Civil Rights Protection Act की धारा 5,6,और 7 के प्रावधान
Shadab Salim
16 May 2025 9:41 AM IST

यह एक्ट समाज के वंचित वर्ग के साथ होने वाले अत्याचार और क्रूरता को रोकने के उद्देश्य से बनाया गया है। इस एक्ट की धारा 5,6 और 7 के अंतर्गत भी अलग अलग कामों को अपराध बनाया गया है और उसमें सज़ा के प्रावधान किये गए हैं।
धारा 5
अस्पतालों आदि में व्यक्तियों को प्रवेश करने से इंकार करने के लिए दंड:-
जो कोई "अस्पृश्यता" के आधार पर
(क) किसी व्यक्ति को किसी अस्पताल, औषधालय, शिक्षा संस्था या में, यदि वह अस्पताल, औषधालय, शिक्षा संस्था या छात्रावास जन-साधारण या उसके किसी विभाग के फायदे के लिए स्थापित हो या चलाया जाता हो, प्रवेश करने देने से इंकार करेगा,
(ख) पूर्वोक्त संस्थाओं में से किसी में प्रवेश के पश्चात् ऐसे व्यक्ति के विरुद्ध कोई विभेद पूर्ण कार्य करेगा।
वह कम से कम एक मास और अधिक से अधिक छह मास की अवधि के कारावास से और ऐसे जुमनि से भी, जो कम से कम एक सौ रुपये और अधिक से अधिक पाँच सौ रुपये का हो सकेगा, दंडनीय होगा।
धारा 6
माल बेचने या सेवा करने से इंकार के लिए दंड:-
जो कोई उसी समय और स्थान पर और वैसे ही निबन्धनों और शर्तो पर, जिस पर कारवार के साधारण अनुक्रम में अन्य व्यक्तियों को ऐसा माल बेचा जाता है या उसकी सेवा की जाती है, किसी व्यक्ति को कोई माल बेचने या उसकी सेवा करने से "अस्पृश्यता" के आधार पर इंकार करेगा, 6 [ वह कम से कम एक मास और अधिक से अधिक छह मास की अवधि के कारावास से और ऐसे जुमाने से भी, जो कम से कम एक सौ रुपये और अधिक से अधिक पाँच सौ रुपये का हो सकेगा, दंडनीय होगा। ]
धारा 7
"अस्पृश्यता" से उद्भूत अन्य अपराधों के लिए दंड
(1) जो कोई
(क) किसी व्यक्ति को संविधान के अनुच्छेद 17 के अधीन " अस्पृश्यता" के अन्त होने से उसका प्रोद्भूत होने वाले किसी अधिकार का प्रयोग करने से निवारित करेगा; अथवा (ख) किसी व्यक्ति को किसी ऐसे अधिकार के प्रयोग में उत्पादित करेगा, क्षति पहुंचाएगा, शून्य करेगा, बाधा डालेगा या बाधा कारित करने का प्रयत्न करेगा या किसी व्यक्ति के, कोई ऐसा अधिकार प्रयोग करने के कारण उसे उत्पीड़ित करेगा, क्षति पहुंचायेगा, क्षुब्ध करेगा; अथवा (ग) किसी व्यक्ति या व्यक्ति-वर्ग या जन-वर्ग या जन-साधारण को बोले गए या लिखित शब्दों द्वारा या संकेतों द्वारा दृश्यरूपेणों द्वारा या अन्यथा किसी भी रूप में " अस्पृश्यता" का आचरण रखने के लिए उदीप्त या प्रोत्साहित करेगा; या
2- [ (घ) अनुसूचित जाति के सदस्य का "अस्पृश्यता" के आधार पर अपमान करेगा, या अपमान करने का प्रयत्न करेगा, ] [ वह कम से कम एक मास और अधिक से अधिक छह मास की अवधि के कारावास से और ऐसे जुमाने से भी, जो कम से कम एक सौ रुपये और अधिक से अधिक पाँच सौ रुपये का हो सकेगा, दंडनीय होगा।]
[ स्पष्टीकरण-1] - किसी व्यक्ति के बारे यह समझा जाएगा कि वह अन्य व्यक्ति का बहिष्कार करता है जब वह (क) ऐसे अन्य व्यक्ति को कोई गृह भूमि पट्टे पर देने से इंकार करता है या ऐसे अन्य व्यक्ति को किसी गृह या भूमि के उपयोग या अधिभोग के लिए अनुज्ञा देने से इंकार करता है या ऐसे व्यक्ति के साथ व्यवहार करने से, उसके लिए भाड़े पर काम करने से उसके साथ कारबार करने से पा उसकी कोई रूढ़िगत सेवा करने से या उससे कोई रूढ़िगत सेवा लेने से इंकार करता है या उक्त बातों में से किसी ऐसे निबन्धनों पर करने से इंकार करता है, जिन पर ऐसी बातें कारबार के साधारण अनुक्रम में सामान्यतः की जाती है, अथवा (ख) ऐसे सामाजिक, वृत्तिक या कारवारी संबंधों में विरत रहता है, जैसे वह ऐसे अन्य व्यक्ति के साथ साधारणतया बनाये रखता है।
[स्पष्टीकरण 2-खण्ड (ग) के प्रयोजनों के लिए यदि कोई व्यक्ति:-
प्रत्यक्षतः या अप्रत्यक्षतः " अस्पृश्यता" का या किसी रूप में इसके आचरण का प्रचार करेगा, अथवा
किसी रूप में अस्पृश्यता" के आचरण को, चाहे ऐतिहासिक, दार्शनिक या धार्मिक आधारों पर या जाति व्यवस्था की किसी परम्परा के आधार पर या किसी अन्य आधार पर न्यायोचित ठहरायेगा। तो उसके बारे में यह समझा जाएगा कि वह "अस्पृश्यता" के आचरण को उद्दीप्त या प्रोत्साहित करता है।
[ (1-क) जो कोई किसी व्यक्ति के शरीर या उसकी सम्पत्ति के विरुद्ध कोई अपराध उसके द्वारा किसी ऐसे अधिकार, जो संविधान के अनुच्छेद 17 के अधीन " अस्पृश्यता" का अन्त करने के कारण उसे प्रोद्भूत हुआ है, प्रयोग किये जाने के प्रतिशोध के रूप में या बदला लेने की भावना से करेगा, वह जहाँ अपराध दो वर्ष से अधिक की अवधि के कारावास से दंडनीय है, वहाँ कम से कम दो वर्ष की अवधि के कारावास से और जुर्माने से भी, दंडनीय होगा।]
(2) जो कोई इस आधार पर कि ऐसे व्यक्तियों ने “अस्पृश्यता" का आचरण करने से इंकार किया है या ऐसे व्यक्ति ने इस अधिनियम के उद्देश्यों को अग्रसर करने में कोई कार्य किया है
अपने समुदाय के या उसके किसी विभाग के किसी व्यक्ति को किसी ऐसे अधिकार या विशेषाधिकार से वंचित करेगा, जिसके लिए ऐसे व्यक्ति ऐसे समुदाय या विभाग के सदस्य के तौर पर हकदार हों, अथवा
ऐसे व्यक्ति को जातिच्युत करने में कोई भाग लेगा,
[वह कम से कम एक मास और अधिक से अधिक छह मास की अवधि के कारावास से और ऐसे जुर्माने से भी, जो कम से कम एक सौ रुपये और अधिक से अधिक पाँच सौ रुपये का हो सकेगा, दंडनीय होगा।]

