव है कि क्या हाल में लैंगिक क्रियाकलाप का साक्ष्य है। क्या बलात्संग घटित हुआ था अथवा नहीं, विधिक, न कि चिकित्सीय निष्कर्ष है ।

    क्या आंशिक प्रवेशन बलात्संग की कोटि में आता है का प्रश्न भंग के अन्दर लिंग का आंशिक प्रवेशन विधित बलात्संग होता है। जननाग को कोई क्षति का कोई चिन्ह नहीं हो सकता है, कोई वीर्य का धब्बा नहीं हो सकता है और योचिच्छद का कोई फटाव नहीं हो सकता है। ऐसे मामलों में चिकित्सा अधिकारी को रिपोर्ट अभिलिखित करने में बहुत सतक होना चाहिए। यह कथन करना संभाव्य नहीं है कि कोई बलात्संग कारित नहीं किया गया है। किसी व्यक्ति को केवल यह उल्लेख करना चाहिए कि जांच के दौरान क्या देखा अथवा संप्रेक्षण किया गया है। जननांग से भिन्न महिला के शरीर पर किसी अन्य स्थान पर स्थित किसी क्षति का भी उल्लेख विस्तारपूर्वक तथा स्पष्ट रूप ने करना चाहिए। ऐसी क्षतिया संघर्ष और प्रतिरोध का अतिरिक्त सबूत प्रस्तुत करती हैं और यह कि यह पीड़िता की इच्छा के विरुद्ध तथा उसकी सम्मति के बिना भी था।

    मदन गोपाल कक्कड़ बनाम नवल दूबे एवं एक अन्य 1992 (3) जे टी 270 (1992) 3 एससीसी 204 के मामले में निर्धारित किया गया है कि चिकित्सीय निष्कर्ष के आधार पर वृहत भगोष्ठ अथवा भग अथवा बाह्य जननांग के भीतर आंशिक प्रवेशन हुआ था. जो विधिक अर्थ में बलात्संग कारित करने के लिए पर्याप्त है। इसलिए अभियुक्त को बलात्संग के अपराध के लिए दोषसिद्ध किया गया था।

    बलात्संग का अपराध गठित करने के लिए लिंग का आंशिक प्रवेशन अथवा प्रवेशन का प्रयत्न भी पर्याप्त है।

    बलात्संग का अपराध कारित किये जाने के लिए यह आवश्यक नहीं है कि पूर्ण प्रवेशन होना चाहिए। वीर्य के स्खलन सहित अथवा रहित बृहत् भगोष्ठ, मग अथवा बाह्य जननांग के भीतर लिंग का आंशिक प्रवेशन विधि में बिल्कुल पर्याप्त है। परन्तु यह ध्यान में रखा जाना चाहिए कि भग में प्रवेशन को साबित किया जाना चाहिए।

    यदि महिला यह कहती है कि उसके साथ बलपूर्वक बलात्सग कारित किया गया था, तो कथन यह कथन करने की कोटि में आता है कि प्रवेशन हुआ था।

    हल्का प्रवेशन हल्का प्रवेशन विधि में बलात्संग कारित करने के लिए पर्याप्त था। दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 161 के अधीन कथन का प्रयोग केवल ऐसे कथन करने वाले व्यक्ति का खण्डन करने के प्रयोजन के लिए किया जा सकता है। यह मानना भी कि अभियोक्त्री ने दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 161 के अधीन अपनी परीक्षा के दौरान यह प्रकट नहीं किया था कि उसके साथ तीन मास तक बलात्संग कारित किया गया था। यह उसके द्वारा किये गये किसी कथन को खण्डित नहीं करेगा।

    अभियुक्त के पुरुष जननांग पर क्षतियों का अभाव के साथ ही साथ अभियोक्त्री पर किसी दीर्घ क्षति का अभाव इस तथ्य का निश्चायक नहीं था कि प्रवेशन नहीं हुआ था।

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