POCSO Act की धारा 16 के प्रावधान
Shadab Salim
31 Oct 2025 9:13 AM IST

इस एक्ट की धारा 16 अधिनियम में दिए गए किसी भी क्राइम के दुष्प्रेरण से संबंधित है। इस धारा में दुष्प्रेरण को अपराध बनाया गया है जिसके अनुसार-
कोई व्यक्ति किसी अपराध के किए जाने का दुष्प्रेरण करता है, जो पहला उस अपराध को करने के लिए किसी व्यक्ति को उकसाता है; अथवा
दूसरा उस अपराध को करने के लिए किसी षड़यंत्र में एक या अधिक अन्य व्यक्ति या व्यक्तियों के साथ सम्मिलित होता है, यदि उस षड़यंत्र के अनुसरण में, और उस अपराध को करने के उद्देश्य से, कोई कार्य या अवैध लोप घटित जाए; अथवा
तीसरा उस अपराध के लिए किसी कार्य या अवैध लोप द्वारा साशय सहायता करता है।
स्पष्टीकरण 1—कोई व्यक्ति जो जानबूझकर दुर्व्यपदेशन द्वारा या तात्विक तथ्य, जिसे प्रकट करने के लिए वह आबद्ध है, जानबूझकर छिपाने द्वारा, स्वेच्छया किसी अपराध का किया जाना कारित या उपाप्त करता है अथवा कारित या उपाप्त करने का प्रयत्न करता है, वह उस अपराध का किया जाना उकसाता है।
स्पष्टीकरण 2-जो कोई या तो किसी कार्य के किए जाने से पूर्व या किए जाने के समय, उस कार्य के लिए जाने को सुकर बनाने के लिए कोई कार्य करता है और तद्द्द्वारा उसके किए जाने को सुकर बनाता है उस कार्य के किए जाने में सहायता करता है।
स्पष्टीकरण 3 जो कोई किसी बालक को इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध के प्रयोजन के लिए धमकी या बल प्रयोग या प्रपीड़न के अन्य माध्यम से, अपहरण, कपट, प्रवंचना, शक्ति या स्थिति के दुरुपयोग, भेद्यता या संदायों को देने या प्राप्त करने का प्रयोग या अन्य व्यक्ति पर नियंत्रण रखने वाली किसी व्यक्ति की सहमति प्राप्त करने के फायदों के माध्यम से भर्ती परिविहित करता है, आश्रय देता है या उसे प्राप्त करता है उसको उस कार्य के करने में सहायता करना कहा जाता है।
दुष्प्रेरण का आवश्यक रूप में तात्पर्य अपराध कारित करने के लिए कुछ सक्रिय सुझाव अथवा सहायता है। शब्द "उकसाना का शाब्दिक अर्थ किसी कृत्य को करने के लिए याचना करना, निवेदन करना, प्रकोपित करना, उत्प्रेरित करना अथवा उत्साहित करना है। कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को उकसाने के लिए। तब कहा जाता है, जब वह उसे किसी माध्यम से अथवा भाषा से प्रत्यक्षतः अथवा अप्रत्यक्षत चाहे यह अभिव्यक्त याचना अथवा संकेत, इशारा अथवा उत्साहित करने का रूप लेता हो, किसी कृत्य को करने के लिए सक्रिय रूप में सुझाव देता है अथवा अभिप्रेरित करता है।
यह भी आवश्यक नहीं है कि उकसाना केवल शब्दों में ही होना चाहिए और यह आचरण के द्वारा नहीं हो सकता है। किसी उकसाने अथवा सहायता का प्रत्यक्ष साक्ष्य आवश्यक नहीं है। यह ऐसा विषय है, जिसे परिस्थितियों से निगमित किया जा सकता है। अभियोजन के लिए विधि में यह साबित करना आवश्यक नहीं है कि दुष्प्रेरित व्यक्ति के मस्तिष्क में वास्तविक प्रवर्तित कारण उकसाना, न कि कोई अन्य चीज थी।
पूनम ठाकुर बनाम हरियाणा राज्य, 2018 क्रि लॉ ज 2387 के मामले में प्रथम दृष्ट्या इस बात का संकेतक है कि पीड़िता की दादी की ओर से अवैध लोप रहा है, जहाँ तक अपने पति के कृत्य को अवयस्क पीड़िता के माता-पिता से न बताने का सम्बन्ध है। दादी अवयस्क पौत्री पर कारित किये गये अपराध कारित करने के बारे में त्यों ही बताने के लिए आबद्ध थी, ज्यों ही उसे उसको बताया गया था। इस प्रकार, प्रथम दृष्ट्या पॉक्सो अधिनियम की धारा 16 के अधीन यथा अभिव्यक्त दुष्प्रेरण का तत्व बनता है।
"उकसाना" दुष्प्रेरक द्वारा दुष्प्रेरण किये जाने पर आपराधिक कार्य है, जहाँ दुष्प्रेरक आशय रखता है या वांच्छा करता है और को पर्याप्त ज्ञान है कि दुष्प्रेरित दुश्चेरक द्वारा वांछित या आशयित ढंग में कार्य के विशिष्ट अनुक्रम का अनुसरण करेगा। यह केवल साक्ष्य द्वारा युक्तियुक्त सन्देह के परे साबित ऐसी परिस्थितियों में है कि अभियुक्त अपराध का दुरण करने का दोषी निर्णीत किया जा सकता है।
किसी बात का दुष्प्रेरण वह व्यक्ति किसी बात के किए जाने का दुष्प्रेरण करता है, जो पहला उस बात को करने के लिए किसी व्यक्ति को उकसाता है अथवा
दूसरा उस बात को करने के लिए किसी षड्यंत्र में एक या अधिक अन्य व्यक्ति या व्यक्तियों के साथ सम्मिलित होता है, यदि उस षड्यंत्र के अनुसरण में, और उस बात को करने के उद्देश्य से, कोई कार्य या अवैध लोप घटित हो जाए अथवा तीसरा उस बात के लिए किए जाने में किसी कार्य या अवैध लोप द्वारा साशय सहायता करता है।
स्पष्टीकरण /कोई व्यक्ति जो जानबूझकर दुर्व्यपदेशन द्वारा या तात्विक तथ्य, जिसे प्रकट करने के लिए वह आबद्ध है. जानबूझकर छिपाने द्वारा, स्वेच्छया किसी बात का किया जाना कारित या उपाप्त करता है अथवा कारित या उपाप्त करने का प्रयत्न करता है, वह उस बात का किया जाना उकसाता है, यह कहा जाता है।
उदाहरण-क एक लोक आफिसर कोर्ट के वारन्ट द्वारा य को पकड़ने के लिए प्राधिकृत है व उस तथ्य को जानते हुए और यह भी जानते हुए कि ग य नहीं है ग को जानबूझकर यह व्यपदिष्ट करता है कि ग य है. और एतदद्वारा साराय क से ग को पकड़वाता है। यहाँ ख, ग के पकड़े जाने का उकसाने द्वारा दुष्प्रेरण करता है।
जो कोई या तो किसी कार्य के किए जाने से पूर्व या किए जाने के समय, उस कार्य के किए जाने को सुकर बनाने के लिए कोई बात करता है और तद्द्द्वारा उसके किए जाने को सुकर बनाता है, वह उस कार्य के करने में सहायता करता है, यह कहा जाता है।
अवैध लोप के द्वारा दुष्प्रेरण दुष्प्रेरण किसी अन्य व्यक्ति को उत्साहित करने, उकसाने अथवा सहायता करने का कृत्य होता है। कोई व्यक्ति भाषा के किसी माध्यम से प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष चाहे यह अभिव्यक्त निवेदन अथवा संकेत करने का रूप लेता हो, के द्वारा उकसा सकता है। दुष्प्रेरण गठित करने के लिए दुराशय अथवा आशय की एकता होनी चाहिए। जानकारी अथवा आशय के बिना कोई दुष्प्रेरण नहीं हो सकता है, और जानकारी और आशय अपराध से सम्बन्धित होना चाहिए। अवैध लोप के द्वारा दुष्प्रेरण को साबित करने के लिए यह दर्शाया जाना चाहिए-
(क) अभियुक्त ने साशय अहस्तक्षेप के माध्यम से अपराध कारित करने में सहायता प्रदान किया था, और
(ख) लोप में विधिक कर्तव्य का मंग अन्तर्ग्रस्त होना चाहिए।
"दुष्प्रेरण" का आवश्यक तत्व यह सुस्थापित है कि दुष्प्रेरण होने के लिये आपराधिक आशय या आशय की बहुलता होनी चाहिये। ज्ञान या आशय के बिना, कोई दुष्प्रेरण नहीं हो सकता और ज्ञान तथा आशय को दुष्प्रेरित किये जाने के लिये अधिकधित कार्य से सम्बन्धित होना चाहिये। "उकसाने द्वारा दुष्प्रेरण को गठित करने के लिये, आपराधिक कार्य को करने के लिये प्रत्यक्ष उत्प्रेरण होना चाहिये।
दुष्प्रेरण का अपराध दुष्प्रेरण का अपराध प्रारम्भिक अपराध के संवर्ग में आता है। आपराधिक न्यायशास्त्र में. प्रारम्भिक अपराध वर्ग है, जो अपूर्ण" या "आरम्भिक अपराध के रूप मे भी ज्ञात है। ऐसे अपराधों में, जो प्रारम्भिक या अपूर्ण बना रहता है, आशयित प्रमुख अपराध है।
इसके बारे में कि अपराध कारित करने के लिए उकसाना क्या गठित करेगा, प्रत्येक मामले के तथ्यों पर निर्भर करेगा। इसलिए इस बात को निश्चित करने के लिए कि क्या किसी व्यक्ति ने अपराध कारित करने को उकसाने के द्वारा दुष्प्रेरित किया है अथवा नहीं, दुष्प्रेरण के कृत्य को
(क) मामले में प्रत्यक्ष साक्ष्य के परिदृश्य में निर्णीत किया जाना है, और
(ख) अभियुक्त को आरोपित को पृथक रूप में नहीं देखा अथवा परीक्षित किया जाना है। अपराध कारित करने के लिए एक अन्य व्यक्ति को उकसाना' उस कृत्य को करने के लिए प्रेरित करना अथवा निवेदन करना अथवा प्रकोपित करना अथवा उत्साहित करना है। कौन-सा कृत्य उकसाने अथवा उत्प्रेरित करने की कोटि में आएगा। प्रत्येक मामले के विशिष्ट तथ्यों पर निर्भर करेगा।
यह अतात्विक है कि क्या उत्प्रेरित व्यक्ति अपराध कारित करता है अथवा नहीं अथवा एक साथ षडयंत्र करने वाले व्यक्ति वास्तविक रूप में षड़यंत्र के उद्देश्य को क्रियान्वित करते हैं।
साशय सहायता करने की परिधि आत्महत्या कारित करने के पहले अथवा कारित करने के समय आत्महत्या को सुकर बनाने के लिए किया गया कोई कृत्य, लेकिन जो वास्तविक रूप में तत्पश्चात् हो सकता है, दण्ड संहिता की धारा 107 में यथोलिखित साशय सहायता करने की परिधि के अन्तर्गत आच्छादित होता है।
बलात्संग के दुष्प्रेरण के अपराध के लिए आरोपित कोई व्यक्ति, जो बलात्संग का अपराध कारित करने के लिए किसी व्यक्ति को उकसाता है अथवा अभियोक्त्री की सम्मति के दिना लैंगिक हमला करने के लिए षडयंत्र में एक अथवा अधिक व्यक्ति अथवा व्यक्तियों के साथ शामिल होता है अथवा लैंगिक हमला कारित करने में साशय सहायता प्रदान करता है, बलात्संग के दुष्प्रेरण के अपराध के लिए आरोपित किया जा सकता है।
मामले के तथ्यों के लिए भारतीय दण्ड संहिता की धारा 376 की उपधारा (2) का कोई अनुप्रयोग नहीं है, क्योंकि लड़की अभियोजन के अनुसार 14 वर्ष से अधिक आयु की थी। वह स्थिति होने के कारण पहले भुगते गये बन्दीकरण की अवधि (जो लगभग 7 वर्ष हो कथित किया गया है) के तथ्य को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने दण्डादेश को, जहाँ तक धारा 376 के सापेक्षिक अपराध का सम्बन्ध है 7 वर्ष तक कम किया था। भारतीय दण्ड संहिता की धारा 376 के सम्बन्ध में अधिरोपित दण्डादेश को कायम रखा गया। व्यतिक्रम अनुबन्ध के साथ अधिरोपित जुर्माना कोई हस्तक्षेप प्राधिकृत नहीं करता है। यदि अधिरोपित जुर्माना को जमा कर दिया गया हो अथवा जमा कर दिया जाता है, तब उसे पीड़िता के पिता को संदत किया जाएगा।
सह-अभियुक्त अभियोक्त्री को अभियुक्त, जो उसका मित्र था, के द्वारा भेजा गया उपहार दिया करता था। उसने किसी व्यक्ति को अवैध कृत्य करने के लिए नहीं उकसाया था और किसी व्यक्ति के साथ शामिल नहीं हुआ था। तथ्य का कोई स्वैच्छिक व्यपदेशन अथवा छिपाव नहीं था इसलिए, सह-अभियुक्त को दुष्प्रेरण के लिए दोषसिद्ध नहीं किया जा सकता है।

