भारतीय न्याय संहिता, 2023 के खाद्य मिलावट और पर्यावरण प्रदूषण के प्रावधान : धारा 274, 275, 279 और 280

Himanshu Mishra

4 Nov 2024 3:31 PM IST

  • भारतीय न्याय संहिता, 2023 के खाद्य मिलावट और पर्यावरण प्रदूषण के प्रावधान : धारा 274, 275, 279 और 280

    भारतीय न्याय संहिता, 2023 (Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023 - BNS), जो 1 जुलाई 2024 को भारतीय दंड संहिता की जगह लागू की गई है, जनता के स्वास्थ्य और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए कड़े कानून बनाती है।

    इसमें खाने-पीने की चीजों में मिलावट (Adulteration), असुरक्षित उत्पादों का विक्रय (Sale), और पर्यावरण को प्रदूषित (Pollution) करने जैसी गतिविधियों को रोकने के प्रावधान हैं।

    इस लेख में, हम BNS की धारा 274, 275, 279 और 280 का सरल भाषा में विश्लेषण करेंगे, जो इन अपराधों के लिए सजा का प्रावधान करते हैं और सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा के लिए एक कानूनी ढांचा प्रस्तुत करते हैं।

    धारा 274: खाद्य और पेय में मिलावट (Adulteration)

    धारा 274 में मिलावट का अर्थ

    धारा 274 उन लोगों को दंडित करती है जो किसी खाद्य या पेय में इस प्रकार मिलावट करते हैं कि वह खतरनाक (Harmful) हो जाए, और फिर भी उसे बेचने का इरादा रखते हैं। यह कानून विशेष रूप से उन पर लागू होता है जो जान-बूझकर ऐसा करते हैं और समझते हैं कि यह आम लोगों के लिए जोखिम भरा (Risky) है।

    इस अपराध के लिए छह महीने तक की जेल, पाँच हज़ार रुपये तक का जुर्माना या दोनों की सजा का प्रावधान है।

    खाद्य मिलावट का उदाहरण

    मान लें कि एक डेयरी आपूर्तिकर्ता (Dairy Supplier) दूध में हानिकारक रसायनों (Chemicals) की मिलावट करके उसका मात्रा बढ़ाता है ताकि अधिक लाभ कमा सके। यह जानते हुए कि यह दूध सार्वजनिक उपभोग (Public Consumption) के लिए बिकेगा, उसकी यह हरकत लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरा बन जाती है।

    ऐसे मामलों में, यह धारा 274 के तहत दंडनीय है क्योंकि इसमें जानबूझकर खाद्य वस्तु को असुरक्षित (Unsafe) बनाना शामिल है।

    इस धारा का उद्देश्य

    धारा 274 का उद्देश्य जनता को सुरक्षित खाद्य और पेय पदार्थों की उपलब्धता सुनिश्चित करना है। यह लोगों और व्यवसायों को सिखाता है कि वे स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकते और लाभ कमाने के लिए जनता की सुरक्षा को खतरे में नहीं डाल सकते।

    धारा 275: हानिकारक खाद्य और पेय पदार्थों का विक्रय (Sale of Harmful Food and Drink)

    धारा 275 में हानिकारक वस्तुओं का विक्रय

    धारा 275 उन लोगों को दंडित करती है जो किसी असुरक्षित (Unsafe) या ख़राब हो चुके खाद्य या पेय पदार्थ को बेचते हैं, उसे बिक्री के लिए रखते हैं या बेचने की पेशकश करते हैं, यह जानते हुए कि वह उपभोग (Consumption) के लिए खतरनाक है। इस अपराध की सजा में छह महीने तक की जेल, पाँच हज़ार रुपये तक का जुर्माना या दोनों शामिल हैं।

    हानिकारक खाद्य विक्रय का उदाहरण

    उदाहरण के लिए, एक दुकानदार (Shopkeeper) समाप्त हो चुके (Expired) या सड़े-गले डिब्बाबंद भोजन (Canned Food) को बिक्री के लिए रखता है, जानते हुए कि वह उपभोग के लिए असुरक्षित है। ऐसा करना धारा 275 के तहत दंडनीय है, क्योंकि यह जनता की सुरक्षा की अनदेखी करता है।

    इस धारा का उद्देश्य

    धारा 275 का उद्देश्य विक्रेताओं को यह सुनिश्चित करने के लिए प्रेरित करना है कि वे केवल स्वस्थ (Safe) और उपभोग के योग्य वस्तुएँ ही बेचें। यह उपभोक्ता सुरक्षा (Consumer Safety) के महत्व को रेखांकित करता है और ख़राब या हानिकारक खाद्य पदार्थों की बिक्री से होने वाले स्वास्थ्य खतरों को रोकता है।

    धारा 279: सार्वजनिक जल स्रोतों (Public Water Sources) का प्रदूषण

    धारा 279 में जल प्रदूषण (Water Contamination) का प्रावधान

    धारा 279 उन लोगों पर लागू होती है जो सार्वजनिक झरनों या जलाशयों (Reservoirs) में जानबूझकर इस प्रकार गंदगी फैलाते हैं जिससे वह अपने सामान्य उपयोग (Regular Use) के लिए अनुपयुक्त (Unfit) हो जाए। इस अपराध के लिए छह महीने तक की जेल, पाँच हज़ार रुपये तक का जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।

    जल प्रदूषण का उदाहरण

    एक कारखाना मालिक (Factory Owner) बिना उपचारित (Untreated) कचरा पास के जलाशय में बहा देता है, जिससे वहाँ के निवासी (Residents) इसे पीने या अन्य कार्यों में उपयोग नहीं कर पाते। यह कारखाना मालिक द्वारा सार्वजनिक जल स्रोत का जानबूझकर प्रदूषण करना माना जाएगा और धारा 279 के अंतर्गत दंडनीय है।

    इस धारा का उद्देश्य

    इस प्रावधान का उद्देश्य जल स्रोतों (Water Sources) को प्रदूषण से बचाना है ताकि समाज के लोग सुरक्षित रूप से इसका उपयोग कर सकें। यह उन लोगों और संगठनों को जिम्मेदार बनाता है जो सार्वजनिक जल स्रोतों को दूषित (Contaminate) करते हैं, और उन्हें उनके कार्यों के लिए जवाबदेह (Accountable) ठहराता है।

    धारा 280: वायुमंडल (Atmosphere) का प्रदूषण

    वायुमंडल के प्रदूषण को रोकने में धारा 280 का योगदान

    धारा 280 उन लोगों पर लागू होती है जो किसी क्षेत्र में वायुमंडल को प्रदूषित (Pollute) करते हैं जिससे वहाँ रहने वाले, काम करने वाले या राहगीर (Passersby) लोगों के स्वास्थ्य को खतरा हो। ऐसे मामलों में अपराधी पर एक हज़ार रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।

    वायुमंडल प्रदूषण का उदाहरण

    उदाहरण के लिए, एक वर्कशॉप (Workshop) में खतरनाक सामग्री जलाना (Burning Hazardous Material) जो कि भारी, जहरीला धुआं उत्पन्न करती है, आसपास रहने वाले लोगों के लिए साँस की समस्याएं उत्पन्न कर सकता है। यह धारा 280 के तहत दंडनीय है।

    इस धारा का उद्देश्य

    धारा 280 का उद्देश्य सार्वजनिक स्थलों और पड़ोस को हानिकारक वायुमंडलीय स्थितियों (Harmful Atmospheric Conditions) से सुरक्षित रखना है। यह व्यक्तियों और व्यवसायों को प्रेरित करता है कि वे अपने आस-पास के वातावरण को स्वच्छ और सुरक्षित रखें।

    भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 274, 275, 279 और 280 का उद्देश्य मिलावट, असुरक्षित वस्तुओं की बिक्री और प्रदूषण जैसी गतिविधियों को नियंत्रित करना है, जो लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण को खतरे में डाल सकते हैं।

    इन प्रावधानों के माध्यम से BNS ने एक कानूनी ढांचा प्रस्तुत किया है जो सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरण की सुरक्षा सुनिश्चित करता है। इन प्रावधानों का उद्देश्य प्रत्येक नागरिक और व्यवसाय को जिम्मेदार बनाना और समुदाय के स्वास्थ्य और सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देना है।

    Next Story