SC/ST Act के अंतर्गत कास्ट सर्टिफिकेट नहीं दिए जाने पर प्रावधान

Shadab Salim

8 May 2025 9:13 AM IST

  • SC/ST Act के अंतर्गत कास्ट सर्टिफिकेट नहीं दिए जाने पर प्रावधान

    इस एक्ट से संबंधित एक मामले पोन्नियाम्मल बनाम दि डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर, वेल्लौर, ए० आई० आर० 2014 मद्रास 141 में याची ने हिन्दू 'आदियन' समुदाय, जो अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (संशोधन) अधिनियम, 1976 की क्रम संख्या 001 के अनुसार मान्यता प्राप्त अनुसूचित जनजाति समुदाय है, से सम्बन्धित होने का दावा किया।

    उसने जाति प्रमाणपत्र जारी करने की माँग करते हुए जिला कलेक्टर के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया राजस्व मण्डलीय अधिकारी ने कार्यवाही में तहसीलदार को जाँच करने तथा रिपोर्ट देने के लिए परिपत्र भेजा उच्च न्यायालय ने अनुतोष की प्रकृति पर विचार करते हुए याची के आवेदन पर उसके गुणावगुण पर तथा विधि के अनुसार विचार करने के लिए जिला कलेक्टर तथा राजस्व मण्डलीय अधिकारी को निर्देशित किया।

    अधिनियम में इस धारा को समाहित करने का उद्देश्य उन लोक सेवकों पर निर्बंधन लगाना है जो कारण प्रतीत होते हुए भी प्रथम दृष्टया अपराध बनते देख भी अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों की शिकायतों को दर्ज़ नहीं करते हैं तथा उनके द्वारा अपने पर होने वाले अत्याचारों से संबंधित शिकायतों पर अनदेखी करते हैं या उनकी उपेक्षा करते हैं।

    यह धारा मुख्य रूप से एक पुलिस अधिकारी पर निर्बंधन अधिरोपित करती है कि उसके द्वारा प्रकरण में प्राथमिकी दर्ज क्यों नहीं की गई तथा उसका अन्वेषण प्रारंभ क्यों नहीं किया गया! इस धारा का मूल उद्देश्य यह है कि कोई भी लोकसेवक जानबूझकर किसी अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के सदस्य द्वारा दी गई शिकायत पर कार्यवाही करने में उपेक्षा नहीं करें।

    जैसा कि ऊपर प्रस्तुत की गई धारा 4 में दंड का भी उल्लेख किया गया है यदि धारा 4 के अंतर्गत किसी लोक सेवक द्वारा यह अपराध कारित किया जाता है तो इस स्थिति में न्यूनतम दंड 6 माह का कारावास है तथा अधिकतम दंड 1 वर्ष का कारावास हो सकेगा।

    इस धारा के अंतर्गत दर्ज होने वाले अपराध के संबंध में संज्ञान विशेष न्यायालय द्वारा किया जाएगा यह विशेष न्यायालय की स्थापना इस ही अधिनियम के अंतर्गत की गई है जो मुख्य रूप से अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजातियों से संबंधित होने वाले अपराधों पर संज्ञान लेते हैं। धारा 4 के अंतर्गत यदि कोई लोक सेवक द्वारा उपेक्षा कारित की जाती है और उस पर धारा के अंतर्गत अपराध दर्ज किया जाता है तब उस अपराध का संज्ञान अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के अंतर्गत बनाए गए विशेष न्यायालय द्वारा ही लिया जाएगा।

    आनन्द पंगल बनाम टी० आर० जगन्नाथ, 2003 क्रि० लॉ ज० 3215 प्रकरण में लोक सेवक के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं। धारा 4 के प्रावधान को आकर्षित करने के लिए यह कहा जाना चाहिए कि लोक सेवक की तरफ से किस तरीके से कर्तव्य के निष्पादन में निष्फलता है लेकिन प्रस्तुत मामले में, अभिलेख पर यह दर्शित करने के लिए कोई सामग्री नहीं थी कि धारा 4 के तत्व की पूर्ति कर दी गई है परिणामतः लोक अधिकारी (लोक सेवक) के विरुद्ध कोई भी कार्यवाही नहीं की जा सकती थी।

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