The Hindu Succession Act की धारा 2 के प्रावधान
Shadab Salim
27 July 2025 7:08 PM IST

इस अधिनियम की धारा दो अधिनियम की धाराओं में महत्वपूर्ण धारा है। यह धारा इस बात का प्रावधान कर रही है कि यह अधिनियम किन लोगों पर लागू होगा। इस अधिनियम का नाम हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम है। इस अधिनियम के नाम के प्रारंभ में हिंदू शब्द का उल्लेख होता है परंतु समस्या यह है कि हिंदू कौन है इस संबंध में स्पष्ट प्रावधान किए जाने की नितांत आवश्यकता थी। अधिनियम की धारा 2 के अंतर्गत इस हेतु समस्त प्रावधान कर दिए गए है।
धारा में यह प्रावधान किया गया है कि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम हिंदू, बौद्ध, जैन, सिख धर्म के अनुयायी एवं वीरशैव, लिंगायत, ब्रह्म समाज, प्रार्थना समाज, आर्य समाज के लोगों पर यह अधिनियम लागू होता है।
मुस्लिम ईसाई पारसी व यहूदी को छोड़कर अन्य सभी व्यक्तियों को लागू होता है किंतु यदि कोई सिद्ध करे कि वह हिंदू विधि से शासित नहीं होते हैं किंतु रूढ़ि और प्रथा से शासित होते हैं तो यह अधिनियम लागू नहीं होगा। हिंदू बौद्ध जैन सिख दंपत्ति की संतान चाहे धर्मज हो या अधर्मज हो तथा माता-पिता में से कोई एक हिंदू बौद्ध जैन या सिख हो उनके धर्म को तथा जनजाति समुदाय समूह के रूप में हो जिसके माता-पिता सदस्य हैं या थे लागू होगा।
हिंदू बौद्ध जैन सिख धर्म में परिवर्तित व्यक्ति पर अधिनियम लागू होता है। जिस प्रकार हिंदू विवाह अधिनियम 1955 भारत के बाहर के हिंदुओं पर भी लागू होता है उसी प्रकार यह अधिनियम केवल भारत की सीमा में रहने वाले हिंदुओं को ही लागू नहीं होगा बल्कि उन सभी हिंदुओं को यह अधिनियम लागू होता है जो भारत के बाहर अधिवासी हैं या रहते हैं।
इस अधिनियम का संबंध व्यक्ति के धर्म से है ना कि उसके अधिवास से है। यदि हिंदू धर्म का व्यक्ति और जिन व्यक्तियों का इस अधिनियम के अंतर्गत उल्लेख किया गया है वह भारत के बाहर भी रह रहे हैं तो भी उन पर या अधिनियम लागू होगा।
भारत के सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक निर्णय में कहा है कि यदि कोई व्यक्ति जिसका उदगम या मूल उत्पत्ति अहिंदू के रूप में थी और वह हिंदुत्व को अंगीकृत कर लेता है तो वह हिंदू विधि से शासित होगा। यदि एक मुसलमान अपने धर्म को त्याग कर जिसमे उसने जन्म लिया था हिंदू धर्म को अंगीकृत कर लेता है हिन्दू पद्धति के अनुसार जीवन व्यतीत करता है तो उसे हिंदू मान लिया जाएगा। हिंदू होने के लिए आवश्यक नहीं है कि किसी जाति विशेष का सदस्य हो हिंदू धर्म को अपना लेने वाला व्यक्ति हिंदू कहलाता है अब भले वह किसी भी वर्ण का न हो।
इस अधिनियम के लागू होने के संदर्भ में केवल इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि यह अधिनियम भारत की सीमा में रहने वाले समस्त लोगों को लागू होता है केवल मुस्लिम ईसाई पारसी और यहूदी धर्म को छोड़कर। यदि कोई व्यक्ति इन चारों धर्मों का नहीं है तो उस पर यह अधिनियम लागू होगा। अगर कोई व्यक्ति यह सिद्ध कर देता है कि उसे इस धर्म से शासित नहीं किया जा सकता क्योंकि उसके पास अपनी स्वयं की रूढ़ि और प्रथाएं उत्तराधिकार से संबंधित उपलब्ध है और उसे वह व्यक्ति सिद्ध कर देता है तो ही यह अधिनियम उस व्यक्ति पर लागू नहीं होगा।
जैसा कि भारत के आदिवासी समुदाय में अपनी बहुत सी रूढ़ि और प्रथाएं उपलब्ध है तथा उनके विवाह और उत्तराधिकार को नियंत्रित करती है।
हिंदू कौन होगा हिंदू धर्म में परिवर्तित कैसे हुआ जाता है इस संदर्भ में गायक येसूदास का प्रकरण बड़ा रोचक प्रकरण है। केरल हाईकोर्ट में यहां प्रकरण मोहनदास बनाम देवस्वोम परिषद 1975 'के एल टी' 55 के नाम से जाना जाता है। इस प्रकरण में प्रसिद्ध गायक येसूदास ने केरल हाईकोर्ट को संज्ञान दिया था कि वह हिंदू धर्म को अंगीकृत कर चुका है और वह हिंदू है। उसका जन्म भले ही ईसाई घर में हुआ हो तथा वह जन्म से ईसाई हो परंतु अब उसने हिंदू धर्म को अपना लिया है और वह हिंदू है।
इस प्रकरण में केरल हाईकोर्ट ने कहा कि यदि कोई भी व्यक्ति अपने वचन से अस्वीकार कर रहा है कि वह हिंदू है तो ऐसे व्यक्ति को हिंदू ही माना जाएगा। हिंदू धर्म में परिवर्तित होने के लिए किसी संस्कार की कोई आवश्यकता नहीं है। वह धरती का कोई भी व्यक्ति चाहे वह किसी भी धर्म में पैदा हुआ हो यदि सार्वजनिक रूप से स्वीकार कर लेता है कि वह हिंदू है तो फिर उसे हिंदू ही माना जाएगा। इस प्रकरण में येसूदास ने केरल हाईकोर्ट के समक्ष यह स्वीकार किया कि वह हिंदू है। ऐसी परिस्थिति में उत्तराधिकार से संबंधित प्रावधान हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 के लागू होंगे।
राजकुमार गुप्ता बनाम बाबूराम गुप्ता एआईआर 1989 सुप्रीम कोर्ट 165 के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई व्यक्ति जन्म से हिंदू हो वह जिसने हिंदू धर्म न त्यागा हो यदि ऐसे व्यक्ति ने रूढ़िवादी परंपराओं, खान-पान और विस्थापन को छोड़ दिया हो तो भी वह हिंदू ही रहेगा।
इस प्रकरण से यह समझा जा सकता है कि यदि कोई व्यक्ति हिंदू धर्म को छोड़ देता है तो उसे किसी अन्य धर्म में संपरिवर्तित होना होगा यदि उसका नाम हिंदुओं जैसा है और वह हिंदू धर्म में पैदा हुआ है और हिंदू धर्म के संस्कारों को छोड़ दिया है तो वह हिंदू ही रहता है अगर किसी अन्य धर्म को नहीं अपनाया तो।
वर्तमान परिदृश्य में अनेक व्यक्ति धार्मिक आडंबरों को छोड़ देते हैं तथा ईश्वर के अस्तित्व को भी नकारते है। इस प्रकार के नास्तिक व्यक्ति के संदर्भ में भी हिंदू उत्तराधिकार 1956 ही लागू होगा यदि उसका नाम हिंदुओं की तरह है और उसका जन्म हिंदू घराने में हुआ है। उस पर उत्तराधिकार के नियम हिंदू उत्तराधिकार के अंतर्गत ही लागू होंगे। यदि किसी विवाह को विशेष विवाह अधिनियम के अंतर्गत संपन्न किया गया है तथा घोषणा पत्र दिया गया है कि हम हिंदू संस्कारों को नहीं मानेंगे ऐसी परिस्थिति में उत्तराधिकार अधिनियम हिंदू अधिनियम के लागू नहीं होंगे यदि विवाह हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के अंतर्गत स्थापित किया गया है तो फिर उत्तराधिकार भी हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 के अनुसार ही होगा।
छुईया बनाम मंगरीबाई 2000 (2) मध्यप्रदेश 441 एक प्रकरण में यह कहा गया है कि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 अनुसूचित जनजाति पर उत्तराधिकार के मामलों में लागू नहीं होगा क्योंकि अनुसूचित जनजाति के पास अपनी रूढ़ि और प्रथा की उत्तराधिकार विधियां उपलब्ध है।

