भारत में दवाओं की मिलावट और गलत लेबलिंग पर प्रावधान : भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 276, 277, और 278

Himanshu Mishra

4 Nov 2024 9:53 PM IST

  • भारत में दवाओं की मिलावट और गलत लेबलिंग पर प्रावधान : भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 276, 277, और 278

    भारतीय न्याय संहिता, 2023 (Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023 - BNS), जो 1 जुलाई, 2024 को भारतीय दंड संहिता की जगह लागू हुई है, ने जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कड़े नियम स्थापित किए हैं, विशेषकर दवाओं (Drugs) और चिकित्सीय तैयारी (Medical Preparations) की बिक्री और वितरण के क्षेत्र में।

    इस लेख में, हम BNS की धारा 276, 277, और 278 के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे, जो दवाओं में मिलावट (Adulteration) और गलत जानकारी (Mislabeling) के मुद्दों को संबोधित करती हैं।

    इन कानूनों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जो दवाएं चिकित्सा उद्देश्यों (Medical Purposes) के लिए बनाई जाती हैं, वे सुरक्षित, प्रभावी और सही जानकारी के साथ जनता को उपलब्ध कराई जाएं।

    पहले हमने BNS की धारा 274 से 280 के तहत उन प्रावधानों पर चर्चा की थी जो सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरण की सुरक्षा से जुड़े हैं, जिसमें खाद्य और पेय की बिक्री और सार्वजनिक जल और वायु गुणवत्ता को बनाए रखने के नियम शामिल हैं। इन प्रावधानों की विस्तृत जानकारी के लिए, कृपया Live Law Hindi पर पिछले पोस्ट को देखें, जिसमें इन विषयों का विस्तार से विवरण दिया गया है।

    धारा 276: दवाओं में मिलावट (Adulteration of Drugs)

    धारा 276 का अर्थ और लागू होना

    धारा 276 उन व्यक्तियों पर लागू होती है जो जानबूझकर किसी दवा या चिकित्सीय तैयारी (Medical Preparation) में ऐसा बदलाव करते हैं जिससे उसकी प्रभावशीलता (Efficacy) कम हो जाती है, उसका प्रभाव बदल जाता है, या वह हानिकारक (Harmful) बन जाती है।

    यदि कोई व्यक्ति इस तरह से दवा में मिलावट करता है ताकि उसे चिकित्सा उद्देश्यों (Medicinal Purposes) के लिए सुरक्षित और प्रभावी बताया जा सके, तो उसे एक साल तक की जेल, पाँच हज़ार रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।

    मिलावट का उदाहरण

    मान लीजिए कि एक निर्माता किसी दवा में सस्ती सामग्री मिलाकर उसकी गुणवत्ता (Quality) कम कर देता है, ताकि उसे बाजार में अधिक मुनाफे के साथ बेचा जा सके।

    ऐसा करने पर, उस दवा की प्रभावशीलता (Effectiveness) कम हो जाती है और वह सुरक्षित नहीं रहती। इस प्रकार की हरकतें धारा 276 के अंतर्गत आती हैं क्योंकि इसमें जानबूझकर दवा को असुरक्षित (Unsafe) बनाने और उसे उपभोग के लिए सही बताने का प्रयास किया जाता है।

    इस प्रावधान का उद्देश्य

    धारा 276 का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि लोगों को केवल सुरक्षित और असरदार दवाएं मिलें। दवाओं में मिलावट करने से उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा होता है, और यह प्रावधान उन व्यक्तियों को जवाबदेह (Accountable) ठहराता है जो दवाओं की गुणवत्ता से समझौता करते हैं।

    धारा 277: मिलावटी दवाओं का विक्रय (Sale of Adulterated Drugs)

    धारा 277 का अर्थ और लागू होना

    धारा 277 उन व्यक्तियों पर लागू होती है जो जानबूझकर मिलावट की गई दवाएं बेचते हैं या वितरण करते हैं। यदि कोई जानता है कि दवा की गुणवत्ता (Quality) कम हो चुकी है, उसका प्रभाव बदल गया है, या वह हानिकारक हो गई है और फिर भी वह उसे बेचता है, उसे वितरण केंद्र (Dispensary) से जारी करता है, या किसी अज्ञात व्यक्ति को प्रयोग के लिए उपलब्ध कराता है, तो उसे छह महीने तक की जेल, पाँच हज़ार रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।

    विक्रय का उदाहरण

    मान लीजिए कि एक फार्मासिस्ट (Pharmacist) को पता चलता है कि कुछ दवाओं का बैच मिलावटी है और प्रभावहीन हो चुका है। इसके बावजूद वह उसे बिना किसी चेतावनी के मरीजों को बेचता है। ऐसा करना धारा 277 के तहत दंडनीय है क्योंकि इसमें जानबूझकर मरीजों के स्वास्थ्य को खतरे में डालने का कार्य किया जाता है।

    इस प्रावधान का उद्देश्य

    धारा 277 का उद्देश्य उपभोक्ताओं और मरीजों को मिलावटी दवाओं के जोखिम से बचाना है। यह प्रावधान विक्रेताओं को प्रेरित करता है कि वे सुनिश्चित करें कि केवल गुणवत्ता (Quality) वाली और सुरक्षित दवाएं ही बेचें।

    धारा 278: गलत लेबल वाली दवाओं का विक्रय (Sale of Misrepresented Drugs)

    धारा 278 का अर्थ और लागू होना

    धारा 278 उन लोगों को दंडित करती है जो किसी दवा को एक अन्य प्रकार की दवा बताकर बेचते हैं। यदि कोई जानबूझकर किसी दवा को उसकी असली पहचान छुपाकर बेचता है या चिकित्सा उद्देश्यों के लिए वितरण करता है, तो उसे छह महीने तक की जेल, पाँच हज़ार रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।

    गलत लेबलिंग का उदाहरण

    मान लें कि एक फार्मासिस्ट (Pharmacist) एक सामान्य दर्द निवारक दवा (Painkiller) को एक उच्च शक्ति वाली एंटीबायोटिक (Antibiotic) बताकर बेचता है। इस प्रकार, वह मरीज को गुमराह करता है, जिससे स्वास्थ्य पर गंभीर असर हो सकता है। इस प्रकार की हरकतें धारा 278 के तहत आती हैं क्योंकि इसमें जानबूझकर एक दवा को दूसरी दवा के रूप में प्रस्तुत किया जाता है।

    इस प्रावधान का उद्देश्य

    धारा 278 का उद्देश्य चिकित्सा वितरण प्रणाली (Medical Distribution System) की अखंडता बनाए रखना है ताकि प्रत्येक दवा सही पहचान और जानकारी के साथ बेची जाए। गलत लेबल वाली दवाएं गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती हैं, और यह प्रावधान ऐसे खतरनाक कार्यों को रोकने में सहायक है।

    भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 276, 277, और 278 दवाओं में मिलावट और गलत लेबलिंग जैसे मुद्दों को कवर करती हैं। इन प्रावधानों का मुख्य उद्देश्य जनता को सुरक्षित दवाएं उपलब्ध कराना और चिकित्सा उत्पादों (Medical Products) की गुणवत्ता सुनिश्चित करना है।

    ये प्रावधान यह सुनिश्चित करते हैं कि बाजार में बेची जाने वाली दवाएं सुरक्षित, असरदार और सही जानकारी के साथ हों। इन कानूनों के माध्यम से भारत में एक ऐसा वातावरण तैयार किया गया है जो मरीजों की सुरक्षा और चिकित्सा प्रणाली में भरोसे को बनाए रखने में सहायक है।

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