बेदखली की प्रक्रिया, शर्तें और किरायेदार का पुनर्स्थापन का अधिकार : हिमाचल प्रदेश किराया नियंत्रण अधिनियम की धारा 14 अंतिम भाग

Himanshu Mishra

25 Feb 2025 12:31 PM

  • बेदखली की प्रक्रिया, शर्तें और किरायेदार का पुनर्स्थापन का अधिकार : हिमाचल प्रदेश किराया नियंत्रण अधिनियम की धारा 14 अंतिम भाग

    यह लेख हिमाचल प्रदेश किराया नियंत्रण अधिनियम (Himachal Pradesh Rent Control Act) की धारा 14 के चौथे और अंतिम भाग पर आधारित है। पिछले भागों में हमने उन विभिन्न आधारों (Grounds) को समझाया, जिनके तहत मकान मालिक (Landlord) किरायेदार (Tenant) को बेदखल (Evict) कर सकता है।

    पहले भाग में किराया न चुकाने, बिना अनुमति के सबलेटिंग (Subletting) करने और संपत्ति के दुरुपयोग (Misuse) जैसे सामान्य कारणों को बताया गया। दूसरे भाग में मकान मालिक द्वारा अपने या अपने परिवार की व्यक्तिगत जरूरतों (Personal Needs) के लिए किरायेदार को हटाने की प्रक्रिया को समझाया गया।

    तीसरे भाग में मरम्मत (Repairs), पुनर्निर्माण (Reconstruction), और मकान मालिक के बच्चों के व्यवसायिक उपयोग (Professional Use) के लिए बेदखली के नियमों को स्पष्ट किया गया।

    इस अंतिम भाग में, हम देखेंगे कि बेदखली के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया क्या है और कंट्रोलर (Controller) को इसे तय करने के लिए किन बिंदुओं को ध्यान में रखना होता है।

    साथ ही, मकान मालिक को बेदखली के बाद संपत्ति का उपयोग कैसे करना चाहिए, इस पर चर्चा करेंगे। यदि मकान मालिक संपत्ति का उपयोग उस उद्देश्य के लिए नहीं करता जिसके लिए बेदखली ली गई थी, तो किरायेदार को पुनः कब्जा (Repossession) पाने का अधिकार होता है।

    इसके अलावा, यदि मकान मालिक ने संपत्ति का स्वामित्व (Ownership) ट्रांसफर (Transfer) के माध्यम से प्राप्त किया है, तो बेदखली के लिए उस पर विशेष प्रतिबंध लागू होते हैं। मकान मालिक द्वारा झूठे या परेशान करने वाले (Frivolous) बेदखली मामलों पर दंड का भी प्रावधान है।

    बेदखली के मामलों में कंट्रोलर (Controller) की भूमिका

    जब मकान मालिक किरायेदार को हटाने के लिए आवेदन (Application) करता है, तो कंट्रोलर यह सुनिश्चित करेगा कि मकान मालिक का दावा (Claim) वास्तविक (Bonafide) है या नहीं। कानून यह सुनिश्चित करता है कि किरायेदार को बिना किसी ठोस कारण के बेदखल न किया जाए। इसके लिए, कंट्रोलर सभी साक्ष्यों (Evidence), दस्तावेजों (Documents) और गवाहों (Witnesses) की जांच करेगा।

    यदि कंट्रोलर को लगता है कि मकान मालिक का दावा सही है, तो वह किरायेदार को संपत्ति खाली करने का आदेश देगा। आदेश में स्पष्ट रूप से यह तारीख दी जाएगी कि कब तक किरायेदार को संपत्ति खाली करनी होगी। लेकिन, यदि कंट्रोलर को लगता है कि मकान मालिक का दावा गलत है, तो वह आवेदन खारिज कर देगा।

    ऐसे मामलों में जहां किरायेदार को बेदखली का आदेश मिलता है, कंट्रोलर उसे एक उपयुक्त समय (Reasonable Time) दे सकता है ताकि वह कोई वैकल्पिक व्यवस्था कर सके। यह समय तीन महीने से अधिक नहीं हो सकता। इससे यह सुनिश्चित होता है कि किरायेदार को अचानक से परेशानी का सामना न करना पड़े।

    बेदखली के बाद मकान मालिक का संपत्ति पर अधिकार और उसकी जिम्मेदारी

    यदि मकान मालिक बेदखली का आदेश प्राप्त करने के बाद भी संपत्ति का उपयोग उस उद्देश्य के लिए नहीं करता जिसके लिए उसने दावा किया था, तो किरायेदार को पुनः कब्जे (Repossession) का अधिकार मिल सकता है। कानून मकान मालिक को यह छूट नहीं देता कि वह किरायेदार को हटाकर संपत्ति को खाली रखे या किसी अन्य उद्देश्य से उपयोग करे।

    यदि मकान मालिक ने व्यक्तिगत उपयोग (Personal Use) के लिए बेदखली ली थी, लेकिन 12 महीने तक उसमें नहीं रहता, तो किरायेदार कंट्रोलर से पुनः कब्जे की मांग कर सकता है। इसी तरह, यदि मकान मालिक ने अपने बेटे या बेटी के लिए बेदखली ली थी, लेकिन वे 12 महीने तक उसमें नहीं रहते, तो किरायेदार को उसे वापस पाने का अधिकार होता है।

    यदि मकान मालिक ने धारा 15(2) के तहत बेदखली ली थी लेकिन तीन महीने तक उसमें नहीं रहता, तो किरायेदार को संपत्ति वापस पाने का अवसर मिल सकता है।

    इसके अलावा, यदि मकान मालिक ने किसी विशिष्ट उद्देश्य (Specific Purpose) के लिए संपत्ति प्राप्त की थी (जैसे दुकान बनाने या कार्यालय खोलने के लिए) लेकिन बाद में उसका उपयोग किसी अन्य कार्य के लिए करने लगता है या उसे किसी नए किरायेदार को किराए पर दे देता है, तो मूल किरायेदार (Original Tenant) को संपत्ति फिर से पाने का अधिकार होगा।

    उदाहरण: किरायेदार के पुनः कब्जे (Repossession) का अधिकार

    मान लीजिए कि शिमला में एक मकान मालिक ने अपने बेटे के लिए बेदखली करवाई थी, जो एक वकील (Lawyer) है और अपनी लॉ फर्म खोलना चाहता था। किरायेदार ने मकान खाली कर दिया, लेकिन मकान मालिक का बेटा वहां अपना कार्यालय नहीं खोलता और संपत्ति खाली पड़ी रहती है।

    12 महीने बीत जाने के बाद, किरायेदार देखता है कि संपत्ति का उपयोग नहीं हुआ है, इसलिए वह कंट्रोलर के पास पुनः कब्जे के लिए आवेदन करता है। जांच के बाद कंट्रोलर को पता चलता है कि मकान मालिक ने गलत दावा किया था, इसलिए वह आदेश देता है कि किरायेदार को संपत्ति वापस दी जाए।

    ट्रांसफर (Transfer) के माध्यम से संपत्ति प्राप्त करने वाले मकान मालिकों के लिए प्रतिबंध

    यदि मकान मालिक ने संपत्ति किसी अन्य से खरीदी है या ट्रांसफर के माध्यम से प्राप्त की है, तो उसे तुरंत बेदखली का अधिकार नहीं मिलेगा। इस स्थिति में, मकान मालिक को पांच साल तक इंतजार करना होगा, इसके बाद ही वह व्यक्तिगत उपयोग के आधार पर किरायेदार को बेदखल करने के लिए आवेदन कर सकता है।

    इस प्रावधान (Provision) का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मकान मालिक किरायेदार को तुरंत हटाने के लिए संपत्ति न खरीदें। इससे किरायेदारों को स्थिरता (Stability) मिलती है और उन्हें बिना किसी उचित कारण के हटाने से बचाव मिलता है।

    उदाहरण: ट्रांसफर (Transfer) के बाद बेदखली का प्रतिबंध

    एक व्यवसायी (Businessman) ने मनाली में एक दुकान खरीदी, जिसमें पहले से ही एक किरायेदार था। दुकान खरीदने के छह महीने बाद, उसने किरायेदार को बेदखल करने के लिए आवेदन किया और दावा किया कि उसे दुकान अपने खुद के व्यवसाय के लिए चाहिए।

    किरायेदार ने आपत्ति जताई कि मकान मालिक को पांच साल पूरे करने से पहले आवेदन करने का अधिकार नहीं है। कंट्रोलर ने मामले की जांच की और पाया कि मकान मालिक ने संपत्ति को अभी खरीदा था, इसलिए उसका आवेदन खारिज कर दिया गया।

    झूठे या परेशान करने वाले (Frivolous) बेदखली मामलों के लिए दंड

    यदि कोई मकान मालिक झूठे दावे के आधार पर किरायेदार को परेशान करने के लिए बेदखली का मामला दर्ज करता है, तो कंट्रोलर उसे दंडित कर सकता है। ऐसे मामलों में, कंट्रोलर मकान मालिक को अधिकतम 500 रुपये का हर्जाना (Compensation) देने का आदेश दे सकता है।

    हिमाचल प्रदेश किराया नियंत्रण अधिनियम की धारा 14 मकान मालिक और किरायेदार के अधिकारों के बीच संतुलन बनाती है। यह मकान मालिक को उचित परिस्थितियों में किरायेदार को हटाने की अनुमति देता है, लेकिन साथ ही यह सुनिश्चित करता है कि किरायेदार को बिना उचित कारण के न हटाया जाए।

    कानून यह भी सुनिश्चित करता है कि मकान मालिक बेदखली के बाद संपत्ति का सही तरीके से उपयोग करे, अन्यथा किरायेदार को पुनः कब्जे का अधिकार मिल सकता है। साथ ही, झूठे या परेशान करने वाले मामलों पर दंड का प्रावधान मकान मालिकों को गलत तरीके से कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग करने से रोकता है।

    इस प्रकार, यह धारा मकान मालिकों और किरायेदारों दोनों के हितों की रक्षा करती है और निष्पक्ष न्याय सुनिश्चित करती है।

    Next Story